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इस पेज का एक ही उद्देश्य है.
झारखंड की जनमुद्दों को आम जनमानस तक पहुंचाना
जय झारखंड जोहार झारखंड!!

18/05/2024

लोबिन हेंब्रम ने खतियान,नियोजन नीति, सीएनटी, एसपीटी एक्ट का बात किया तो पार्टी से निकाल दिया, अब आदिवासी अंधभक्ति में रहेंगे या जेएमएम का बहिष्कार करेंगे !
Pankaj Mahato

16/05/2024
11/05/2024

कुदरत का करिश्मा है, देखो चारों तरफ हरियाली है,हम इनको हैं काटते और यह करती हमारी रखवाली है।
10/05/2024

कुदरत का करिश्मा है, देखो चारों तरफ हरियाली है,
हम इनको हैं काटते और यह करती हमारी रखवाली है।

School on time 13/05/2024
10/05/2024

School on time 13/05/2024

प्यार दिजिए "पंचायत कर खेला" नागपुरी फिल्म को।
09/05/2024

प्यार दिजिए "पंचायत कर खेला" नागपुरी फिल्म को।

राँची से रामगढ़ की ओर जा रही इनोवा कार से 45 लाख 90 हज़ार बरामद,ओरमांझी टोल प्लाजा के पास पकड़ा गया है,जांच पड़ताल जारी है।...
08/05/2024

राँची से रामगढ़ की ओर जा रही इनोवा कार से 45 लाख 90 हज़ार बरामद,ओरमांझी टोल प्लाजा के पास पकड़ा गया है,जांच पड़ताल जारी है।

ED पहुंची झारखंड मंत्रालय, मंत्री आलम के PS सजीव लाल के ऑफिस से मिले 2 लाख !!
08/05/2024

ED पहुंची झारखंड मंत्रालय, मंत्री आलम के PS सजीव लाल के ऑफिस से मिले 2 लाख !!

14/09/2022

जय झारखंड, जोहार झारखंड

03/09/2022

कल मांदइर की थाप की गूँज बृहद झाड़खंड के उत्तर में पारसनाथ से दक्षिण में मयूरभंज तक गूंजेगी...!
ोहार

26/04/2022

झारखड़ बनने के 21साल बाद भी झारखंडीयों का दर्द .....

झारखंड बने आज 22 साल प्रवेश करने को है। फिर भी झारखंडी आज भी लाचारी ,बेबसी और मजबूरी बनी हुई है। आदिवासी- मूलवासी बहुल राज्य होने के बावजूद आज आदिवासी- मूलवासी हाशिये पर हैं। झारखंड की आबादी की बात करें तो सबसे अधिक जनसंख्या आदिवासियों की है और दूसरे सबसे अधिक जनसंख्या की बात करें तो कुड़मी की है।और कुल मिलाकर दोनों की आबादी देखे तो लगभग 53-54% है।

मगर आज मूल झारखंडी पूरे हाशिये पर है । 21 सालों का झारखंड आज क्यों हाशिये पर झारखंडी है ? क्या हम सब कल्पना भी कर सकते हैं? झारखंड को बनाने में हम सब के पूर्वजों ने हजारों हजार कुर्बानियाँ दी। इसलिए दि थी कि आनेवाले दिन हम सब के बाल -बच्चों का एक अच्छा भविष्य निर्माण हो और राज्य के साथ देश की सेवा कर सके और एक अच्छे समाज का निर्माण कर सके। झारखंड के आदिवासी मूलवासी को इस राज्य से मिला। क्या मिला तो सिर्फ गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, विस्थापन झारखंड के आदिवासी मूलवासी को आज तक यही मिला है।

जहां जहां भी आदिवासी मूलवासी विस्थापन हुए है, आज वह हर एक जगह बड़ा। शहर का रूप ले लिया और वहां से आदिवासी मूलवासी की जड़े ही समाप्त हो गए। जैसे रांची, जमशेदपुर ,धनबाद ,बोकारो और मुख्यतः यहां पर जो रोजगार करने आए वह गैरझारखडी को कंपनी और सरकार के संरक्षण में बसाया गया जो आज परिणाम स्वरूप झारखंडी भुगत रहे हैं।

झारखंड में दो प्रकार के लोबी हावी है 1 ब्यूरोक्रेट्स 2 नेता।

1 ब्यूरोक्रेट्स

इस राज्य का जब से गठन हुआ ये लोभी लोग बहुत अधिक हावी रहा और आज भी साफ साफ दिखाई देता है। हमेशा से यह लोग झारखंडी मुद्दों को भीतरधात करने का प्रयास किया है। जो आज भी जारी है।

2. नेता

झारखंड जब से बना सरकार चलाने का मौका कमोबेश सभी पार्टियों को मिली लेकिन बात करे झारखंड अलग होने के बाद सबसे अधिक सत्ता पर काबिज भाजपा आजसू रही है। लगभग यह दोनों पार्टियां 15 साल तक सत्ता पर रहे। उसके बाद झामुमो भी लगभग 3 साल सत्ता पर रही और वर्तमान में जेएमएम प्लस कांग्रेस प्लस आरजेडी की सरकार 2 साल 5 महीने हो गये है।

पर आज तक झारखंडी का दर्द जस का तस है। आज तक झारखंडी अपना पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कितना दुर्भाग्य की बात है। झारखंडी क्या चाहते हैं? झारखंडी तो यही चाहते हैं ना अच्छा नीति- नियम बने सबों को एक अच्छा अवसर मिले। उसके लिए सरकार क्या की तो जवाब में मिलेगा कुछ नहीं । झारखंडी हित में कुछ काम नहीं हुआ इस प्रदेश वासियों के लिए.....

कौन-कौन से नीति झारखडीयों की मांग है?
1.राज्य में स्थानीय नीति खतियान आधारित परिभाषित हो।
2.राज्य मे स्पष्ट नियोजन नीति परिभाषित।
3.राज्य में अस्पष्ट आरक्षण नीति लागू।
4.राज्य में विस्थापन नीति लागू।
5.राज्य में औद्योगिक नीति लागू।
6.सीएनटी एसपीटी एक्ट कड़ाई से लागू हो और पेशा कानून लागू हो।
7.भाषा नीति स्पष्ट करें 9 छेत्रीय भाषाओं को लागू करें।

पर आज तक कोई भी इन 22 सालों में सरकारें एक कदम तक नहीं उठाए। कितना दुर्भाग्य की बात है। नेता ,मुख्यमंत्री ,मंत्री, विधायक बनते तो जरूर है पर झारखंड जन मुद्दों से कोई सरोकार नहीं है। आज तक 22 सालों के झारखंड यही देखा है।

अजय महतो काछूआर
( रांची विश्वविद्यालय रांची )
(English department)

15/04/2022

झारखंड कैबिनेट के अहम निर्णय, ग्रामीण भूमिहीनों को जमीन देकर पीएम आवास बनवाएगी सरकार, गृह जिलों में होगा शिक्षकों का स्थानांतरण।

झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीनों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ उपलब्ध कराने के लिए उन्हें जमीन देने के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने अंगीकृत कर लिया है। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्यों को अपनी अनुशंसा भेजी थी। इसके तहत स्थानीय निवासियों को 3 डिसमिल तक जमीन सरकार उपलब्ध कराएगी। शहरी क्षेत्र के स्लम एरिया में पहले से ही आवास मुहैया कराने का प्रावधान लागू है। बुधवार को राज्य कैबिनेट ने इससे संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यहां से प्रस्ताव निर्वाचन आयोग की सहमति के लिए भेजा गया है।

इसके साथ ही राज्य में 25,414 दुकानों को अब कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में विकसित होंगे। राज्य सरकार विधानसभा में की गई दो घोषणाओं को भी जल्द ही लागू करेगी जो शिक्षा और शिक्षकों से संबंधित है। सरकार ने तय किया है कि अब स्कूली शिक्षक अपने गृह जिले में स्थानांतरित हो सकेंगे। दो स्थानों में में कार्यरत पति-पत्नी शिक्षक को एक ही जिले में पदस्थापन किए जाने की अनुमति दी गई है। कैबिनेट की बैठक में एक दर्जन से अधिक प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई है जिसमें अधिकांश सामान्य मामले हैं। कुछ ऐसे भी मामले हैं जिनमें केंद्र सरकार के स्तर से पहले निर्णय लिया जा चुका है और अब राज्य में इसे लागू करना है।

ऐसे ही मामलों में राज्य कर्मियों के महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी है। पूर्व में जिन्हें 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा था उसे बढ़ाकर 34 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह पेंशनभोगियों को भी महंगाई भत्ता बढ़कर मिलेगा। इसके अलावा श्रम विभाग के उस प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान कर दी गई है जिसके तहत प्रवासी मजदूरों की मौत होने पर शव को पैतृक स्थान तक लाने और आर्थिक सहायता के लिए जिला स्तर पर 10 लाख रुपए के मुख्यमंत्री झारखंड प्रवासी श्रमिक दुर्घटना कोष के गठन को मंजूरी दी गई।प्रवासी मजदूरों की मौत तथा स्थानी अपंगता के लिए मुआवजा मिलेगा।

इन प्रस्तावों को मंजूरी–
-कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को दोपहर के भोजन में फोर्टिफाइड राइस दिया जाएगा।
-धुनिया केवर्त अत्यंत पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल।
- राज्य में गुप्त सेवा निधि के व्यय हेतु महानिदेशक सह पुलिस महानिरीक्षक को नियंत्री पदाधिकारी मनोनीत करने के प्रस्ताव को स्वीकृति।

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