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*📜 19 फरवरी 📜**🌹 गोपाल कृष्ण गोखले // पुण्यतिथि 🌹**जन्म : 09 मई 1866**मृत्यु : 19 फरवरी 1915* गोपाल कृष्ण गोखले भारत के ...
19/02/2025

*📜 19 फरवरी 📜*

*🌹 गोपाल कृष्ण गोखले // पुण्यतिथि 🌹*

*जन्म : 09 मई 1866*
*मृत्यु : 19 फरवरी 1915*

गोपाल कृष्ण गोखले भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे। उनका जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में 9 मई 1866 को हुआ था। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ भी थे।

महादेव गोविन्द रानडे के शिष्य गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे। चरित्र निर्माण की आवश्यकता से पूर्णतः सहमत होकर उन्होंने 1905 में सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। उनका मानना था कि वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। स्व-सरकार व्यक्ति की औसत चारित्रिक दृढ़ता और व्यक्तियों की क्षमता पर निर्भर करती है।

महात्मा गांधी ने राजनीति के बारे में उनसे बहुत कुछ सीखा और इसीलिए वह राष्ट्रपिता के राजनीतिक गुरु कहलाए।

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19/02/2025

*भारत की आस्था और अस्मिता के रक्षक, 'हिंदवी स्वराज' के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन....🙏*

📜 16 फरवरी 📜🌹 महादेव गोविंद रानाडे // पुण्यतिथि 🌹जन्म : 18 जनवरी 1842मृत्यु : 16 फरवरी 1901भारत के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी,...
16/02/2025

📜 16 फरवरी 📜

🌹 महादेव गोविंद रानाडे // पुण्यतिथि 🌹

जन्म : 18 जनवरी 1842
मृत्यु : 16 फरवरी 1901

भारत के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी, समाज सुधारक, विद्वान् और न्यायविद थे। उन्हें "महाराष्ट्र का सुकरात" कहा जाता है। रानाडे ने समाज सुधार के कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। प्रार्थना समाज, आर्य समाज और ब्रह्म समाज का इनके जीवन पर बहुत प्रभाव था। गोविंद रानाडे 'दक्कन एजुकेशनल सोसायटी' के संस्थापकों में से एक थे। रानाडे स्वदेशी के समर्थक और देश में ही निर्मित वस्तुओं का प्रयोग करने के पक्षधर थे।

शिक्षा प्रसार में उनकी रुचि देखकर अंग्रेज़ों को अपने लिए संकट का अनुभव होने लगा था, और यही कारण था कि उन्होंने रानाडे का स्थानांतरण शहर से बाहर एक परगने में कर दिया। रानाडे को सज्जानता की सज़ा भुगतनी पड़ी थी। उन्होंने इसे अपना सौभाग्य माना। वे जब लोकसेवा की ओर मुड़े तो उन्होंने देश में अपने ढंग के महाविद्यालय स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास किए।

महादेव गोविंद रानाडे को अनेक क्षेत्रों में कठिनाईयों का सामना करना पड़ा था। इससे जो समस्याएँ उत्पन्न हुईं, उससे उन्हें पीड़ाओं को भी सहना पड़ा।

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 े_दिन_ही पानीपत की लड़ाई जीतने के बाद बाबर ने आगरा में किया प्रवेश था। प्राचीन समय से ही भारत का इतिहास बेहद गौरवशाली र...
10/05/2024

े_दिन_ही पानीपत की लड़ाई जीतने के बाद बाबर ने आगरा में किया प्रवेश था। प्राचीन समय से ही भारत का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। अंग्रेजों के आने से पहले भारत में कई साम्राज्य हुए, जिन्होंने विस्तारवादी नीतियाँ अपनाते हुए यहां खुद को स्थापित करने की कोशिश की। इस कारण समय-समय पर नए सम्राज्य बनते रहे और पुरानों का पतन होता रहा।

बात 15वीं सदी के आसपास की है। बाबर हिंदुस्तान फतह करने के लिए अपनी सेना के साथ निकला था। हिंदुस्तान को फतह करने का उसका लक्ष्य काफी बड़ा था। इसके लिए उसने अपने पीछे एक काफी बड़ी फौज संगठित की थी।माना जाता है कि बाबर सिर्फ हिंदुस्तान पर ही कब्जा नहीं जमाना चाहता था। वह अपने गृह क्षेत्र में भी अपने वर्चस्व को जमाए रखना चाहता था। हिंदुस्तान में अपने शासन को जिंदा रखने और खुद को मजबूत स्थिति में पहुंचाने के लिए बाबर की फौज किसी न किसी राज्य में आक्रामण कर, वहां अपना कब्जा जमा लेती। हिंदुस्तान में अपना सिक्का जमाने के लिए बाबर ने इब्राहिम लोधी को परास्त करने की रणनीति बनाई थी। माना जाता है कि बाबर इब्राहिम लोधी को हराने के लिए 12 अप्रैल 1526 को ही पानीपत पहुंच गया था। 21 अप्रैल को इब्राहीम लोदी को बाबर ने पानीपत की लड़ाई में परास्त किया। जिसके बाद अपने जीत के रथ को आगे बरकरार रखने के लिए बाबर ने भारत के आगरा में 10 मई को प्रवेश किया था। पानीपत की लड़ाई बाबर के लिए काफी महत्वपूर्ण थी। किन्तु उसके लिए खानवा के युद्ध की जीत ज्यादा महत्वपूर्ण रही। असल में इसके बाद ही वह भारत में मुगल राज्य की जड़ें मजबूत करने में सफल रहा और वह दिल्ली का शासक बना।

दिलचस्प बात यह रही थी कि खानवा का युद्ध जीतने के बाद बाबर की ताकत का मुख्य केंद्र काबुल नहीं रहा, बल्कि आगरा-दिल्ली बन गया था। #संक्षिप्त_इतिहास

पुस्तक के लेखक बिहार के औरंगाबाद जिले के पृथिकुटा गाँव का निवासी थे हर्षचरित में आठ अध्याय है।👌
01/05/2024

पुस्तक के लेखक बिहार के औरंगाबाद जिले के पृथिकुटा गाँव का निवासी थे हर्षचरित में आठ अध्याय है।👌

19वीं सदी में जब द्वितीय विश्व युद्ध की शुरूआत हुई थी, तो कई देशों की सेना आमने-सामने थी। 16 अप्रैल 1945 के दिन ही बैटल ...
16/04/2024

19वीं सदी में जब द्वितीय विश्व युद्ध की शुरूआत हुई थी, तो कई देशों की सेना आमने-सामने थी। 16 अप्रैल 1945 के दिन ही बैटल ऑफ बर्लिन की भी शुरुआत हुई थी, जिसमें सोवियत संघ की सेना लगातर जर्मन पर आक्रमण कर रही थी। इस भयकंर युद्ध में सोवियत संघ के पास करीब 2,500,000 लोगों की सेना थी। वहीं दूसरी ओर जर्मन की तरफ से लगभग 766,750 सैनिक ही थे। जर्मन सेना सेवियत संघ के मुकाबले में बहुत कम थी। यही कारण रहा कि जर्मन को इस जंग में सोवियत संघ से लड़ने में बहुत मुश्किल हुई। 16 अप्रैल 1945 को शुरू हुए इस युद्ध में करीब 30,000 से अधिक लोग मारे गए थे। इस युद्ध में बर्लिन के दक्षिणी क्षेत्र को तबाह कर दिया था। इसी क्रम में जब हिटलर की मौत की खबर आई, तो 7 मई को बिना किसी शर्त के जर्मन ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद सोवियत संघ ने बार्लिन पर कब्ज़ा कर लिया। एक प्रकार से ‘बैटल ऑफ़ बर्लिन’ की जंग को ही जर्मन सेना का अंत माना जाता है। इसके बाद उनकी हालत इतनी ख़राब हो गई थी कि वह फिर से उठ नहीं पाई। माना जाता है कि सरकारी आंकड़ों से अलग इस युद्ध में असल में लाखों की संख्या में लोग मारे गए थे। दोनों देशों ने जंग में अपना सब कुछ लगा दिया था।

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हॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक अपने अभिनय से लाखों दिलों पर राज करने वाले चार्ली चैपलिन का जन्म आज के ही दि...
16/04/2024

हॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक अपने अभिनय से लाखों दिलों पर राज करने वाले चार्ली चैपलिन का जन्म आज के ही दिन यानि 16 अप्रैल 1889 में हुआ था। चार्ली चैपलिन फिल्म में ऐसा अभिनय करते थे कि लोग उनकी एक्टिंग देख हंस-हंस कर लोटपोट हो जाते थे। चार्ली चैपलिन को हॉलीवुड के शुरुआती दिनों के सबसे महत्वपूर्ण सितारों में से एक माना जाता है। वह जानते थे कि किस तरह बिना कुछ बोले भी लोगों को हंसाया जाता है। उनका छोटा कद, बेढंगे कपड़े और छोटी मूंछें देखकर हर किसी को हंसी आ जाया करती थी। चार्ली चैपलिन अंग्रेजी कॉमेडियन और फिल्म निर्देशक भी थे। चैपलिन ने अभिनय में अपने करियर की शुरूआत आठ वर्ष की आयु में कर दी थी। उन्होंने 1913 में कैलिफोर्निया में पश्चिम की यात्रा की और कीस्टोन स्टूडियो के लोकप्रिय कॉमेडी निर्देशक मैक सेनेट के साथ काम करने के लिए हस्ताक्षर किए। कीस्टोन स्टूडियो के साथ उन्होंने 35 फिल्मों में अभिनय किया। इसके बाद नवंबर 1914 में उन्होंने कीस्टोन स्टूडियो को छोड़ दिया। चार्ली चैपलिन ने अपने जीवन में कई स्टूडियो के साथ काम किया। 25 दिसंबर 1977 में चार्ली चैपलिन का निधन हो गया था।
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गुरु नानक जी आज के दिन पंजाब के तलवडी में 15 अप्रैल, 1469 को एक किसान के घर पैदा हुए थे। गुरु नानक के पिता का नाम कालू औ...
15/04/2024

गुरु नानक जी आज के दिन पंजाब के तलवडी में 15 अप्रैल, 1469 को एक किसान के घर पैदा हुए थे। गुरु नानक के पिता का नाम कालू और माता का नाम तृप्ता जी था। गुरु नानक एक भारतीय संत के रुप में जाने जाते हैं जिन्होंने सिख धर्म की स्थापना करने में अपना योगदान दिया था। उनका जन्म एक हिन्दू परिवार में हुआ था। कहा जाता है बचपन से उनके अंदर महानता के लक्षणों को देख गया था। वह आध्यात्मिकता और दिव्य विषयों में रुचि लेते थे। उन्होंने दूर-दूर तक यात्रा की और जगह जगह धर्म की एकता का संदेश प्रसारित किया। माना जाता है कि वह आध्यात्मिकता को मानते थे पर उन्होंने मूर्ति पूजा की निंदा भी की। वह हिंदू जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं करते थे। वैसे, तो वह हिंदू परिवार से थे पर इसके बावजूद उन्होंने मुसलामानों के साथ भी काफी समय बिताया। उन्होंने मुस्लिम ग्रंथों को पढ़ने में भी काफी रूचि दिखाई। गुरु नानक जी ने जिंदगी भर बेघर और भूखे लोगों की सेवा की और उनको खान खिलाने में अपना पूरा धन खर्च किया। गुरु नानक जी ने सिख धर्म की स्थापना की थी, जो आज दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा संगठित धर्म है। एक अनुमान के अनुसार इसमें 30 लाख के करीब अनुयायी हैं। उन्होंने लंगर और रसोई की व्यवस्था को स्थापित किया था। 22 सिंतबर 1539 में उनका निधन हो गया था।

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14 अप्रैल 1986 को फ्रांसीसी दार्शनिक सिमोन डी ब्यूवोइर (सिमोन द बुआ) का निधन (78 वर्ष की आयु में) हुआ। उनकी सबसे प्रसिद्...
14/04/2024

14 अप्रैल 1986 को फ्रांसीसी दार्शनिक सिमोन डी ब्यूवोइर (सिमोन द बुआ) का निधन (78 वर्ष की आयु में) हुआ। उनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक, द सेकेंड सेक्स थी, जो महिलाओं के उत्पीड़न का विश्लेषण और समकालीन नारीवाद का एक आधारभूत ग्रंथ है।

13 अप्रैल 1743 को थॉमस जेफरसन का जन्म शैडवेल, वर्जीनिया में हुआ था। उन्होंने 1801 से 1809 तक तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति के...
13/04/2024

13 अप्रैल 1743 को थॉमस जेफरसन का जन्म शैडवेल, वर्जीनिया में हुआ था। उन्होंने 1801 से 1809 तक तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, इससे पहले 1797 और 1801 में जॉन एडम्स के अधीन दूसरे उप-राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था। वे अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा के प्रमुख लेखक भी थे।

अप्रैल 1919 ब्रिटिश सैनिकों ने मिस मार्सेला शेरवुड (चर्च ऑफ इंग्लैंड मिशनरी) पर अमृतसर, पंजाब में हमला करने के लिए भारती...
13/04/2024

अप्रैल 1919 ब्रिटिश सैनिकों ने मिस मार्सेला शेरवुड (चर्च ऑफ इंग्लैंड मिशनरी) पर अमृतसर, पंजाब में हमला करने के लिए भारतीयों को सज़ा के तौर पर सड़क पर रेंगने पर मजबूर किया।

13 अप्रैल 1945 को ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना पर सोवियत लाल सेना ने कब्ज़ा कर लिया था, जबकि हिटलर का जर्मनी दूसरे विश्व य...
13/04/2024

13 अप्रैल 1945 को ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना पर सोवियत लाल सेना ने कब्ज़ा कर लिया था, जबकि हिटलर का जर्मनी दूसरे विश्व युद्ध में हार की ओर बढ़ रहा था।

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