Public Action News

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दिनांक 18-6-23 को  बिष्टुपुर रिगल मैदान में  बृहद झारखंड कुड़मी समाज ,द्वारा संस्कृतिक जागरण के लिए प्रथम राढ़ महोत्सव क...
20/06/2023

दिनांक 18-6-23 को बिष्टुपुर रिगल मैदान में बृहद झारखंड कुड़मी समाज ,द्वारा संस्कृतिक जागरण के लिए प्रथम राढ़ महोत्सव का आयोजन किया गया ,इस कार्यक्रम का शुभारंभ अंतरराष्ट्रीय कलाकार प्रभात कुमार महतो के टीम के द्वारा ,पाइका डांस से हुआ ,फिर सरायकेला के दशरथ महतो की टीम द्वारा माटीर मानुष छो नाच का प्रदर्शन किया गया , एंव दूसरी छो नाच पाला पे हेम सिंह महतो जी के द्वारा समाजिक एंव संस्कृतिक प्रर्दशन का नाच दिखाया गया फिर तिसरी पाली में अतंराष्ट्रीय सुप्रसिद्ध कलाकार प्रभात कुमार महतो जी के द्वारा ,भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी शहीद रघुनाथ महतो जी के जीवनी और संघर्ष पर नाच प्रस्तुत किया गया , तो नाच के चौथी पाला में सुप्रसिद्ध छो नाच कलाकार गोलक बिहारी महतो जी के द्वारा ,कुडमी संस्कृति के अतंर्गत 12 मासे 13 पर्व की संस्कृतिक नाच का प्रर्दशन किया,

वृहद झारखंड कुड़मी समाज के अनूप महतो ने कहा राढ़ महोत्सव का उद्देश शहर में रह रहे राढ़ लोग जो अपनी संस्कृति एवं संस्कृति अनुष्ठान से दूर हो रहे हैं व अनजान है उनके बीच सांस्कृतिक जागरूकता करना ही हमारा पहला उद्देश्य वही हमारा दूसरा उद्देश आगामी 20 सितंबर को हो रहे हैं रेल टेका का आंदोलन को एक धार देना। इस राढ़ महोत्सव के अवसर
में कुडमी समाज के राजनीतिक प्रतिनिधि,समाजसेवी और हजारों की सख्या मे समाज के लोग शामिल हुए, इस आयोजन को करने मे मुख्य रुप से नारायण महतो , ,शरत महतो , सुमित महतो ,ललित महतो,मनोरंजन महतो,नरेश महतो ,आकाश महतो,बिरेन महतो आदि सदस्यो का महत्वपूर्ण योगदान रहा ।।

झारखंड में नई राजनीतिक---  क्रांति का संकेत, झारखंड राज्य के अलग हुए 22 वर्षों हो गए l परंतु राज्य में आदिवासी मूलवासीयो...
20/06/2023

झारखंड में नई राजनीतिक--- क्रांति का संकेत,

झारखंड राज्य के अलग हुए 22 वर्षों हो गए l परंतु राज्य में आदिवासी मूलवासीयों का ज्वलंत मुद्दे 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति,स्थानीय नियोजन नीति,कारोबार पर अधिकार,ठेका पट्टा पर अधिकार खनन का अधिकार, कला, खेल, भाषा संस्कृति का अधिकार, पर्यटन,झारखण्डी फ़िल्म का विकास आदि कई ज्वलंत मुद्दे आज भी झारखंडयो का सपना चकनाचूर हो गयाl
कहने में कोई हिचक नहीं है, की कोई भी राजनीतिक पार्टी चाहे जेएमएम हो,चाहे कांग्रेस हो, चाहे बीजेपी हो, या अजसु पार्टी हो या वामपंथी हो, समाजवादी विचारधारा के पाटियां इन सभी पार्टियों ने कामोंवेस सरकार में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हुए है l परंतु कोई भी पार्टियां गंभीरता रूप से झारखंड की मिट्टी,यहां की संस्कृति खेल,संगीत कला संस्कृति आदि कई ज्वलंत मुद्दे को लेकर के नीतिगत फैसले लेने में फिसड्डी साबित हुई है l यह राजनीतिक पार्टियां 22 वर्षों में झारखंडी जनताओं के भावनाओं के साथ खेलते रहे और आगे भी खेल को जारी रखना चाहते हैं l
यही कारण है की झारखंडी भाषा संस्कृति आंदोलन के 1932 का खतियान, भाषा आंदोलन 60/40 की आंदोलन के उपज छात्र नेता जयराम महतो मात्र डेढ़ साल के आंदोलन में इतना विश्वास जनता के प्रति आया हैl कहीं ना कहीं यह राजनीतिक परिवर्तन का संकेत है l भले ही एक ही जाति का भीड़ हो, लेकिन प्रजातंत्र जनता के बीच बसता है और परिवर्तन के लिए इतना भी भीड़ काफी हैl
मैं दाद देना चाहता हूं l कुर्मी समाज की छात्र नौजवानों की परिपक्वता, को इतना स्किल, इतना सामाजिक एवं राजनीतिक जागरूकता,कूटनीतिकार राजनीतिक इच्छाशक्ति, से लवरेज राजनीतिक जागरूकता कर राजनीतिक मौसम को भांपते हुए छात्रों ने राजनीतिक पार्टी का गठन कर होने वाला 2024 के चुनाव में लोकसभा और विधानसभा मे चुनाव लड़ने का ऐलान करना सही मायने में एक इतिहासिक कदम है l
जिस प्रकार और असम स्टूडेंट यूनियन असम आंदोलन के उपज प्रफुल्ल कुमार महान्तो ने असम गण परिषद नाम का पार्टी बनाकर सभी कुवारे छात्र एमएलए और मंत्री हो होकर राजनीतिक सत्ता पर काबिज किया था l हालांकी जयराम महतो के छात्र आंदोलन से बहुत सारे राजनीतिक पंडितों का विभिन्न प्रकार के नकारात्मक टिप्पणियां हो सकती है कहेंगे यह लोग नौसीखिए हैं संगठन की जानकार नहीं है l राजनीतिक टीम नहीं है l लेकिन राजनीतिक ऐलान सभी राजनीतिक पार्टियों को दिल दहला दिया है अर्थात सोचने को मजबूर कर दिया है l परिणाम चाहे जो भी हो,लेकिन इस भीड़ को संगठन एवं सही राजनीतिक दिशा देने की आवश्यकता हैl परिवर्तन निश्चित ही होगीl लेकिन यह कड़वा सत्य है यह भी है कि झारखंड की परिकल्पना एक जाति विशेष पर नहीं हो सकता है l आदिवासी समाज कि बिना राजनीतिक शक्ति अधूरा है l इसलिए इस मुहिम में हर वर्ग को जोड़ने की आवश्यकता है l
*मेरा सवाल आदिवासी संगठनों एवं आदिवासी नेताओं से भी* है :- सन 2003,4,5 से स्थानीय नीति (डो मिसाल )आंदोलन की शुरुआत हुई थी l स्थानीय नीति लागू करो,अपरु छपरु गंगा पार,भाषा नीति लागु करो आदिवासियों को जमीन लूटना बंद करो, कई बार झारखंड बंदी, कभी चमरा लिंडा के नेतृत्व में रैलियां होती तो कभी बंधु तिर्की ,सालखान मुर्मू के नेतृत्व में रैलियां हुआ करती थी l आंदोलन को बल देने के लिए बैक डोर से रतन तिर्की,लक्ष्मीनारायण मुंडा अमूल नीरज खलखो कई अनेक कार्यकर्ता बड़े नेताओं के सहयोगी के रूप में खड़े थे इस आंदोलन से कुछ नेता बने, कुछ मंत्री विधायक बने,लेकिन व्यापक रूप से राजनीतिक शक्ति का ऐलान होना था l वह नहीं हो पाया जो बहुत बड़ी राजनीतिक भूल थी l सलखान मुरमू,चमरा लिंडा,बंधु तिर्की यादि नेताओं द्वारा यदि 2004 में राजनीतिक पार्टी का गठन की जाती तो आज आदिवासी मूलवासी समाज का राजनीति रूप पर हाशिए पर नहीं होते और ना ही आदिवासी और मूलवासी समाज का एकता नहीं टूटताl उसके बाद 2010 से लेकर 217 तक भी कई आंदोलन होते रहे कई छोटे-बड़े आंदोलन, धरना प्रदर्शन झारखंड बंदी जैसे होती रही l मेरे अलावा और राजू महतो, एस अली, छात्र नेता कमलेश राम,देवेंद्र महतो भी नेतृत्व किया और आंदोलन को बढ़ाते रहे l झारखंड की विचारधारा की राजनीतिक कमी के कारण आज 20 साल से बाहरी नौकरशाह, बाहरी माफिया,बाहरी दलाल, बाहरी लुटेरे ने 20 साल से झारखंड को लूट- खसोट करने अड्डा बना दिया है l
इसलिए आदिवासी समाज को कुर्मी समाज से राजनीतिक ,कूटनीति से सीख लेने की आवश्यकता है l कुर्मी समाज के छात्रों ने राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने के लिए नीति स्पष्ट कर दी हैl
*अब आदिवासी समाज की बारी है?....आदिवासी* *समाज* *राजनीतिक पार्टी के विषय पर क्या* *चिंतन करती है इस* मामले में आदिवासी बुद्धिजीवी, आदिवासी छात्र नौजवान संगठन चलाने वाले झारखंड के हित के लिए क्या चिंतन है किसी पार्टी के पीछे लगा रहना है या अपनी पार्टी बनाने की चिंतन है l आदिवासी समाज झारखंड मे साबित करें, कि हम भी झारखंड एकता के साथ झारखंड के ज्वलंत मुद्दों को हासिल करने के लिए आपसी मतभेद भुलाकर आदिवासी कुर्मी की लड़ाई,आदिवासी सरना ईसाई, उरांव, मुंडा,हो,संथाल भूमिज आपसी लड़ाई छोड़ राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के लिए आदिवासी समाज मिलकर एक राजनीतिक निर्णय का ऐलान की जा सकती है और आदिवासी -मूलवासी के भाईचारे को साबित कर झारखंड को बचाने का काम करें अन्यथा झारखंडी आदिवासी- मूलवासी कभी नहीं बचेंगेl देखते ही देखते झारखंड एक राजनीतिक रूप से बिहार बन जाएगा l
भवदीय
( प्रेम शाही मुंडा)
अध्यक्ष
आदिवासी जन परिषद
9430341425/7257951333
Email premshahimunda@gmail. Com

19/06/2023

Jai ram mahto ने श्यशान घाट से ऐसा क्या बोल दिया कि कार्यक्रम में लाखों की भीड़ हुआ,,,!!!

रांची से समाचार,,,,आदिवासी सरना धर्मावलंबियों,बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं  द्वारा आदिवासी सरना धर्म सम्मेलन  क...
18/06/2023

रांची से समाचार,,,,

आदिवासी सरना धर्मावलंबियों,बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा आदिवासी सरना धर्म सम्मेलन कांके प्रखंड अंतर्गत ग्राम सिरांगों में आयोजित की गई । इस सम्मेलन में सरना धर्म, परंपरा रुढ़िवादी प्रथा,रिति-रिवाज आदिवासी दर्शन आदिवासियों का संकट आदि को लेकर गंभीरता पूर्वक चर्चा की गई। इस अवसर पर उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए आदिवासी नेता लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि आज प्रकृति पूजक आदिवासियों के उपर चौतरफा हमला हो रहा है। एक तरफ संघ परिवार और उसके अनुषांगिक संगठन आदिवासियों के परंपरा-संस्कृति, रीति रिवाज रुढ़िवादी प्रथा को समाप्त करने पर तुले हैं तो वहीं दूसरी तरफ ईसाई मिशनरियों का षड़यंत्र भी प्रकृति पूजक मूल आदिवासियों के पहचान मिटाने और उनकी हिस्सेदारी, अधिकारों को हड़पने - कब्जा करने का रहा है। वहीं प्रकृति पूजक सरना आदिवासियों के अंदर ही एक खेमा
ईसाई आदिवासियों का मोहरा बनकर सरना धर्मावलंबी के परंपरा-संस्कृति रीति रिवाज रुढ़िवादी प्रथा को छेड़छाड़ कर ईसाईयों का अनुसरण करवाया जा रहा है। जिससे प्रकृति पूजक सरना आदिवासियों और ईसाई आदिवासियों का बुनियादी अंतर को छिपाया जा सके। श्री मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज को हर वक्त सचेत रहने की जरुरत है। आज आदिवासियों की पहचान , इतिहास, उसके अधिकार को खत्म किया जा रहा है। आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि परंपरा, संस्कृति,धार्मिक-आस्था विश्वास, रीति-रिवाज पर हमला बाहर से नही आदिवासी समुदाय के अंदर से भी हो रहा है। जो आदिवासी समुदाय को खोखला कर रहा है। केंद्रीय धुमकुड़िया के अध्यक्ष सुनील टोप्पो ने कहा कि रांची के पश्चिमी क्षेत्र के लोग जो आर्थिक राजनीतिक वैचारिक सामाजिक शैक्षणिक रुप से मजबूत है,जो रांची और आसपास में बसे हैं, समूचे आदिवासियों के उपर अपना वर्चस्व कायम करना चाहते हैं, इसके लिए कई तरह के धार्मिक सामाजिक कर्मकांड को थोपते स्थापित करते हैं। जगलाल पाहन ने कहा कि आदिवासियों की परंपरा संस्कृति से खिलवाड़ करने और कस्टम सिस्टम पर चोट करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके अलावा जगदीश पाहन,पूनम मुंडा, सहदेव मुंडा, जयमंगला उरांव,लक्ष्मण मुंडा सावन मुंडा आदि लोगों ने संबोधित किया। इस सम्मेलन में प्रस्ताव लिया गया कि आदिवासियों के धार्मिक रुढ़िवादी प्रथा रीति-रिवाज, परंपरा संस्कृति पर चोट करने वाले संगठनों का पुरजोर आदिवासी समाज करता रहेगा। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से लक्ष्मी नारायण मुंडा, प्रेम शाही मुंडा, सुनील टोप्पो, जगलाल पाहन, जगदीश पाहन, सहदेव मुंडा, जयमंगल उरांव, साधुलाल मुंडा,, डब्लू मुंडा, शिवरतन मुंडा ,रोपना मुंडा, संजय मुंडा, प्रेम किशन मुंडा, लक्ष्मण मुंडा रतन पाहन, कुलदीप मुंडा,पूनम मुंडा,सोमा लिंडा, शिवनाथ उरांव,मनोज मुंडा आदि लोग शामिल थे।
इस सम्मेलन में रितु, कांके, ओरमांझी, बुढ़मू अनगड़ा, सिल्ली, बुंडू और रांची शहर के लोग उपस्थित थे। इस सम्मेलन का संचालन विजय मुंडा ने किया।

16/06/2023

SILLI का विकास को लेकर KARTIK MAHTO जी SUDESH KUMAR MAHTO विधायक जी रेला, विकास का काम नहीं करते हैं,

13/06/2023

सिल्ली पानी की समस्या को लेकर,,,, ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग,,,!!!

13/06/2023

सिल्ली में जाने के दौरान क्या मिला इनको,,,

सिल्ली में,,,,, झज्जर सड़क का ग्राउंड रिपोर्टिंग, काम कर गया, विधायक महोदय का आँख खुल गया,,,!
13/06/2023

सिल्ली में,,,,, झज्जर सड़क का ग्राउंड रिपोर्टिंग, काम कर गया, विधायक महोदय का आँख खुल गया,,,!

11/06/2023

60 40 को लेकर विरोध जबरदस्त

11/06/2023

प्रेम शाही मुंडा के ऊपर FIR होने पर क्या कहा जरूर सुनें,,,!!!

11/06/2023

सिल्ली में छुआछूत को लेकर प्रेम शाही मुंडा ने दौरा किया,,,!!! पीड़ित परिवार ने कहा छुआछूत होता है,,!

11/06/2023

पुनः गर्मी छुट्टी
को लेकर दिनांक 12/06/ 2023 से लेकर 14 /06/ 2023 तक सभी प्राइवेट एवं सरकारी स्कूल बंद रहेंगे,

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