21/08/2025
भारत की क्रिकेटीय ताकत और पाकिस्तान के साथ खेल संबंध की नीति पर पुनर्विचार का समय आ गया है।
दुनिया जानती है कि भले ही क्रिकेट का जन्म इंग्लैंड में हुआ हो, लेकिन आज क्रिकेट का असली केंद्र भारत है।
भारत में होने वाले मैचों की TRP पूरी दुनिया में सबसे अधिक होती है।
ICC की आय का सबसे बड़ा हिस्सा अकेले भारत से आता है।
भारतीय खिलाड़ियों का ग्लोबल फैन बेस सबसे व्यापक है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि आज भारत ही क्रिकेट का बाप है। जब भारत चाहे, क्रिकेट जगत की दिशा बदल सकती है।
पाकिस्तान को क्रिकेट से अलग-थलग करने की ज़रूरत है।यदि भारत चाहे तो अपने प्रभाव का उपयोग कर पाकिस्तान को क्रिकेट से दरकिनार कर सकता है। यह केवल खेल का विषय नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय नीति का हिस्सा होना चाहिए।
आतंक फैलाने वाले राष्ट्र को खेल के जरिए सम्मान क्यों मिले?क्या पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मौका देना भारत के विरोधाभासी रुख को नहीं दर्शाता?
जब भारत इतना बड़ा क्रिकेटीय प्रभाव रखता है, तो पाकिस्तान को हाशिए पर धकेलना असंभव नहीं है।
आज खेल मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि आगामी एशिया कप में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच खेला जाएगा। मंत्रालय का तर्क है कि यह एक मल्टीनेशन टूर्नामेंट है, जिसमें भारत भाग ले रहा है और ऐसे टूर्नामेंट को रोकना संभव नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह निर्णय केवल खेल तक सीमित रह सकता है?
पिछले दिनों ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले में पाकिस्तान की भूमिका और उसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित रवैया किसी से छिपा नहीं है। एक ओर वह सीमा पर आतंक का पोषण करता है, हमारे जवानों की शहादत कराता है, और दूसरी ओर मैदान में दोस्ती और खेल भावना का मुखौटा ओढ़ने की कोशिश करता है।
यह विरोधाभास भारतीय जनता के लिए पीड़ा का कारण बनता है। सवाल उठता है कि –
जब जवान सीमा पर पाकिस्तान की गोलियों का सामना कर रहे हों, तब क्या क्रिकेट के मैदान पर पाकिस्तान के खिलाड़ियों के साथ खेलना उचित है?
क्या यह दोहरा रवैया शहीद परिवारों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं है?
आज खेल मंत्रालय का बयान भले व्यावहारिक कारणों से आया हो, लेकिन यह भारतीय जनमानस के दर्द को नज़रअंदाज़ करता है। सरकार को चाहिए कि –
1. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाए।
2. केवल द्विपक्षीय ही नहीं, बल्कि मल्टीनेशन टूर्नामेंट में भी पाकिस्तान के बहिष्कार की नीति पर विचार करे।
3. इस मुद्दे को खेल से आगे बढ़ाकर राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वाभिमान के नजरिए से देखे।
आज का भारत दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेटीय शक्ति केंद्र है। जब हमारे पास यह ताकत है तो पाकिस्तान जैसे राष्ट्र को क्रिकेट में बराबरी का स्थान देना हमारी नीति की विफलता कही जाएगी।
खेल मंत्रालय का आज का बयान निश्चित ही चर्चा का विषय बनेगा, लेकिन इससे बड़ा सवाल यह है कि –
क्या हम अपनी क्रिकेटीय ताकत का उपयोग कर आतंक को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान को हर प्लेटफार्म पर अलग-थलग कर पाएंगे?
भारत क्रिकेट का बाप है, और अब समय आ गया है कि इस ताकत का इस्तेमाल केवल मैदान में जीत तक सीमित न रखकर, पाकिस्तान को हर वैश्विक मंच पर शिकस्त देने के लिए किया जाए।