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14/01/2024

మీకు, మీ కుటుంబానికి భోగి శుభాకాంక్షలు..
మీ ఇల్లు ఆనందనిలయమై సుఖసంతోషాలతో నిండి ఉండాలని మనసారా కోరుకుంటున్నా

12/11/2023

दीए की रोशनी से
सब अंधेरा दूर हो जाए
दुआ है कि आप जो चाहो
वो सब खुशी मंजूर हो जाए।

ये रोशनी का पर्व है दीप तुम जलाना
जो हर दिल को अच्छा लगे ऐसा गीत तुम गाना
दुख दर्द सारे भूलकर सबको गले लगाना
यह दिवाली बस खुशियों से मनाना

हैप्पी दिवाली 🪔🪔🪔

15/08/2023

Wishing 🎉you a joyful 77th Day! Let’s celebrate the spirit of unity and freedom.
😊 Day! May our nation 🇮🇳always prosper and shine ✨ bright.Proud 💪🏻to be an Indian! Let’s uphold the values that make our country great.🇮🇳❤️🇮🇳❤️🇮🇳❤️🇮🇳

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

04/02/2023
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः🙏🏻ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधा...
22/10/2022

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः🙏🏻

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा 🙏🏻

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः 🙏🏻

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धि देहि दापय स्वाहा 🙏🏻

ॐ वैश्रवणाय स्वाहा:🙏🏻

आपके घर में धन की बारिश हो
लक्ष्मी जी का वास हो
सब संकटों का नाश हो
सुख शान्ति का वास हो

धनतेरस की हार्दिक बधाइयां!🥰

12/10/2022

May God fulfill all the wonderful plans he has for you and make you feel his love. Happy Birthday!

🌿स्कंदमाता नवरात्रि के पांचवें दिन की कथा......🌺या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नम...
30/09/2022

🌿स्कंदमाता नवरात्रि के पांचवें दिन की कथा......

🌺या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः🙏🏻

🌿स्‍कंदमाता का ध्‍यान मंत्र.......

🌺सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंद माता यशस्विनी🙏🏻

🌺या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:🙏🏻

🌿स्कंदमाता नवरात्रि पूजा विधि.......

नवरात्रि के पांचवें दिन सबसे पहले स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। अब घर के मंदिर या पूजा स्‍थान में चौकी पर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या प्रतिमा स्‍थापित करें। गंगाजल से शुद्धिकरण करें फिर एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्‍के डालें और उसे चौकी पर रखें। अब पूजा का संकल्‍प लें। इसके बाद स्‍कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें। अब धूप-दीपक से मां की आरती उतारें और आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें। स्‍कंद माता को सफेद रंग पसंद है इसलिए आप सफेद रंग के कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से मां निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं।

🌿मां स्कंदमाता का स्वरूप ......

मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कन्द बाल रूप में विराजित हैं। स्कंद मातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। मां का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है।

🌿मां स्कंदमाता की कथा.....

तारकासुर नामक राक्षस था। जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय का दूसरा नाम) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप लिया और उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षिण लेने के पश्चात् भगवान स्कन्द ने तारकासुर का वध किया।
कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार आदि नामों से भी जाता है। मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं। पर्वतराज की बेटी होने के कारण इन्हें पार्वती भी कहते हैं और भगवान शिव की पत्नी होने के कारण इनका एक नाम माहेश्वरी भी है। इनके गौर वर्ण के कारण इन्हें गौरी भी कहा जाता है। मां को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है जो अपने पुत्र से अत्याधिक प्रेम करती हैं। मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इसलिए इन्‍हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।🙏🏻

🌺ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:🙏🏻🌺सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी 🙏🏻🌺या देवी सर...
30/09/2022

🌺ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:🙏🏻

🌺सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी 🙏🏻

🌺या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।🙏🏻

इनके विग्रह में स्कन्द जी बालरूप में माता की गोद में बैठे हैं। स्कन्द मातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजायें हैं, ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कन्द को गोद में पकड़े हैं और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर को उठी है, उसमें कमल पकड़ा हुआ है। माँ का वर्ण पूर्णतः शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। इसी से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन भी सिंह है।

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