24/07/2023                                                                            
                                    
                                                                            
                                            मृत्यु तो सभी की होनी है,वर्तमान सुधारना चाहते है तो किसी की मृत्यु के बाद भगवान् या भाग्य को दोष नहीं देना चाहिये ।
बुद्ध अपने उपदेशो की वजह से बहुत प्रसिएद्ध हो गये थे लोग उन्हें काफी मानते थे। इसी वजह से एक बुढ़ी महिला की गौत्तम बुद्ध के पास पहुंची ।
उस महिला की बुद्ध के लिये  गहरी आस्था थी दरअसल,उस महिला के बेटे की मृत्यु हो गई थी ।महिला बहुत दुखी थी और उसने बुद्ध से कहा की आप मेरे बच्चे को जीवित कर दीजिये।
महिला को लग रहा था।कि बुद्ध उसके बेटे का जीवन बचा सकते हैँ।बुद्ध ने महिला की बात सुनी और कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने कहा कि ठीक है। मै ऐसा कर दूँगा ,लेकिन तुम्हे किसी ऐसे घर से मुट्ठी भर सरसों के दाने लेकर आना है।
जहाँ कभी किसी की मौत न हुई हो। जिस परिवार ने किसी की मृत्यु का दुख नहीं देखा है, वहां से सरसों  ले आओ।
महिला ने सोचा ये छोटा काम है। बूढ़ी महिला गांव की ओर  चल दी और एक - एक घर में जाकर पूछने लगी। महिला जिस घर में कभी किसी की मृत्यु न हुई हो तो एक मुट्ठी सरसों  के दाने दे दीजिये।
गांव के सभी लोगो का यही जवाब रहता था कि  हमारे घर में मृत्यु तो हुई है। कुछ लोगो की बड़ी उम्र में हुई तो किसी कि  असमय हुई।
जब सभी घरों से ऐसे  ही उत्तर मिल रहे थे तो महिला समझ गई कि बुद्ध ने मुझे जरूर कुछ सोचकर  ही  भेजा है।जब वह लौटकर बुद्ध के पास पहुंची ,तब तक वह जान चुकी थी कि  एक दिन मौत सबको आनी है। उसका शोक लम्बे समय तक नहीं मानना चाइये।
बुद्ध ने इस कथा में संदेश दिया है। कि वयक्ति को किसी की मृत्यु का ज्यादा शोक नहीं मनाना चाहिये, क्योकि मृत्यु तो सभी की होनी ही  है । शोक मनाने से वर्तमान खराब होता है। और इसका असर हमारे भविष्य पर भी होता है।.