Arun rewa samachar

Arun rewa samachar सच्चाई की राह पर चलने वाला अखवार,देश क?

27/07/2023

*रीवा से अरुण पांडेय की रिपोर्ट,,,,,,,,,*
सिविल लाइन थाना प्रभारी को उप निरीक्षक ने मारी गोली.

रीवा जिले की बड़ी खबर सामने आई है, एक थाना प्रभारी को उसी थाने में पदस्थ उपनिरीक्षक ने थाने में ही गोली मार दी है। घटना से जिले भर में हड़कंप मचा हुआ है। थाना प्रभारी को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
जानकारी के मुताबिक शहर के सिविल लाइन थाना में पदस्थ टीआई हितेंद्र नाथ शर्मा को उप निरीक्षक बीआर सिंह ने गोली मार दी है, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों के बीच में किसी बात को लेकर बातचीत चल रही थी और इसी दौरान उप निरीक्षक ने थाना प्रभारी पर गोली चला दी। गोली थानाप्रभारी के सीने में लगी है जिसके चलते उनकी हालत चिंता जनक बनी हुई है, गोली चलते ही थाने में अफरा-तफरी का माहौल निर्मित हो गया गंभीर रूप से घायल टीआई हितेंद्र नाथ शर्मा को नजदीकी मिनर्वा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। बताया गया कि उनकी हालत गंभीर है आपको बता दें कि घटना के बाद से भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।

25/07/2023
अरुण पांडे ब्यूरो चीफ दैनिक प्रदेश टुडे रीवा
23/07/2023

अरुण पांडे ब्यूरो चीफ दैनिक प्रदेश टुडे रीवा

22/07/2023

(अरुण पांडे की कलम से,,,,,,,,,)

सियासी गुटबाजी और जमीनी जनाधार खो चुके विधायकों को टिकट देना भाजपा को पड़ सकता है महंगा
ब्यूरो प्रदेश टुडे रीवा
ब्राह्मण बहुलता वाला विंध्य क्षेत्र की पुरानी राजधानी रीवा की सियासत में एक जमाना था जब कांग्रेस में स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी ब्राह्मणों के बीच एक मजबूत चेहरा माने जाते थे, किसी भी समाज का सर्वमान्य नेता बनने के लिए कठिन तपस्या करनी पड़ती है साथ परिश्रम भी,
कांग्रेश की दिग्विजय सिंह सरकार के पतन के बाद साध्वी उमा भारती बहुमत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठी और अपनी पसंद से उन्होंने रीवा शहर से भारी बहुमत से निर्वाचित हुए राजेंद्र शुक्ला को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया सुश्री उमा भारती ज्यादा दिन तक मुख्यमंत्री नहीं रह सकी लेकिन राजेंद्र शुक्ला पहले बाबूलाल गौर फिर 2 साल के अंदर ही तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह की ताजपोशी हुई किंतु शिवराज सिंह ने भी राजेंद्र शुक्ला पर भरोसा करते हुए अपने मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण स्थान दिया स्वाभाविक तौर पर ऐसे में चुनौती अपेक्षाकृत ज्यादा और कठिन होती है सामान्य तौर पर सरकार में रहकर नए मुख्यमंत्री का विश्वास पात्र बने रहना और एक सफल मंत्री के रूप में स्थापित रहना आसान काम नहीं होता और यदि इसके लिए अपनी पार्टी के सियासी तिकड़म बाजो का दबाव हो तो वह और भी कठिन होता है, राजेंद्र शुक्ला की स्थिति कुछ ऐसी ही है फिर भी अपने कठिन परिश्रम और विकास के लिए समर्पित होकर काम करने के कारण उन्होंने रीवा को महानगर की शक्ल देने व रीवा के वोटरों की भावना अनुरूप कार्य करने के कारण भाजपा में विंध्य क्षेत्र के अंदर सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेता के रूप में उभर कर सामने आए और आम धारणा है कि उन्हीं के प्रयासों के कारण भाजपा को पिछले चुनाव में बहुमत न मिलने के बावजूद उनके प्रयासों से विंध्य क्षेत्र की 28 विधानसभा सीटों में से 2 क्षेत्रों को छोड़ कर पूरी सीटों पर भाजपा का परचम लहराया यही नहीं रीवा की 8 विधानसभा में से 8 सीट में जीत मिली और विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी को इतिहास की सबसे शर्मनाक पराजय झेलनी पड़ी आम धारणा है कि कुर्सी मिलने के बाद राजनेता वैसा नहीं दिखाई पड़ता जैसा वह होता है स्वभाव और काम में यह तब्दीली ही आलोचना का कारण बनती है लेकिन राजेंद्र शुक्ला की कथनी और करनी में समान होने की कारण भी आज भी विंध्य क्षेत्र में केवल ब्राह्मण समाज ही नहीं सर्व समाज के वोटरों में सर्वाधिक लोकप्रिय राज नेता बने हुए हैं श्री शुक्ल के प्रति आस्था के कारण विंध्य क्षेत्र का ब्राह्मण मतदाता भाजपा का वोट बैंक बना हुआ है लेकिन आज परिस्थितियां कुछ अलग दिखाई पड़ रही है इस क्षेत्र में बदलाव चाहने वाले मतदाताओं की कमी नहीं है भाजपा की वर्तमान राजनीति में जिन नेताओं की राजनीति चमचागिरी और गुटबाजी के सहारे चल रही है इन नेताओं के प्रयासों से कमलनाथ सरकार के पराभव के बाद शिवराज सिंह के नेतृत्व में बनी भाजपा की सरकार में विंध्य क्षेत्र में जिन नेताओं का कोई जमीनी जनाधार नहीं है वे स्वयं विधानसभा के चुनाव में हारते हारते किसी तरह जीत गए उन्हें महत्त्व देने व राजेंद्र शुक्ला को मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से भी ब्राम्हण नाराज हैं इसलिए अगले चुनाव में भाजपा की राह कठिन दिखाई पड़ रही है इसका सबसे बड़ा कारण एक और जहां नौकरशाही पर सरकार की सफलता और असफलता का दारोमदार रहता है वहीं दूसरी ओर विधायकों की कार्यशैली के कारण भी वोटर असंतुष्ट होने के बाद भी पार्टी से जुड़ा रहना चाहता है लेकिन रीवा के कई विधायकों की कार्यशैली में हाथ आए अवसर का लाभ उठाने की प्रवृति के कारण क्षेत्र की नौकरशाही द्वारा किया जा रहा भ्रष्टाचार भी वोटरों को साफ दिखाई पड़ रहा है इसलिए अगर भाजपा को विंध्य क्षेत्र में पिछले चुनावों की तरह सफलता हासिल करना है तो उसे ऐसे विधायकों का टिकट काटकर जनता के बीच लोकप्रिय पार्टी युवा नेताओं पर टिकट देकर भरोसा करना पड़ेगा वैसे भी गूढ़ विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बहुलता वाला क्षेत्र है पिछले कई चुनावों में ब्राह्मण वोटरों ने भाजपाई होने के कारण नागेंद्र सिंह को वोट दिया है और सफलता दिलाई किंतु अब इस चुनाव में ब्राह्मण किसी सक्रिय ब्राह्मण नेता को प्रत्याशी बनाकर समाज को प्रतिनिधित्व की आस लगाए बैठा है वैसे सच तो यह है कि विंध्य क्षेत्र में राजेंद्र शुक्ला के अलावा भाजपा और कांग्रेस के अधिकांश नेताओं का कोई जमीनी जनाधार नहीं है फिर भी भाजपा में कुछ ऐसे युवा नेता भी हैं जिनका संपर्क अपने अपने क्षेत्र की जनता के साथ निरंतर बना हुआ है और लोग उन्हें पसंद भी करते हैं जमीनी हकीकत यह है कि गूढ़ में नारायण मिश्रा जो विधानसभा क्षेत्र के भाजपा समर्थित मतदाताओं के बीच सतत संपर्क में रहने के कारण एवं उनके सुख-दुख में निरंतर भागीदारी निभानी के चलते नारायण मिश्रा लोकप्रिय एवं सर्वमान्य नेता के रूप में उभरे हैं भाजपा ज्वाइन करने के पूर्व नारायण मिश्रा बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिन्ह में चुनाव भी लड़े थे और कुछ ही मत के अंतर से पराजित हुए थे इसलिए श्री मिश्रा गांव के मतदाताओं के बीच पहचान के लिए मोहताज नहीं और यह भी बात सही है कि श्री नारायण मिश्रा चुनाव लड़ने में सक्षम है देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में विवेक गौतम मऊगंज मिग्रेंद्र सिंह राजेंद्र मिश्रा जैसे लोग जो भाजपा से प्रत्याशी बनाए जाने के इच्छुक है इन जैसे युवा लोकप्रिय नेताओं को टिकट देने से भाजपा को फायदा ही होगा अन्यथा सियासी गुटबाजी और जमीनी जनाधार खो चुके विधायकों को टिकट देना भाजपा को महंगा पड़ेगा

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