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Healthy breakfast 😋 💪
17/02/2025

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15/01/2025

लोग कहते हैं कि मोहब्बत सोच समझकर करनी चाहिए अब उन्हें कौन समझाए सोच समझकर तो साजिशें होती है मोहब्बत नही ।

डाइट सतना में शैक्षिक संवाद उन्मुखीकरण हेतु उपस्थित16/10/2024
16/10/2024

डाइट सतना में शैक्षिक संवाद उन्मुखीकरण हेतु उपस्थित
16/10/2024

10/07/2024

Very important for girls 👧

27/6/24 dite sidhi training time
27/06/2024

27/6/24 dite sidhi training time

ये बुध्द की धरती....🌷🌷🌷🙏अरहत बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक नये बौध्द धम्म...
22/05/2024

ये बुध्द की धरती....🌷🌷🌷🙏
अरहत बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक नये बौध्द धम्म को जन्म दिया । उनकी अनुकंपा से कल हम बुध्द पूर्णिमा बड़े गर्व और खुशी से मनाएंगे।बाबासाहब ने अपनी महान विद्वता का परिचय देते हुए बुध्द और उनका धम्म ग्रंथ का निर्माण किया ताकि धम्म को सही रूप में समझने के लिए हमारा मार्गदर्शन हो।
बुध्द के अनुपम दर्शन (शिक्षा) में दुःखमुक्ति का मार्ग हैं जो चार महान आर्य सत्य से बताया हैं। तथागत बुद्ध ने दुख के कारणों में एक कारण बताया हैं प्रियजनों का वियोग । मानवमात्र के कल्याण के लिए जिनको झेला हैं सिद्धार्थ गौतम और उनके परिवार एवं बाबासाहब और उनके परिवार ने । बुद्ध पूर्णिमा के महान पर्व पर खुशियां बांटने के साथ ".बुद्ध और उनका धम्म" ग्रंथ में बाबासाहब ने माता यशोधरा और परिवार के त्याग और समर्पण को मानवीय संवेदना के साथ पेश किया हैं उसको भी याद करे ।
तथागत राजगृह में विराजमान थे तब उनके पिता शुद्धोदन ने संदेश भिजवाया,"मैं मरने से पूर्व अपने पुत्र को देखना चाहता हूं।दुसरो को उनकी धम्म-देसना का लाभ मिला हैं उनके पिता को नहीं,उनके संबंधियो को नहीं।"
तथागत पिता के बुलावे को स्वीकार करते हुए भिक्खु संघ के साथ कपिलवस्तु आये। शुद्धोदन, महाप्रजापति और मंत्रीगण के साथ अपने पुत्र की अगवानी के लिए गए और अपने पुत्र के धाम्मिक पद का ध्यान रखते हुए शुद्धोदन ने रथ से उतरकर तथागत को अभिवादन किया और बोले," तुम्हे देखे सात वर्ष बीत गए,इस क्षण के लिए कितने तरसे हैं हम ।" तथागत ने शुद्धोदन के सामने आसन ग्रहण किया ।राजा बड़ी उत्सुकता से अपने पुत्र की ओर देखते रहे,उसकी इच्छा हुई कि उन्हें नाम लेकर पुकारे लेकिन उनका
साहस नहीं हुआ। वह मन ही मन बोले, सिद्धार्थ अपने वृद्ध पिता के
पास लौट आओ और फिर उसके पुत्र बन जाओ। लेकिन अपने
पुत्र की दृढ़ता देखकर उन्होंने अपनी भावनाओं को वश में रखा।अपने पुत्र के ठीक सामने पिता बैठे थे।अपने दुःखमे वह सुखी हो रहे थे और अपने सुख में दुःखी। उन्हें अपने पुत्र पर गर्व था।किंतु
वह गर्व टूट गया जब उन्हें एहसास हुआ कि उनका महान पुत्र कभी उसका उत्तराधिकारी नहीं बनेगा। " मैं तुम्हारे चरणों पर अपना राज्य रख दू ! किंतु यदि मैंने ऐसा किया तो तुम उसे मिट्टी के समान ही समझोगे !"
तथागत ने सांत्वना दी,' मैं जानता हूं राजन ! तुम्हारा हृदय प्रेम से गदगद हैं, आपको अपने पुत्र के लिए महान दुःख है ! लेकिन प्रेम के जो बंधन आपने अपने उस पुत्र से बांधे हुए है, जो आपको छोड़कर चला गया, उसी करुणा के साथ आप अपने सारे मानवबंधुओ को बांध लो।तब आप अपने पुत्र सिद्धार्थ से भी बड़े पुत्र को प्राप्त करेंगे ।आपको मिलेगा वह जो सत्य का संस्थापक हैं, आपको मिलेगा वह जो धम्म का मार्गदर्शक हैं और आपको मिलेगा वह जो शांति को लानेवाला हैं।तब आपका हृदय निर्वाण से भर जाएगा।"
जब शुद्धोदन ने अपने पुत्र ,बुध्द के वचन सुने तो वह प्रसन्नता के मारे कांपने लगे,उनकी आंखों में आंसु थे और हाथ जुड़े थे। तब उसने कहा," अदभूत परिवर्तन हैं, दुःखी हृदय शांत हो गया,पहले मेरे हृदय पर पत्थर पड़ा था किंतु अब मैं आपके महान त्याग का मधुर फल चख रहा हूं।तुम्हारे लिए यही उचित था कि आप अपनी महान करुणा से प्रेरित होकर,राज्य के सुख भोग का त्याग करते और धम्म राज्य के संस्थापक बनते।"
भिक्खुसंघ सहित बुध्द उस उद्यान में ही विराजमान रहे ,शुद्धोदन वापस घर लौट आये।
तथागत दूसरे दिन अपना भिक्षा पात्र लेकर संघ के साथ नगर में भिक्षाटन के लिए निकले । जिस नगर में कभी सिद्धार्थ रथ में बैठे अपने सेवको के साथ सवारी के लिए निकलते थे आज उसी नगर में हाथ में भिक्षापात्र लिए, चीवर पहने घर घर में भिक्षा के लिए विचर रहे हैं। नगरजनो की अपने राजकुमार के प्रति
गहरी संवेदना की चर्चाए सुनकर शुद्धोदन दौड़कर आये और
तथागत को परिवार से मिलाने महल में ले गए । परिवार के सभी लोगो ने तथागत का आदरपूर्वक अभिवादन किया लेकिन राहुल-माता यशोधरा वहां नहीं आई। बुलाने पर उन्होंने उत्तर दिया कि
"निः संदेह यदि मैं आदर के किसी योग्य समझी जाऊंगी, तो सिद्धार्थ मुझसे यही मिलने आएँगे और मुझे देखेंगे।"
जब तथागत ने पूछा," यशोधरा कहां हैं ?" यह ज्ञात होने पर की," उन्होंने आने से इंकार कर दिया हैं," तथागत तुरत उठे और
सारिपुत्त और मोगल्लान को साथ लेकर यशोधरा के कमरे में
प्रवेश किया। तथागत ने उन दोनों से कहा," मैं तो मुक्त हूं।लेकिन यशोधरा अभी भी मुक्त नहीं हैं।इतने लंबे समय तक मुझे नहीं देख पाने के कारण वह बहुत दुःखी हैं।जब तक उसका दुःख आंसुओ के मार्ग से बह नहीं जाएगा,उसका जी भारी ही रहेगा। यदि वह तथागत का स्पर्श भी कर ले तो उसे रोकना नहीं
तथागत को देखते ही यशोधरा अपने आपको रोक नहीं पाई ।वो यह भी भूल गई कि उनके स्नेहभाजन महामानव बुद्ध हैं,लोक-शास्ता हैं, सत्य के महान उपदेष्टा हैं।उन्होंने तथागत के चरण पकड़ लिए और जोर-जोर से रोने लगी। जब उनके ध्यान पर आया कि शुद्धोदन भी वहां उपस्थित हैं तो अपने आपको संभालते हुए वह उठी और आदर-भाव सहित कुछ दूर जाकर बैठ गई।
शुद्धोदन ने यशोधरा की ओर से क्षमा याचना करते हुए कहा," इनका यह व्यवहार आपके गहन स्नेह में से उत्पन हुआ हैं और यह मात्र एक क्षणिक भावना नहीं हैं । इन सात वर्षों में अपने पति से बिछड़ जाने के बाद,जब इसने सुना कि सिद्धार्थ ने अपने सिर मुंडवा लिया हैं तो इसने भी वैसा ही किया,जब इसने सुना कि सिद्धार्थ ने गहनो और सुगंधित द्रव्यों का परित्याग कर दिया, तो इसने भी उनका प्रयोग त्याग दिया,और जब इसने सुना कि उनके पति मिट्टी के पात्र में निश्चित समय पर ही खाते हैं, तो वह भी एक बार आहार ग्रहण करने लगी।
यदि यह मात्र क्षणिक भावुकता नही हैं, उससे ऊपर हैं, तो यह सब इसके साहस का ही परिचायक हैं।'
तब तथागत ने यशोधरा को उनके महान गुण और उस महान साहस की याद दिलाई जिसका परिचय उन्होंने सिद्धार्थ की पब्बज्जा के समय दिया था । उन्होंने कहा कि जब वह बोधिसत्व की अवस्था मे बुद्धत्व प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील थे, उस समय उनकी निर्मलता,उनकी भद्रता तथा उनकी धम्मनिष्ठा ही उनका सबसे अमुल्य संबल सिद्ध हुई थी । यह उन्ही के " कुशल कर्म " थे और यह उनके महान गुणों का परिणाम था ।
यशोधरा की वेदना अकथनीय थी,आध्यात्मिक उत्तराधिकार के रूप में उनके गौरव में वृद्धि हुई थी । उनके जीवन काल में उनके श्रेष्ठ आचार व्यवहार ने उन्हें एक अनुपम व्यक्तित्व प्रदान किया था ।
तब यशोधरा ने सात वर्ष के राहुल को राजकुमार की तरह वस्त्र पहनाए और फिर उससे बोली," वह महाश्रमण ,जिनकी छवि इतनी तेजस्वी हैं, तुम्हारे पिता हैं।उनके पास अक्षय निधि हैं जिसे मैंने अभी तक नहीं देखा हैं।उनके पास जाओ और वह अक्षय निधि मांगो, क्योंकि एक पुत्र को अपने पिता की संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त करना ही चाहिए ।"
राहुल ने कहा," मेरे पिता कौन हैं? मैं किसी पिताको नहीं बस केवल शुद्धोदन को ही जानता हूं। यशोधरा ने खिड़की में से बुद्ध की ओर इशारा किया जो निकट ही भिक्खुसंघ के बीच बैठे भोजन कर रहे थे और राहुल को बताया कि वही उसके पिता हैं।, शुद्धोदन नहीं। तब राहुल वहां गया और तथागत को बोले," क्या आप मेरे पिता नहीं हैं?" और उसने अपना उत्तराधिकार मांगा।
तथागत ने सारीपूत की ओर देखा और कहा,"मेरा पुत्र उत्तराधिकार चाहता हैं। मैं उसको यह नाशवान निधि नही दे शकता जो अपने साथ चिंताए और दुःख लाती हैं।लेकिन मैं इसे
निर्मल जीवन का उत्तराधिकार दे शकता हूं।, ऐसी निधि जो कभी नष्ट नहीं हो शकती।"
राहुल को संबोधित करते हुए तथागत बोले,"सोना,चांदी और हीरे-जवाहरात तो मेरे पास नहीं है।किंतु यदि तू आध्यात्मिक निधि प्राप्त करने का इच्छुक हैं और उसे उठा सकने तथा संभाल कर रखने में समर्थ हौ तो वह मेरे पास बहुत है। मेरी
आध्यात्मिक निधि मेरा सदाचरण का मार्ग ही हैं। क्या तू उनके
संघ में प्रविष्ट होना चाहता है?
राहुल ने दृढ़तापूर्वक उत्तर दिया ," मैं चाहता हूं।"
जब शुद्धोदन ने सुना कि राहुल भी भिक्खुसंघ में शामिल हो गया हैं, तो उन्हें बहुत दुःख हुआ ।
कुछ समय पश्चात यशोधरा और महाप्रजापति भी भिक्खुणीसंघ में शामिल हो गई ।

बुद्ध पूर्णिमा की सभी को मंगलकामना

29/04/2024

150 साल तक जीने की क्या-क्या करना होगा यह तो अभी बताते हैं लेकिन सोच बहुत अच्छी है और जितनी अच्छी है उतनी ही कठिन भी है।

दोस्तों ज्यादा जीना मतलब ज्यादा अपने आप को तंदुरुस्त रखना दिमागी तौर पर और फिजिकल स्वास्थ्य संबंध में।
आपको बहुत ज्यादा अनुशासित होना पड़ेगा।
रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना है बहुत जरूरी है।
गरम पानी पीना 4 से 5 लीटर पूरे दिन में बहुत जरूरी।
स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहते हुए 1 से 2 घंटा व्यायाम करना या जिम में जाना याद जोगिंग करना या रनिंग करना बहुत जरूरी।
मानसिक रूप से व आध्यात्मिक रूप से आप को हर रोज मेडिटेशन करना जरूरी है। ऐसा करने से आप अपने आपको काफी अच्छा बना लेंगे। आपको आत्मिक संतुष्टि व जीवन से प्यार बढ़ जाएगा।
आप हर समय अपने आप को तरोताजा महसूस करेंगे।
आप हर काम को सकारात्मक रूप से करते हुए आगे बढ़ेंगे।
खाने के अंदर आप ब्रेकफास्ट बहुत अच्छा करें। तली हुई चीजों का उपयोग ना करें। बालों में हरी सब्जियों को बराबर खाएं।
लंच और डिनर भी नियमित समय पर लें।
मन को हमेशा प्रसन्न चित्त रखें एवं सभी लोगों से बिना किसी गरज के प्यार करें।
अपने अंदर ज्यादा से ज्यादा तकनीकी ज्ञान को बढ़ाएं।
इस समय का भी बहुत ही अच्छी तरह से सदुपयोग करें।
जैसा हमारे पूर्वजों ने खाया है वैसा ही खाए हैं। आज के दौर में जापान में औसत आयु 80-85 साल के आसपास है।
शुद्ध वातावरण को अपने जीवन में अपनाएं।
सबसे मिलजुल कर अपना बनाते हुए जीवन व्यतीत करें।
उपरोक्त सभी बातों का ध्यान रखते हुए आप अपनी जिंदगी को जिंदादिली से जिए।

जानकारी के लिए मेरे ब्लॉग स्कोर पड़े वह आपने उच्च विचार सुझाव भी जरूर दें।

26/04/2024 mp ka lok sabha election
28/04/2024

26/04/2024 mp ka lok sabha election

27/04/2024

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27/04/2024

Frod kaise hota hai dekhe

भारत का राष्ट्रीय बिस्कुट क्या है?पारले जी, बिस्किट पहली बार 1947 में भारत की आजादी के बाद अस्तित्व में आया। यह ब्रिटिश ...
23/04/2024

भारत का राष्ट्रीय बिस्कुट क्या है?
पारले जी, बिस्किट पहली बार 1947 में भारत की आजादी के बाद अस्तित्व में आया। यह ब्रिटिश उत्पादों को भारतीय विकल्पों के साथ बदलने की एक पहल थी। शुरुआत में इसे 'पार्ले ग्लूको' ब्रांड नाम से बेचा जाता था। बाद में, 1980 के आसपास, इसका नाम बदलकर 'पार्ले जी' कर दिया गया, जहां जी का मतलब ग्लूकोज था।

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