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आत्मविश्वास बढ़ाने के 5 अचूक तरीकेरोहन एक शर्मीला लड़का था। जब भी उसे स्कूल में किसी के सामने बोलना पड़ता, उसके हाथ कांप...
26/06/2025

आत्मविश्वास बढ़ाने के 5 अचूक तरीके

रोहन एक शर्मीला लड़का था। जब भी उसे स्कूल में किसी के सामने बोलना पड़ता, उसके हाथ कांपने लगते, आवाज़ धीमी हो जाती, और उसका आत्मविश्वास पूरी तरह से डगमगा जाता। उसे लगता कि वह दूसरों जितना अच्छा नहीं है।

एक दिन उसकी जिंदगी बदल गई। उसके दादा जी ने उसे बुलाया और बोले, "बेटा, दुनिया में सबसे ताकतवर हथियार है – आत्मविश्वास! इसे पाने के लिए पांच चीज़ें अपनानी पड़ती हैं। अगर तू इन्हें अपना ले, तो तुझे कोई नहीं रोक सकता।"

रोहन ने जिज्ञासा से पूछा, "दादाजी, वो पाँच चीज़ें क्या हैं?"

दादाजी मुस्कुराए और बोले, "पहला – अपने डर का सामना करो।"

1. अपने डर का सामना करें:
दादाजी ने एक कहानी सुनाई। "एक बार एक किसान के खेत में बड़ा सा साँप आ गया। गाँव वाले डरकर भागने लगे, लेकिन किसान डरा नहीं। उसने हिम्मत जुटाई, धीरे-धीरे साँप को पकड़ा और दूर जंगल में छोड़ दिया। अगर वह डरता, तो साँप उसके खेत में ही रहता। वैसे ही, अगर हम अपने डर का सामना नहीं करेंगे, तो वो हमारी जिंदगी में हमेशा बना रहेगा।"

रोहन को समझ आ गया कि उसे अपनी घबराहट को दूर करने के लिए खुद को छोटे-छोटे चैलेंज देने होंगे।

2. खुद से सकारात्मक बातें करें:
दादाजी ने कहा, "जब भी कोई मुश्किल आए, खुद से कहो – 'मैं कर सकता हूँ!' महान लोग भी असफल होते हैं, लेकिन वे कभी खुद को कमजोर नहीं मानते।"

रोहन ने सोचा, "सच में! जब मैं खुद को कहूंगा कि मैं कमजोर हूँ, तो मैं वैसा ही महसूस करूंगा। लेकिन अगर मैं खुद से कहूं कि मैं कर सकता हूँ, तो सच में कर पाऊंगा!"

3. तैयारी पर ध्यान दें:
दादाजी ने समझाया, "बिना तैयारी के कोई भी आत्मविश्वास से भरा नहीं रह सकता। अगर तू परीक्षा के लिए पूरी मेहनत से पढ़ेगा, तो डर अपने आप चला जाएगा। आत्मविश्वास मेहनत से आता है।"

रोहन ने इस नियम को अपनाया। वह स्कूल में अपनी स्पीच की प्रैक्टिस करने लगा, ताकि जब भी उसे बोलना पड़े, तो वह घबराए नहीं।

4. शरीर की भाषा सुधारें:
दादाजी ने कहा, "अगर तू सीधा खड़ा होगा, आँखों में आत्मविश्वास होगा, और आवाज़ में दम होगा, तो लोग तुझे गंभीरता से लेंगे। झुका हुआ शरीर और धीमी आवाज़ आत्मविश्वास को कमजोर कर देती है।"

रोहन ने महसूस किया कि जब वह सीधे खड़ा होता और लोगों से आँख मिलाकर बात करता, तो उसे खुद ही ताकतवर महसूस होता था।

5. असफलता को सीखने का मौका समझें:
दादाजी ने आखिर में कहा, "कोई भी हमेशा सफल नहीं होता। महान लोग बार-बार गिरते हैं, लेकिन हर बार सीखकर फिर से खड़े होते हैं। असफलता से मत डर, उसे अपनी सीढ़ी बना!"

अब रोहन बदल चुका था। उसने हर दिन अपने डर का सामना किया, खुद से सकारात्मक बातें कीं, मेहनत की, अपनी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दिया और असफलता से सीखना शुरू किया। कुछ महीनों बाद वही लड़का, जो डरता था, स्कूल की सभा में आत्मविश्वास से भरी स्पीच दे रहा था।

सीख:

अगर आप भी आत्मविश्वास चाहते हैं, तो इन 5 चीज़ों को अपनाइए –

1. डर का सामना करें

2. खुद से सकारात्मक बातें करें

3. तैयारी करें

4. शरीर की भाषा सुधारें

5. असफलता को सीखने का मौका समझें

आत्मविश्वास कोई जादू नहीं, बल्कि एक आदत है – इसे अपनाइए, और दुनिया जीत लीजिए!

 # # # कहानी: परी और जादुई बगीचागांव के एक छोटे से कोने में एक प्यारी सी लड़की रहती थी, जिसका नाम परी था। परी के माता-पि...
01/09/2024

# # # कहानी: परी और जादुई बगीचा

गांव के एक छोटे से कोने में एक प्यारी सी लड़की रहती थी, जिसका नाम परी था। परी के माता-पिता किसान थे, और वे हर दिन खेतों में कड़ी मेहनत करते थे। लेकिन परी का दिल हमेशा जादू और रोमांच से भरी कहानियों की ओर खिंचता था। उसकी दादी उसे रात को सोने से पहले अद्भुत कहानियां सुनाया करती थीं, जिनमें जादुई बगीचों और अनोखे जीवों का जिक्र होता था।

एक दिन, परी अपने घर के पास के जंगल में खेलने गई। वह खेलते-खेलते अचानक एक पुराने और सुनसान बगीचे के पास पहुंच गई। बगीचा घास और झाड़ियों से भरा था, लेकिन उसमें एक अजीब सी चमक थी। परी ने सोचा कि यह वही जादुई बगीचा हो सकता है, जिसके बारे में उसकी दादी ने उसे कहानियां सुनाई थीं। उसका दिल खुशी से उछल पड़ा और वह बगीचे के अंदर चली गई।

बगीचे के अंदर परी ने देखा कि वहां कई सारे पेड़ थे, जिन पर रंग-बिरंगे फूल खिले थे। अचानक, उसे एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया, जो बहुत उदास नजर आ रहा था। परी ने उससे पूछा, "आप इतने उदास क्यों हैं?"

बूढ़े आदमी ने जवाब दिया, "यह बगीचा कभी बहुत सुंदर हुआ करता था। यहां की हवा में मिठास थी, फूलों में खुशबू थी, और यहां के पेड़ हमेशा फलते-फूलते रहते थे। लेकिन एक दिन एक लालची इंसान ने इस बगीचे की जड़ें काट दीं। उसने सोचा कि अगर वह इन जड़ों को बेच देगा, तो वह बहुत अमीर हो जाएगा। लेकिन उसने नहीं सोचा कि वह इस बगीचे की आत्मा को खत्म कर देगा।"

परी ने बड़े ध्यान से उसकी बात सुनी और बोली, "क्या मैं इस बगीचे को फिर से हरा-भरा कर सकती हूं?"

बूढ़ा आदमी मुस्कुराया और बोला, "अगर तुममें सच्ची निष्ठा और प्यार है, तो तुम जरूर कर सकती हो।"

परी ने ठान लिया कि वह इस बगीचे को फिर से सुंदर बनाएगी। उसने गांव के बच्चों को बुलाया और सबको इस बगीचे के बारे में बताया। सभी बच्चे बड़े उत्साह से परी के साथ मिलकर बगीचे की सफाई में जुट गए। उन्होंने घास और झाड़ियों को साफ किया, पेड़ों में पानी डाला, और फूलों को फिर से उगाया।

धीरे-धीरे बगीचा फिर से हरा-भरा होने लगा। फूलों की खुशबू हवा में फैलने लगी, पेड़ फिर से फलने लगे, और बगीचे की आत्मा जाग गई। बूढ़े आदमी ने परी को धन्यवाद दिया और कहा, "तुम्हारे प्यार और मेहनत ने इस बगीचे को नया जीवन दिया है। तुमने साबित कर दिया कि जब हम अपने दिल से किसी काम को करते हैं, तो जादू जरूर होता है।"

परी बहुत खुश थी और उसने महसूस किया कि सच्ची खुशी दूसरों की मदद करने में है।

बगीचा अब हमेशा के लिए हरा-भरा रहा और गांव के सभी लोग वहां आकर खुशी महसूस करते थे। परी ने सिखाया कि लालच और स्वार्थ से कभी भी खुशी नहीं मिलती, बल्कि सच्ची खुशी दूसरों की भलाई में है।

कहानी का अंत हुआ, लेकिन बगीचे की कहानी हर दिल में बस गई। परी ने हमें यह सिखाया कि मेहनत, निष्ठा, और प्यार से कुछ भी असंभव नहीं है।

10/08/2024
07/08/2024

# # # एक जादुई यात्रा

एक बार की बात है, किसी गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम अरुण था।
अरुण बहुत ही साहसी और जिज्ञासु था।
वह हर दिन नए-नए रोमांच की तलाश में निकलता था।
एक दिन, जब वह जंगल में घूम रहा था, तो उसे एक पुराना और रहस्यमयी पुस्तक मिली।
पुस्तक पर सोने की चमकती हुई अक्षरों में लिखा था, "जादू की दुनिया की कुंजी।"

अरुण ने उत्सुकता से पुस्तक खोली।
जैसे ही उसने पहला पृष्ठ पलटा, एक तेज़ रोशनी से उसकी आँखें चौंधिया गईं।
जब उसने अपनी आँखें खोलीं, तो वह खुद को एक अद्भुत और जादुई दुनिया में पाया।
चारों ओर विचित्र प्राणी, चमचमाते पेड़ और बर्फ के पर्वत थे।
अरुण ने महसूस किया कि यह एक साधारण जंगल नहीं था।

वह धीरे-धीरे आगे बढ़ा, और उसे एक बूढ़ा जादूगर मिला।
जादूगर ने कहा, "मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ, लेकिन तुम्हें तीन चुनौतियाँ पूरी करनी होंगी।"
पहली चुनौती थी एक जादुई झील से एक विशेष मोती लाना।
अरुण ने साहस जुटाया और झील की ओर बढ़ा।

झील के पास पहुँचते ही, उसने देखा कि झील के पानी में तरह-तरह के रंग थे।
वह झील में उतरा और धीरे-धीरे गहराई में जाने लगा।
अचानक, एक विशाल मछली ने उसका रास्ता रोका।
मछली ने कहा, "अगर तुम सच्चे दिल से यहाँ आए हो, तो मैं तुम्हें मोती दूँगी।"
अरुण ने अपने दिल की सच्चाई दिखायी और मछली ने उसे मोती दे दिया।

वापस जादूगर के पास पहुँचकर, अरुण ने पहली चुनौती पूरी की।
अब दूसरी चुनौती थी एक अदृश्य किले से जादुई तलवार लाना।
अरुण ने अपनी हिम्मत बांधी और किले की ओर चल पड़ा।

किले तक पहुँचने में उसे कई मुश्किलें आईं।
वह रास्ते में भटक गया, लेकिन उसकी दृढ़ निश्चयता ने उसे सही रास्ता दिखाया।
किले के द्वार पर पहुँचकर, उसने देखा कि दरवाजे पर कोई ताला नहीं था।
अरुण ने अपनी सूझबूझ से दरवाजा खोला और अंदर दाखिल हुआ।

अंदर पहुँचते ही, उसने देखा कि तलवार एक चमचमाते पत्थर पर रखी हुई थी।
लेकिन जैसे ही उसने तलवार उठाने की कोशिश की, एक डरावना राक्षस सामने आ गया।
राक्षस ने कहा, "तुम्हें मुझसे लड़कर यह तलवार लेनी होगी।"
अरुण ने अपनी सारी ताकत जुटाकर राक्षस से मुकाबला किया।

लड़ाई कठिन थी, लेकिन अरुण की साहसिकता ने उसे विजय दिलाई।
तलवार लेकर वह फिर से जादूगर के पास पहुँचा।
जादूगर ने उसकी मेहनत की सराहना की और अब तीसरी और अंतिम चुनौती बताई।

तीसरी चुनौती थी एक जादुई फूल को ढूँढ़ना जो सिर्फ पूर्णिमा की रात में खिलता था।
अरुण ने जादूगर से पूछा, "वह फूल कहाँ मिलेगा?"
जादूगर ने बताया, "यह फूल बर्फीले पर्वत की चोटी पर खिलता है।"

अरुण ने बिना देरी किए पर्वत की ओर चलना शुरू किया।
रास्ता कठिन और लंबा था, लेकिन अरुण का साहस उसे आगे बढ़ने में मदद कर रहा था।
जैसे ही पूर्णिमा की रात आई, अरुण ने पर्वत की चोटी पर पहुँचकर वह जादुई फूल देखा।
फूल की खुशबू ने उसकी सारी थकान मिटा दी।

फूल को तोड़ते ही, अरुण ने महसूस किया कि उसे बहुत बड़ी शक्ति प्राप्त हो गई है।
वह वापस जादूगर के पास गया और फूल उसे सौंप दिया।
जादूगर ने कहा, "तुमने अपनी तीनों चुनौतियाँ पूरी कर ली हैं। अब मैं तुम्हें एक विशेष तोहफा दूँगा।"

जादूगर ने अपनी छड़ी घुमाई और अरुण के सामने एक जादुई दर्पण प्रकट हुआ।
दर्पण में दिखा कि अरुण अब एक महान योद्धा बन चुका था।
जादूगर ने कहा, "यह दर्पण तुम्हें अपनी सच्ची शक्ति दिखाता है। तुमने अपनी कड़ी मेहनत और साहस से यह सब प्राप्त किया है।"

अरुण ने दर्पण को संभालते हुए धन्यवाद कहा और अपने गाँव की ओर लौट चला।
गाँव में वापस आकर, उसने अपनी यात्रा के अनुभव सभी को सुनाए।
लोगों ने उसकी कहानी सुनी और उसकी तारीफ की।

अरुण ने अपनी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण सबक सीखा।
"साहस और दृढ़ संकल्प से कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है।"
और इसी सीख के साथ, अरुण ने अपनी बाकी जिंदगी भी साहस और सच्चाई के साथ जी।
अरुण की कहानी ने गाँव के सभी बच्चों को प्रेरित किया कि वे भी अपने जीवन में किसी भी चुनौती से न डरें और हमेशा सच्चे दिल से मेहनत करें।

इस प्रकार, अरुण की जादुई यात्रा ने न केवल उसे बल्कि पूरे गाँव को जीवन की असली शक्ति का अहसास कराया।
अंततः, हर कोई जान गया कि सच्ची ताकत हमारे अंदर ही होती है, बस उसे पहचानने और स्वीकारने की आवश्यकता होती है।
और इसी तरह, अरुण की कहानी हर किसी के दिल में एक अनोखा जादू छोड़ गई।
कहानी का अंत तो यहाँ हो गया, लेकिन अरुण का साहसिक जीवन अब भी सभी के लिए प्रेरणा बना हुआ था।

# # # समाप्त।

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