Raag Ragni

Raag Ragni Raag Ragni Page पर रोज नई नई वीडियो , स्टोरी , सोशल मीडिया पोस्ट , बेस्ट quote देखेंगे
(3)

26/08/2025

जिस्म बेचैं और करै सौदा , ना ख्याल गृहस्थी घर का ।
चंद पैसों के लोभ में फंसकै, दाव खेलजां ब्याहे वर का ।।

By Kapinder Sharma

संतों की अपार महिमा है। कितना भी कहें, कम ही रह जाता है। किसकी कलम में सामर्थ्य है कि संतों की महिमा का सही सही बखान कर ...
26/08/2025

संतों की अपार महिमा है। कितना भी कहें, कम ही रह जाता है। किसकी कलम में सामर्थ्य है कि संतों की महिमा का सही सही बखान कर सके?

एक बार की बात है एक माई भगवान से बहुत नाराज थी। कारण यह था कि उसके पुत्र का विवाह हुए दस वर्ष बीत गए थे पर अभी तक उसे पुत्र को संतान की प्राप्ति नहीं हुई थी।

दीपावली आने वाली थी, नगर में सभी अपने अपने घर की रंगाई पुताई करने में लगे थे। वह माई भी, क्रोध से भर कर भगवान को भला बुरा कहती हुई, एक कपड़े का पोता बना कर अपने आँगन की दीवार पर रंग पोत रही थी। संयोग से संत माधवदास उधर से गुजर रहे थे। उस दरवाजे के पास आकर, वे संत भिक्षा के लिए कहने लगे।

क्रोध बुद्धि का विवेक का दीपक बुझा ही देता है। उस माई ने आव देखा ना ताव, वह कपड़े का पोता ही उन संत की छाती में दे मारा। वह पोता संत की छाती पर लग कर भूमि पर जा गिरा। संत माधवदास ने पोता उठा कर माथे से लगाया, अपने झोले में डाला और अपने स्थान को चले आए।

संत ने उस पोते को भली प्रकार से धोकर स्वच्छ किया, सुखाया और उसके धागे धागे अलग कर, उन धागों की बत्तियाँ बना लीं। और प्रतिदिन उन बत्तियों से भगवान की पूजा करने लगे।

दैवयोग से एक एक दिन बीतता गया, एक एक बत्ती भगवान के दरबार में लगाई जाती रही, और दसवें माह उस माई को पोते की प्राप्ति हो गई।

अब आप सज्जन विचार करें कि उस माई ने तो अपमान सहित कपड़े का पोता ही दिया तो संत की कृपा से उसे सचमुच का पोता मिल गया। यदि वह आदर भाव से थोड़ी बहुत भी सेवा कर देती तो वे कृपालु संत कितनी कृपा न कर देते?

देखो मैं कहता हूं कि जब वह रंग पुता कपड़े का पोता संत का संग पाकर भगवान के दरबार में पहुँच गया, तब यदि हम भी संत का संग कर लें, क्यों नहीं हमारी पहुँच भी भगवान के दरबार तक हो जाएगी?

 #हनुमान जी का जन्म कहां हुआ था ?
26/08/2025

#हनुमान जी का जन्म कहां हुआ था ?

पहले बड़े बूढ़े न्यू क्हया करते जिस दिन पंचायत में औरतें जाने लगेगी और बोलने लगेगी , उसे दिन से नाश होना शुरू हो जाएगाबत...
26/08/2025

पहले बड़े बूढ़े न्यू क्हया करते जिस दिन पंचायत में औरतें जाने लगेगी और बोलने लगेगी , उसे दिन से नाश होना शुरू हो जाएगा
बताओ म्हारे बूढ़े सही कहते थे क्या ........

एक युवक ने विवाह के बाद दो साल बाद परदेस जाकर व्यापार की इच्छा पिता से कही. पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती को मा...
25/08/2025

एक युवक ने विवाह के बाद दो साल बाद परदेस जाकर व्यापार की इच्छा पिता से कही. पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार को चला गया.

परदेश में मेहनत से बहुत धन कमाया. 17 वर्ष धन कमाने में बीते गए तो सन्तुष्टि हुई और वापस घर लौटने की इच्छा हुई. पत्नी को पत्र लिखकर आने की सूचना दी और जहाज में बैठ गया.

उसे जहाज में एक व्यक्ति मिला जो दुखी मन से बैठा था. सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया कि इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नही है. मैं यहां ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर कोई लेने को तैयार नहीं है.

सेठ ने सोचा इस देश में मैने तो बहुत धन कमाया. यह तो मेरी कर्मभूमि है. इसका मान रखना चाहिए. उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई. उस व्यक्ति ने कहा- मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राएं है.

सेठ को सौदा महंगा लग तो रहा था लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए 500 मुद्राएं दे दीं. व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया- कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट रूककर सोच लेना. सेठ ने सूत्र अपनी किताब में लिख लिया.

कई दिनों की यात्रा के बाद रात्रि के समय अपने नगर को पहुंचा. उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूं क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे पत्नी के पास पहुंच कर उसे आश्चर्य उपहार दूं.

घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया तो वहां का नजारा देखकर उसके पांवों के नीचे की जमीन खिसक गई. पलंग पर उसकी पत्नी के पास एक युवक सोया हुआ था.

अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि मैं परदेस में भी इसकी चिंता करता रहा और ये यहां अन्य पुरुष के साथ है. दोनों को जिन्दा नही छोड़ूंगा. क्रोध में तलवार निकाल ली.

वार करने ही जा रहा था कि उतने में ही उसे 500 अशर्फियों से प्राप्त ज्ञान सूत्र याद आया- कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट सोच लेना. सोचने के लिए रूका. तलवार पीछे खींची तो एक बर्तन से टकरा गई.

बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई. जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी वह ख़ुश हो गई और बोली- आपके बिना जीवन सूना सूना था. इन्तजार में इतने वर्ष कैसे निकाले यह मैं ही जानती हूं.

सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को देखकर कुपित था. पत्नी ने युवक को उठाने के लिए कहा- बेटा जाग. तेरे पिता आए हैं. युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम करने झुका माथे की पगड़ी गिर गई. उसके लम्बे बाल बिखर गए.

सेठ की पत्नी ने कहा- स्वामी ये आपकी बेटी है. पिता के बिना इसकी मान को कोई आंच न आए इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान ही पालन पोषण और संस्कार दिए हैं.

यह सुनकर सेठ की आंखों से आंसू बह निकले. पत्नी और बेटी को गले लगाकर सोचने लगा कि यदि आज मैने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता तो जल्दबाजी में कितना अनर्थ हो जाता. मेरे ही हाथों मेरा निर्दोष परिवार खत्म हो जाता.

ज्ञान का यह सूत्र उस दिन तो मुझे महंगा लग रहा था लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो 500 अशर्फियां बहुत कम हैं. ज्ञान अनमोल है.

1. मानव आंत एक लंबी, पेशी नली है जो पेट से गुदा तक चलती है और पाचन तंत्र का हिस्सा है।2. आंत को दो मुख्य भागों में बांटा...
25/08/2025

1. मानव आंत एक लंबी, पेशी नली है जो पेट से गुदा तक चलती है और पाचन तंत्र का हिस्सा है।

2. आंत को दो मुख्य भागों में बांटा गया है: छोटी आंत और बड़ी आंत।

3. छोटी आंत भोजन से पोषक तत्वों को पचाने और अवशोषित करने के लिए जिम्मेदार होती है, जबकि बड़ी आंत पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स को अवशोषित करने और कचरे को खत्म करने के लिए जिम्मेदार होती है।

4. छोटी आंत करीब 20 फुट लंबी और बड़ी आंत करीब 5 फुट लंबी होती है।

5. आंतों को विली नामक छोटी उंगली की तरह के अनुमानों के साथ पंक्तिबद्ध किया जाता है, जो आंत के सतह क्षेत्र को बढ़ाते हैं और पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करते हैं।

6. आंत अरबों सूक्ष्मजीवों का भी घर है, जिन्हें गट माइक्रोबायोम के रूप में जाना जाता है, जो पाचन और समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

7. छोटी आंत भोजन से 90% तक पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सक्षम होती है, जबकि बड़ी आंत शेष पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स को अवशोषित कर लेती है।

8. आंत का अपना तंत्रिका तंत्र होता है, जिसे एंटरिक नर्वस सिस्टम के रूप में जाना जाता है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकता है।

9. कुछ चिकित्सा स्थितियों में, जैसे कि सूजन आंत्र रोग, आंत में सूजन और क्षति हो सकती है, जिससे दस्त, पेट दर्द और वजन घटाने जैसे पुराने लक्षण हो सकते हैं।

10. एक स्वस्थ आहार और जीवन शैली को बनाए रखना, जिसमें भरपूर मात्रा में फाइबर का सेवन करना और हाइड्रेटेड रहना शामिल है, स्वस्थ पाचन क्रिया को बढ़ावा देने और आंतों के मुद्दों को रोकने में मदद कर सकता है।

मेरी पोस्ट पढ़ने के लिए आपको तहेदिल से

धन्यवाद

25/08/2025

गात उघाड़ा दिखाएं तै के , न्यारी कमाई हो सै ।
इसे पिस्यां नै के फूंकै , बाप का भीतरला रो सै ।।

By Kapinder Sharma

हिन्दुस्तान में बहुत से लोग गाय मांस को प्रोटीन का अच्छा स्रोत कह रहे हैं, उनके लिये ये जवाब है।🚩🙏🏻🚩एक बहुत ही ताकतवर सम...
25/08/2025

हिन्दुस्तान में बहुत से लोग गाय मांस को प्रोटीन का अच्छा स्रोत कह रहे हैं, उनके लिये ये जवाब है।🚩🙏🏻🚩

एक बहुत ही ताकतवर सम्राट थे, उनकी बेटी इतनी सुंदर थी, कि देवता भी सोचते थे कि यदि इससे विवाह हो जाये तो उनका जीवन धन्य हो जाये। इस कन्या की सुंदरता की चर्चा सारी त्रिलोकी में थी। सम्राट इस बात को जानते थे। एक पूरी रात वो अपने कमरे में घूमते रहे। सुबह जब महारानी जागी तो देखा सम्राट अपने कमरे में घुम रहे हैं। महारानी ने पूछा लगता है, आप पूरी रात सोये नहीं हैं, कोई कष्ट है क्या? उन्होंने कहा कि अपनी बेटी को लेकर चिंता है, लेकिन निर्णय मैंने कर लिया। समरथ को नहीं कोई दोष गुसाईं। महारानी ने पूछा क्या? उन्होंने कहा कि मैं अपनी बेटी से खुद विवाह करूंगा। समर्थ पुरुष को तो कोई दोष लगता ही नहीं। महारानी ने बहुत समझाया, लेकिन जिसकी समझ पर पत्थर पड़ जाये तो क्या किया जाये।

सम्राट राज सभा गये, वहां उन्होंने ऐलान कर दिया मैं इस धरती का समर्थ पुरुष हूं, अपनी बेटी से स्वयं ही विवाह करूंगा। समरथ को नहीं दोष गुसाईं। किसी में विरोध की ताकत नहीं थी। मुहुर्त निकाला गया।

महारानी चुपचाप से एक महात्मा से मिलने के लिये गई, सारी बात रो रो कर बताई। महात्मा ने कहा कि विवाह से एक दिन पहले मैं आपके यहां भोजन करने आऊंगा। नियत समय पर महात्मा पहुंचे। उन्होंने तीन थालियां लगवाईं। सम्राट को राज सभा से भोजन के लिये बुलाया गया। सम्राट ने कहा कल मेरा विवाह है, आज महात्मा भोजन के लिये पधारे हैं सब शुभ ही शुभ है।

सम्राट भोजन के लिये आये, महात्मा को प्रणाम किया। महात्मा ने कहा राजन मेरे कई जन्म गुजर गये समर्थ पुरुष की तलाश में, सुना है आप समर्थ पुरुष हैं। आपके साथ भोजन करके मैं धन्य हो जाऊंगा। महात्मा ने थाली लगवाई, एक थाली में ५६ भोग दूसरी में विष्टा (Toilet) था। महात्मा ने दूसरी थाली सम्राट के सामने लगाकर कहा भोजन करिये। सम्राट बहुत क्रोधित हुए। महात्मा ने कहा आप तो समर्थ पुरुष हैं, आप को कोई दोष नहीं लगेगा। और मेरी भी आज कई जन्म की तपस्या पूरी हो जायेगी।

सम्राट ने हताश होकर कहा मुझसे नहीं होगा। महात्मा ने योग बल से सुअर का वेष धारण किया और विष्टा सेवन कर लिया। और पुन: अपने वेष में आ गये। सम्राट वहीं घुटने के बल बैठ गये।

लोगों को अपनी परिभाषायें ठीक करनी चाहिए। गाय मे भी प्रोटीन है, पेड़, मनुष्य सभी जीव में प्रोटीन हैं। लेकिन सब खाये नहीं जाते हैं। माता, बहन और पत्नी तीनों ही तो स्त्रियां हैं, फिर तीनों के प्रति नजरिया अलग क्यों होता है। ध्यान रहे हिन्दुओं में कुछ भी अवैज्ञानिक नहीं है। हिन्दू एक मात्र ऐसा है धरती पर जिसने मन खोजा, आत्मा परमात्मा भी खोजा। अदृश्य को शाश्वत बनाने का दम सिर्फ हिन्दुओं में ही है। इसलिये हिन्दू जब गाय को माता कहता है तो उसके ठोस और वैज्ञानिक कारण हैं।

25/08/2025

घंटू किसे कहते हैं ?

हरियाणवी में

चन्द्रहास नाम का एक राजपुत्र था। एक युद्ध में उसके पिता राजा सुधार्मिक की मृत्यु होने पर, उसकी माँ भी पिता की ही चिता पर...
25/08/2025

चन्द्रहास नाम का एक राजपुत्र था। एक युद्ध में उसके पिता राजा सुधार्मिक की मृत्यु होने पर, उसकी माँ भी पिता की ही चिता पर सती हो गई थी। चन्द्रहास अनाथ हो गया।

चन्द्रहास के भी प्राणों पर संकट देख, एक दासी चन्द्रहास को अपने कपड़ों में छिपा कर अपने घर ले गई और उसे अपना पुत्र समझकर पाला।

इधर चन्द्रहास कुछ बड़ा हुआ तो उधर मंत्री धृष्टबुद्धि ने ब्राह्मणों से अपनी एकमात्र कन्या विषया के भावी वर के बारे में पूछा। ब्राह्मणों ने वहाँ पास ही खेलते उसी दासी पुत्र, चन्द्रहास की ओर इशारा कर दिया।

धृष्टबुद्धि ने विचार किया कि मैं अपनी कन्या का विवाह दासी पुत्र के साथ कैसे होने दे सकता हूँ? धृष्टबुद्धि ने चन्द्रहास के वध की आज्ञा दे दी।

वधिक चन्द्रहास को मारने के लिए वन ले गए। पर दैवयोग से उन्हें बालक पर दया आ गई। चन्द्रहास के एक हाथ में छः अंगुलियाँ थीं। उन्होंने उसकी वही छटी अंगुली काट कर उसे छोड़ दिया और वह अंगुली धृष्टबुद्धि को दिखा दी।

यहाँ चन्द्रहास पड़ोस के राज्य में रहने लगा। एक दिन वह वन के मार्ग में सोया हुआ था। कुछ पक्षी अपने पंखों को फैला कर उसके चेहरे पर छाया कर रहे थे। संयोग से यह दृश्य उस वहाँ के राजा कुलिन्द ने देख लिया। कुलिन्द का कोई पुत्र नहीं था। उसने चन्द्रहास को विलक्षण बालक जानकर गोद ले लिया।

 #गिरोह
25/08/2025

#गिरोह

आप सभी सादर आमंत्रित हैं
25/08/2025

आप सभी सादर आमंत्रित हैं

Address

Lakhan Majra
Rohtak
124514

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Raag Ragni posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Raag Ragni:

Share

पेज को लाइक और शेयर करें ।

इस पेज पर आपको हरियाणवी संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी ।