Rajkumar ke kavita gazal

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24/08/2025

किसकी किसे तै नहीं बनती सब धोखे में चल रे सै।
इस धरती पै पार पड़ै जो मौके पै मिल रे सै।

मैं पैदा मेर तै तू पैदा, जुर्म कहां हो जाता।
जिसके हिस्से जो भी खेती कर्मगति को पाता।
रज - रज कै नै करै कमाई, सबके फल मिल रे सै।
गैर का खाकै जो सोगे, वो जेहरे में घल रे सै।

बस बदले की दुनिया रह री, त्याग - प्रेम नहीं जाणै।
भाईचारे में फूट पड़ी, बस नकदी नै पिछाणै।
UGC पै कहां सिलेबस जो हमनै Poet बणा दे।
के दे दूं तू खो देगा, तन्नै राजू gold बणा दे।

सबकी अपणी खास रसोई, सांचे में ढल रे सै।
बैर - बिरोध का ताना बुनते, घी - बूरा घल रे सै।
अपणी - अपणी जात बचा रे, मास्टर से बण रे सै।
तू मेरी, मैं तेरी कह दूं, जोकर से बण रे सै।

रिश्ते की जगाह, रिश्ते ना सै, बस्ते की जगाह फोन है।
गली - गली में फुकरे हो रे, बात - बात पै डान है।
Insta पै बस reels बणावै, real वाले कम है।
एक हाथ ही छोडया था, उन तिलां में कित दम है।

दो रोटी का ऐब बतावै राजू करै कविता।
भूख भाग जा जिसने देख कै एक गजल मै पीता।
आलकस फोन जवां नै खोवै, बीर नै खोवै हांसी।
टेम बदल गया, बिन फेरां के, राजा के घर दासी।
शब्दपुत्र राजकुमार वत्स

15/08/2025

राजा की कमाई गई ना रानी की कमाई गई।
Touch आले फोन में दोनों की कमाई गई।
नौकर से लिखाई गई ना चोरी से सुनाई गई।
राजू की गजल है चौड़े में सुणाई गई।
पापा की परी से ना पासवर्ड लाई गई।
पापा की परी से ये बात ना छुपाई गई।
मन्नै भी ना देख्या, तेरा के तरीका।
तरफ की चाल तेरी प्यार वाला ईक्का।
तेरे दम में बलम हम होगे बेदम दम।
तेरे हुस्न के तीरों से सिले सारे गम -गम।
जब मछलियां शराब बेचेंगी तो नदियां ही बांटकर आएगी।
और तिलक लगाने वालों को यहां धंधे वाले कह दिया जाता है।
शब्दपुत्र राजकुमार वत्स

09/08/2025

पापा की परी, बोलै सै खरी, घणी ताबेदार सै।
हंसी तेरी प्रसाद बांट दे मंगलवार सै।
माता का भजन, कुछ प्रेम लग्न, चिठ्ठी की तरह बोलै।
वा भगवदगीता की वाणी, मेरी वाणी नै तोलै।
कुछ तो काबिल ही समझा तेरे शुक्रगुजार हैं।

आधा सा शगुन, चंदन कंगन, बारिश में तपन बोलै।
वा रात चांदनी पूर्णिमा,
जुगनू की तरह डोलै।
सीप का मोती बणा दिया दिल के लणिहार सै।
शब्दपुत्र राजकुमार वत्स

03/08/2025

सब्जी मंडी बाट माफिया, आली जीरी काट माफिया।
आढ़ती का बणा कमीशन, किसानी पै खाट माफिया।

भिवानी में सै रेत माफिया, रोहतक आले जेल माफिया।
जिनकी कटगी FIR में, court दे दे bail माफिया।

Fast food का पार्क माफिया, देशी मछली शार्क माफिया।
दो बोतल का पैग माफिया, खेत में यूरिया बैग माफिया।
दो गाणां की डील माफिया, insta आली real माफिया।

गाणा लिखना सीख माफिया, ना आवै तै चीख माफिया।
हर्फ का जादू राजू जाणै, तेरे बरग्या नै भीख माफिया।
संसद बैठे कोर माफिया, स्वीटजरलैंड में जोर माफिया।
संसद में भी बम फूटया था, कौन सुणैगा शोर माफिया।
शब्दपुत्र राजकुमार वत्स
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03/08/2025

प्रि- वैडिंग का प्रपोजल था, के - के हां भरवावेगी।
इसा लागै सै जान मेरी तू फेरां पै टकरावैगी।

20 आदमी इकट्ठे होंगे, टीका- लग्न सगाई रै।
सबतै ऊपर सूट धरा था, ब्याह की चिठ्ठी पाई रै।
2 दिन पाछै चावल लागै, रै रात चांदनी आवेगी।

टीके ऊपर फोन आ लिया, बंदड़े रागा तारै सै।
हनीमून की टिकट कहवै सै, ना तो शादी टालै सै।
पीठ नारियल दे कै भी वा बेवफा कहलावेगी।

तेरे बोल तू जाणै लाडो , देहल क्वारी बापू की।
2 दिन पाछै आल ना करिये, सादी पगड़ी बापू की।
पहला फेरा ले मेरी लाडो, घर की बात लगाइये ना।
वचन भरे पाछै ना टलिये, घर की नाक कटाईये ना।
बाप की पगड़ी सस्ती ना, के पाहया में धरवावेगी।
शब्दपुत्र राजकुमार वत्स

01/08/2025

प्रि- वैडिंग का प्रपोजल था, के - के हां भरवावेगी।
इसा लागै सै फेरां पाछै धोखे तै(चौड़े में) मरवावेगी।

20 आदमी इकट्ठे होंगे, आ गए करण सगाई रै।
सबतै ऊपर सूट धरा था, ब्याह की चिठ्ठी पाई रै।
2 दिन पाछै ब्याह धरगे रै रात चांदनी आवेगी।

टीके ऊपर फोन आ लिया, बंदड़े नाक कटावेगी।
हनीमून की टिकट कहवै थी, रसिया में ले जावेगी।
पीठ नारियल दे कै भी वा बेवफा कहलावेगी।

ऐ तेरे बोल तू जाणै लाडो , देहल क्वारी बापू की।
2 दिन पाछै आल ना करिये, सादी पगड़ी बापू की।
पहला फेरा ले मेरी लाडो, घर की बात बताइये ना।
वचन भरे पाछै ना टलिये, घर की नाक कटाईये ना।
बाप की पगड़ी सस्ती कोन्या, के पाहया में धरवावेगी।
शब्दपुत्र राजकुमार वत्स

प्रि- वैडिंग का प्रपोजल था, के - के हां भरवावेगी।शादी होया पाछै लागै तू, चौड़े में मरवावेगी।20 आदमी इकट्ठे होंगे, आ गए क...
31/07/2025

प्रि- वैडिंग का प्रपोजल था, के - के हां भरवावेगी।
शादी होया पाछै लागै तू, चौड़े में मरवावेगी।

20 आदमी इकट्ठे होंगे, आ गए करण सगाई।
सबतै ऊपर सूट धरा था, ब्याह की चिठ्ठी पाई।
2 दिन पाछै ब्याह धरगे, वा रात चांदनी आवेगी।

टीके ऊपर फोन आ लिया, बंदड़े नाक कटावेगी।
पीठ नारियल दे कै भी वा बेवफा कहलावेगी।
हनीमून की टिकट कहवै थी, रसिया में ले जावेगी।

तेरे बोल तू जाणै लाडो, देहल क्वारी बापू की।
2 दिन पाछै आल ना करिये, सादी पगड़ी बापू की।
पहला फेरा ले मेरी लाडो, घर की बात बताइये ना।
वचन भरे पाछै ना टलिये, घर की नाक कटाईये ना।
बाप पगड़ी सस्ती ना के पाहया में धरवावेगी।
शब्दपुत्र राजकुमार वत्स

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