
14/09/2025
रोसरा बंद: अपनी पहचान और भविष्य की लड़ाई
आज, रोसरा का पूरा शहर एक ऐतिहासिक बंद का गवाह बना। यह बंद सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह रोसरा के लोगों की अपनी पहचान और भविष्य को बचाने की लड़ाई थी। "रेल बचाओ, रोसरा बचाओ" और "रोसरा को जिला बनाओ" के नारों के साथ, शहर के हर वर्ग और समुदाय के लोगों ने स्वेच्छा से इस आंदोलन का समर्थन किया और इसे पूरी तरह सफल बनाया।
यह बंद किसी राजनीतिक दल या संगठन द्वारा नहीं बुलाया गया था। यह आम जनता का खुद का फैसला था, जो रोसरा के भविष्य को लेकर बढ़ती चिंता और आक्रोश का नतीजा है। आंदोलन का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा रोसरा से गुजरने वाली और यहाँ से चलने वाली ट्रेनों की संख्या में लगातार हो रही कमी था। लोगों का मानना है कि यह रेलवे लाइन रोसरा की जीवन रेखा है और इसके बिना शहर का विकास रुक जाएगा। वे छोटी-बड़ी सभी ट्रेनों के ठहराव शुरू करने की मांग कर रहे हैं।
इसके अलावा, रोसरा को जिला बनाने की पुरानी और लंबे समय से लंबित मांग भी इस आंदोलन का एक हिस्सा थी। लोगों का मानना है कि रोसरा को जिला का दर्जा मिलने से यहाँ का प्रशासनिक और आर्थिक विकास तेजी से होगा। यह मांग सिर्फ प्रशासनिक सुविधा के लिए नहीं, बल्कि रोसरा की ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्ता को देखते हुए भी जरूरी है।
सुबह से ही, शहर की सड़कें पूरी तरह से खाली थीं। दुकानें, बाज़ार और सभी निजी संस्थान बंद थे। लोगों ने अपने रोजमर्रा के कामों को छोड़कर इस आंदोलन में हिस्सा लिया, जो उनकी एकजुटता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह बंद पूरी तरह से शांतिपूर्ण था। प्रदर्शनकारी समूहों में सड़कों पर निकले और अपनी मांगों को लेकर नारे लगाए, लेकिन कहीं भी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
इस आंदोलन ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि जब लोग एक साथ खड़े होते हैं, तो उनकी आवाज़ कितनी ताकतवर हो सकती है। रोसरा के लोगों ने दिखा दिया कि वे अपने हक के लिए चुप नहीं बैठेंगे। अब यह देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस जन-आंदोलन पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। यह बंद सिर्फ एक दिन का विरोध नहीं, बल्कि यह रोसरा के लिए एक नई शुरुआत है, जहाँ लोग अपने भविष्य को खुद तय करने के लिए तैयार हैं।