Deen Ki Baten

Deen Ki Baten دین اور اسلام

30/09/2024

एक दिन एक आदमी ने नबी करीम (ﷺ) से पूछा कि कौन-सा इस्लाम बेहतर है? फ़रमाया

: تُطْعِمُ الطَّعَامَ ، وَتَقْرَأُ السَّلَامَ عَلَى مَنْ عَرَفْتَ وَمَنْ لَمْ تَعْرِفْ

कि तुम खाना खिलाओ और जिसको पहचानो उसको भी और जिसको न पहचानो उसको भी यानी सब को सलाम करो।

बुखारी 12
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12/09/2024

रसूलल्लाह (ﷺ) फरमाते है :-

“जब तुम में से कोई बुरा ख्वाब देखे, तो तीन मर्तबा बाएं तरफ थुक दे और तीन मर्तबा शैतान के शर्र (बुराई) से अल्लाह की पनाह चाहे ( आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़े और) करवट बदल कर सो जाए।”

मुस्लिम:5904
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26/08/2024

31/07/2024

इल्मी फ़वाइद...

अल्लामा सन'आनी रहीमाहुल्लाह फरमाते हैं: दिलों को जोड़ना अल्लाह रब्ब-उल-आलमीन को किस कद्र महबूब है इस त'अल्लुक़ से अल्लाह सुब्हानहु-त'आला की हिकमत मुलाहज़ा फरमाएं कि:

"उसने ग़ीबत व चुग़ल-ख़ोरी को सच पर मबनी होने के बावजूद हराम करार दिया है, क्योंकि इससे दिलों में बिगाड़ पैदा होता है, त'अल्लुक़ात ख़राब होते, अदावत जन्म लेती है, आपस में दूरियां पैदा होती हैं।

झूठ हराम है लेकिन दिलों को जोड़ने, आपस में ख़ुलूस व मुहब्बत और उलफ़त पैदा करने और दुश्मनी को ख़त्म करने के लिए उसने झूठ को भी मुबाह करार दिया है।"

(सुबुल अस सलाम: 8/264)
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18/07/2024

*अहले बिदअत वल जमाअत*

*1) कहते हैं आशूरा (10 मुहर्रम) को ज़ोहर की नमाज़ के बाद एक ख़ास दुआ पढ़ने से साल भर मौत नहीं आएगी। ऐसी कोई दुआ होती तो नबी ﷺ और उनके अहले-बैत उसको पढ़ लेते और आज तक उनको मौत नहीं आती।*

*2) कहते हैं आशूरा (10) मुहर्रम) को दस्तरख्वान वसीअ करने से साल भर रिज़्क़ में कुशादगी होती है। ये बात नबी ﷺ की किसी भी सहीह हदीस से साबित नहीं, बल्कि नबी ﷺ के घरवालों को मदीना आने के बाद कभी तीन दिन तक गेहूं की रोटी खाने के लिए नहीं मिली, जबकि दस्तरख्वान वसीअ करके वो रिज़्क़ में कुशादगी कर सकते थे लेकिन नहीं किया क्योंकि ऐसा करना नबी ﷺ से साबित नहीं है।*

धोखेबाज़ बिदअती मोलीसाब ये बयान करते हैं और अवाम आंखें बंद करके बिना सोचे-समझे उनकी बेतुकी बातें मान लेती हैं।
Deen Ki Baten

16/07/2024

मुसलमानों को मुहर्रम में किन दिनों रोज़े रखने चाहिए ?
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👉 यहूदी (Jew's)
[ जो की सिर्फ़ 10 मुहर्रम को रोज़ा रखते हैं ]
इनसे इख़्तेलाफ़ करने के लिए रसूल अल्लाह ﷺ ने 9 मुहर्रम का भी रोज़ा रखने का हुक्म दिया हैं !

हदीस ए नबबी :
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1. रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया : -
जब अगला साल आएगा तो इन शा अल्लाह हम 9 तारीख़ का रोज़ा रखेंगे !
( मुस्लिम : 1134 )

2. अगर मैं अगले साल ज़िंदा रहा तो मुहर्रम के नवी तारीख़ को भी रोजा रखूंगा !
( इब्ने माजाह : 1736 )

Note > इसलिए एक मुसलमान को दो दिन रोज़ा रखना हैं एक 9 और एक 10 मुहर्रम का !
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15/07/2024

रसूलल्लाह (सल्ल०) ने सैयदना अली रज़ि. को गजवा-ए-तबूक के मौके पर इरशाद फ़रमाया:

"क्या तुम इस पर खुश नहीं हो की मेरे लिए तुम ऐसे हो जैसे मूसा अलै. के लिए हारुन अलै. थे, लेकिन फ़र्क ये है की मेरे बाद कोई नबी नहीं होगा।

📓[सहीह बुखारी हदीस 3706,4416]
📓[सहीह मुस्लिम हदीस 6217]
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15/07/2024

सैयदना ज़ैद बिन अरकम रज़ि. रिवायत करतें है की रसूलल्लाह (सल्ल०) ने इरशाद फरमाया:

"जिसका मौला मैं हूँ, उसका मौला अली रज़ि. हैं।"

📓[जामेअ तिर्मिज़ी हदीस 3713]
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13/07/2024

खलीफा ए अव्वल अमीरुल मोमिनीन सैयदना अबु बक़्र रज़ि. ने इरशाद फ़रमाया:

"मुहम्मद (सल्ल०) के अहले बैत (से मुहब्बत) में आप (सल्ल०) की मुहब्बत को तलाश करो"

📓[सहीह बुखारी हदीस 3751]
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11/07/2024

नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया, मुझे दोज़ख़ दिखलाई गई तो उसमें ज़्यादा तर *औरतें* थीं जो कुफ़्र करती हैं। कहा गया या रसूलुल्लाह! क्या वो अल्लाह के साथ कुफ़्र करती हैं? आप (सल्ल०) ने फ़रमाया कि *शौहर की नाशुक्री करती हैं। और एहसान की नाशुक्री करती हैं।* अगर तुम उम्र भर उन में से किसी के साथ एहसान करते रहो। फिर तुम्हारी तरफ़ से कभी कोई उन के ख़याल में नागवारी की बात हो जाए तो फ़ौरन कह उठेगी कि मैंने कभी भी *तुझ से कोई भलाई नहीं देखी।*

*📕 Sahih Bukhari : 29*

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11/07/2024

नबी करीम ﷺ ने फरमाया:-

जिसने हसन और हुसैन से मुहब्बत की उसने मुझसे मुहब्बत की, और जिसने इन दोनों से दुश्मनी (बुग़्ज़) की उसने मुझसे दुश्मनी की।

(इब्ने माजा 143)

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28/12/2023

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