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ये कहानी एक ऐसी महिला की है जिसको उसके शराबी पति ने छोड़ दिया जिसके बाद वो महिला दो बच्चों संग अकेली रह गई ना नौकरी ना क...
02/09/2025

ये कहानी एक ऐसी महिला की है जिसको उसके शराबी पति ने छोड़ दिया जिसके बाद वो महिला दो बच्चों संग अकेली रह गई ना नौकरी ना कुछ अपने घर भी वापस नहीं जा सकती थी क्योंकि महिला के परिवार ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसकी शादी करा दी थी। जिस व्यक्ति से उसकी शादी हुई वह शराबी और हिंसक था

अपने पति की शराब की लत के कारण वह घरेलू हिंसा का शिकार हुईं और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। बाद में, उन्होंने अपने बच्चों के भविष्य की देखभाल करने का साहस जुटाया।

1980 में, उस महिला ने चेन्नई के मरीना बीच पर एक छोटा सा मोबाइल ठेला खोला। घर का खर्च चलाने के लिए वह चाय, कॉफ़ी, जूस और स्नैक्स बेचती थीं। शुरुआत में, वह रोज़ाना सिर्फ़ 50 पैसे ही कमा पाती थीं। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपना कारोबार बढ़ाना शुरू कर दिया।

उस महिला का नाम है पेट्रीसिया आज उनके ख़ुद के 14 रेस्टोरेंट हैं और 100 करोड़ की सम्पत्ति की मालिक है

भारत की बेटी नंदनी अग्रवाल ने 19 साल की उम्र में रचा इतिहास बनी सबसे कम उम्र की महिला CAनंदिनी अग्रवाल ने 13 साल की उम्र...
25/08/2025

भारत की बेटी नंदनी अग्रवाल ने 19 साल की उम्र में रचा इतिहास बनी सबसे कम उम्र की महिला CA

नंदिनी अग्रवाल ने 13 साल की उम्र में 10वीं और 15 साल में 12वीं पास करी जिसके बाद CA फाइनल परीक्षा में AIR 1 (ऑल इंडिया रैंक 1) हासिल की और 19 साल की उम्र में सबसे कम उम्र की महिला CA बनकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया

फोटो में दिख रही महिला का नाम कमला है जो की एक नर्स है जिनका एक वीडियो  सोशल मीडिया पर खूब तारीफें बटोर रहा है, और तेजी ...
24/08/2025

फोटो में दिख रही महिला का नाम कमला है जो की एक नर्स है जिनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब तारीफें बटोर रहा है, और तेजी से वायरल हो रहा है।

दरअसल कमला के पास एक कॉल आया कि एक 2 महीने के बच्चे की हालत नाजुक है और उसको जीवन रक्षक इंजेक्शन लगाना है। तो कमला बिना देरी किए घर से निकल पड़ी और बीच रास्ते में एक उफनता हुआ नाला पड़ रहा था जिसमें बारिश का पानी गोली की रफ्तार से बह रहा था।

कमला ने अपनी जान की परवाह किए बिना कूद कर उस नाले को पार किया और बच्चे को इंजेक्शन लगाया। जिसके बाद से सोशल मीडिया पर कमला की बहुत तारीफ़ हो रही है।

19 अगस्त, 1941 को उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल जिले के बादयूं में जसवंत सिंह रावत का जन्म हुआ था। उनके अंदर देशप्रेम इस कदर...
19/08/2025

19 अगस्त, 1941 को उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल जिले के बादयूं में जसवंत सिंह रावत का जन्म हुआ था। उनके अंदर देशप्रेम इस कदर था कि 17 साल की उम्र में ही सेना में भर्ती होने चले गए। लेकिन कम उम्र के चलते उन्हें नहीं लिया गया। हालांकि, 19 अगस्त 1960 को जसवंत को सेना में बतौर राइफल मैन शामिल कर लिया गया। 14 सितंबर, 1961 को उनकी ट्रेनिंग पूरी हुई। इसके एक साल बाद ही यानी 17 नवंबर, 1962 को चीन की सेना ने अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करने के उद्देश्य से हमला कर दिया।

3 सैनिक वापस नहीं लौटे

इस दौरान सेना की एक बटालियन की एक कंपनी नूरानांग ब्रिज की सेफ्टी के लिए तैनात की गई, जिसमें जसवंत सिंह रावत भी शामिल थे। चीनी सेना हावी होती जा रही थी, इसलिए भारतीय सेना ने गढ़वाल यूनिट की चौथी बटालियन को वापस बुला लिया। लेकिन इसमें शामिल जसवंत सिंह, लांस नायक त्रिलोकी सिंह नेगी और गोपाल गुसाई नहीं लौटे। ये तीनों सैनिक एक बंकर से गोलीबारी कर रही चीनी मशीनगन को छुड़ाना चाहते थे।

तीनों जवान चट्टानों और झाड़ियों में छिपकर भारी गोलीबारी से बचते हुए चीनी सेना के बंकर के करीब जा पहुंचे और महज 15 यार्ड की दूरी से हैंड ग्रेनेड फेंकते हुए दुश्मन सेना के कई सैनिकों को मारकर मशीनगन छीन लाए। इससे पूरी लड़ाई की दिशा ही बदल गई और चीन का अरुणाचल प्रदेश को जीतने का सपना पूरा नहीं हो सका। जशवंत सिंह रावत अलग अलग बंकारो से फायरिंग करते थे और रात को सभी बंकारो में मशाल जलाते थे जिससे चीनी सेना को ये लगता था की वहाँ सैकड़ों की संख्या में भारतीय सेना के जवान उनपर फायरिंग कर रहे हैं।72 घंटे तक बिना खाये जसवंत सिंह 300 से ज़्यादा चीनी सैनिकों को ढेर कर चुके थे। आख़िर में उनको चीनी सैनिकों ने चारों तरफ़ से घेर लिया।

जब चीनी सेना के कमांडर को ये पता चला कि उनके साथ 3 दिन से अकेले जसवंत सिंह लड़ रहे थे, और इस लड़ाई में उनके 300 से अधिक सैनिक मारे गए तो वो आग बबूला हो गया और जसवंत सिंह का सिर काटकर ले गए. जल्द ही जंग में युद्धविराम की घोषणा हुई. इसके बाद चीनी कमांडर ने जसवंत की बहादुरी का लोहा माना जसवंत और उनके कमांडिंग अफसर दोनों को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. इस लड़ाई के लिए 4 गढ़वाल राइफल्स को नूरानांग युद्ध सम्मान दिया गया.

1962 जंग के बाद बना जसवंतगढ़ स्मारक
इस जंग के बाद जसवंत सिंह, जसवंत बाबा बन गए... नूरानांग में जसवंत सिंह का स्मारक (Memorial for MVC Jaswant Singh Rawat) है. जिस पोस्ट से जसवंत सिंह ने मोर्चा संभाला था, उसे मंदिर में बदल दिया गया है. इस स्मारक में उनका बिस्तर, कपड़े और जूते हैं. 4 जवानों को खासतौर पर उनकी सेवा में लगाया गया है. कहा जाता है कि जसवंत सिंह आज भी सरहद की रखवाली करते हैं. उनके जूते पॉलिश करने वालों का कहना है कि कई बार जूते कीचड़ में सने मिलते हैं, कई बार बिस्तर की चादर पर सिलवटें होती हैं, जैसे रात को कोई उसपर सोया हो. जसवंतगढ़ से गुजरने वाले सिपाही से लेकर जनरल तक स्मारक को सैल्यूट किए बिना आगे नहीं बढ़ते हैं.

सेना उन्हें कई प्रमोशन दे चुकी है, यहां की खूबी ये है कि हर आने जाने वाले को सेना की ओर से चाय दी जाती है. यहां पर कुछ बंकर आज भी सेना द्वारा संजोकर रखे हुए हैं. इनमें आज भी साल 1962 युद्ध के दौरान इस्तेमाल किए गए फोन, बर्तन, रसोई, चूल्हा, हैलमेट वॉर सब संजोकर रखा हुआ है

ये मालदीव के नजारे नहीं हैं यहाँ आप ऋषिकेश से सिर्फ 1.30 घंटे में पहुंच सकते हैं,ये टिहरी झील के नजारे हैं जो कि इस समय ...
13/08/2025

ये मालदीव के नजारे नहीं हैं यहाँ आप ऋषिकेश से सिर्फ 1.30 घंटे में पहुंच सकते हैं,ये टिहरी झील के नजारे हैं जो कि इस समय बहुत फेमस टूरिस्ट प्लेस बन गया है ,इन तस्वीरों में फ्लोटिंग हट भी दिख रही हैं जो की झील में तैरते हुए घर हैं,यहां भी लोग नाइट स्टे कर सकते हैं,और यहां बहुत सारी वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी कर सकते हैं, ये जगह #ऋषिकेश से सिर्फ 77 km दूर है शानदार रोड बना हुआ है सिर्फ 1.30 घंटे लगते हैं,टिहरी झील में विभिन्न प्रकार की वाटर स्पोर्ट्स और एक्टिविटीज़ का आनंद लिया जा सकता है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

1. स्कीइंग और वॉटर स्कीइंग टिहरी झील में स्कीइंग और वॉटर स्कीइंग की सुविधा उपलब्ध है।
2. पैराग्लाइडिंगझील के ऊपर पैराग्लाइडिंग का आनंद लिया जा सकता है।
3. बोटिंग और टिहरी झील में बोटिंग और याटिंग की सुविधा उपलब्ध है।
4. *फिशिंग झील में मछली पकड़ने का आनंद लिया जा सकता है।
5. कयाकिंग और कैनोइंग टिहरी झील में कयाकिंग और कैनोइंग की सुविधा उपलब्ध है।
6. विंड सर्फिंग झील में विंड सर्फिंग का आनंद लिया जा सकता है।
7. जेट स्कीइंग टिहरी झील में जेट स्कीइंग की सुविधा उपलब्ध है।
8. बनाना बोट राइड्स झील में बनाना बोट राइड्स का आनंद लिया जा सकता है।

इन एक्टिविटीज़ के अलावा, टिहरी झील में पिकनिक, कैम्पिंग और फोटोग्राफी का भी आनंद लिया जा सकता है।टिहरी झील उत्तराखंड राज्य में स्थित एक मानव निर्मित झील है, जो टिहरी बांध के निर्माण के परिणामस्वरूप बनाई गई है। यह झील लगभग 45 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है और इसकी अधिकतम गहराई लगभग 260 मीटर है।

#टिहरी झील की विशेषताएं:

1. मानव निर्मित झील टिहरी झील एक मानव निर्मित झील है, जो टिहरी बांध के निर्माण के परिणामस्वरूप बनाई गई है।
2. विशाल आकार यह झील लगभग 45 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है।
3. गहराई इसकी अधिकतम गहराई लगभग 260 मीटर है।
4. जलवायु परिवर्तन टिहरी झील का जल स्तर जलवायु परिवर्तन के कारण बदलता रहता है।
5. पारिस्थितिकी यह झील विभिन्न प्रकार के जलीय जीवन और वनस्पतियों का समर्थन करती है।

टिहरी झील के पर्यटन स्थल:

1. टिहरी बांध टिहरी बांध एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो झील के किनारे स्थित है।
2. टिहरी झील क्रूज झील में क्रूज की सुविधा उपलब्ध है, जिससे पर्यटक झील की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।
3. प्राकृतिक सौंदर्य झील के आसपास के क्षेत्र में प्राकृतिक सौंदर्य की बहुतायत है, जो पर्यटकों को आकर्षित करती है।

टिहरी झील के आसपास के क्षेत्र में कई अन्य पर्यटन स्थल भी हैं, जिनमें शामिल हैं:

1. देवप्रयाग देवप्रयाग एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है।
2. #रुद्रप्रयाग रुद्रप्रयाग एक अन्य प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित है।
3. केदारनाथ केदारनाथ एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है।

इन सभी पर्यटन स्थलों के अलावा, टिहरी झील के आसपास के क्षेत्र में कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

साभार: प्रमोद मिश्रा

#टिहरी

उत्तराखंड में बचपन के तीन दोस्तो ने स्वरोजगार को अपनाते हुए पहाड़ के पीसे हुए नमक को बेचकर 1.5 करोड़ रुपए कमाए जिससे यह ...
11/08/2025

उत्तराखंड में बचपन के तीन दोस्तो ने स्वरोजगार को अपनाते हुए पहाड़ के पीसे हुए नमक को बेचकर 1.5 करोड़ रुपए कमाए जिससे यह साबित होता है कि अगर आपके अंदर हुनर है तो आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं हैं 💐

उत्तराखंड का चड्युला गांव पूरा ख़ाली हो चुका था फिर गाँव वालों ने निर्णय लिया की वापस अपने गाँव जाकर अपने पुरखों की मेहन...
10/08/2025

उत्तराखंड का चड्युला गांव पूरा ख़ाली हो चुका था फिर गाँव वालों ने निर्णय लिया की वापस अपने गाँव जाकर अपने पुरखों की मेहनत से बनाये घरों को फिर से पुनर्जीवित करेंगे। और धीरे धीरे सब गाँव आते गए गाँव पुनर्जीवित होता गया और आज गाँव की तस्वीर ही बदल गई।

गाँव वालों ने फिर से खेती बाड़ी शुरू कर दी है। शेयर करने में कंजूसी ना करे हो सकता इस पोस्ट को देखकर धीरे धीरे लोग अपने गांवों की तरफ़ आने लगे। और हमारे गाँव फिर से आबाद होने लगे।

रुद्रप्रयाग जिले के सतेराखाल के सुप्री गांव की रहने वाली स्नेहा नेगी ISRO में वैज्ञानिक बन गई है। आपको बता दे स्नेहा बचप...
07/08/2025

रुद्रप्रयाग जिले के सतेराखाल के सुप्री गांव की रहने वाली स्नेहा नेगी ISRO में वैज्ञानिक बन गई है। आपको बता दे स्नेहा बचपन से मेघावी छात्रा थी, स्नेहा का चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान में बतौर साइंटिस्ट हुआ है। 💐 💐

अपन गाँव पिथौरागढ़ में अपने माता-पिता के साथ अभिनेता हेमंत पांडे उन्होंने इस तस्वीर को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा क...
07/08/2025

अपन गाँव पिथौरागढ़ में अपने माता-पिता के साथ अभिनेता हेमंत पांडे उन्होंने इस तस्वीर को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया है

आपको बता दे अब हेमंत पांडे ने अपने पैतृक गांव पिथौरागड़ के पाभें गांव में शूटिंग विलेज का शुभारंभ कर लिया है अब उत्तराखंड के युवाओं को हीरो बनने के लिए मुंबई जैसे बड़े शहरों में नहीं जाना पड़ेगा। ये उत्तराखंड के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है 💐💐

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में जन्मे हेमंत पांडे बीते तीन दशक से अभिनय में सक्रिय हैं। रंगमंच पर काफी काम करने के बाद साल 1996 में प्रसारित धारावाहिक ‘ताक झांक’ में उनके अभिनय की खूब चर्चा हुई। फिर ‘ऑफिस ऑफिस’ में भी उन्होंने खूब रंग जमाया। छोटे परदे की लोकप्रियता ही हेमंत को जल्द ही बड़े पर लेकर आई। ‘मुझे कुछ कहना है’ और ‘रहना है तेरे दिल में’ के बाद उन्हें बड़ा मौका मिला ऋतिक रोशन की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘कृष’ में उनके दोस्त का। हेमंत पांडे ने उसके बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। और अब उन्होंने अपने पैतृक गांव पिथौरागड़ के पाभें गांव में शूटिंग विलेज बनाने का शुभारंभ कर लिया है 💐💐

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