08/05/2025
नैनीताल हिंसा
फ़रीद अहमद ने की राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से स्वतंत्र न्यायिक जांच की अपील
उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में हाल ही में घटित एक आपराधिक घटना के बाद मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर की गई हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता फरीद अहमद ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, भारत सरकार को एक विस्तृत शिकायत पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने आयोग से घटनाओं की स्वतंत्र न्यायिक/प्रशासनिक जांच कराने, पीड़ितों को न्याय दिलाने, और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की है।
दिनांक 30 अप्रैल 2025 को नैनीताल के मल्लीताल थाना क्षेत्र में एक 73 वर्षीय मुस्लिम वृद्ध मोहम्मद उस्मान द्वारा एक 12 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म की गंभीर घटना सामने आई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और प्राथमिकी दर्ज कर ली गई।
हालांकि, इस एकल आपराधिक कृत्य के बाद कुछ हिंदूवादी संगठनों ने पूरे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अभियान छेड़ दिया, जिसके चलते नैनीताल शहर में सुनियोजित साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं।
शिकायत पत्र के अनुसार, इस हिंसा के तहत—
• मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों को चिन्हित कर तोड़ा गया, उन्हें दुकानों से बाहर निकाल कर पीटा गया।
• मुस्लिम नागरिकों को उनकी पोशाक, नाम और धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया।
• जामा मस्जिद नैनीताल पर भीड़ द्वारा हमला किया गया, जबकि यह पुलिस थाने के निकट स्थित है।
• मल्लीताल थाने के भीतर ही मुस्लिम पुलिस अधिकारी श्री आसिफ़ खान पर हमला किया गया।
• शहरभर में मुस्लिम विरोधी नारे, गालियां और धार्मिक अपशब्द बोले गए।
• इन घटनाओं का विरोध करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती शैला नेगी को भी अभद्र व अश्लील टिप्पणियों का सामना करना पड़ा।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया कि नैनीताल नगर पालिका ने आरोपी मोहम्मद उस्मान के घर पर बुलडोज़र चलाने का नोटिस जारी किया। फरीद अहमद के अनुसार, यह कदम न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की सीधी अवहेलना भी है।
बाद में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस कार्रवाई को अवैध करार दिया और नगर प्रशासन को फटकार लगाते हुए बुलडोज़र कार्यवाही पर रोक लगाई।
शिकायत पत्र में इस तथ्य पर भी बल दिया गया है कि नैनीताल के मुस्लिम समाज ने न केवल आरोपी का सार्वजनिक बहिष्कार किया, बल्कि पीड़िता को हर संभव सहायता देने का आश्वासन भी दिया है। मुस्लिम समुदाय ने स्पष्ट किया है कि इस जघन्य अपराध का समर्थन कोई नहीं करता, और पीड़िता के साथ पूर्ण न्याय की मांग की जाती है।
फरीद अहमद ने आयोग से निम्नलिखित पांच प्रमुख कार्यवाहियों की मांग की है:
1. नैनीताल में एक शांति समिति का गठन, जिसमें सभी समुदायों के प्रतिनिधि हों।
2. उपरोक्त घटनाओं की स्वतंत्र न्यायिक या प्रशासनिक जांच कराई जाए।
3. जामा मस्जिद और पुलिस अधिकारी पर हुए हमलों की विशेष जांच कर दोषियों को सजा दी जाए।
4. पीड़ित मुस्लिम व्यापारियों और नागरिकों को मुआवजा और सुरक्षा प्रदान की जाए।
5. उच्च न्यायालय की टिप्पणियों के आलोक में प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की जांच कर जिम्मेदारी तय की जाए।
फरीद अहमद ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से अपील करते हुए कहा कि यह मामला केवल एक शहर की कानून-व्यवस्था का नहीं है, बल्कि यह भारत के संविधानिक मूल्यों, अल्पसंख्यक अधिकारों और विधिक संरचना की विश्वसनीयता से जुड़ा विषय है। उन्होंने अध्यक्ष श्री इकबाल सिंह लालपुरा से आग्रह किया है कि आयोग अपने अनुभव और संवैधानिक दायित्वों के तहत त्वरित कार्रवाई करे, ताकि मुस्लिम समुदाय में भय के स्थान पर विश्वास की भावना पुनर्स्थापित हो सके।