Bhawna "jeewan"

Bhawna "jeewan" शब्द बौने हो जाते हैं भावों की अभिव्यक कविता आखिर है क्या? महज़ कुछ शब्दों में लिपटी हुई भावनाएं, भावनाएं जो हृदयान्तर में सीधे पहुचती हैं।

तुम अधूरे स्वप्न सारे,छोड़ हमको बीच धारेचल दिए हो, छल दिए हो।प्रेम के अतुलित पिटारे,संग अपने ले के सारे,चल दिए हो, छल दिए...
24/04/2025

तुम अधूरे स्वप्न सारे,
छोड़ हमको बीच धारे
चल दिए हो, छल दिए हो।

प्रेम के अतुलित पिटारे,
संग अपने ले के सारे,
चल दिए हो, छल दिए हो।

वो अघेरा बांह बंधन,
बिना बांधे,डोर खोले।
बोल सारे ही अबोले,
छोड़कर तुम
चल दिए हो, छल दिए हो।

आत्मा का देह चुम्बन,
ह्रदय का विचलित स्पंदन,
गति समय की रोक कर तुम,
चल दिए हो, छल दिए हो।

नवजात मेरी कामना के
गीत सम, मीठे-सुरीले
बंध को स्वर रहित कर
तुम चल दिए हो, छल दिए हो।

इन नयन की पुतलियों,
जिनको सिकुड़ना चाहिए था।
उपल सी निस्तेज कर,
तुम चल दिए हो, छल दिए हो।

सप्तवर्णी रेखा नभ की
रंग आँचल में मेरे
अश्रु से धोकर उसे
श्वेत भी बेरंग कर
तुम चल दिए हो।
मुझे छल दिए हो।

भावना बडोनियाँ जीवन✍️

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❤❤

08/03/2025
08/03/2025

कुछ स्त्रियां, इतनी स्त्री हो जाती हैं कि वे स्त्रीत्व से परे मानव होना भूल जाती हैं। जिनके सशक्तिकरण के लिए जूझ रहा होता है सारा संसार पर वे अपने को पाती हैं इस सुविधा की अपात्र। वे सीख चुकी होती हैं जीना उसी अन्याय में, उसी भेदभाव,अत्याचार और अभाव की सीलन में उनका प्रतिरोधी तंत्र बना लेता है अनुकूलता।
लदे हुए कंधे, सधे हुए हाथ और हर पल एक कोई अपना सा ढूंढती हुई आँखें आखिर वापस आ अटकती हैं शीशे में अपनी ही परछाई पर। लेकिन अब देर हो चुकी होती है, उस अक्स में भी उसे अपने लिए फिक्र,दया, तरस और अपनापन गायब मिलता है।
तब वह हो चुकी होती है सब कुछ, केवल नहीं रह जाती वह स्वयं।
स्वयं, स्व, ख़ुद ही को खो देना ये बलिदान नहीं है? हां क्योंकि जब जान ही दे दी जाय उसे बलिदान कहा जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं 🙏
ईश्वर आपको कम से कम आप बने रहने की शक्ति तो दे ही🙏✨

@भावना बड़ोनिया "जीवन" ✍️

मुलाक़ात with मोहिनी ❤️  शांत, सहज और सुंदर लड़की❣️
28/11/2024

मुलाक़ात with मोहिनी ❤️ शांत, सहज और सुंदर लड़की❣️

 ❤️कवि सम्मेलन प्रवाह समिति 2024Hotel crown palace
28/11/2024

❤️
कवि सम्मेलन प्रवाह समिति 2024
Hotel crown palace

मुलाक़ात 💫 और याद किया पुराने पलों को, खूब सारी बातें, तसल्ली का समय, बहनों सा स्नेह और कविताऐं 🧿🥰 दीदी❤️
28/11/2024

मुलाक़ात 💫 और याद किया पुराने पलों को, खूब सारी बातें, तसल्ली का समय, बहनों सा स्नेह और कविताऐं 🧿🥰
दीदी❤️

30/09/2024

सोच रही हूं कितना अच्छा होता
मुझे पता ना चलता
खड़ी किसी छत की मुंडेर पर
जाता पैर फिसल गलती से
घबराकर गिरने से पहले
दिल का दौरा आ जाता
और मर जाती बस बिना दर्द के।
मरना है पर बिना दर्द के।

हार सकती हो,
हमेशा मज़बूत होना ज़रूरी नहीं
कभी भूल सकती हो कौन क्या चाहता है
ये भी, कि तुम क्या चाहती हो।
बस आँख बंद करके
नसों में बहते रक्त को सुनो
तेज़ी पकड़े धक धक धक धक
धड़कन गिनो
तड़कती नसों को शांत करने की कोशिश कर सकती हो
कितना समय बाकी है
कितने काम बाकी हैं
क्या करने से चूक गयी हो
क्या जो हो ही नहीं पाया
वो सब भी जो डरा रहा है
तुम भाग रही हो वो आ रहा है
सब भूल सकती हो
हार सकती हो
हमेशा जीतना जरूरी नहीं
जानना जरूरी नहीं
मज़बूती ज़रूरी नहीं है
हार सकती हो।

होता है, ऐसा ही होता है,
समझो मानो स्वीकार करो।
ऐसी हिदायतें देने वालो,
आओ! ज़रा अदा मेरा किरदार करो।

जिस दुनिया का मैं हिस्सा हूँ।
जिस जीवन को मैं जीती हूँ।
कोई और ही बनना होता है।
कुछ और ही बनकर रहती हूं।

भावना बड़ोनिया "जीवन"
10 मई 2022

एक आंख से कोई आख़िर कितना रोए।एक बात पर कोई आखिर कितना रोए।दबा बिठा रक्खो गम- वम जो भी हैं उनकोरोज निकालें, देखे उनको, क...
08/08/2024

एक आंख से कोई आख़िर कितना रोए।

एक बात पर कोई आखिर कितना रोए।

दबा बिठा रक्खो गम- वम जो भी हैं उनको

रोज निकालें, देखे उनको, कितना रोए।

सुबह बड़ी चुप साध, रहा आया वो खुद में

रोई आंखें देख, ना पूछा, कितना रोए।

आकर वापस वहीं खड़ा रह जाता है ये,

पल में बीते "जीवन", इतना कितना रोए।

19 जुलाई 2024
Morning 8:00 AM

#इंस्टापोस्ट

सत्य की स्वीकार्यता ही सुख है,उसे बदलने या ठीक करने का असफल प्रयासआपको अवसाद की ओर ले जाता है।@ भावना "जीवन"            ...
08/06/2024

सत्य की स्वीकार्यता ही सुख है,
उसे बदलने या ठीक करने का असफल प्रयास
आपको अवसाद की ओर ले जाता है।

@ भावना "जीवन"



23/02/2024

शासकीय उच्च शाला गडर में मनाया गया बसंत पंचमी उत्सव🌼

बुद्धिदात्री देवी मां सरस्वती की आराधना🙏🏻

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* Badoniya "Jeewan"*

03/02/2024

https://youtu.be/kh9Uc4Eg3G4?si=58GxSUcH8kk7Aiu_

नीति के दोहे, कक्षा -5 (हिंदी)
तो देखें बच्चों ने क्या सीखा खास और कौन सी अच्छी बात😇

-भावना बड़ोनिया
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26/01/2024

गणतंत्र दिवस पर शासकीय उच्च शाला गडर में मध्यप्रदेश लोकनृत्य बधाई की सुंदर प्रस्तुति बच्चों द्वारा दी गई✨✌🏻👏🏻

निर्देशन - भावना बड़ोनिया (प्राथमिक शिक्षिका)

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