
24/04/2025
तुम अधूरे स्वप्न सारे,
छोड़ हमको बीच धारे
चल दिए हो, छल दिए हो।
प्रेम के अतुलित पिटारे,
संग अपने ले के सारे,
चल दिए हो, छल दिए हो।
वो अघेरा बांह बंधन,
बिना बांधे,डोर खोले।
बोल सारे ही अबोले,
छोड़कर तुम
चल दिए हो, छल दिए हो।
आत्मा का देह चुम्बन,
ह्रदय का विचलित स्पंदन,
गति समय की रोक कर तुम,
चल दिए हो, छल दिए हो।
नवजात मेरी कामना के
गीत सम, मीठे-सुरीले
बंध को स्वर रहित कर
तुम चल दिए हो, छल दिए हो।
इन नयन की पुतलियों,
जिनको सिकुड़ना चाहिए था।
उपल सी निस्तेज कर,
तुम चल दिए हो, छल दिए हो।
सप्तवर्णी रेखा नभ की
रंग आँचल में मेरे
अश्रु से धोकर उसे
श्वेत भी बेरंग कर
तुम चल दिए हो।
मुझे छल दिए हो।
भावना बडोनियाँ जीवन✍️
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