Bible Word Of God For All Nations

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बुद्धिमान के घर में बहुमूल्य धन और तेल रहता है, परंतु मूर्ख मनुष्य उसे निगल जाता है।" नितिवचन 21:20 प्रिय मित्रों,यह वचन...
01/08/2025

बुद्धिमान के घर में बहुमूल्य धन और तेल रहता है, परंतु मूर्ख मनुष्य उसे निगल जाता है।" नितिवचन 21:20

प्रिय मित्रों,
यह वचन हमें बुद्धिमानी और मूर्खता के बीच के अंतर को गहराई से समझाता है। परमेश्वर का वचन हमें सिखाता है कि सच्ची समृद्धि केवल बाहरी चीज़ों से नहीं, बल्कि अंदरूनी आत्मिक जीवन से आती है।

यहां "धन और तेल" केवल भौतिक वस्तुओं का प्रतीक नहीं है। तेल पवित्र आत्मा, अभिषेक, और परमेश्वर की उपस्थिति का संकेत है। धन उस आत्मिक आशीष को दर्शाता है जो केवल प्रभु के भय और उसकी आज्ञाओं के पालन से मिलती है।

बुद्धिमान व्यक्ति वह है जो परमेश्वर की इच्छा को जानता और मानता है। उसके जीवन में आत्मिक आशीषें और परमेश्वर का अभिषेक बना रहता है।

मूर्ख व्यक्ति आत्मिक संपत्ति को हल्के में लेता है। वह क्षणिक सुखों में फंसकर उन आशीषों को खो देता है।

याद रखें, परमेश्वर ने हमें संसाधन (समय, धन, आत्मिक वरदान) दिए हैं ताकि हम उन्हें संभालें और सही दिशा में उपयोग करें। मूर्खता का मार्ग हमेशा विनाश की ओर ले जाता है, पर बुद्धिमानी का मार्ग जीवन और आशीष की ओर।

एक प्रेरणादायक कहानी

एक गांव में दो किसान रहते थे। पहला किसान मेहनती, संयमी और परमेश्वर पर भरोसा करने वाला था। वह अपनी फसल का कुछ हिस्सा जरूरतमंदों को देता, और बाकी को भविष्य के लिए बचा कर रखता। दूसरा किसान लापरवाह और आलसी था। वह अपनी पूरी फसल उत्सवों में उड़ा देता और कुछ भी भविष्य के लिए नहीं बचाता।
साल बीता, और गांव में अकाल पड़ा। बुद्धिमान किसान के पास बचा हुआ अनाज था, और उसने न केवल अपने परिवार को, बल्कि दूसरों की भी मदद की। लेकिन मूर्ख किसान भूख से तड़पने लगा क्योंकि उसने सब कुछ व्यर्थ खर्च कर दिया था।
यह कहानी इस वचन का सजीव उदाहरण है—जो बुद्धिमान है, वह परमेश्वर के दिए हुए संसाधनों को संभालता है, पर मूर्ख उसे निगल जाता है।

गहरी आत्मिक शिक्षा

यह वचन हमें चेतावनी देता है कि हम अपनी आत्मिक आशीषों को व्यर्थ न करें।

परमेश्वर ने हमें समय दिया है—क्या हम उसे व्यर्थ बर्बाद कर रहे हैं या आत्मिक उन्नति के लिए उपयोग कर रहे हैं?

परमेश्वर ने हमें वचन दिया है—क्या हम उसे मन में संचित कर रहे हैं या भूल रहे हैं?

परमेश्वर ने हमें पवित्र आत्मा दिया है—क्या हम उसके मार्गदर्शन में चल रहे हैं या अपने ही मन की मूर्खता में?

मित्रों, आज यह वचन हमें बुलाता है कि हम बुद्धिमान बनें, परमेश्वर के संसाधनों का सही उपयोग करें, और अपने आत्मिक जीवन में सतर्क रहें।

🙏 आइए, हम प्रार्थना करें:
"हे प्रभु, हमें बुद्धिमान हृदय दे ताकि हम तेरी दी हुई आशीषों का सही उपयोग करें और मूर्खता से दूर रहें। आमीन।"

#हैशटैग
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भजन संहिता 23:1, दाऊद का एक अद्भुत विश्वास का घोषवाक्य है। वह अपने जीवन की कठिनाइयों, जंगलों, और खतरों के मध्य यह कहता ह...
24/07/2025

भजन संहिता 23:1, दाऊद का एक अद्भुत विश्वास का घोषवाक्य है। वह अपने जीवन की कठिनाइयों, जंगलों, और खतरों के मध्य यह कहता है: “यहोवा मेरा चरवाहा है” — यह केवल एक पद नहीं, यह एक संबंध है। यहाँ परमेश्वर को चरवाहा कहा गया है और स्वयं को भेड़। एक भेड़ अपनी सुरक्षा, भोजन, और मार्गदर्शन के लिए पूरी तरह चरवाहे पर निर्भर होती है। उसी प्रकार, दाऊद स्वीकार करता है कि वह परमेश्वर पर पूर्ण रूप से निर्भर है।

थियोलॉजी के अनुसार, परमेश्वर का चरवाहा स्वरूप हमें यीशु मसीह में परिपूर्ण रूप में दिखाई देता है। यूहन्ना 10:11 में यीशु कहते हैं, “अच्छा चरवाहा मैं हूं; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है।” अर्थात यीशु न केवल हमारी देखभाल करते हैं, वरन हमारे उद्धार के लिए अपने प्राण भी दे देते हैं।

📜 एक प्रेरणादायक कहानी:

एक बार एक बच्चा अनाथालय में रहता था, जिसे रात को नींद नहीं आती थी। एक मिशनरी ने उसे यह पद याद करवाया: “यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी।” उसने समझाया कि हर शब्द को कहते हुए वह अपनी पाँचों उंगलियों को छुए — "यहोवा (अंगूठा) मेरा (तर्जनी) चरवाहा (मध्यमा) है (अनामिका)..." और जब वह "मुझे (कनिष्ठा)" कहे, तो उसे कसकर पकड़ ले, क्योंकि यह उसके लिए व्यक्तिगत वादा है।

🌿 आत्मिक शिक्षा:

इस पद में न केवल सुरक्षा, बल्कि संतोष भी छिपा है। “घटी न होगी” का अर्थ यह नहीं कि हमें जीवन में कभी कोई समस्या नहीं होगी, बल्कि यह कि परमेश्वर हर जरूरत में हमारे साथ रहेगा। जब हम खो जाते हैं, वह ढूंढ़ता है। जब हम घायल होते हैं, वह मरहम लगाता है। जब हम डरते हैं, वह साथ चलता है।

दाऊद ने यह गीत कठिनाइयों में गाया था, पर उसका विश्वास अडिग था — क्योंकि वह जानता था कि चरवाहा कभी भेड़ों को नहीं छोड़ता।

📣 निष्कर्ष:

क्या आज आप जीवन की किसी कठिनाई में हैं? क्या आप खोए, टूटे या अकेले हैं? याद रखें — यहोवा आपका चरवाहा है। वह आपकी चिंता करता है, आपको मार्ग दिखाता है, और आपकी आत्मा को बहाल करता है।

🙏 चलिए आज हम इस पद को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और आत्मिक रूप से उसकी देखभाल में विश्राम करें।
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“जिस से तुम प्रेम रखते हो, यद्यपि उसे नहीं देखा; और अब भी उस पर विश्वास करते हो, यद्यपि उसे नहीं देखते, तो भी आनन्दित हो...
20/07/2025

“जिस से तुम प्रेम रखते हो, यद्यपि उसे नहीं देखा; और अब भी उस पर विश्वास करते हो, यद्यपि उसे नहीं देखते, तो भी आनन्दित होते हो उस शब्दातीत और महिमायुक्त आनन्द से।” — 1 पतरस 1:8

प्रेम करना किसी ऐसे से जिसे हमने कभी देखा नहीं — यह संसार के लिए एक रहस्य है, लेकिन विश्वासियों के लिए यह आत्मा की गहराई का अनुभव है। हम यीशु मसीह को आंखों से नहीं देख पाए, लेकिन उसके प्रेम ने हमारे जीवन को छू लिया है। यह वही प्रेम है जो हमारे दुख में सांत्वना बनता है, हमारी कमजोरी में शक्ति बनता है।

📖 बाइबल की शिक्षा:

1 पतरस 1:8 हमें “अदृश्य विश्वास” की शिक्षा देता है — एक ऐसा विश्वास जो देखने पर नहीं, परमेश्वर के वचन और आत्मिक अनुभूति पर आधारित है। मसीही विश्वास केवल जानकारी या तर्क नहीं, बल्कि एक जीवित संबंध है। जब हम मसीह को जानते हैं, तब हमें उसे देखने की आवश्यकता नहीं रहती — क्योंकि हम उसकी उपस्थिति को अपने जीवन में हर दिन महसूस करते हैं।

🌾 एक छोटी कहानी:

एक छोटे गाँव में एक अंधी महिला रहती थी जिसका नाम था मंगली। वह जन्म से अंधी थी लेकिन हर रविवार चर्च जाती थी और हमेशा कहती थी, “मैं यीशु को देख सकती हूं।” लोग उसे चिढ़ाते, "तू देख भी नहीं सकती, फिर कैसे यीशु को देखती है?"

वह मुस्कुरा कर जवाब देती, “तुम आँखों से देखते हो, मैं दिल से देखती हूँ। जब मैं प्रार्थना करती हूँ, जब मैं वचन सुनती हूँ, तब मैं यीशु की उपस्थिति को महसूस करती हूँ। उसका प्रेम मेरे भीतर बोलता है।”

एक दिन गाँव में एक बड़ी बीमारी फैल गई और मंगली सभी बीमारों के लिए प्रार्थना करने लगी। चमत्कारिक रूप से कई लोग चंगे हो गए। तब लोगों ने समझा — मंगली सचमुच उस प्रभु से जुड़ी है जिसे हम देख नहीं सकते। उसका विश्वास ही उसका दर्शन बन गया।

💡 आत्मिक शिक्षा:

1 पतरस 1:8 हमें सिखाता है कि:

हमारा विश्वास हमारी आंखों से नहीं, आत्मा से जुड़ा है।

मसीह के साथ हमारा संबंध प्रेम और विश्वास पर आधारित है, न कि दृश्य प्रमाण पर।

जब हम यीशु को अपने जीवन में अपनाते हैं, तो वह हमें “शब्दातीत और महिमायुक्त आनन्द” से भर देता है।

आज हम एक ऐसे संसार में रहते हैं जो “देखने में विश्वास” करता है। लेकिन परमेश्वर हमें बुलाता है “बिना देखे विश्वास” करने के लिए — और ऐसा विश्वास स्वर्ग की कुंजी है।

🙏 प्रार्थना:

हे प्रभु यीशु, तू मेरे जीवन का केंद्र है। मैंने तुझे कभी आंखों से नहीं देखा, पर मैं तुझसे प्रेम करता हूँ। मेरे विश्वास को और गहरा बना, ताकि मैं तेरे साथ उस आनन्द को प्राप्त कर सकूं जो शब्दातीत और महिमायुक्त है। आमीन।

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📢 मित्रों, अगर यह संदेश आपके दिल को छू गया हो, तो इसे शेयर कीजिए — ताकि औरों को भी विश्वास की आँखें मिल सकें।

#विश्वास #प्रेम #यीशु_मसीह #आत्मिकशिक्षा #बिना_देखे_विश्वास

🎉 अभी-अभी लेवल 3 पूरा किया है और Facebook पर एक क्रिएटर के तौर पर और आगे बढ़ने के लिए रोमांचित हूँ!
20/07/2025

🎉 अभी-अभी लेवल 3 पूरा किया है और Facebook पर एक क्रिएटर के तौर पर और आगे बढ़ने के लिए रोमांचित हूँ!

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! मेरे नए फ़ॉलोअर्स का स्वागत है! आपसे जुड़ना मेरे लिए खुशी...
19/07/2025

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! मेरे नए फ़ॉलोअर्स का स्वागत है! आपसे जुड़ना मेरे लिए खुशी की बात है! Rohit Makasare, Pappu Sarthi, Anil Bhuriya, Rustam Kokani, Ajay Topno

सबसे ज़्यादा इंटरैक्ट करने और हफ़्ते की मेरी एंगेजमेंट लिस्ट में जगह बनाने के लिए धन्यवाद! 🎉 Mashi Raj Singh, Naveen Kum...
18/07/2025

सबसे ज़्यादा इंटरैक्ट करने और हफ़्ते की मेरी एंगेजमेंट लिस्ट में जगह बनाने के लिए धन्यवाद! 🎉 Mashi Raj Singh, Naveen Kumar Ramesh Kumar, Jaywanti Singh, Hemant Thapa, Vikas Shinde, Balasahab Desai, Geetu Nand, Sarita Das, Neelu Sonwani, Ram Sunder Singh Singh, Nakar Tripura, Sangeeta Rani Lal, David Masih, Guri Preet, Tr Sintang, Sangta Suri, Rajiv Lamiyan, Jeetu Lakhan, Ramsaran Sharma

📖 वचन अब हे याकूब, तुझ को रचने वाले यहोवा की यह बात है, और हे इस्राएल, तुझ को बनाने वाले की यह वाणी है: मत डर, क्योंकि म...
16/07/2025

📖 वचन अब हे याकूब, तुझ को रचने वाले यहोवा की यह बात है, और हे इस्राएल, तुझ को बनाने वाले की यह वाणी है: मत डर, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया है; मैं ने तुझे नाम लेकर बुलाया है, तू मेरा है।" — यशायाह 43:1
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🌿 बाइबल टीचिंग:

यह वचन परमेश्वर की उस महान सच्चाई को प्रकट करता है जो हर विश्वास करने वाले के जीवन की नींव है — “तू मेरा है।” यह मात्र एक सांत्वना नहीं, बल्कि एक दिव्य पहचान है। परमेश्वर ने तुझे रचा, उसने तुझे छुड़ाया, और तुझे नाम से पुकारा। यह दिखाता है कि हम उसके लिए कितने मूल्यवान हैं।

जब हम जीवन की कठिनाइयों से गुजरते हैं, तो डर स्वाभाविक होता है। परन्तु परमेश्वर हमें आश्वस्त करता है — “मत डर” — क्योंकि हमारा रचयिता, हमारा छुड़ाने वाला, स्वयं हमारे साथ है।

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📘 एक कहानी:

एक बार एक छोटा लड़का लकड़ी से एक छोटी सी नाव बनाता है। वह उसे नदी में तैराता है, पर तेज़ बहाव उसे बहा ले जाता है। वह दुखी हो जाता है क्योंकि वह नाव उसकी मेहनत और प्यार का फल थी।

कई महीने बाद वह एक दुकान में वही नाव देखता है। वह पहचान जाता है कि वह उसकी बनाई हुई नाव है — उसके हाथों के निशान, उसके द्वारा लिखा गया नाम अब भी उस पर था। वह दुकान से पूछता है, “यह मेरी है।” दुकानदार कहता है, “अब यह बिक चुकी चीज़ है, तुम्हें इसे खरीदना होगा।” लड़का पैसे इकट्ठे करता है और आखिरकार उसे खरीद लेता है।

वह नाव को हाथ में लेकर कहता है, “अब तू दो बार मेरी है — एक बार क्योंकि मैंने तुझे बनाया, और दूसरी बार क्योंकि मैंने तुझे खरीदा।”

ठीक इसी तरह परमेश्वर हमें कहता है — “मैंने तुझे बनाया, और फिर क्रूस पर अपने पुत्र के लहू से तुझे खरीदा — तू मेरा है!”

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🕊 आत्मिक शिक्षा:

यशायाह 43:1 हमें हमारी पहचान और सुरक्षा की याद दिलाता है। जब हम डरते हैं — चाहे बीमारी से, गरीबी से, असफलता से या जीवन की अनिश्चितता से — परमेश्वर हमें बुलाता है, हमारे नाम से। वह हमें पहचानता है, वह हमारी चिंताओं से परिचित है, और वह हमें छुड़ा चुका है।

यह वचन मसीह में हमारे छुड़ाए जाने की भविष्यवाणी भी करता है। यीशु मसीह में हमें न केवल पाप से मुक्ति मिली, बल्कि एक नई पहचान भी मिली — परमेश्वर की संतान।

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🙏 निष्कर्ष और बुलाहट:

क्या आज आप डर में जी रहे हैं? क्या आपको लगता है कि आप अकेले हैं या आपकी कोई पहचान नहीं?
यहोवा आज कहता है — “मत डर, मैंने तुझे छुड़ा लिया है। तू मेरा है।”

🌟 आज अपने दिल को उसके सामने खोलिए, उसका वचन पकड़िए, और आत्मा में यह जानिए — आप अनमोल हैं, खरीदे हुए हैं, और आप परमेश्वर के हैं!

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✝️ इस पोस्ट को शेयर करें यदि आप विश्वास करते हैं कि आप परमेश्वर के हैं और यह सन्देश किसी और को भी आशा दे सकता है।
#तू_मेरा_है #यीशुमसीह #आत्मिकशिक्षा #बाइबलकीसच्चाई

📖"यदि मनुष्य सारा संसार प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा?" — मरकुस 8:36आज की दुनिया में लोग...
16/07/2025

📖"यदि मनुष्य सारा संसार प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा?" — मरकुस 8:36

आज की दुनिया में लोग दौड़ रहे हैं — पैसा, पद, प्रतिष्ठा, संपत्ति, और सुख-सुविधाओं के पीछे। लेकिन प्रभु यीशु एक ऐसा प्रश्न पूछते हैं जो आत्मा की गहराइयों को झकझोर देता है: अगर तुम पूरी दुनिया भी जीत लो, पर अपनी आत्मा खो बैठो, तो क्या फायदा?

🌍 दुनिया की दौलत बनाम आत्मा की शांति

लोग अपना सब कुछ लगा देते हैं—समय, रिश्ते, स्वास्थ्य—सिर्फ इस दुनिया के सुख के लिए। लेकिन आत्मा जो अनंत है, उसका मूल्य चुकाना कोई नहीं समझता। बाइबल हमें यह सिखाती है कि शरीर मिट्टी का है, पर आत्मा अनंत है। वह या तो अनंत जीवन में जाएगी या अनंत नाश में।

👤 एक सच्ची कहानी — कारोबारी की आत्मा की प्यास

रामेश्वर नाम का एक व्यक्ति था जो बहुत बड़ा उद्योगपति बन गया। उसके पास सब कुछ था — बंगला, गाड़ी, नौकर-चाकर, और बड़ा बैंक बैलेंस। पर एक रात वह बेचैनी में सो न सका। अंदर से एक आवाज़ आई: "क्या तू सच में खुश है?"

अगले दिन उसने एक पुराने मित्र को फोन किया जो अब एक विश्वासी बन चुका था। उन्होंने उसे परमेश्वर के वचन से समझाया कि असली शांति केवल यीशु मसीह में है। कुछ महीनों की आत्मिक खोज और प्रार्थनाओं के बाद, रामेश्वर ने अपना जीवन प्रभु यीशु को दे दिया।

उसने गवाही दी: "जब मेरे पास सब कुछ था, तब भी मैं खाली था। लेकिन अब, जब मैंने यीशु को पाया, मुझे पता चला कि मेरी आत्मा को क्या चाहिए था।"

✝️ गहरी आत्मिक शिक्षा

यह संसार अस्थायी है, पर आत्मा शाश्वत है।

संसार की चीज़ें हमें बाहरी सुख दे सकती हैं, पर आत्मा की भूख सिर्फ परमेश्वर ही मिटा सकता है।

परमेश्वर की दृष्टि में हमारी आत्मा अनमोल है — इतनी कि उसने अपने पुत्र यीशु को हमारे लिए क्रूस पर दे दिया।

💡 आह्वान

प्रिय मित्रो, आज रुकिए। खुद से पूछिए: "क्या मेरी आत्मा परमेश्वर में स्थिर है?" यदि नहीं, तो यह समय है प्रभु यीशु की ओर लौटने का, क्योंकि वही आत्मा का उद्धारकर्ता है।

🙏 "प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को बचा, मुझे सच्चे जीवन की ओर ले चल।"

📢 इस संदेश को दूसरों के साथ साझा करें, शायद किसी और की आत्मा आज चंगाई पाए।

1 कुरिन्थियों 3:7 का मुख्य संदेश यह है कि परमेश्वर ही है जो विकास और वृद्धि देता है, न कि मनुष्य। इसका मतलब है कि एक मसी...
14/07/2025

1 कुरिन्थियों 3:7 का मुख्य संदेश यह है कि परमेश्वर ही है जो विकास और वृद्धि देता है, न कि मनुष्य। इसका मतलब है कि एक मसीही विश्वासी के जीवन में जो कुछ भी अच्छा होता है, वह परमेश्वर की कृपा और सामर्थ्य का परिणाम है, न कि केवल मानवीय प्रयासों का।
1 कुरिन्थियों 3:7 में, प्रेरित पौलुस कहता है, "इसलिए न तो बोने वाला कुछ है, और न सींचने वाला, परन्तु परमेश्वर जो बढ़ाने वाला है।" इस वचन में, पौलुस कलीसिया के नेताओं को समझा रहा है कि वे केवल साधन हैं, परमेश्वर ही है जो कलीसिया को बढ़ाता और विकसित करता है।
इस वचन से हमें यह शिक्षा मिलती है:
परमेश्वर ही सब कुछ है:
हमें यह याद रखना चाहिए कि परमेश्वर ही सब कुछ है, और हमें उस पर निर्भर रहना चाहिए।
मानवीय प्रयास सीमित हैं:
हमारे प्रयासों का एक निश्चित महत्व है, लेकिन वे परमेश्वर के बिना कुछ भी नहीं कर सकते।
हमें विनम्र रहना चाहिए:
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम केवल साधन हैं, और परमेश्वर ही है जो काम करता है।
हमें परमेश्वर को महिमा देनी चाहिए:
हमें परमेश्वर को सभी सफलता का श्रेय देना चाहिए, और उसे धन्यवाद देना चाहिए।

📖 “For we are to God the fragrance of Christ among those who are being saved and among those who are perishing.”— 2 Cori...
14/07/2025

📖 “For we are to God the fragrance of Christ among those who are being saved and among those who are perishing.”
— 2 Corinthians 2:15

🌸 Be the Fragrance of Christ: A Spiritual Insight and an Inspirational Story

The Apostle Paul beautifully wrote that in Christ, we are the “fragrance of Christ” to God. Fragrance is a powerful thing. Just as the scent of a flower spreads far and attracts people, in the same way, when we live a Christ-like life, a spiritual fragrance flows from us — drawing some toward salvation and warning others of judgment.

👣 A True Story: Raju's Testimony

In a small village, there was a young man named Raju who was lost in alcohol and foul language. One day, a Christian preacher came to the village and shared the “fragrance of Christ” — a message of love, forgiveness, and hope. Raju opposed him, but the preacher’s life — his humility, service, and unconditional love — touched Raju’s heart. Slowly, Raju began to change. He finally asked, “What is it about you that makes you different?”
The preacher smiled and said, “It’s the fragrance of Christ.”
That moment became the turning point in Raju’s life. Today, he is a servant of Jesus himself.

💡 Spiritual Teaching:

When we walk in Christ, our life becomes a testimony. People see Jesus not through our words, but through our behavior, love, and service.
But remember — fragrance is not pleasant to everyone. Just as some dislike perfume, the truth of Christ may be offensive to some. Still, we must not be afraid.

✨ The mark of a true believer is not in big words, but in leaving behind the fragrance of Christ wherever they go.

🙌 Reflect Today:

Is the fragrance of Christ spreading from my life?

Can people see Jesus in me?

Do my love, forgiveness, and humility draw others to God?

🌿 Prayer:
"Lord Jesus, help me to live a life that spreads Your fragrance to others. Let people be drawn to You when they meet me. Make me a living testimony for Your glory. Amen."

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🙏 If this message touched your heart, share it with someone and let them experience the fragrance of Christ.

📖मैंने तेरा वचन अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि मैं तेरे विरुद्ध पाप न करूं।" – भजन संहिता 119:11---प्रिय विश्वासियों,आज ह...
13/07/2025

📖मैंने तेरा वचन अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि मैं तेरे विरुद्ध पाप न करूं।" – भजन संहिता 119:11
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प्रिय विश्वासियों,
आज हम एक अत्यंत सामर्थी वचन पर ध्यान करेंगे – भजन संहिता 119:11। यह वचन हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर का वचन केवल एक पुस्तक का ज्ञान नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का मार्गदर्शन, आत्मा का भोजन और पाप से बचने का एक जीवित हथियार है।

🌱 एक छोटी सी कहानी:
एक गांव में एक युवा लड़का था जो हर रविवार चर्च जाता, लेकिन हफ्ते भर अपने मित्रों के साथ बुरा व्यवहार करता, झूठ बोलता और गाली देता था। एक दिन उसके पादरी ने उससे पूछा, “बेटा, क्या तुम बाइबल पढ़ते हो?” उसने सिर झुका लिया और कहा, “मैं हर बार पढ़ने की कोशिश करता हूं, लेकिन याद नहीं रहता।”

पादरी ने उसे एक गंदे टोकरी में पानी भरने को कहा। वह भागा और नदी से भर लाया, लेकिन पानी हर बार बह जाता। वह निराश हो गया। पादरी मुस्कराए और बोले, “देखो, पानी तो नहीं रुका, लेकिन टोकरी पहले से साफ हो गई। वैसे ही, जब तुम वचन को पढ़ते हो, तो शायद सब याद न रहे, पर वह तुम्हारे मन को शुद्ध करता है।”

🕊 आत्मिक शिक्षा:
भजन संहिता 119:11 हमें सिखाती है कि वचन को “हृदय में रखना” केवल उसे याद करना नहीं है, बल्कि उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना है। जैसे भोजन शरीर को बल देता है, वैसे ही परमेश्वर का वचन आत्मा को बल देता है।

📜 क्यों आवश्यक है वचन को हृदय में रखना?

1. पाप से रक्षा: वचन हमें पाप के प्रति जागरूक करता है और हमें उसके खिलाफ खड़ा रहने की सामर्थ्य देता है। जब हम वचन से भर जाते हैं, तो शैतान की चालों को पहचान पाते हैं।

2. जीवन की दिशा: वचन हमारे पथ को प्रकाशित करता है (भज. 119:105)। यह हमें बताता है कि क्या सही है और क्या गलत।

3. मन का नवीकरण: रोमियों 12:2 कहता है कि हमें इस संसार के अनुसार नहीं चलना, बल्कि मन के नए हो जाने से बदलते जाना है – और यह परिवर्तन वचन द्वारा होता है।

💡 आत्मिक चुनौती:
आज खुद से पूछिए – क्या मैंने परमेश्वर के वचन को अपने हृदय में स्थान दिया है? क्या मैं उसे केवल पढ़ता हूं, या उस पर मनन करता हूं और उसका पालन करता हूं?

🙏 प्रार्थना:
“हे प्रभु, तेरा वचन मेरे जीवन का दीपक हो। मेरी आत्मा को तेरे वचन से भर दे, ताकि मैं तेरे मार्ग में चलूं और पाप से दूर रहूं। आमेन।”

---

📢 दोस्तों, इस पोस्ट को शेयर करें ताकि और लोग भी यह समझ सकें कि परमेश्वर का वचन हमारे हृदय का सुरक्षा कवच है।

#भजन11911 #आत्मिकशिक्षा #वचनकीशक्ति

📖"मैंने तेरा वचन अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि मैं तेरे विरुद्ध पाप न करूं।" – भजन संहिता 119:11---प्रिय विश्वासियों,आज ...
13/07/2025

📖"मैंने तेरा वचन अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि मैं तेरे विरुद्ध पाप न करूं।" – भजन संहिता 119:11
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प्रिय विश्वासियों,
आज हम एक अत्यंत सामर्थी वचन पर ध्यान करेंगे – भजन संहिता 119:11। यह वचन हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर का वचन केवल एक पुस्तक का ज्ञान नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का मार्गदर्शन, आत्मा का भोजन और पाप से बचने का एक जीवित हथियार है।

🌱 एक छोटी सी कहानी:
एक गांव में एक युवा लड़का था जो हर रविवार चर्च जाता, लेकिन हफ्ते भर अपने मित्रों के साथ बुरा व्यवहार करता, झूठ बोलता और गाली देता था। एक दिन उसके पादरी ने उससे पूछा, “बेटा, क्या तुम बाइबल पढ़ते हो?” उसने सिर झुका लिया और कहा, “मैं हर बार पढ़ने की कोशिश करता हूं, लेकिन याद नहीं रहता।”

पादरी ने उसे एक गंदे टोकरी में पानी भरने को कहा। वह भागा और नदी से भर लाया, लेकिन पानी हर बार बह जाता। वह निराश हो गया। पादरी मुस्कराए और बोले, “देखो, पानी तो नहीं रुका, लेकिन टोकरी पहले से साफ हो गई। वैसे ही, जब तुम वचन को पढ़ते हो, तो शायद सब याद न रहे, पर वह तुम्हारे मन को शुद्ध करता है।”

🕊 आत्मिक शिक्षा:
भजन संहिता 119:11 हमें सिखाती है कि वचन को “हृदय में रखना” केवल उसे याद करना नहीं है, बल्कि उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना है। जैसे भोजन शरीर को बल देता है, वैसे ही परमेश्वर का वचन आत्मा को बल देता है।

📜 क्यों आवश्यक है वचन को हृदय में रखना?

1. पाप से रक्षा: वचन हमें पाप के प्रति जागरूक करता है और हमें उसके खिलाफ खड़ा रहने की सामर्थ्य देता है। जब हम वचन से भर जाते हैं, तो शैतान की चालों को पहचान पाते हैं।

2. जीवन की दिशा: वचन हमारे पथ को प्रकाशित करता है (भज. 119:105)। यह हमें बताता है कि क्या सही है और क्या गलत।

3. मन का नवीकरण: रोमियों 12:2 कहता है कि हमें इस संसार के अनुसार नहीं चलना, बल्कि मन के नए हो जाने से बदलते जाना है – और यह परिवर्तन वचन द्वारा होता है।

💡 आत्मिक चुनौती:
आज खुद से पूछिए – क्या मैंने परमेश्वर के वचन को अपने हृदय में स्थान दिया है? क्या मैं उसे केवल पढ़ता हूं, या उस पर मनन करता हूं और उसका पालन करता हूं?

🙏 प्रार्थना:
“हे प्रभु, तेरा वचन मेरे जीवन का दीपक हो। मेरी आत्मा को तेरे वचन से भर दे, ताकि मैं तेरे मार्ग में चलूं और पाप से दूर रहूं। आमेन।”

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#भजन11911 #आत्मिकशिक्षा #वचनकीशक्ति

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