फ़कीर आशिक़

फ़कीर आशिक़ alone but happy

22/05/2025

काश तुम्हें पाने के लिए कोई चुनाव होता,
मैं भाषण के साथ-साथ दंगा भी करवा देता..❤️🔥😅

घर से भागी हुई  #बेटियों का  #बाप इस दुनिया का सबसे अधिक  #टूटा हुआ आदमी होता है, पहले तो वो  #महीनों तक घर से निकलता ही...
23/03/2024

घर से भागी हुई #बेटियों का #बाप इस दुनिया का सबसे अधिक #टूटा हुआ आदमी होता है, पहले तो वो #महीनों तक घर से निकलता ही नही, और फिर जब निकलता है तो हमेशा सिर #झुका कर चलता है! आस पास के #मुस्कुराते चेहरों को देख उसे लगता है जैसे लोग उसी को देख कर हँस रहे हों, जिंदगी भर किसी से तेज आवाज़ में बात नहीं करता, डरता है कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले, #ज़िंदगी भर डरा रहता है, अंतिम #सांस तक घुट घुट के जीता है, और अंदर ही अंदर रोता रहता है।।
एक बाप अपनी बेटी की #मोहब्बत से नहीं डरता, वह डरता है अपनी बेटी के लूट जाने से..✍️🙏
कृपया ऐसी नौबत ना आने दें...

उधेड़  डाले  हैं  बखिये_____मेरे जुदाई नेकि खा गया है तेरा ग़म कुतर कुतर के मुझे
18/11/2023

उधेड़ डाले हैं बखिये_____मेरे जुदाई ने
कि खा गया है तेरा ग़म कुतर कुतर के मुझे

देखना साथ ही छुटे  ना बुज़ुर्गों का कहींपत्तों पेड़ों पर लगे हो तो ही हरे रहते हैं
20/08/2023

देखना साथ ही छुटे ना बुज़ुर्गों का कहीं
पत्तों पेड़ों पर लगे हो तो ही हरे रहते हैं

तमाशा  ये  चार  दिन  का  नहीं ,वतन से मुहब्बत हमें पैदाईशी है।
14/08/2023

तमाशा ये चार दिन का नहीं ,

वतन से मुहब्बत हमें पैदाईशी है।

12/08/2023
किसी वबा में ख़ुदा हम को मुब्तला करेगाहम जैसे लोग कहाँ ख़ुद-कुशी के क़ाबिल हैं।
10/08/2023

किसी वबा में ख़ुदा हम को मुब्तला करेगा
हम जैसे लोग कहाँ ख़ुद-कुशी के क़ाबिल हैं।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से 'एमए इन पीस स्टडीज़' पूरा करने के बाद डिग्री लेने जाते तीन टाॅपर...
10/08/2023

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से 'एमए इन पीस स्टडीज़' पूरा करने के बाद डिग्री लेने जाते तीन टाॅपर...

कमजोर जब जुल्म से तंग होकर टक्कर लेने का फैसला करता है तो बड़े से बड़े ताकतवर को तबाह कर देता है
24/07/2023

कमजोर जब जुल्म से तंग होकर टक्कर लेने का फैसला करता है तो बड़े से बड़े ताकतवर को तबाह कर देता है

एक बार गिद्धों का झुण्ड उड़ता-उड़ता एक टापू पर जा पहुँच। वह टापू समुद्र के बीचों-बीच स्थित था। वहाँ ढेर सारी मछलियाँ, मेंढ...
22/07/2023

एक बार गिद्धों का झुण्ड उड़ता-उड़ता एक टापू पर जा पहुँच। वह टापू समुद्र के बीचों-बीच स्थित था। वहाँ ढेर सारी मछलियाँ, मेंढक और समुद्री जीव थे। इस प्रकार गिद्धों को वहाँ खाने-पीने को कोई कमी नहीं थी। सबसे अच्छी बात ये थी कि वहाँ गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था। गिद्ध वहाँ बहुत ख़ुश थे। इतना आराम का जीवन उन्होंने पहले देखा नहीं था।

उस झुण्ड में अधिकांश गिद्ध युवा थे। वे सोचने लगे कि अब जीवन भर इसी टापू पर रहना है। यहाँ से कहीं नहीं जाना, क्योंकि इतना आरामदायक जीवन कहीं नहीं मिलेगा।

लेकिन उन सबके बीच में एक बूढ़ा गिद्ध भी था। वह जब युवा गिद्धों को देखता, तो चिंता में पड़ जाता। वह सोचता कि यहाँ के आरामदायक जीवन का इन युवा गिद्धों पर क्या असर पड़ेगा? क्या ये वास्तविक जीवन का अर्थ समझ पाएंगे? यहाँ इनके सामने किसी प्रकार की चुनौती नहीं है। ऐसे में जब कभी मुसीबत इनके सामने आ गई, तो ये कैसे उसका मुकाबला करेंगे?

बहुत सोचने के बाद एक दिन बूढ़े गिद्ध ने सभी गिद्धों की सभा बुलाई। अपनी चिंता जताते हुए वह सबसे बोला, “इस टापू में रहते हुए हमें बहुत दिन हो गए हैं। मेरे विचार से अब हमें वापस उसी जंगल में चलना चाहिए, जहाँ से हम आये हैं। यहाँ हम बिना चुनौती का जीवन जी रहे हैं। ऐसे में हम कभी भी मुसीबत के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे।”

युवा गिद्धों ने उसकी बात सुनकर भी अनसुनी कर दी। उन्हें लगा कि बढ़ती उम्र के असर से बूढ़ा गिद्ध सठिया गया है। इसलिए ऐसी बेकार की बातें कर रहा है। उन्होंने टापू की आराम की ज़िन्दगी छोड़कर जाने से मना कर दिया।

बूढ़े गिद्ध ने उन्हें समझाने की कोशिश की, “तुम सब ध्यान नहीं दे रहे कि आराम के आदी हो जाने के कारण तुम लोग उड़ना तक भूल चुके हो।ऐसे में मुसीबात आई, तो क्या करोगे? मेरे बात मानो, मेरे साथ चलो।”

लेकिन किसी ने बूढ़े गिद्ध की बात नहीं मानी।बूढ़ा गिद्ध अकेला ही वहाँ से चला गया। कुछ महीने बीते।एक दिन बूढ़े गिद्ध ने टापू पर गये गिद्धों की ख़ोज-खबर लेने की सोची और उड़ता-उड़ता उस टापू पर पहुँचा।

टापू पर जाकर उसने देखा कि वहाँ का नज़ारा बदला हुआ था। जहाँ देखो, वहाँ गिद्धों की लाशें पड़ी थी।कई गिद्ध लहू-लुहान और घायल पड़े हुए थे। हैरान बूढ़े गिद्ध ने एक घायल गिद्ध से पूछा, “ये क्या हो गया? तुम लोगों की ये हालात कैसे हुई?”

घायल गिद्ध ने बताया, “आपके जाने के बाद हम इस टापू पर बड़े मज़े की ज़िन्दगी जी रहे थे।लेकिन एक दिन एक जहाज़ यहाँ आया।उस जहाज से यहाँ चीते छोड़ दिए गए। शुरू में तो उन चीतों ने हमें कुछ नहीं किया। लेकिन कुछ दिनों बाद जब उन्हें आभास हुआ कि हम उड़ना भूल चुके हैं। हमारे पंजे और नाखून इतने कमज़ोर पड़ गए हैं कि हम तो किसी पर हमला भी नहीं कर सकते और न ही अपना बचाव कर सकते हैं, तो उन्होंने हमें एक-एक कर मारकर खाना शुरू कर दिया।उनके ही कारण हमारा ये हाल है। शायद आपकी बात न मानने का ये फल हमें मिला है।”

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