
17/07/2025
#श्रावण शुरू भ गेल। अगर #बिमारी सं बचबाक हुए तो #मैथिल सब माछ खेनाय शुरू क दिय। भैईर #सावन
साओन साग भादो दही आसीन ओस बचा कऽ रहि" मिथिला मऽ इ कहबी अछि। साओन मे जल्ला- मकडा़ के प्रकोप बढी़ जाएत अछि तैं सागक त्याग करि नहि कि माछक। साओन- भादो मऽ जतेक जुरय ततेक करिया माछ खाउ साल भरि दनदनाईत रहब।
#सावन के महीने में मटन-मछली या नॉनवेज खाना चाहिए या नहीं ये कौन तय करेगा? ये तय करना हर व्यक्ति का अपना मौलिक अधिकार है? मेरी जानकारी में ये किसी धर्मग्रंथ में नहीं लिखा हुआ है कि किस महीने में नॉनवेज खाना चाहिए और किस महीने में नहीं। हम तो #मिथिला के रहने वाले हैं और वहां पर मछली खाते ही हैं...ये रील वाले बाबाओं की टोली नए नए नियम बनाती है और उनके फॉलोअर उनके कथन को ही संपूर्ण सत्य मान लेती है। आहार व्यवहार वेशभूषा नितांत निजी विषय है....पारिवारिक परंपरा, सामाजिक संस्कृति के मुताबिक खान पान और पहनावा निर्धारित होता आया है। सावन में जिन्हें नहीं खाना है नॉन वेज वे नहीं खाएं लेकिन ऐसी बाध्यता कर देना सरासर गलत है। किसको कितनी देर पूजा करना है, किसको क्या खाना है ये तय करने वाले तथाकथित ठेकेदारों से निवेदन है कि वे अपने नियम अपने घर और अपने परिजनों पर लागू करें....केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने मटन पार्टी की तो अब इस पर राजनीति शुरू हो जाएगी...इससे पहले तेजस्वी ने मछली खाया तो राजनीति शुरू हो गई....ये सब बेकार का विषय है.....बल्कि सच तो ये है कि बारिश के मौसम में मछली की बहुतायत हो जाती है और मिथिला के लोग खूब मछली खाते भी हैं....
भैइर श्रावण माछ खाउ