01/10/2025
#दरभंगा #महाधिराज #ब्राह्मण सिरमौर #डॉक्टर_कामेश्वर_सिंह #कांग्रेस के संस्थापक सदस्य थे। 1888 में कांग्रेस सत्र #इलाहाबाद में होना था, अंग्रेजी सरकार ने निषेध लगा दिया की किसी सार्वजनिक जगह पर कार्यक्रम नहीं हो सकता है। देशभर से कार्यकर्ता आने वाले थे, अब सार्वजनिक मैदान नहीं मिलेगा तो लोग कहां जुटेंगे, सब चिंतित थे। #दरभंगा_महाराज ने रातों रात #इलाहाबाद का सबसे बड़ा महल खरीद लिया, अगले दिन उसी परिसर में कांग्रेस का भव्य कार्यक्रम हुआ, कार्यक्रम के बाद महाराज ने वो महल कांग्रेस को ही दान कर दिया। आज (ऐक अक्टूबर) #महाधिराज_डॉ_कामेश्वर_सिंह जी का जन्मतिथि है। आज कांग्रेस नेतृत्व या किसी भी राजनीतिक पार्टी के तरफ से एक ट्वीट नहीं हो पाया श्रद्धांजलि का।
श्रद्धांजलि तो BHU भी शायद ही कभी देता है #महाधिराज_डॉ_कामेश्वर_सिंह जी को। #बनारस_हिंदू_यूनिवर्सिटी के #स्थापना में सब मदन मोहन मालवीय का नाम लेते हैं, लेकिन कोई नहीं बताता की #दरभंगा_महाराज #यूनिवर्सिटी स्थापना के सबसे बड़े आर्थिक सहयोगी थे, उन्हीं के रिफरेंस से देशभर के #महाराजाओ ने #विश्वविद्यालय के लिए दान दिया। #युनिवर्सिटी स्थापना के लिए जो #हिंदू_यूनिवर्सिटी_सोसाइटी की स्थापना हुई थी उसके #प्रेजिडेंट महाराज कामेश्वर सिंह ही थे। स्थापना के लिए फंड लक्ष्य था 1 करोड़ जुटाना, अकेले महाराज ने पहला डोनर बन 50 लाख रुपया एकमुश्त दिया।
शायद ही कभी #अलीगढ़_मुस्लिम_यूनिवर्सिटी अपने स्थापना के सबसे बड़े #गैर_मुस्लिम डोनर महाराज दरभंगा को याद करता है। ना #बिहार_सरकार कभी याद करती है बिहार राज्य गठन आंदोलन के सबसे बड़े सहयोगी दरभंगा महाराज को। को आज सबसे बड़ा अस्पताल बनाने में लगी है सरकार, किंतु शायद ही किसी को पता हो की उसकी स्थापना में महाराज का क्या योगदान था। में एम्स बन रहा है, सोचिए तनिक की वो कैसा महाराजा रहा होगा जिसने 70 साल पहले अपने राजधानी के बीचों बीच 250 एकड़ परिसर में अस्पताल बनवाया था। वो कैसा महाराजा रहा होगा जिसके बनाए एयरपोर्ट्स दरभंगा और पूर्णिया में उस वक्त एक्टिव हवाई सेवा थी, आज भी सरकार दोनो को फंक्शनल नहीं कर पाई है। वो कैसा महाराजा रहा होगा जिसके काल में रेलवे, बिजली जैसी चीजें दिल्ली के समकाल में दरभंगा आ गई थी। वो महाराज जो हिंदी में आर्यावर्त, इंग्लिश में इंडियन नेशन और मैथिली में मिथिला मिहिर नाम से अखबार चलाता था। वो महाराज जिनके बनाए चीनी मिल, जुट मिल, सूत मिल, पेपर मिल आदि के बंद पड़े कारखानों से स्क्रैप बेचकर लोग करोड़पति हो गए। खैर मैं कांग्रेस, , या और सभी भारत के राजनीतिक पार्टी को क्या दोष दूं, जब खुद हम #ब्राह्मण_समाज के लोग भी याद नहीं करते।
जन्मदिन पर दरभंगा महाधिराज डॉ कामेश्वर सिंह जी को िथिलावासी परिवार उनको नमन करता है और श्रद्धांजलि अर्पित करता है । 🙏