13/09/2025
*तारीख़ की कमज़ोर तरीन नस्ल।*
वो नस्ल जो सन 2000 के बाद पैदा हुई।
आज 23, 24 साल की उमर में है
मगर ये इंसानी तारीख़ की सबसे कमज़ोर, नातवां और नफ़्सियाती दबाव का शिकार नस्ल हो चुकी है।
*जिस्मानी तौर पर लाचार..*
*ज़ेहनी तौर पर मुन्तशिर..*
*और जिसकी तरबियत सोशल मीडिया के ज़रिए हुई है,*
*ना कि बुज़ुर्गों से।*
हर वक़्त *मोबाइल फ़ोन, स्क्रीन, व्हाट्सऐप, फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम...*
नतीजा?
गरदन में ख़म
आँखों में कमज़ोरी
जिस्म में ताक़त की कमी
रिश्तों में बर्दाश्त की अदम मौजूदगी
और सफ़र जज़्बाती ज़हानत (EQ)।
ये वो नस्ल है जो पाँच किलोमीटर पैदल नहीं चल सकती,
धूप में आधा घंटा खड़े होकर गुज़ार नहीं सकती,
छोटा सा इख़्तिलाफ़ हो तो *ब्लॉक, अनफ़ॉलो और रिश्ता ख़त्म।*
सब कुछ फ़ौरी चाहिए।
*सब्र (0)जीरो I*
*ग़ुस्सा 100%।*
जिन्हें ना तहज़ीब, ना ज़बान, ना मक़सद, ना ग़ैरत और ना ही ईमान की फ़िक्र है।
और ज़रा सोचो,
अगर इस क़ौम पर कभी *ग़ज़्ज़ा, शाम, इराक़ या यमन* जैसी आज़माइश आ गई...
तो क्या ये नस्ल ज़िंदा रह सकेगी?
लकड़ी से आग जलाना तो दूर,
उन्हें मशरिक़ और मग़रिब का फ़र्क़ भी नहीं पता,
ये सर्वाइवल तो छोड़ो, सोशल मीडिया डाउन हो जाए तो पागल हो जाते हैं!
अभी वक़्त है बेदारी का,
अपनी नस्लों को बचाओ।
उन्हें *क़ुरआन, सीरत, ग़ैरत, हया, क़ुर्बानी और जद्द-ओ-जहद* सिखाओ।
मक़सद दो, वरना ये दुनिया उन्हें गुमराह कर देगी।
*तारीख की कमजोर तरीन नस्ल आज के मुस्लिम बच्चे।*
अल्लाह तआला इस कौम की नस्लों को हिदायत दे अल्लाह करीम हमारी नस्लों को बेदार करें।
आमीन या रब