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18/03/2025

मोमिन हजरात कहते हैं कि अल्लाह की बनाई जन्नत में सिर्फ मोमिन ही जायेंगेकोई काफिर (गैर मोमिन) चाहे उसने इस दुनिया मे कितन...
18/03/2025

मोमिन हजरात कहते हैं कि अल्लाह की बनाई जन्नत में सिर्फ मोमिन ही जायेंगे

कोई काफिर (गैर मोमिन) चाहे उसने इस दुनिया मे कितने ही नेक अमाल किये हो वह अगर कुफ्र की हालत में मर गया तब वह जन्नत नही जाएगा

यानी जन्नत में जाने का पहला शर्त ही है मोमिन होना

चूंकि जन्नत अल्लाह की है तो नियम भी अल्लाह के ही होंगे, सारे मुसलमान हजरात भी इससे सहमत होते है

तो फिर मुम्बई में टाटा हॉस्पिटल के बाहर खाना बांटने वाले अंकिल को ये लोग मानवता का पाठ किस मुँह से पढ़ा रहे है ?

अरे भई अंकल भी अपनी जेब से खाना खिला रहे है, उनका खाना खिलाने का अपना शर्त है प्रेम से श्रीराम का नाम लेना, ठीक वैसे ही जन्नत जाने का अनिवार्य शर्त है मोमिन होना

जैसे आपके अपने नियम है, वैसे ही चाचा के भी अपने नियम

आप सही तो चाचा गलत कैसे ?

मानवता का पाठ सिर्फ चाचा को क्यों ?

चन्द्रशेखर आजाद के बारे मे एक अंग्रेज अफसर ने लिखा हैं कि मैं रेलवे क्रोसिंग पर चेकिंग कर रहा था। सूचना थी कि आजाद शहर म...
17/03/2025

चन्द्रशेखर आजाद के बारे मे एक अंग्रेज अफसर ने लिखा हैं कि मैं रेलवे क्रोसिंग पर चेकिंग कर रहा था। सूचना थी कि आजाद शहर मे हैं। दो थानो की मय फोर्स भी साथ थी। आजाद बुलेट से रुकते हैं, मैं उनको जाने देता हूँ। तभी साथी मातहत सिपाही टोकता हैं, साहब ये पण्डित जी हैं। कांधे पे जनेऊ, तगड़ी कद काठी, रौबदार मूछे बस आजाद की ही हो सकती हैं। अंग्रेज अफसर ने भारतीय सिपाही से मुखातिब होते हुए कहा था कि मुझे अपने जान की परवाह नही हैं। हां पर ऐसे अकेले बागी को रोकने के लिये ये फोर्स काफी नही हैं।

कानपुर मे अपने भूमिगत रहने के दौरान आजाद एक जगह किराये का रूम लेकर स्टूडेंट बनकर रहते थे। आसपास कई परिवार और कुछेक स्टूडेंट भी किराये पर रहते थे। परिवार लेकर रहने वाले लोग ज्यादेतर कानपुर मे जॉब ही करते थे। उन दिनों कानपुर और कोलकाता हब भी था।

आजाद अकेले रहने के कारण कई बार एक टाइम खाना बनाते और एक टाइम नही बनाते थे। जब उनके रूम से स्टोप जलने की आवाज नही आती तो बगल मे रहने वाली एक महिला उनको खाना देने आती थी। वो शिष्टाचार के साथ दोनो हाथ जोड़ मना कर देते थे।

आजाद गम्भीर व्यक्तित्व के धनी थे। मोहल्ले के लोग उस महिला के पति के शराब पीकर अपने पत्नी से झगड़ा करने, मारपीट करने और उनके बच्चों के रोने के कारणों से त्रस्त भी थे। हाँ पर कोई उस महानगरीय वातावरण मे उनका निजी मामला होने के कारण उनको कुछ बोलता नही था।

ऐसे ही एक रोज उस महिला का पति शराब पीकर अपनी पत्नी से लड़ रहा था तो आजाद वहाँ धमक पड़े थे। किसी से कभी न बोलने वाले आजाद को देख उस महिला के पति की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी थी। जैसे ही बोला तुम कौन होते हो, हमारे बीच दखल देने वाले, आजाद ने बोला, ये मेरी बहन हैं, कभी गलती से भी हाथ उठाये तो हाथ तोड़ दूसरे हाथ मे पकड़ा दूँगा।

पहली बार मोहल्ले के लोगो ने आजाद की आवाज सुनी थी। फिर ये ड्रामा भी बंद हो गया। जब कभी उनके कमरे से स्टोप जलने की आवाज नही आती तो उस महिला का पति अपने बच्चो से या पत्नी से उनको खाना भी भेजवा दिया करता, आलसी पर स्वाभिमानी आजाद हर बार की तरह शिष्टाचार के साथ मना कर देते थे।

फरारी के दिनों मे एक बार पूरे शहर मे नाकाबंदी थी। रात छिपने के लिये आजाद एक बुढ़िया के घर मे आसरा लेते हैं। घर मे बस माँ बेटी ही थी। बुढ़िया आसरा तो दे देती हैं पर उनके रात की नींद उचट जाती हैं। घर मे जवान लड़की हैं, आजाद बात समझ बुढ़िया के पास आते हैं। आजाद बोलते हैं, आप भी मुझे अंग्रेजी सरकार की तरह समझती हैं तो अभी पुलिस बुलाकर गिरफ्तार करा दीजिये। ईनाम के पैसे से माताजी मेरी बहन की शादी भी कर दीजियेगा। बुढ़िया रोने लगती हैं। बोलती हैं कि अरे पागल मैं देशद्रोही नही हूँ, बस एक माँ हूँ, तुम नही समझोगे। खैर मैं भूल गयी थी मेरा पाला एक पण्डित से पड़ा हैं। बुढ़िया की जब नींद खुलती हैं सुबेरे तो आजाद जा चुके थे। उनके बिस्तर पर तकिये के नीचे एक चिट्ठी मिलती हैं। चिट्टी अपने लड़की से पढ़ने के लिये बोलती हैं। आजाद रात भर मे उस घर की कहानी समझ चुके थे। चिट्टी मे लिखा था कि दस हजार की छोटी सी रकम बहना की शादी के लिये, सादर चरण स्पर्श सहित माताजी आपका आजाद।

भगत सिंह से जेल मे लोग पूछते थे कि आजाद दिखते कैसे हैं ? आजाद की कोई फोटू अंग्रेजी खुफिया ब्यूरो फोब्स 32 के पास भी नही थी। एक मोछ पर ताव देते हुए उनके साथी द्वारा खिंची पिक ही पब्लिक डोमेन में थी।

भगत सिंह ने बोला था, जो कभी गम्भीरता ओढ़े कभी गलती से हँसता भी न हो, इरादे फौलादी पर अंदर से मोम हो, समझ लेना आजाद हैं।

गांधी जी मुसलमानों के समर्थक क्यों थे।।।।।।(प्रो. के एस नारायणाचार्य ने अपने पुस्तक में कुछ संकेत दिए हैं ...)यह वात सभी...
16/03/2025

गांधी जी मुसलमानों के समर्थक क्यों थे।।।।।।

(प्रो. के एस नारायणाचार्य ने अपने पुस्तक में कुछ संकेत दिए हैं ...)

यह वात सभी जानते हैं कि - नेहरू और इंदिरा मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते थे।

लेकिन बहुत कम ही लोग गांधीजी की जातिगत जड़ों को जानते हैं...!!

आइए यहां एक नजर डालते हैं कि वे क्या कारण देते हैं...!?

1. मोहनदास गांधी करमचंद गांधी की चौथी पत्नी पुतलीबाई के पुत्र थे।पुतलीबाई मूल रूप से प्रणामी संप्रदाय की थीं ।

यह प्रणामी संप्रदाय हिंदू भेष में एक इस्लामिक संगठन है...।

2. मि. घोष की पुस्तक "द कुरान एंड द काफिर" में भी गांधी की उत्पत्ति का उल्लेख है...।

मोहनदास गांधी जी के पिता करमचंद एक मुस्लिम जमींदार के अधीन काम करते थे । एक बार उसने अपने जमींदार के घर से पैसे चुराए और भाग गया ।

फिर मुस्लिम जमींदार करमचंद की चौथी पत्नी पुतलीबाई को अपने घर ले गया और उसे अपनी पत्नी बना लिया । मोहनदास के जन्म के समय करमचंद गान्धी तीन साल तक छिपे रहे..।

3. गांधीजी का जन्म और पालन- पोषण गुजराती मुसलमानों के बीच में ही हुआ था।

4. कॉलेज (लंदन लॉ कॉलेज) तक की उनकी स्कूली शिक्षा का सारा खर्च उनके मुस्लिम पिता ने ही उठाया !!

5. दक्षिण अफ्रीका में गांधी की कानूनी प्रक्टिस ओर वकालत करवाने वाले भी मुसलमान थे !!6. लंदन में गांधी अंजुमन-ए- इस्लामिया संस्थान के भागीदार थे...।

*इसलिए, यह नोट करना आश्चर्यजनक नहीं है कि गांधीजी का झुकाव मुस्लिम समर्थक क्यू था...!?

*उन गांधी का आखिरी स्टैंड था: ✒️☆

"भले ही हिंदुओं को मुसलमानों द्वारा मार दिया जाए, हिंदु चुप रहें उनसे नाराज न हों।

☆ हमें मौत से नहीं डरना चाहिए।

☆ आइए हम एक वीर मौत मरें।"इसका क्या मतलब है?स्वतंत्रता संग्राम के किसी भी चरण में गांधीजी ने हिंदुत्ववादी रुख नहीं अपनाया ।

वह मुसलमानों के पक्ष में ही बारंबार बोलते रहे।जब भगत सिंह और अन्य देशभक्तों को फाँसी दी गई तो गांधीजी ने उन्हें फांसी न देने की याचिका पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया ।

हमें ध्यान देना चाहिए कि ऐनी बेसेंट ने खुद इसकी निंदा की थी...

मोहन दास गांधी के और कुछ स्टैंड ::

1. स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे अब्दुल रशीद का बचाव किया...

2. तुर्की में मुस्लिम खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया था । जिससे डा. हेगड़ेवार ने गांधी से नाता तोड़ लिया और आर.एस.एस. की स्थापना की..!

3. सरदार वल्लभभाई पटेल के पास पूर्ण बहुमत होने पर भी गांधी ने एक कट्टर मुस्लिम जवाहरलाल खान नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया..!!तत्कालीन 40 करोड़ भारतवासियों को बेवकूफ बनाकर उस मुस्लिम के नाम के पीछे पंडित का तमगा लगाया , ताकि मूर्ख अज्ञानी हिंदुओं को पागल बनाया जा सके...!!

4. पाकिस्तान विभाजित को 55 करोड़ रुपए देने के लिए अनशन भी किया..

!!5. हमेशा मुसलमानों का तुष्टीकरण किया ओर हिंदुओं का अपमान किया...

॥हिन्दुओं को भारत में छोटे दर्जे का नागरिक माना...

!! जो आज भी उसके गांधीवादी राजनीतिज्ञों द्वारा जारी रखा जा रहा है...!!

🙏 वंदे भारतम् 🇮🇳

_उपरोक्त कथन सत्य पर आधारित है, कृपया इसे मिथ्या न समझें ।

आवश्यक हुई तो उक्त ग्रंथ :"द कुरान एंड द काफिर" को आप किसी लाइब्रेरी में जाकर अध्ययन कर सकते हैं...॥_🚩 जय हिंद, जय भारत 🚩जय श्री राम 🚩🚩🚩

अगर आपको मेरी पोस्ट पसंद आए तो कृपया अपवोट करें और टिप्पणियाँ लिखे !!👇👇👇

16/03/2025

11/03/2025







हरियाणा के रोहतक में कांग्रेस कार्यकर्ता हिमानी नरवाल की हत्या का मामला हाल ही में प्रकाश में आया है। 1 मार्च 2025 को सा...
05/03/2025

हरियाणा के रोहतक में कांग्रेस कार्यकर्ता हिमानी नरवाल की हत्या का मामला हाल ही में प्रकाश में आया है। 1 मार्च 2025 को सांपला बस स्टैंड के पास एक सूटकेस में उनका शव बरामद हुआ था। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी सचिन को दिल्ली से गिरफ्तार किया है, जो बहादुरगढ़ का निवासी है और हिमानी का परिचित था।

पुलिस जांच के अनुसार, सचिन और हिमानी के बीच लंबे समय से संबंध थे। सचिन का दावा है कि हिमानी उसे पैसे के लिए ब्लैकमेल कर रही थी, जिससे परेशान होकर उसने उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद, सचिन ने शव को सूटकेस में डालकर बस स्टैंड के पास फेंक दिया और दिल्ली भाग गया।

हालांकि, हिमानी की मां सविता ने इन दावों को खारिज किया है और पार्टी के भीतर दुश्मनी की संभावना जताई है। उन्होंने कहा कि हिमानी पार्टी में सक्रिय थीं और उनकी प्रगति से कुछ लोग नाराज थे।

पुलिस ने मामले की गहन जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है और सभी संभावित एंगल्स की जांच की जा रही है।

07/12/2024
04/11/2024

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