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Star समाचार बिहार संवाददाता ✍️ गोपाल कृष्ण हिन्दुस्तान पत्रकार (सलखुआ सहरसा)
कलमकारों की कलम बोलती है I am a News Reporter प्रभात खबर , Saharsa ,Bihar

सलखुआ सहरसा.एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.इंट्रो -बिहार की शोक कहे जाने वाली कोसी हर साल सलखुआ प्रखंड में अपना कहर बरपाती ह...
25/08/2025

सलखुआ सहरसा.
एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.

इंट्रो -
बिहार की शोक कहे जाने वाली कोसी हर साल सलखुआ प्रखंड में अपना कहर बरपाती है। आयी बाढ़ से सलखुआ प्रखंड के बाढ़ प्रभावित पंचायत व गांव के लोग उजड़ते और बस्ते हैं। बाढ़ से विस्थापन इनकी नियति में शामिल है। पर आज तक प्रखंड के लोगों की इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाया है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद में प्रखंड के कोसी नदी के बाढ़ से हर साल प्रभावित होने वाले लोगों ने अपनी विकट समस्या रखी। वहीं मामले में जिम्मेदारों से समस्या के समुचित समाधान की आशा भी जतायी।

सलखुआ - गोपाल कृष्ण.
बरसात डूब क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए आफत बनकर आती है। कोसी नदी के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का कहर ऐसा रहता है कि यहां रहने वाले लोगों को हर साल आशियाना डूब जाता है। यहां के निवासियों ने मांग की है कि कुछ ऐसे उपाय किए जाएं जिससे उन्हें बाढ़ से बचाया जा सके। बाढ़ के आगमन को लेकर लोगों की धड़कने तेज हैं। आशियानों पर संकट, हर वर्ष उजड़ते व बसते हैं फर्कियावासी। नाव ही फर्कियावासी का आज भी है अवाजाही का एक मात्र साधन है। डूब क्षेत्र के लोगों ने हिन्दुस्तान संवाद में कहा कि प्रशासन बाढ़ से निबटने के लिए कोई ठोस पहल करे। बिहार की शोक कहे जाने वाली कोसी हर साल सलखुआ प्रखंड में अपना कहर बरपाती है। बाढ़ से सलखुआ प्रखंड के बाढ़ प्रभावित पंचायत व गांव के लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। प्रखंड में पूर्ण रूप से चार पंचायत अलानी, चानन, कबीरा और साम्हरखुर्द में सबसे ज़्यादा प्रभावित होती है एवं आंशिक रूप से तीन पंचायत उटेशरा, सितुआहा व गोरदह भी बाढ़ से प्रभावित होती है।
बतातें चलें कि हर साल बाढ़ की तबाही का मंजर यहां के लोग अपनी आंखों से देखते व उसका दंश झेलते हैं। हालांकि इस साल बाढ़ के दिन आने से पहले ही जिला प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए बाढ़ पूर्व सारी तैयारियों को पूरा कर लिया है। उनका दावा है कि इस बार की बाढ़ आम जनजीवन को ज़्यादा अस्त व्यस्त नहीं कर पाएगी। यदि क्षेत्र में बाढ़ आती भी है तो उसके लिए पुख्ता तैयारियां कर ली गई हैं। बाढ़ की तैयारियों को लेकर लगातार प्रशासन बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर ग्रामीणों से उनकी समस्याओं से अवगत हो उनसे बातचीत कर आश्वस्त भी कर रहे हैं कि इस बार की बाढ़ आम -जनजीवन को उतना ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाएगी। बाढ़ से बसे बसाए घर के अलावा उपजाऊ भूमि को भी अपनी आगोस में समा लेती है। पूरा इलाका तीन माह तक बाढ़ के पानी से जलमग्न रहता है और नाव ही इनके आवाजाही का एक मात्र साधन बचता है। घर मे पानी घुसने से रूखा सूखा भोजन व कोसी का पानी पीने को मजबूर होते हैं। किसान व पशुपालकों का कहना है की बाढ़ आने पर चारों तरफ पानी भर जाता है जिससे बाढ़ के समय इलाका जलमग्न होने के बाद सबसे ज्यादा समस्या पशुओं के चारे की हो जाती है। प्रशासन द्वारा थोड़ा बहुत भूसा दे दिया जाता है, जो एक दिन के लिए भी काफी नहीं होता है। वर्ष 2016 में कोसी को आई प्रलयकारी बाढ़ से पीपरा, कमराडीह, मियाजगिर गांव नदी में विलीन होने से इन गांव का अस्तित्व मिट गया। वहीं आधा गांव बगेवा व पीपरा गांव का स्कूल भी नदी में समा गया था। वहीं अंचल से मिली सरकारी आंकडों के अनुसार प्रखंड के कुल 11 पंचायत में करीबन बाढ़ प्रभावित 42 गांव है।

चार आश्रय स्थल एवं छह स्कूल बाढ़ के समय बनते शरणस्थल :-
अंचल प्रशाशन के आँकड़ों के अनुसार प्रखंड क्षेत्र में 4 आश्रय स्थल व 6 स्कूल यानी कुल 10 बाढ़ आश्रय स्थल, जिसमें 11 शरणालय, 20 गोताखोर, 15 निबंधित नाव, 6 लाइफ जैकेट है। यह वह संसाधन हैं जो कि बाढ़ आने के समय सहायता और सुरक्षा प्रदान करेंगे। इतना ही नहीं बाढ़ प्रभावित पंचायतों व गांवों में 4 मेडिकल टीमों को भी गठित कर दिया गया है। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित गांवों में लोगों के स्वास्थ्य को देखते दवाई और मेडिकल किट को तैयार कर लिया गया है। इसके अलावा सर्पदंश से बचाव के लिए सलखुआ सीएचसी व कबीरा पीएचसी में वैक्सीन भी उपलब्ध है। इसके अलावा पशु चिकित्साधिकारी नवीन कुमार की ओर से पशुओं के बचाव के लिए 31 हजार यानी 40 प्रतिशत पशुओं का टीकाकरण कर दिया गया है। मालूम हो कि कोसी जब उग्र रूप धारण करती है तो बाढ़ की चपेट में आने से गांव जलमग्न हो जाते हैं और इनके पास आवागमन की समस्या सबसे अधिक सताती है। ड़ेंगी नाव ही इनके आने जाने का साधन बचता है।

कई टोला बाढ़ व कटाव की चपेट में आकर हो चुके हैं अस्तित्वहीन:-
हर वर्ष कोसी अपना रौद्र रूप दिखाती है। बाढ़ बरसात के समय नदियां उफान पर होती है, जिससे दर्ज़नो गांव बाढ़ की चपेट में रहती है। बाढ़ प्रभावित गांव में घर से मुख्य सड़क पर सरकारी नाव नहीं उपलब्ध होने पर ये लोग जुगाड़ नाव से अवागमन को मजबूर होते हैं। ऐसे में उन्हें कब-कहां किस समय दुर्घटना के शिकार होना पड़ जाए कहना मुश्किल है। हर वर्ष बाढ़ में डूबने से दर्जनों लोगों की जाने जाती हैं। कभी नाव हादसा तो कभी उपधाराओं में डूबकर लोगों की मौत होती है। वहीं बाढ़ के समय पशुओं के साथ जान माल का खतरा भी सताता है। बाढ़ के समय लोग तीन माह तक विस्थापन तरह जीवन यापन करते हैं। वहीं बाढ़ के पानी से चारों और से घिर जाने पर इन्हें बुनियादी सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है। दैनिक मजदूरी करने वाले लोगों के सामने परिवार की जीविका चलाना मुश्किल होता है। वहीं कोसी जब रौद्र रूप दिखाती है तो बाल बच्चों के साथ कोसी बांध पर तम्बू के सहारे जीवन यापन को मजबूर होते हैं। बाढ़ से फसल चौपट हो जाती है और घर बार मे पानी भर जाने से रूखा सूखा खाकर जीवन गुजारने को विवश होते हैं।

शिकायत.
1. बाढ़ के पानी से चारों और से घिरने पर आवाजाही के लिए की समस्या हो जाती है।

2. घरों में बाढ़ का पानी आने पर पके हुए भोजन और शुद्ध पेयजल की समस्या आती है।

3. बाढ़ के समय प्रभावितों के बीच समुचित चिकित्सा सहायता प्रदान नहीं की जाती है।

4. विस्थापित भूमिहीन परिवार को बसाने की दिशा और पुनर्वासीत करने की ओर सही से पहल नहीं की जाती है।

5. आयी बाढ़ से टूटी सड़क के कारण लोगों को कहीं भी आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

सुझाव.
1. प्रभावित इलाकों में बाढ़ समय विस्थापित परिवार के ठहरने के लिए उत्तम प्रबन्ध किये जायें।

2. सुरक्षित स्थानों की पहचान कर कोई स्थायी समाधान हो जिससे प्रभावितों को कम परेशानी हो।

3. बचाव और राहत तैयारियों की जिला प्रशासन व संबंधित अधिकारी नियमित समीक्षा करें

4. बाढ़ के दिनों में बाढ़ से प्रभावित परिवार के लोगों के लिए सामुदायिक किचन व खाने पीने की उचित व्यवस्था हो।

5. आयी बाढ़ से टूटी सड़क की समय रहते मरम्मतीकरण कर आवाजाही के लिए सुदृढ बनाये जाए।

बोले जिम्मेदार-
● बाढ़ से निपटने को लेकर प्रशासनिक स्तर पर सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है। लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है, लगातार प्रशाशनिक स्तर पर लगातार बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया जा रहा है, बाढ़ से निपटने के लिए व्यवस्था पूरी की गई है।
-आलोक राय, सिमरी बख्तियारपुर एसडीओ।

● अंचल क्षेत्र में कोसी नदी के पानी आने से होने वाली परेशानी से निजात दिलाने की व्यवस्था की जा रही है। 15 नाव के साथ सामुदायिक किचन, राहत, मेडिकल कीट आदि की ताकि आपदा के वक़्त से आसानी से निपटा जा सके। सुविधा में कमी नहीं की जाएगी।
- पुष्पांजलि कुमारी, अंचलाधिकारी, सलखुआ

सलखुआ सहरसा.एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.गुरुवार को सलखुआ प्रखंड क्षेत्र में करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाली 9 विकास यो...
25/08/2025

सलखुआ सहरसा.
एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.
गुरुवार को सलखुआ प्रखंड क्षेत्र में करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाली 9 विकास योजनाओं का शिलान्यास किया गया। खगड़िया के पूर्व सांसद चौधरी महबूब अली कैसर एवं सिमरी बख्तियारपुर विधायक युसूफ सलाउद्दीन ने संयुक्त रूप से फीता काटकर एवं शिलापट्ट का अनावरण किया। कार्यक्रम की शुरुआत एक्स रोड एल 031 से उजियार टोला पथ के शिलान्यास से की गई। इसके बाद क्रमवार रूप से ब्लॉक सलखुआ से हरेवा रोड, गोरगामा ढ़ाला से छेका टोला तक 1,11,90,663 रुपये की लागत से पीसीसी सड़क, एलओ 34-टी01 से पुरैनी तक पीसीसी, एलओ 59-एल 037 से बंगवान कोशी बांध पक्की सड़क से कोतवलिया नागो चौधरी घर तक पीसीसी, तथा एल 037- एमडीआर- टी 03 से कोतवलिया तक पीसीसी निर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया। इसके अलावा ब्लॉक हेडक्वार्टर सलखुआ से हरेबा रोड तक पीसीसी ढलाई कार्य की भी नींव रखी। मौके पर सांसद और विधायक ने कहा कि योजनाओं के पूर्ण होने से क्षेत्र के गांव-गांव तक पक्की सड़क पहुंचेगी और स्थानीय लोगों को आवागमन में सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए कई ऐतिहासिक कार्य किए गए हैं। बड़ी बड़ी सड़क के साथ पुल पुलिया बनाया गया है। डेगराही घाट पर बड़ी पुल बन रही हैं। पीपा पुल बनाया गया है। युवाओं के उच्च शिक्षा के लिए सिमरी बख्तियारपुर में डिग्री कॉलेज खुलेंगे। इसके लिए जमीन का चयन हो गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सलखुआ प्रखंड के समग्र विकास के लिए आगे भी कई योजनाएं लाई जाएंगी। शिलान्यास कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे। लोगों ने जनप्रतिनिधियों का स्वागत कर खुशी जताई और कहा कि इन योजनाओं से क्षेत्र में विकास का नया अध्याय लिखा जाएगा। मौके पर पंचायती प्रकोष्ठ उपाध्यक्ष रतिलाल यादव, खुशीलाल भगत, वसी अहमद, युवा प्रखंड अध्यक्ष रणवीर यादव, पूर्व मुखिया उदय सिंह, प्रसून सिंह, सुभाष सिंह, पूर्व मुखिया मनोज यादव, प्रखंड अध्यक्ष मुकेश यादव, मशीर आलम, कनीय अभियंता पंकज कुमार, सहायक अभियंता मनोज साह, परमेश्वरी यादव, अशोक यादव, जुनैद आलम, मेराज आलम, नारायण मंडल, मंटु सादा, प्रिंस झा, जुनैद आलम, राहिल अंसारी सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।

सलखुआ सहरसा.एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.प्रखंड के सभी पंचायतों में सोमवार से शुरू हुए राजस्व महाअभियान के तहत पंचायतवार श...
25/08/2025

सलखुआ सहरसा.
एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.
प्रखंड के सभी पंचायतों में सोमवार से शुरू हुए राजस्व महाअभियान के तहत पंचायतवार शिविर में भूमि संबंधी दस्तावेजों, अभिलेख व अधतन, रैयतों के नाम, खाता खेसरा, नामांतरण आदि में दर्ज अशुद्धियों को दूर करने के लिए विशेष शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें गुरुवार को पंचायत के हरेवा, कोपरिया और मोबारकपुर पंचायत में अशुद्धियों को सुधार व लगान रसीद निर्गत, उत्तराधिकारी नामांतरण, बंटवारा व छूटी जमाबंदियों को अधतन करवाने को लेकर ग्रामीण रैयतों की भीड़ लगी। वहीं शिविर में मौजूद सीओ पुष्पांजली कुमारी व आरओ सहित राजस्व कर्मचारी सुनील गवास्कर सहित अंचल कर्मियों ने जांच की। वहीं रैयतों को जमाबंदी पंजी की प्रति का वितरण किया गया। सीओ पुष्पांजली कुमारी ने कहा कि रैयतों को भरे हुए प्रपत्र जमाकर पंजीकरण की सुविधा मिलेगी। साथ ही कही की महाअभियान के तहत जमाबंदी में त्रुटि सुधार, उत्तराधिकार नामांतरण, बंटवारा नामांतरण तथा छूटी हुई जमाबंदी का ऑनलाइन निष्पादन किया जायेगा। महाअभियान को राजस्व विभाग के संयुक्त सचिव अनिल पांडे ने शिविर का निरीक्षण करते मौजूद अधिकारियों से आवश्यक जानकारी लेते सम्बंधित कर्मियों को कई दिशा निर्देश दिए।

सलखुआ सहरसा.एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.कोसी क्षेत्र के कई विद्यालयों को उच्चतर माध्यमिक का दर्जा दिया गया। लेकिन जमीनी ह...
25/08/2025

सलखुआ सहरसा.
एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.
कोसी क्षेत्र के कई विद्यालयों को उच्चतर माध्यमिक का दर्जा दिया गया। लेकिन जमीनी हकीकत सरकार के दावों से कोसों दूर है। सलखुआ प्रखंड का उच्च माध्यमिक विद्यालय कोपरिया छह साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। विद्यालय की स्थापना 2019 में की गई थी। इसके लिए 2018 में एक एकड़ भूमि भी चिन्हित की गई। बावजूद इसके अब तक भवन निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। नतीजा यह है कि कक्षा नौ से बारह तक के छात्र-छात्राएं आज भी पुराने दो मंजिला भवन में किसी तरह पढ़ाई कर रहे हैं।

सुविधाओं का घोर अभाव: स्कूल में शौचालय और शुद्ध पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। न तो पुस्तकालय और प्रयोगशाला है, न खेल का मैदान। स्मार्ट क्लास जैसी आधुनिक सुविधा भी यहां नदारद है। विज्ञान के छात्रों के लिए प्रयोगशाला अनिवार्य होने के बावजूद यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। विडंबना यह है कि इसी परिसर में स्थित मध्य विद्यालय कोपरिया में स्मार्ट क्लास चल रहा है, परजगह की कमी से उच्च माध्यमिक के बच्चे लाभ नहीं उठा पा रहे।

नामांकन और शिक्षकों की तैनाती में असंतुलन: फिलहाल विद्यालय में 275 छात्र नामांकित हैं। इनमें 195 छात्र कक्षा नौ-दस में और 80 छात्र कक्षा ग्यारह-बारह में पढ़ते हैं। इन छात्रों के लिए 18 शिक्षकों की तैनाती की गई है, लेकिन विषयवार स्थिति बेहद असंतुलित है। इकोनॉमिक्स विषय में एक भी छात्र नहीं है, फिर भी शिक्षक गौरव कुमार पदस्थापित हैं। समाजशास्त्र में नामांकन शून्य है, लेकिन शिक्षक मुकेश कुमार पदस्थापित है। इतिहास विषय में केवल 9 छात्र हैं, लेकिन यहां दो शिक्षक संतोष कुमार मिश्र और विजय कुमार तैनात हैं। अंग्रेजी में तीन शिक्षक नियुक्त हैं। दो नवमी-दशमी के लिए और एक इंटर स्तर के लिए है। ग्यारहवीं और बारहवीं में हिंदी विषय का एक भी शिक्षक नहीं है। प्रभारी प्रधानाध्यापक अशीत कुमार बताते हैं कि अप्रैल 2020 में विद्यालय को नवमी-दशमी और जुलाई 2023 में इंटर स्तर तक का दर्जा मिला। इसके बावजूद शिक्षकों की तैनाती में कोई ठोस मापदंड नहीं अपनाया गया।

शिक्षा विभाग पर उठ रहे सवाल: सरकार जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दावा करती है, वहीं कोपरिया उच्च विद्यालय की स्थिति उन दावों की पोल खोल रही है। भवन निर्माण से लेकर बुनियादी सुविधाओं और विषयवार शिक्षकों की उपलब्धता में देरी विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र सुधार नहीं हुआ तो क्षेत्र के सैकड़ों बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।

कहते हैं डीईओ: जिला शिक्षा पदाधिकारी हेमचन्द्र ने बताया कि एक से दस सितम्बर तक इसकी समीक्षा की जानी है। जिलाधिकारी इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। समीक्षा में इन सभी बिंदुओं को रखा जाएगा।

सलखुआ सहरसा.एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.सितुआहा पंचायत को सर्वांगीण विकास की जरूरत: बुनियादी सुविधाओ में सुधार की आवश्यकत...
25/08/2025

सलखुआ सहरसा.
एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.
सितुआहा पंचायत को सर्वांगीण विकास की जरूरत: बुनियादी सुविधाओ में सुधार की आवश्यकता, योजनाओ का इंतजार जारी।

* 12 हजार की आबादी है पंचायत का
* लगभग 13 सौ लाभुक अब भी है आवास योजना की प्रतीक्षा में
* 14 वार्डों में दो हजार से अधिक परिवार करते है निवास
* स्वास्थ्य सेवाओ की भारी कमी, मामूली इलाज के लिए भी किलोमीटरो का सफर।

---इंट्रो:
सलखुआ प्रखंड अंतर्गत सितुआहा पंचायत, पंचायती राज व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हुए भी आज बुनियादी सुविधाओ की घोर कमी से जूझ रहा है। लगभग 12 हजार की आबादी वाले इस पंचायत में स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, पेयजल, सड़क, रोजगार और खेल जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की हालत बेहद चिंताजनक बनी हुई है। सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेक योजनाएं पंचायत तक तो पहुंची हैं, लेकिन उनके क्रियान्वयन की स्थिति बेहद धीमी और अपूर्ण है। पंचायत स्तर पर कुछ कार्य अवश्य हुए हैं, किंतु वे समस्याओं का सम्पूर्ण समाधान नहीं बन पाए हैं। पीने के पानी से लेकर सड़क और स्वास्थ्य सेवाएं तक, कई क्षेत्रों में ग्रामीण अभी भी निराशा और उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। जनप्रतिनिधियों को योजनाओं के लिए प्रखंड स्तर पर लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है। स्थानीय जनता ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर पंचायत की स्थिति में सुधार लाने की मांग की है।

सलखुआ- गोपाल कृष्ण.
प्रखंड अंतर्गत स्थित सितुआहा पंचायत, कुल 14 वार्डों में विभाजित है। यहां की जनसंख्या लगभग 12 हजार है और दो हजार से अधिक परिवार यहां निवास करते है। बावजूद पंचायत में सरकारी योजनाओ का जमीनी क्रियान्वयन बेहद चिंताजनक स्थिति में है। ग्रामीणों के अनुसार, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सड़क, आवास और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं का बुरा हाल है। ग्रामीणों ने दैनिक हिन्दुस्तान के बोले सहरसा अभियान के दौरान अपनी व्यथा साझा करते हुए बताया कि बारिश के मौसम में गांव की गलियो में कीचड़ और जलजमाव से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। नालियों का अभाव और टूटी सड़के हर साल इस समस्या को गंभीर बनाती है। नल-जल योजना भी पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है। हालांकि पंचायत के वर्तमान मुखिया गांव के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं, साथ ही कई समस्याओं का पंचायत स्तर से निदान हुआ है। 14 वार्डों में से मुखिया ने पंचायत के 10 वार्डों को सोलर लाइट से सुसज्जित किया है। वहीं वार्ड 1 से 5 तक के कुछ हिस्सो में योजना का लाभ मिल रहा है, लेकिन वार्ड 6 में यह कार्य अभी भी अधूरा है। वार्ड 9 में तो नियमित जलापूर्ति तक नहीं होती, और वहां की पानी टंकी भी साफ नही होती, जिससे लोग दूषित पानी पीने को मजबूर है। करीब 100 परिवार अब भी शौचालय से वंचित है और प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत लगभग 1300 लाभुको को अब भी प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। युवाओ को खेल, शिक्षा और प्रशिक्षण की सुविधाओ का अभाव सबसे अधिक खलता है। पंचायत में न तो कोई खेल मैदान है, न पुस्तकालय और न ही कोई स्किल डेवलपमेंट सेंटर। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओ को शहरो का रुख करना पड़ता है। लाइब्रेरी और खेल मैदान की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है। स्वास्थ्य सेवाओ की स्थिति बेहद चिंताजनक है। पंचायत में एक भी उपस्वास्थ्य केंद्र के लिए भवन अबतक नहीं है। जिससे निजी दरवाजे पर संचालित होती है। आम बीमारी में भी ग्रामीणो को सलखुआ सीएचसी या 10 किलोमीटर दूर सिमरीबख्तियारपुर जाना पड़ता है। भवन की आवश्यकता और स्टाफ की भारी कमी इस क्षेत्र को निरंतर उपेक्षित रखे हुए है। ग्रामीणो की यही मांग है कि सरकार इस पंचायत की जमीनी हकीकत को संज्ञान में ले और मूलभूत सुविधाओ का स्थायी समाधान सुनिश्चित करे। साथ ही स्वास्थ्य केंद्र के लिए भवन बनाने के साथ डीह टोला से खेदन बाबा स्थान तक एक पूल की अति आवश्यकता है।

शिकायतें :
1. सितुआहा पंचायत में कोई उप-स्वास्थ्य केंद्र नहीं है।
मामूली बुखार या चोट के इलाज के लिए भी दूर जाना पड़ता है। सलखुआ सीएचसी या सिमरी अनुमंडल ही एकमात्र विकल्प हैं। गंभीर मामलों में समय पर इलाज न मिल पाना आम बात है। स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव ग्रामीणों के लिए बड़ी परेशानी है।

2. कई वार्डों में नल-जल योजना अभी भी अधूरी है। जहा नल लगे है, वहां पानी की आपूर्ति नियमित नहीं होती। कुछ स्थानों पर गंदा और दूषित पानी पीने को मिल रहा है।
सैकड़ो परिवार अब भी शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित है। योजनाएं शुरू तो हुईं, पर धरातल पर पूरी नहीं हो सकी।

3. गांव की अधिकतर सड़के टूटी और कच्ची है। बरसात में गलियो में पानी भर जाता है और कीचड़ फैलता है। स्कूल, अस्पताल या बाजार जाना भी मुश्किल हो जाता है। नालियो का अभाव जल निकासी को और कठिन बनाता है। यह समस्या वर्षों से बनी हुई है, लेकिन समाधान नही हुआ।

4. पंचायत में न खेल मैदान है, न लाइब्रेरी या स्किल सेंटर। प्रतियोगी परीक्षा या फिजिकल की तैयारी के लिए साधन नहीं है। युवाओ को पढ़ाई और खेल दोनो में बाहर जाना पड़ता है। स्थानीय स्तर पर कोई प्रेरणादायक माहौल नहीं बन पाया है। युवाओ की ऊर्जा दिशा विहीन होती जा रही है।

🟢 सुझाव:
1. पंचायत में उप-स्वास्थ्य केंद्र का भवन तुरंत बनाया जाए। चिकित्सक और नर्स की नियमित तैनाती की व्यवस्था हो। मुफ्त दवा और प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा दी जाए। स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन हर महीने किया जाए।
गर्भवती महिलाओ और बुजुर्गो के लिए विशेष सुविधा हो।

2. नल-जल योजना को पूरी पंचायत में जल्द पूर्ण किया जाए। पानी टंकियों की सफाई का स्थायी और नियमित प्रबंध हो। सभी वार्डों में स्वच्छ पेयजल की गारंटी सुनिश्चित हो। शौचालय से वंचित परिवारों को शीघ्र लाभ दिया जाए। गंदे पानी की समस्या पर तुरंत कार्रवाई की जाए।

3. सभी कच्ची गलियो को पक्की सड़कों में बदला जाए।
बरसात से पहले जलनिकासी के लिए नालियों का निर्माण हो। टूटे पुल-पुलियो की मरम्मत और नए निर्माण की जरूरत है। गांव के भीतरी हिस्सो में ट्रेक्टर और एंबुलेंस नहीं पहुंचते। स्थायी समाधान से आवागमन सुगम और सुरक्षित होगा।

4. खेल मैदान के लिए चयनित भूमि पर जल्द काम शुरू हो। एक सामुदायिक पुस्तकालय की स्थापना की जाए।
कौशल विकास केंद्र युवाओ के लिए रोजगार का रास्ता बनेगा। प्रशिक्षण, कोचिंग और फिजिकल तैयारी की व्यवस्था हो। स्थानीय युवाओं को गांव में ही अवसर मिलना चाहिए।

हमारी भी सुने :-
1.डीह टोला से खेदन बाबा तक पुल का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। इससे कई गांवों का आपसी संपर्क सुलभ हो जाएगा। साथ ही उपस्वास्थ्य केंद्र का भवन भी बनना चाहिए। स्वास्थ्य सेवा पंचायत में एक बड़ी जरूरत बन चुकी है। इस दिशा में शीघ्र कदम उठाया जाए।
– आलोक भारती

2. गांव की गलियों की हालत सुधरी है बाबजूद कई जगह सुधार की जरूरत है। हालांकि ग्राम पंचायत स्तर पर सड़कें सुव्यवस्थित किया जा रहा है, हल्की सी बारिश में कीचड़ से घर से निकलना कठिन हो जाता है। बरसात में बच्चो और बुजुर्गो को ज्यादा परेशानी होती है। पक्की सड़के बनना बहुत जरूरी है।
– रंजन कुमार

3. युवाओं को स्किल डेवलपमेंट और लाइब्रेरी की आवश्यकता है। इससे पढ़ाई और रोजगार दोनो में मदद मिलेगी। गांव के युवा आत्मनिर्भर बन सकेंगे। पंचायत में कुछ वर्षों में विकास हुआ है, लेकिन और जरूरी है।
युवाओं की दिशा और दशा दोनों सुधरेगी।
– जुगनू कुमार

4. अब भी कई परिवार शौचालय से वंचित है। खुले में शौच से बीमारिया फैलने की आशंका हैं। महिलाओ और बच्चो की सुरक्षा भी खतरे में रहती है। सरकार को वंचित परिवारो को प्राथमिकता देनी चाहिए।
– बिजेंद्र यादव

5. स्वास्थ्य केंद्र की कमी गंभीर समस्या बन चुकी है। छोटी बीमारी के लिए भी शहर जाना पड़ता है। रोजमर्रा की परेशानियो से लोग थक चुके है। पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जरूरी है। स्थानीय इलाज ही सबसे जरूरी सुविधा है।
– आशीष भारती

6. हर गली में पक्की सड़क होनी चाहिए। जल निकासी की उचित व्यवस्था भी आवश्यक है। बरसात में जलजमाव सबसे बड़ी समस्या बन जाती है। कई वार्डों में आने-जाने में परेशानी होती है। स्थायी समाधान किया जाए।
– विजय कुमार

7.वृद्धजन पेंशन का लाभ मिला है, जो भी सरकारी योजना आती है कैम्प लगाकर ग्राम प्रधान के द्वारा निदान किया जाता है।
– मरजादी यादव

8. शौचालय और आवास योजना का लाभ सभी को मिले।
कई गरीब परिवार अब भी वंचित है। सरकारी योजनाएं उन तक पहुंच ही नहीं पा रही है। पंचायत में समान रूप से लाभ का वितरण जरूरी है।
– योगेंद्र यादव

9. पंचायत में स्वास्थ्य केंद्र, खेल मैदान और पुस्तकालय की आवश्यकता है। युवा और बुजुर्ग दोनो इन सुविधाओ से लाभान्वित होंगे। शारीरिक और मानसिक विकास के लिए यह जरूरी है। स्थानीय स्तर पर संसाधन मिलने से पलायन रुकेगा। विकास की असली तस्वीर तभी सामने आएगी।
– रूपेश कुमार

10. लोहिया स्वच्छता अभियान को और सशक्त किया जाए। कचरा उठाव और निस्तारण की नियमित व्यवस्था बने। हर गली में सफाई का ध्यान रखा जाए। स्वच्छता से ही स्वास्थ्य और सुंदरता दोनो संभव है। स्थायी और सतत व्यवस्था जरूरी है।
– रमेश यादव

11. पंचायत में विवाह भवन की आवश्यकता है। गरीबो के लिए शादी करना आसान हो सकेगा। बेटी की शादी विवाह भवन में सम्मान से हो। सामुदायिक उपयोग के लिए यह अत्यंत उपयोगी होगा। इसका निर्माण शीघ्र किया जाए।
– सुमित कुमार

12. आवास योजना के बहुत से लाभुक अभी वंचित है। उनका नाम सूची में है, फिर भी लाभ नहीं मिला। सरकारी उदासीनता से लोग निराश है। जो पात्र है, उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए। न्यायपूर्ण वितरण से ही भरोसा बना रहेगा।
– भूपेंद्र कुमार

13.नल-जल योजना सिर्फ दिखावे की चीज बन गई है।
पाइपलाइन तो बिछी है, लेकिन पानी नहीं आता। लोगो की उम्मीदो पर पानी फिर गया है। मरम्मत और आपूर्ति की गारंटी चाहिए। सरकार इसे गंभीरता से ले।
– महेंद्र चौधरी

14. पंचायत सरकार भवन बनकर तैयार है। लेकिन अभी तक उसे चालू नहीं किया गया है। वहीं से योजनाएं और समाधान तय होने चाहिए। प्रशासन को इसे सक्रिय करना चाहिए। स्थानीय प्रशासनिक कार्यों में इससे सहूलियत होगी।
– पंकज कुमार

15. वृद्धावस्था पेंशन योजना अधूरी है। कई बुजुर्ग अब भी लाभ से वंचित हैं। जीवन यापन के लिए उन्हें आर्थिक सहारा चाहिए। सरकार को सूची की समीक्षा करनी चाहिए।
हर वृद्ध को पेंशन का लाभ मिलना चाहिए।
– रामशरण यादव

16. आवास योजना में कई लोग अब भी प्रतीक्षा में हैं। सूची में नाम होने के बावजूद लाभ नहीं मिला है। सरकार से बार-बार गुहार लगानी पड़ रही है। पंचायत स्तर पर जांच कर तुरंत लाभ दिया जाए। वंचितों को उनका हक मिलना चाहिए।
– वीरेंद्र कुमार

बोले जिम्मेदार :-
मुखिया संगीता यादव का दावा:
मुखिया संगीता यादव ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में पंचायत में चौमुखी विकास हुआ है। उनके कार्यकाल में अब तक 45 लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है, जबकि 1300 परिवारों की नई सूची तैयार की गई है। 200 से अधिक लोगों को वृद्धापेंशन, 400 से ज्यादा परिवारों को राशन कार्ड मिला है। पंचायत के 14 में से 10 वार्डों में सोलर लाइट लगाई गई है। दो छठ घाट, विद्यालय में चारदीवारी और दर्जनों सड़कों का निर्माण हुआ है। करीब 100 सड़कें और कई पुल-पुलियों का निर्माण किया गया है। समय-समय पर चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएं सुनी गई हैं और योजनाओं को धरातल पर उतारने का प्रयास किया गया है। पंचायत के समुचित विकास व समस्या के समाधान के लिए हमेशा जनता के बीच मौजूद रहते हैं।
संगीता यादव, मुखिया.
ग्राम पंचायत - सितुआहा, सलखुआ।

"सितुआहा पंचायत में नल-जल, आवास, शौचालय, सड़क व स्वास्थ्य सेवाओं के कार्य प्रगति पर हैं। लंबित वार्डों में जल आपूर्ति जल्द शुरू होगी। आवास योजना के लाभुकों को चरणबद्ध लाभ मिलेगा। खेल मैदान व स्वास्थ्य केंद्र के लिए प्रक्रिया चल रही है। पंचायत में विकास कार्यों की नियमित समीक्षा हो रही है और प्रशासन पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
मधु कुमारी,
प्रखंड विकास पदाधिकारी,

सलखुआ सहरसा.एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.सहरसा जिले के सलखुआ प्रखंड की लगभग दो लाख की आबादी आज भी श्मशान घाट जैसी बुनियादी...
20/08/2025

सलखुआ सहरसा.
एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.
सहरसा जिले के सलखुआ प्रखंड की लगभग दो लाख की आबादी आज भी श्मशान घाट जैसी बुनियादी सुविधा से महरूम है। 11 पंचायतों वाले इस प्रखंड में एक भी सरकारी मुक्तिधाम (श्मशान घाट) मौजूद नहीं है। नतीजतन किसी की मृत्यु होने पर परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए जगह की तलाश में भटकना पड़ता है। कई बार खेतों, नदी-नहर किनारे या निजी जमीन पर चिता सजानी पड़ती है। बारिश के मौसम में जलजमाव और कीचड़ की समस्या से अंतिम यात्रा तक बाधित हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों और प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, मगर हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। लोगों का मानना है कि यह केवल सुविधा का सवाल नहीं, बल्कि मृतकों को सम्मानजनक विदाई देने का अधिकार भी है। जबकि बिहार सरकार ने हर पंचायत में आधुनिक मुक्तिधाम बनाने की घोषणा की है, मगर सलखुआ के ग्रामीण अब तक हकीकत का इंतजार कर रहे हैं।

सलखुआ/गोपाल कृष्ण।
जिले का सलखुआ प्रखंड आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। सबसे गंभीर समस्या है श्मशान घाट की। प्रखंड की कुल 11 पंचायतों में करीब 1 लाख 89 हजार 625 की आबादी रहती है, लेकिन पूरे प्रखंड में एक भी सरकारी मुक्तिधाम (श्मशान घाट) नहीं है। ऐसे में किसी की मृत्यु होने पर परिजनों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अंतिम संस्कार की जगह तलाशने की होती है। ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या सालों से चली आ रही है। लोग मजबूरन खेतों, नहर किनारे या निजी जमीन पर अस्थायी रूप से चिता सजाने को विवश हैं। इससे न केवल धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों का उल्लंघन होता है, बल्कि मृतकों को गरिमामय विदाई देना भी कठिन हो जाता है। बरसात के दिनों में समस्या और भी विकराल हो जाती है। कीचड़ और जलजमाव के कारण कई बार अंतिम यात्रा बीच रास्ते में रुक जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो सबसे पहले यही चिंता सताती है कि अंतिम संस्कार कहां होगा।

सम्मानजनक विदाई भी एक अधिकार: स्थानीय लोगो ने कहा कि जीवित रहने पर हम मूलभूत सुविधाओं की मांग करते हैं, तो मरने के बाद भी सम्मानजनक विदाई मिलनी चाहिए। लेकिन यहां श्मशान घाट के अभाव में हमें अपमानजनक स्थिति झेलनी पड़ती है। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार मांग की गई, मगर अब तक केवल आश्वासन ही मिला है।

सरकार की घोषणा, लेकिन अमल नहीं: हाल ही में बिहार सरकार ने हर पंचायत में आधुनिक मुक्तिधाम बनाने की योजना की घोषणा की है। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा था कि परंपरागत शवदाह स्थलों को आधुनिक सुविधाओं से युक्त श्मशान घाट में बदला जाएगा। इसमें चबूतरा, लकड़ी रखने की जगह, पानी की व्यवस्था, शेड और चारदीवारी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस घोषणा से सलखुआ जैसे प्रखंडों को राहत मिलने की उम्मीद बंधी थी। सरकार की घोषणा और जमीनी हकीकत में भारी अंतर है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को अब सिर्फ आश्वासन नहीं, बल्कि काम करना चाहिए। श्मशान घाट केवल सुविधा का मामला नहीं, बल्कि यह मृतक के सम्मान का प्रश्न है। सरकार को सलखुआ जैसे पिछड़े क्षेत्रों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

शिकायतें:

1. ग्रामीण लंबे समय से श्मशान घाट की मांग कर रहे हैं। हर बार अधिकारियों और प्रतिनिधियों से सिर्फ आश्वासन ही मिला है। अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे लोगों में नाराजगी और आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
2. श्मशान घाट नहीं होने के कारण अंतिम संस्कार में परेशानी होती है। कई बार लोग अपने खेतों या दूसरों की जमीन का उपयोग करने को मजबूर हो जाते हैं। इससे आपसी विवाद की नौबत तक आ जाती है। मौत जैसे दुखद मौके पर भी लोगों को झगड़े झेलने पड़ते हैं।

3. बरसात के मौसम में अंतिम संस्कार करना सबसे कठिन हो जाता है। कीचड़ और जलजमाव से शव ले जाना लगभग असंभव हो जाता है। कई बार चिता बुझ जाने की घटनाएं सामने आई हैं। शव को उठाने में भी ग्रामीणों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। लोग इसे अत्यंत अपमानजनक और पीड़ादायक मानते हैं।

4. प्रशासन और पंचायत दोनों ही इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेते। न सर्वे की पहल हुई, न ही कोई योजना बनाई गई। कई बार ज्ञापन सौंपने के बाद भी केवल फाइलें सरकाई जाती हैं। स्थानीय प्रतिनिधियों ने भी इस पर कोई दबाव नहीं डाला। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी समस्या को दरकिनार किया जा रहा है।

सुझाव:

1. प्रत्येक पंचायत में आधुनिक मुक्तिधाम बनना चाहिए। इसमें चबूतरा, शेड, पानी की व्यवस्था और लकड़ी रखने की जगह हो। चारदीवारी और साफ-सफाई की सुविधा भी होनी चाहिए। इससे अंतिम संस्कार गरिमामय ढंग से हो सकेगा। यह हर ग्रामीण की बुनियादी आवश्यकता है।

2. ग्रामसभा या पंचायत स्तर पर खाली सरकारी जमीन की पहचान की जाए। यदि उपलब्ध न हो, तो दान में मिली जमीन का अधिग्रहण किया जाए। इससे विवाद की समस्या खत्म होगी और स्थायी जगह मिल जाएगी। स्थानीय स्तर पर जमीन चिह्नित करना आसान है। इसके बाद सरकार निर्माण कार्य शुरू कर सकती है।

3. श्मशान घाट के रखरखाव के लिए पंचायत स्तर पर समिति बनाई जानी चाहिए। यह समिति सफाई और सामग्री की उपलब्धता का ध्यान रखे। इसके लिए सरकार को नियमित फंड देना चाहिए। ग्रामीण कहते हैं कि बिना देखरेख के कोई भी सुविधा बेकार हो जाती है। समिति से निगरानी आसान होगी।

4. श्मशान घाट के निर्माण और संचालन में सभी वर्गों की भागीदारी हो। समाज के सहयोग से संवेदनशीलता और समन्वय बढ़ेगा। हर जाति और वर्ग के लोग एक साथ बैठकर निर्णय लें। इससे विवाद की संभावना भी खत्म होगी। ग्रामीणों का कहना है कि यह सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।

हमारी भी सुनो:
सलखुआ में आज तक एक भी सरकारी श्मशान घाट नहीं बना।
हर चुनाव में नेता लोग वादा करते हैं कि जल्दी बनवाएंगे। चुनाव खत्म होते ही बातें ठंडी पड़ जाती हैं। अब लोगों के लिए भरोसा करना भी मुश्किल हो गया है।
— विवेक कुमार

बारिश में कीचड़ से फिसलते हुए शव ले जाना पड़ता है। कंधा देने वालों के पैर धंसते हैं, रास्ता टूट जाता है। ये किसी की अंतिम यात्रा है, अपमान नहीं होना चाहिए। सरकार इस दर्द को समझकर तय जगह दे।
— मनीष कुमार

अक्सर बहस होती है कि किस खेत में चिता जलेगी। निजी जमीन पर जाने से मनमुटाव बढ़ जाता है। दुख की घड़ी में भी झगड़ा करना पड़ता है। स्थायी श्मशान होता तो ये हालत नहीं होती।
— नरेश भगत

कई बार लिखित और मौखिक रूप से मांग रखी। हर बार जवाब मिला फाइल पटना में पड़ी है। साल गुजर गए, फाइल वहीं बताई जाती है। बिना पहल के काम कब आगे बढ़ेगा।
— मिथलेश भगत

योजना सुनने में अच्छी और जरूरी लगती है। पर नतीजा मैदान में दिखना चाहिए। कागज की मीटिंग से समस्या नहीं सुलझती। काम शुरू हो, तभी भरोसा लौटेगा।
— सन्नी राज

पंचायत में सड़कों व अन्य कामों पर खर्च होता है। श्मशान घाट भी उतना ही जरूरी सार्वजनिक स्थल है। अगर बजट है तो प्राथमिकता तय कीजिए। मुक्तिधाम बना तो सबकी मुश्किल घटेगी।
— नीतीश कुमार

श्मशान न होने से परिवार भटकते फिरते हैं। जगह ढूंढने में घंटों लग जाते हैं। दुःख के समय और दर्द बढ़ जाता है। एक पक्का मुक्तिधाम बड़ी राहत देगा।
— भिखारी ठाकुर

हर पंचायत में स्कूल, आंगनबाड़ी और सड़कें बनीं। तो फिर मुक्तिधाम में अड़चन क्या है? आखिर ये सबको अंत में काम आता है। प्रशासन चाहे तो हफ्तों में जगह तय हो।
— मिथलेश साह

सलखुआ में सरकारी जमीन खाली पड़ी है। मगर ठोस निर्णय लेने की इच्छाशक्ति नहीं है। चाह हो तो कल से काम शुरू हो सकता है। देरी से केवल परेशानी बढ़ रही है।
— मंटू भगत

कभी लकड़ी नहीं मिलती, कभी जगह नहीं। समय पर संस्कार न हो तो मन टूट जाता है। रिश्तेदारों के सामने बेबसी बुरी लगती है।
तय स्थल होगा तो सब व्यवस्थित रहेगा।
— सन्नी भगत

मरने के बाद भी इंसान की गरिमा रहनी चाहिए। खुले या कीचड़ में चिता लगाना अपमानजनक है। सरकार इसे जरूरी सुविधा माने। सलखुआ में तुरंत मुक्तिधाम बने।
— अरुण यादव

कई बार जमीन चयन की बात हुई। बैठकें भी हुईं, पर काम धरातल पर नहीं आया। आज शुरू करें तो जल्दी बन सकता है।
देरी से लोगों का भरोसा उठ रहा है।
— सूरज भगत

गांव में ढकी और सुरक्षित जगह नहीं है। हवा-बारिश-धूप में संस्कार करना पड़ता है। बुजुर्ग और बच्चे दोनों परेशान होते हैं।
शेड और पानी की व्यवस्था जरूरी है।
— नंदन कुमार

हम जिला प्रशासन से साफ मांग रखते हैं। हर पंचायत में मुक्तिधाम बनाया जाए। कम से कम चबूतरा और चारदीवारी हो।
ताकि सबको गरिमापूर्ण विदाई मिले।
— निखिल भगत

एक बार शवदाह को नाव से नदी पार करना पड़ा। बीच धारा में सबकी सांसें अटक गईं। ऐसा दृश्य फिर किसी को न देखना पड़े।
पक्का स्थल होता तो ये दिन न आता।
— किशन कुमार

तेज बारिश में चिता बुझ गई थी। परिवार की आंखों के सामने दृश्य असह्य था। क्या इसे अंतिम सम्मान कहा जा सकता है।
इसीलिए स्थायी, ढका स्थान जरूरी है।
— बैजू कुमार
..अंतिम संस्कार जैसी मूलभूत सुविधा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार की योजना के तहत हर पंचायत में आधुनिक मुक्तिधाम निर्माण की घोषणा हुई है। उन्होंने बताया कि विभागीय अधिकारियों को पहले ही प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया जा चुका है और शीघ्र ही ठोस पहल की जाएगी। सलखुआ की सभी पंचायतों में इस कार्य को प्राथमिकता पर शुरू कराया जाएगा ताकि जनता को और इंतजार न करना पड़े।

— यूसुफ सलाहउद्दीन, विधायक, सिमरी बख्तियारपुर।
..इस समस्या को गंभीरता से संज्ञान में लिया गया है। हालांकि अभी तक सरकार की ओर से इस संबंध में औपचारिक निर्देश नहीं आया है। जैसे ही स्थायी जमीन उपलब्ध होगी, प्रस्ताव तैयार कर जिला कार्यालय को भेजा जाएगा। लोगों की भावना का सम्मान करते हुए मुक्तिधाम निर्माण के लिए हर संभव प्रयास शीघ्र किए जाएंगे।

— पुष्पांजलि कुमारी, अंचलाधिकारी, सलखुआ।

सलखुआ सहरसा.एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.सितुआहा पंचायत में लाखों की लागत से निर्मित पंचायत सरकार भवन का उद्घाटन स्वतंत्रत...
20/08/2025

सलखुआ सहरसा.
एक संवाददाता - गोपाल कृष्ण.
सितुआहा पंचायत में लाखों की लागत से निर्मित पंचायत सरकार भवन का उद्घाटन स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुखिया संगीता यादव, आलोक भारती, जयनाथ यादव एवं पूर्व मुखिया बिरलू यादव ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। इस मौके पर उपस्थित लोगों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार जताते हुए कहा कि यह भवन ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए मुखिया संगीता यादव ने कहा कि पंचायत सरकार भवन के बन जाने से अब ग्रामीणों को प्रखंड कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे। एक ही छत के नीचे जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, आरटीपीएस, आवास योजना, राशन कार्ड, अंचल-राजस्व, डाकघर सहित तमाम सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। भवन में पंचायत सचिव, ग्राम कचहरी न्यायालय, मुखिया, कार्यपालक सहायक एवं आवास सहायक सहित सभी कर्मी अपने-अपने कक्ष से कार्य करेंगे। इससे पंचायत स्तर पर ही योजनाओं का लाभ सुनिश्चित होगा।उद्घाटन अवसर पर रामचन्द्र यादव, देवनारायण यादव, सरपंच प्रतिनिधि विद्यानंद सिंह, सुनील यादव, पिंटू पँजियार, पैक्स अध्यक्ष रूपेश कुमार, संजय सिंह, करुण सिंह, शिवालक यादव, विपिन सिंह, ध्रुव शर्मा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे और उन्होंने खुशी व्यक्त की।

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