03/03/2024
विदेश के लोग ज्यादा धर्म जाति को नहीं मानते हैं वहां शिक्षा को ज्यादा बढ़ावा दिया जाता हैं... वर्तमान समय में भारत देश में शिक्षा, स्वस्थ से कहीं ज्यादा बढ़ावा धर्म को दिया जाता हैं। लड़कियों को देवी माना जाता हैं फिर इतना बलात्कार हमारे देश में कैसे होता हैं?? विदेश के लोगों में भले ही कपड़े छोटे पहने लेकिन सोच उच्च कोटि का होता हैं और हमारे देश में कपड़े पूरा शरीर में लाद ले फिर भी मानसिकता सुधरने का नाम नहीं ले रहीं। विदेश से घूमने आई महिला का दुमका में बलात्कार हुआ,, इससे पूरे विश्व में हमारे देश की क्या छवि बनती हैं। उस महिला को क्या पता की विदेश में जैसे आराम से रात में कही भी सो सकते हैं वैसे भारत में नहीं हैं यहां तो रात में कोई लड़की ही सुरक्षित बाहर भी नहीं निकल सकती क्योंकि यहां के लोगों में मानवता तो हैं नहीं..केवल धर्म के नाम पे दिखावा है।अरे प्रशासन कबतक हमलोग को सुधारने में लगेगा।हमलोग को खुद सुधना चाहिए और ऐसे लोगो को सामाजिक बहिष्कार (अलग) करना चाहिए ताकि दूसरे लोग ऐसा गलती न करें। लेकिन हमारे देश में बलात्कारियों के केस लड़ने के लिए भी वकिल मिल जाते हैं और लोग अपनी बेटी का शादी भी दे देते है कहा से सुधरेंगे गलत करने वाले लोग? ग्लोबल सर्वे अमेरिका के रिपोर्ट में भारत को महिला यौन उत्पीड़न में पहला स्थान दिया गया है।बहुत देश की महिला भारत आने से डरती हैं क्योंकि बलात्कार बहुत ज्यादा होता हैं। जैसे कुएं के मेंढ़क को लगता हैं दुनियां इतनी ही बड़ी हैं बिल्कुल वैसे ही हमलोग खुद में ही गर्व महसूस करते हैं की हमलोग विश्व गुरु हैं, बाकी विश्व में शिक्षा, स्वास्थ, हिंसा, गरीबी, भुखमरी, निष्पक्ष पत्रकारिता इत्यादि में हमारा क्या रैंक है.. इससे हमें कोई लेना देना नहीं..किसी भी धर्म के धार्मिक ग्रंथ चाहें वो गीता, कुरान, बाईबल हो या अन्य ग्रंथ हो कभी किसी दूसरे के दुख, हिंसा, शौषण,प्रताड़ना, देने को नहीं कहता है। बल्कि कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है ये सीखता हैं मानवता, दूसरो की मदद सीखता हैं। लेकिन अभी सब अपने- अपने धर्म को महान साबित करने में लगे हैं... धर्म के नाम पे तुरंत गुस्से में आ जाते हैं ऐसे लोग मिले तो समझ लेना ये सोशल मीडिया और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से पढ़े धार्मिक लोग हैं।। हमे कभी भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे दूसरो को तकलीफ़ हों.. और बलात्कार तो एक जघन्य अपराध हैं।विदेश के लोग ज्यादा धर्म जाति को नहीं मानते हैं वहां शिक्षा को ज्यादा बढ़ावा दिया जाता हैं... वर्तमान समय में भारत देश में शिक्षा, स्वस्थ से कहीं ज्यादा बढ़ावा धर्म को दिया जाता हैं। लड़कियों को देवी माना जाता हैं फिर इतना बलात्कार हमारे देश में कैसे होता हैं?? विदेश के लोगों में भले ही कपड़े छोटे पहने लेकिन सोच उच्च कोटि का होता हैं और हमारे देश में कपड़े पूरा शरीर में लाद ले फिर भी मानसिकता सुधरने का नाम नहीं ले रहीं। विदेश से घूमने आई महिला का दुमका में बलात्कार हुआ,, इससे पूरे विश्व में हमारे देश की क्या छवि बनती हैं। उस महिला को क्या पता की विदेश में जैसे आराम से रात में कही भी सो सकते हैं वैसे भारत में नहीं हैं यहां तो रात में कोई लड़की ही सुरक्षित बाहर भी नहीं निकल सकती क्योंकि यहां के लोगों में मानवता तो हैं नहीं..केवल धर्म के नाम पे दिखावा है।अरे प्रशासन कबतक हमलोग को सुधारने में लगेगा।हमलोग को खुद सुधना चाहिए और ऐसे लोगो को सामाजिक बहिष्कार (अलग) करना चाहिए ताकि दूसरे लोग ऐसा गलती न करें। लेकिन हमारे देश में बलात्कारियों के केस लड़ने के लिए भी वकिल मिल जाते हैं और लोग अपनी बेटी का शादी भी दे देते है कहा से सुधरेंगे गलत करने वाले लोग? ग्लोबल सर्वे अमेरिका के रिपोर्ट में भारत को महिला यौन उत्पीड़न में पहला स्थान दिया गया है।बहुत देश की महिला भारत आने से डरती हैं क्योंकि बलात्कार बहुत ज्यादा होता हैं। जैसे कुएं के मेंढ़क को लगता हैं दुनियां इतनी ही बड़ी हैं बिल्कुल वैसे ही हमलोग खुद में ही गर्व महसूस करते हैं की हमलोग विश्व गुरु हैं, बाकी विश्व में शिक्षा, स्वास्थ, हिंसा, गरीबी, भुखमरी, निष्पक्ष पत्रकारिता इत्यादि में हमारा क्या रैंक है.. इससे हमें कोई लेना देना नहीं..किसी भी धर्म के धार्मिक ग्रंथ चाहें वो गीता, कुरान, बाईबल हो या अन्य ग्रंथ हो कभी किसी दूसरे के दुख, हिंसा, शौषण,प्रताड़ना, देने को नहीं कहता है। बल्कि कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है ये सीखता हैं मानवता, दूसरो की मदद सीखता हैं। लेकिन अभी सब अपने- अपने धर्म को महान साबित करने में लगे हैं... धर्म के नाम पे तुरंत गुस्से में आ जाते हैं ऐसे लोग मिले तो समझ लेना ये सोशल मीडिया और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से पढ़े धार्मिक लोग हैं।। हमे कभी भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे दूसरो को तकलीफ़ हों.. और बलात्कार तो एक जघन्य अपराध हैं।