30/06/2025
HUL JOHAR 🏹🌾
Amak Aari chali Aam gi thudarod me
Ar Nel me Lahanti
Anjom pey ho Boyha.
Adim kherwal ko,
Abo jati doreya dah re boheloh kan.
Maa se mone do ketej abon.
Maa se jiwi do gotay abon.
Nirol jati tabon debon owara.
Unang marang jati unang napay sawnta.
Tehing abotala khona bun bohel Ochoyekan .
Jati may homored sawnta may ho hoyed
Okare ho menama kherwal
Hodmo do bacho tarko wam kana.
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SANTHAL HUL MAHA 🙏
1855 ई. में संथालों की क्रोध की सीमा पार कर गई. संथालों को न्याय दिलाने के लिए चार भाई सामने आये. उनके नाम थे – सि द् धू, का न्हू, चाँ द और भैरव. इन्होंने संथालों को एकजुट किया. सि द् धू ने खुद को देवदूत बतलाया ताकि संथाल समुदाय उसकी बातों पर विश्वास कर सके. संथालों के अन्दर धर्म भावना पैदा करने के लिए उसने कहा कि वह भगवान् “ठाकुर” के द्वारा भेजा गया दूत है जिन्हें वे रोज पूजते हैं. 30 जून, 1855 ई. को इन भाइयों ने सथालों की एक आमसभा बुलाई जिसमें 10,000 संथालों ने भाग लिया. इस सभा में संथालों को यह विश्वास दिलाया गया कि खुद भगवान् ठाकुर की यह इच्छा है कि जमींदारी, महाजनी और सरकारी अत्याचारों के खिलाफ संथाल सम्प्रदाय डट कर विरोध करें. अंग्रेजी शासन को समाप्त कर दिया जाए.
जुलाई 1855 ई. में सथालों ने विद्रोह का बिगुल बजाया. शुरुआत में यह आन्दोलन सरकार विरोधी आन्दोलन नहीं था पर जब संथालों ने देखा कि सरकार भी जमींदारों और महाजनों का पक्ष ले रही है तो उनका क्रोध सरकार पर भी टूट पड़ा. संथालों ने अत्याचारी दरोगा महेश लाल को मार डाला. बाजार, दुकान सब नष्ट कर दिए और थानों में आग लगा दी. कई सरकारी कार्यालयों, कर्मचारियों और महाजनों पर संथालों ने आक्रमण किया. इसके चलते कई बेक़सूर भी मारे गए. भागलपुर और राजमहल के बीच रेल, डाक, तार सेवा आदि सेवा भंग कर दी गई. संथालों ने अंग्रेजी शासन को समाप्त करने की शपथ ले ली थी. संथाल विद्रोह (Santhal Rebellion) के आलावा हजारीबाग, बाँकुड़ा, पूर्णिया, भागलपुर, मुंगेर आदि जगहों में आग की तरह फ़ैल रही थी.