19/10/2025
आइए बात करते है गाजीपुर जिले की “गुलाब उद्योग” (Rose Industry) के बारे में विस्तार से। यह वाकई गाजीपुर की
गाजीपुर गुलाब जल और गुलाब के इत्र के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, जिसके कारण इसे "गुलाब जल का शहर" कहा जाता है। यह जिला बड़ी मात्रा में गुलाब का उत्पादन करता है, जिसका उपयोग इन सुगंधित उत्पादों को बनाने में होता है। फुल्लनपुर जैसे गांवों में गुलाब की खेती और बिक्री बड़े पैमाने पर होती है, और यहां एक बड़ा फूलों का बाजार भी है।
सबसे मीठी और खुशबूदार पहचान है। गाजीपुर का गुलाब उद्योग – “गुलाब नगरी” की पहचान बतलाती है। यह उद्योग गाजीपुर शहर और उसके आसपास के इलाकों, जैसे – सैदपुर, दुल्लहपुर, बहरियाबाद, करंडा, भंवरकोल, जमानिया आदि में फैला है।
इसका इतिहास लगभग 100 से 150 साल पुराना है। यह परंपरा मुग़ल काल से चली आ रही मानी जाती है, जब यहाँ के उर्वर गंगा किनारे खेतों में गुलाब उगाए जाने लगे थे। यहाँ मुख्य रूप से ‘देशी गुलाब’ (Rosa Damascena) और ‘कानौजिया गुलाब’ की प्रजातियाँ उगाई जाती हैं। किसान अक्टूबर से जनवरी के बीच पौध लगाते हैं और फरवरी से अप्रैल में फूल तोड़ते हैं। मिट्टी में नमी और गंगा का जलवायु इस खेती के लिए बहुत उपयुक्त है। हर सीज़न में लाखों किलो गुलाब की पंखुड़ियाँ तोड़ी जाती हैं।
गुलाब से उत्पाद बनने की प्रक्रिया निम्न है। गाजीपुर में कई परंपरागत गुलाब आसवन इकाइयाँ (Distillation Units) हैं।
जिनमें तांबे की देग और भट्ठी (deg-bhapka system) से गुलाब का रस निकाला जाता है।
1. ताजे गुलाब के फूल सुबह-सुबह तोड़े जाते हैं।
2. उन्हें तांबे के भगौने (Deg) में पानी के साथ डाला जाता है।
3. नीचे आग जलाकर भाप से आसवन (Steam Distillation) किया जाता है।
4. भाप जब ठंडी होती है, तो दो चीज़ें अलग होती हैं —
A. गुलाब जल (Rose Water)
B. गुलाब तेल (Rose Oil / Attar)
यह प्रक्रिया लगभग 5–6 घंटे चलती है।
1. गुलाब जल (Rose Water) – चेहरे, पूजा, औषधि, इत्र आदि में प्रयोग
2. गुलाब तेल (Rose Essential Oil / Attar) – सबसे महँगा उत्पाद; 1 लीटर की कीमत लाखों में होती है
3. गुलकंद (Rose Petal Jam) – खाद्य उपयोग में (आयुर्वेदिक गुणों के कारण प्रसिद्ध)
4. गुलाब सिरप और मुरब्बा
5. इत्र और परफ्यूम्स – खासकर कानौज और लखनऊ में भेजे जाते हैं
गाजीपुर का गुलाब उत्पाद दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर जैसे बड़े बाजारों में बिकता है। फ्रांस, सऊदी अरब, दुबई, और जर्मनी तक भी कुछ कंपनियाँ गुलाब तेल का निर्यात करती हैं।
यहाँ की कुछ पुरानी इकाइयाँ जैसे_
“Ghazipur Rose Water Factory”
“Shree Balaji Rose Works”
“Anjuman Rose Distillery”
अब भी परंपरागत तरीक़े से उत्पादन करती हैं। यह उद्योग हज़ारों किसानों और मज़दूरों की रोज़ी-रोटी का साधन है। एक एकड़ में लगभग 20–25 हज़ार पौधे लगाए जाते हैं और एक सीज़न में किसान को ₹50 हज़ार से ₹1 लाख तक की आमदनी हो सकती है।
महिला श्रमिकों को फूल तोड़ने और पंखुड़ियाँ अलग करने में रोजगार मिलता है। सरकार अब इसे MSME (सूक्ष्म उद्योग) के रूप में बढ़ावा दे रही है। पहले यहाँ एक “सरकारी गुलाब जल फैक्ट्री” थी — जिसे British India Era में शुरू किया गया था। आज भी यह परिसर Ghazipur Rose Water Factory के नाम से जाना जाता है। 2020 के बाद से उत्तर प्रदेश सरकार ने “One District One Product (ODOP)” योजना में गाजीपुर के गुलाब उत्पादों को शामिल किया है।
गाजीपुर के गुलाब से बना गुलकंद बनारस की पान संस्कृति का भी हिस्सा है। यहाँ हर साल “गुलाब महोत्सव” (Rose Festival) भी आयोजित होता है। पुराने ज़माने में इसे “सुगंध का नगर” कहा जाता था।