M. K. Gunjan - Team MHF

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मदद करते वक्त कभी सोचना न पड़े।”
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हांथी घोड़े तोप तलवारें,  फौज तो तेरी सारी है...!! पर जंजीर में जकड़ा राजा मेरा, अब भी सब पे भारी हैं ....!! :- लॉर्ड ला...
13/10/2025

हांथी घोड़े तोप तलवारें, फौज तो तेरी सारी है...!!
पर जंजीर में जकड़ा राजा मेरा, अब भी सब पे भारी हैं ....!!

:- लॉर्ड लालू प्रसाद यादव ❤️‍🔥

🚨A life saving call! Rahul Ghosaliya(Medical Student ) from Rajasthan India has been on a   in   since Oct 8. His condit...
13/10/2025

🚨A life saving call!

Rahul Ghosaliya(Medical Student ) from Rajasthan India has been on a in since Oct 8.

His condition is critical.

We request PMO India
Bhajanlal Sharma CMO Rajasthan to airlift him urgently for treatment in India.🙏

NEET टॉपर अनुराग की आख़िरी चिट्ठी ने खड़ा किया बड़ा सवाल           ~  बिहार के एक गाँव से आई ख़बर ने पूरे देश को झकझोर द...
25/09/2025

NEET टॉपर अनुराग की आख़िरी चिट्ठी ने खड़ा किया बड़ा सवाल
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बिहार के एक गाँव से आई ख़बर ने पूरे देश को झकझोर दिया है। 19 वर्षीय अनुराग, जिसने NEET परीक्षा में 99.99 प्रतिशत अंक लाकर OBC कैटेगरी में 1475वीं रैंक हासिल की थी, अब इस दुनिया में नहीं रहा। मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पक्का होने के बावजूद उसने अपने ही घर में फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पीछे सिर्फ़ एक चिट्ठी छोड़ी… जिस पर लिखा था—
“मैं डॉक्टर नहीं बनना चाहता।”

माँ-बाप का सपना था कि बेटा डॉक्टर बने। गाँव की उम्मीद थी कि अनुराग उनका नाम रोशन करेगा। लेकिन किसी को यह नहीं पता था कि अनुराग ख़ुद डॉक्टर बनना ही नहीं चाहता था। किताबों के ढेर, दीवार पर चिपके टाइम-टेबल और अधूरे सपनों के बीच उसने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।

अब सवाल यह है कि इतना काबिल और होनहार बच्चा आख़िर क्यों थक गया?
क्या उसने अपनी दिल की बात कभी किसी से नहीं कही?
क्या दबाव और सपनों का बोझ उसकी सहनशक्ति से ज़्यादा भारी पड़ गया?

परिजनों और समाज की अपेक्षाएँ बन गईं बोझ
👉 माँ-बाप का सपना – बेटा बने डॉक्टर
👉 गाँव की उम्मीद – नाम रोशन करेगा
👉 हक़ीक़त – बच्चा डॉक्टर बनना ही नहीं चाहता था

अनुराग का जाना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है।
आज ज़रूरत इस बात की है कि बच्चों की इच्छाओं और उनके सपनों को सुना जाए। उन्हें वही बनने दिया जाए, जो वे बनना चाहते हैं। क्योंकि मजबूरी में चुना गया सपना, कभी सुकून नहीं देता।

अनुराग की आख़िरी चिट्ठी अब हर माता-पिता और समाज से यही सवाल पूछ रही है—
क्या हम बच्चों पर अपने सपने थोप रहे हैं?

📰 अनुकंपा पर 143 अभ्यर्थियों को मिला संबल, समस्तीपुर में नियुक्ति पत्र वितरण                     समस्तीपुर। राज्य सरकार ...
25/09/2025

📰 अनुकंपा पर 143 अभ्यर्थियों को मिला संबल, समस्तीपुर में नियुक्ति पत्र वितरण

समस्तीपुर। राज्य सरकार की संवेदनशील पहल और जिलाधिकारी की सक्रियता का नतीजा है कि बुधवार को समस्तीपुर जिले में अनुकंपा के आधार पर चयनित 143 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। इनमें 121 विद्यालय लिपिक और 22 विद्यालय परिचारी शामिल हैं।

उल्लास से भरा समाहरणालय सभागार

समाहरणालय सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएम रौशन कुशवाहा ने की। डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता और डीपीओ (स्थापना) सत्यम कुमार की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारंभ हुआ। इस दौरान अभ्यर्थियों और उनके परिजनों के चेहरे पर खुशी और संतोष की झलक साफ दिखी।

“सरकारी सेवा केवल नौकरी नहीं, सेवा का माध्यम” – डीएम

अभ्यर्थियों को संबोधित करते हुए डीएम रौशन कुशवाहा ने कहा –
“यह दिन आपके जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। सरकारी सेवा केवल रोजगार नहीं, बल्कि समाज और देश की सेवा का माध्यम है। आप सभी से अपेक्षा है कि निष्ठा, ईमानदारी और अनुशासन के साथ जिम्मेदारियां निभाएंगे।”

शिक्षा विभाग के अधिकारियों की शुभकामनाएं

डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने कहा कि अनुकंपा पर मिली नियुक्ति न सिर्फ प्रभावित परिवारों के लिए सहारा बनेगी, बल्कि विद्यालयों के प्रशासनिक कार्यों को भी गति देगी। वहीं डीपीओ (स्थापना) सत्यम कुमार ने बताया कि इससे पूर्व 27 अगस्त को भी 135 लिपिक और 11 परिचारी को नियुक्ति पत्र दिए गए थे।

खुशी और राहत का माहौल

नियुक्ति पत्र मिलने पर चयनित अभ्यर्थियों ने राहत और उल्लास व्यक्त किया। कई अभ्यर्थियों ने कहा कि यह अवसर उनके दिवंगत अभिभावकों के सपनों को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारी, कर्मचारी, बड़ी संख्या में चयनित अभ्यर्थी और उनके परिजन उपस्थित रहे। पूरे सभागार का माहौल उत्सव जैसा रहा।

विभूतिपुर के रविओम रौशन बने CHO                            ~  समस्तीपुर। विभूतिपुर प्रखंड के वाजिदपुर बम्बैया निवासी रवि...
24/09/2025

विभूतिपुर के रविओम रौशन बने CHO
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समस्तीपुर। विभूतिपुर प्रखंड के वाजिदपुर बम्बैया निवासी रविओम रौशन ने कड़ी मेहनत और लगन के बल पर बड़ा मुकाम हासिल किया है। उन्होंने बिहार स्वास्थ्य समिति द्वारा आयोजित परीक्षा में 70 अंक व 899वां रैंक प्राप्त कर समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) के पद पर चयनित होकर प्रखंड सहित जिले का नाम रौशन किया है।

रविओम रौशन, शिक्षक गिरीश कुमार ठाकुर एवं अनुमंडलीय अस्पताल रोसड़ा में कार्यरत GNM संगीता कुमारी के पुत्र हैं। सफलता पर उन्होंने अपने माता-पिता, गुरुजनों और मित्रों को विशेष श्रेय दिया। यह उनका पहला प्रयास था जिसमें वे सफल हुए। उनके भाई हरिओम रौशन भी इस परीक्षा में शामिल हुए थे, परंतु अंतिम सफलता प्राप्त नहीं कर सके।

CHO बनने से पूर्व रौशन किसी निजी कोचिंग संस्थान में छात्रों को मार्गदर्शन देते थे। उनके पढ़ाए विद्यार्थी जिला स्तर पर टॉपर रह चुके हैं। स्वयं भी वे मैट्रिक परीक्षा में जिला टॉपर रह चुके हैं।

मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले रौशन ने संघर्षों का सामना कर यह उपलब्धि हासिल की है। उनके पिता न केवल शिक्षक, बल्कि एक समाजसेवी के रूप में भी विख्यात हैं। दादा स्व. रामविलास ठाकुर डाक विभाग में कार्यरत थे।

रविओम रौशन की इस सफलता से क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर है और लोग उन्हें क्षेत्र का गौरव बता रहे हैं।

🌑 23 महीने की कैद और अब आज़ादी की सुबह...                               ~  कभी राजनीति की धड़कन माने जाने वाले समाजवादी ...
22/09/2025

🌑 23 महीने की कैद और अब आज़ादी की सुबह...
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कभी राजनीति की धड़कन माने जाने वाले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान ने अपनी ज़िंदगी के 23 महीने सलाखों के पीछे गुज़ारे।
ये महीने सिर्फ़ कैलेंडर पर बदलती तारीख़ें नहीं थीं, बल्कि हर दिन, हर रात उनके लिए एक इम्तिहान की तरह था।

कैदखाने की बंद दीवारें, समय की लंबी चुप्पियाँ और उम्मीद का बुझता दिया... सब मिलकर मानो उन्हें तोड़ देना चाहते थे। लेकिन आज़म खान ने हार नहीं मानी।
उनके दिल में हमेशा एक ही उम्मीद जलती रही—
"एक दिन सुबह ज़रूर आएगी, जब ये सलाखें खुलेंगी और मैं फिर से लोगों के बीच जाऊँगा।"

23 महीने बाद वो घड़ी आखिर आ गई है।
कल सुबह ठीक 7 बजे, वो जेल से बाहर निकलेंगे।
सोचिए, जब उनके क़दम जेल की दहलीज़ पार करेंगे तो हवा का पहला झोंका उन्हें छुएगा...
वो झोंका उनके लिए सिर्फ़ हवा नहीं होगा, बल्कि आज़ादी की ख़ुशबू होगी।

उनके समर्थकों के लिए ये पल किसी त्योहार से कम नहीं।
जो लोग रोज़-रोज़ उनकी रिहाई की दुआ करते रहे, जो आँखें इंतज़ार में पथरा गईं... उन सबकी दुआएँ अब रंग लाने वाली हैं।

ये सिर्फ़ एक नेता की रिहाई नहीं है, बल्कि उस जज़्बे की जीत है जो हर मुश्किल के सामने टिक गया।
23 महीने की सज़ा ने आज़म खान से बहुत कुछ छीना, लेकिन उनकी सोच, उनकी हिम्मत और उनकी पहचान—उसे कोई नहीं छीन सका।

अब देखना ये होगा कि जेल से बाहर आने के बाद राजनीति का ये बड़ा चेहरा क्या नया सफ़र शुरू करता है।
लेकिन इतना तय है कि कल सुबह 7 बजे की ये रिहाई सिर्फ़ एक खबर नहीं, बल्कि एक कहानी का नया अध्याय होगी।

23 महीने के अंधेरे के बाद अब रौशनी की सुबह आने वाली है…!

संजय यादव न तो मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं,और न ही उपमुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार।फिर भी बीजेपी ने राजनीति के इस चाण...
22/09/2025

संजय यादव न तो मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं,
और न ही उपमुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार।
फिर भी बीजेपी ने राजनीति के इस चाणक्य के खिलाफ
एक के बाद एक चक्रव्यूह रचना शुरू कर दिया है।

👉 वजह साफ़ है —
बीस साल बाद राजद को सत्ता तक पहुँचाने के लिए
संजय–तेजस्वी की जोड़ी
हर तरह का बलिदान देने को तैयार है।

दोनों मानो श्रीकृष्ण की उस आज्ञा का पालन कर रहे हैं ⬇️

> “हे पार्थ, चिंता मत करो…
यहाँ अपना-पराया कोई नहीं।
यह धर्मयुद्ध है।
तुम सिर्फ़ जीत और अधर्म को हराने के लिए लड़ो,
बाक़ी सब मुझ पर छोड़ दो।”

🔥 आज तेजस्वी और संजय का संघर्ष भी
उसी धर्मयुद्ध की कहानी है—
जहाँ जीत से ज़्यादा अहम है
अन्याय और अधर्म का अंत।

“सोनिया गांधी—पति के प्रति वफ़ादार पत्नी और पार्टी के प्रति सच्ची नेत्री।”             ~   राजीव गांधी की शहादत के बाद क...
21/09/2025

“सोनिया गांधी—पति के प्रति वफ़ादार पत्नी और पार्टी के प्रति सच्ची नेत्री।”
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राजीव गांधी की शहादत के बाद की यह तस्वीर आज फिर से चर्चा में है। तस्वीर में साफ दिखाई दे रहे हैं तीन बड़े नेता—चन्द्रशेखर, नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी—जो बाद में देश के प्रधानमंत्री बने।

लेकिन इसी तस्वीर में दूसरी तरफ, चुपचाप बैठी हैं सोनिया गांधी। चेहरे पर गहरी वीरानी और आंखों में अकेलेपन का दर्द साफ झलकता है। पति को खो देने के बाद, राजनीति में कदम रखने के लिए मजबूर हुईं सोनिया गांधी के चारों ओर उस दौर में ऐसे ही ताने और उपहास का माहौल था।

इतिहास गवाह है—सोनिया गांधी ने अपमान सहा, अपनों और विपक्ष दोनों के तंज झेले, लेकिन हार नहीं मानी। पति की अधूरी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया और संघर्ष की कठिन राह पर उतर पड़ीं।

राजनीति में जो सोनिया गांधी ने सहा और झेला, शायद ही किसी और ने सहा हो। यही संघर्ष उनके बेटे राहुल गांधी ने बचपन से अपनी आंखों से देखा। मां को टूटते, जलील होते और फिर मजबूत होकर खड़े होते देखा।

और यही कारण है कि राहुल गांधी सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आवाज़ बनकर उभरे हैं। वो आवाज़ जो सबसे कमजोर वर्ग तक पहुंचती है।

आज सवाल यह नहीं है कि राहुल गांधी हारेंगे या जीतेंगे—सवाल यह है कि क्या इस देश का लोकतंत्र उस मां के संघर्ष को स्वीकार करेगा, जिसने सब कुछ सहकर भी हार नहीं मानी।

इतिहास ने सोनिया गांधी के साथ न्याय नहीं किया, लेकिन आने वाला वक्त जरूर करेगा। और शायद यही वजह है कि समर्थक कहते हैं—
“राहुल गांधी हार नहीं सकते, क्योंकि वे सोनिया गांधी के बेटे हैं।”

Note :- आज सोनिया गांधी उस विरासत का प्रतीक हैं—जहाँ समर्पण, साहस और वफ़ादारी एक साथ दिखाई देते हैं।

बिहार की सियासत में इस बार चर्चा है एक ऐसी युवा सरकार की, जो सिर्फ़ वादों पर नहीं बल्कि काम, कलम, कमाई, कारखाना, किसान औ...
21/09/2025

बिहार की सियासत में इस बार चर्चा है एक ऐसी युवा सरकार की, जो सिर्फ़ वादों पर नहीं बल्कि काम, कलम, कमाई, कारखाना, किसान और किफ़ायत की सोच पर खड़ी हो।
तेजस्वी यादव का दावा है कि जनता अब बदलाव चाहती है और इस बदलाव का चेहरा होगा युवाओं की सरकार।

जहाँ हर हाथ को काम, हर बच्चे को शिक्षा, हर परिवार को कमाई, हर गाँव में कारखाना और हर खेत में किसान की तरक्की की गारंटी दी जाएगी।
किफ़ायत के साथ योजनाओं को आगे बढ़ाते हुए, बिहार को नए विकास मॉडल की ओर ले जाने का संकल्प दोहराया गया है।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस बार जनता की उम्मीदें सीधी और साफ़ हैं – रोज़गार, शिक्षा और विकास।
अब देखना यह होगा कि क्या जनता सचमुच युवा नेतृत्व को मौका देती है या फिर पुरानी सोच को दोहराती है।

#बिहार

तेजस्वी यादव जी की बिहार अधिकार यात्रा आज सफलतापूर्वक विराम पर पहुँची।इस ऐतिहासिक सफ़र में जनता का अपार स्नेह और समर्थन ...
21/09/2025

तेजस्वी यादव जी की बिहार अधिकार यात्रा आज सफलतापूर्वक विराम पर पहुँची।
इस ऐतिहासिक सफ़र में जनता का अपार स्नेह और समर्थन यह साबित करता है कि बिहार अपने हक़ और अधिकार की लड़ाई में पूरी मजबूती से खड़ा है।

🙏 इस संघर्ष को ताक़त देने वाले हर साथी और समर्थक का दिल से धन्यवाद 🙏

19/10/2023

रोसरा kand

19/10/2023

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