29/01/2023
आज दीपासराय में फ़िक्र ओ अमल बरकाती इस्लामिक सेंटर व जमियातुल हिलाल लिलबनात का उद्घाटन बड़ी धूमधाम से मनाया गया।
इमारत का उद्घाटन अलजामियातुल अशरफ़िया, आज़मगढ़ के विश्वप्रख्यात नाज़िम ए तालीमात मुफ़्ती मुहम्मद अहमद मिस्बाही तथा मारहरा शरीफ़ से तशरीफ़ लाए सैयद मुहम्मद अमान मियाँ के द्वारा हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत ए क़ुरआन से हुई उसके बाद मौलाना हसीब उर रहमान हम्द व नात शरीफ़ पढ़ी गई। कारी इरफ़ान लतीफ़ी ने कहा फ़िक्र ओ अमल बरकाती सेंटर का मक़सद स्कूली बच्चों को क़ुरान के मुताबिक ज़िंदगी गुज़ारना है। संभल में इस तरह का स्कूल खुलना ऐतिहासिक कदम है।
अलमदीना इस्लामिक सेंटर से आये मौलाना अताउल मुस्तफ़ा ने सेंटर के बारे में विस्तारपूर्वक लोगो को बताया। उन्होंने बताया सेंटर के मुख्य कोर्स आदाब ए ज़िंदगी कोर्स, नूर ए क़ुरान कोर्स, इस्लामी तरबियती कोर्स, इल्म ए दीन कोर्स तथा शरीअत कोर्स हैं।
मौलाना तोसीफ रज़ा मिस्बाही, नाज़िम ए तालीमात, मदरसा फ़ैज़ उल उलूम ने सेंटर के संस्थापक मौलाना फाजिल मिस्बाही की प्रशंसा करते हुए कहा शहरवासियों के लिये यह बड़े ही फ़ख़्र की बात है, हमें उम्मीद है आपका सेंटर खूब तरक़्क़ी करेगा।
उन्होंने कहा
सूरज जैसा बनना है तो सूरज जितना जलना होगा,
नदियों सा आदर पाना है तो पर्वत छोड़ निकलना होगा।
हम आदम के बेटे है क्यों सोचे राह सरल होगा,
कुछ ज्यादा वक्त लगेगा पर संघर्ष जरुर सफल होगा।
अलीगढ़ से डॉ सलमान ने अपने ख़िताब में कहा अल्लाह के रसूल ने कहा ए मुसलमानों तुम में से बेहतर वह है जो क़ुरान सीखे और दूसरो को सिखाये। इसलिए दुनियावी तालीम के साथ साथ दीनी तालीम का सीखना भी बहुत ज़रूरी है।
सांसद डॉ शफ़ीक़ उर रहमान बर्क ने सभी मेहमानों का धन्यवाद देते हुए कहा हमें कभी मायूस नहीं होना चाहिए, एक नयी सुबह का इंतज़ार करना होगा।
मौलाना नौमान अज़हरी ने कहा संभल में इस तरह का इंस्टिट्यूट खुलना बड़ी ख़ुशी की बात है,
मुख्य अथिति सैयद मुहम्मद अमान मिया ने कहा आज के वक़्त में इस तरह के शोर्ट टर्म कोर्स का होना बहुत ज़रूरी क्योंकि लोग उसे आसानी से सीख सकते हैं। अगर हम घर घर दीन पहुँचायेंगे तो इंशाअल्लाह दुनिया भी संवरेगा और आख़िरत भी।
मुफ़्ती ज़ाहिद अली सलामी ने कहा दीन की ख़िदमत करना अल्लाह का इनाम है जिस से अल्लाह राज़ी होता है उसे ही मौक़ा मिलता है।
उन्होंने कहा,
अहसास ए अमल की चिंगारी जिस दिल में फरोंगा होती है,
उस लब का तबस्सुम हीरा है उस लब का तबस्सुम मोती है।
संस्थापक मौलाना फाजिल मिस्बाही ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मुफ़्ती मुहम्मद अहमद मिस्बाही ने की।
संचालन शफ़ीक़ उर रहमान ने किया।
अंत में मुफ़्ती मुहम्मद अहमद मिस्बाही ने दुआ करायी।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से मुफ़्ती ए आज़म संभल क़ारी अलाउद्दीन, क़ाईद ए संभल मौलाना नफ़ीस अख़्तर, मौलाना जिया उल मुस्तफ़ा, मौलाना तालिब मिस्बाही, मौलाना शुऐब रज़ा अमजदी, मौलाना राहत, मौलाना आलमगीर, मौलाना अबरार मिस्बाही, मौलाना फ़ैज़ान अशरफ़, मौलाना अलकमा मिस्बाही, मौलाना ज़ुबैर सलामी, यासीन मलिक, ख़तीब, हसन, परवेज़, हाजी मोनिस, मास्टर आरिफ़, कारी अब्दुल्लाह, कलीम अशरफ़ सलामी, शफ़ीक़उर्ह्मान, अथर, अनवर नौशाही, हाजी तंज़ील आदि के साथ सैंकड़ो लोग मौजूद रहे।