24/07/2025
"96 साल की उम्र में एक इंसान चला गया, लेकिन पीछे छोड़ गया ऐसी विरासत जो पैसों से नहीं, सेवा से बनी थी..."
तमिलनाडु के पट्टुकोट्टई कस्बे में एक बुज़ुर्ग डॉक्टर की मौत की खबर ने हर किसी की आंखें नम कर दीं। कोई मशहूर अस्पताल नहीं था उनके नाम, न ही बड़े विज्ञापन... लेकिन फिर भी उनके दरवाजे पर मरीजों की भीड़ लगी रहती थी। वजह? सिर्फ 10 रुपये में इलाज करने वाला वो फरिश्ता अब हमारे बीच नहीं रहा — नाम था डॉ. टी. ए. कनगरतिनम।
पट्टुकोट्टई में एक छोटा-सा क्लिनिक... और उसमें बैठा एक बुज़ुर्ग, जिसने बीते 60 सालों में हज़ारों जिंदगियों को छुआ — बिना कोई मोटी फीस लिए। जब आज की दुनिया में इलाज एक महंगा सौदा बन चुका है, तब डॉ. कनगरतिनम जैसे लोग साबित करते हैं कि डॉक्टर का असली धर्म क्या होता है।
उनकी सेवा की शुरुआत भी कुछ कम प्रेरणादायक नहीं थी। उस दौर में जब डॉक्टरों की फीस कुछ रुपये होती थी, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सिर्फ 2 रुपये की फीस से की थी। समय बदला, महंगाई बढ़ी, लेकिन उनका फीस सिर्फ 10 रुपये तक ही पहुंची — और वो भी इसलिए, ताकि मरीज उन्हें कुछ तो दे सकें।
गर्भवती महिलाएं, गरीब बुजुर्ग, मज़दूर, रिक्शावाले, खेतिहर मजदूर — उनके मरीज समाज के वही लोग थे, जो कभी बड़े अस्पतालों के दरवाज़े तक जाने की हिम्मत नहीं कर सकते थे। लेकिन डॉ. कनगरतिनम के यहां न जात देखी जाती थी, न धर्म और न ही पैसे की हैसियत। उनके लिए हर मरीज एक इंसान था — और हर इंसान की जान बेशकीमती।
उनकी सादगी का आलम ये था कि 90 की उम्र पार कर लेने के बाद भी, वो हर दिन क्लिनिक खोलते, मरीज देखते, और मुस्कुराकर कहते — "इलाज मेरा धर्म है, सेवा मेरा कर्म।" उनके लिए डॉक्टर बनना कभी रोज़गार नहीं रहा, बल्कि समाज को लौटाने का एक जरिया था।
और फिर वो दिन आया — जब 96 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। न कोई बड़ी प्रेस कांफ्रेंस, न सोशल मीडिया पर ट्रेंड, लेकिन उनके क्लिनिक के सामने सैकड़ों लोग, गीली आंखों से उन्हें आख़िरी सलाम देने पहुंचे।
डॉ. टी. ए. कनगरतिनम अब नहीं रहे, लेकिन उनके 10 रुपये से भी अनमोल सेवा के किस्से आने वाली पीढ़ियों को इंसानियत का मतलब सिखाते रहेंगे। उन्होंने ये साबित कर दिया कि असली हीरो वही होते हैं, जो बिना चर्चा, बिना दिखावे — चुपचाप लोगों के ज़ख्मों पर मरहम रखते हैं।
इनको नमन हे , आज बड़े से बड़ा हॉस्पिटल लूटने में लगा हे ,
क्या आप सहमत हे आज कल हॉस्पिटल में बस इलाज कम लूटमार जयदा हो रही हे