Dr Pankaj Tripathi

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18/04/2025
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07/12/2024

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रामायण: के आठ प्रश्नों के उत्तर 🙏रामायण हो या महाभारत दोनों ही धर्म ग्रंथ हिंदू धर्म मानने वालों के लिए बहुत पूजनीय है। ...
04/12/2024

रामायण: के आठ प्रश्नों के उत्तर 🙏

रामायण हो या महाभारत दोनों ही धर्म ग्रंथ हिंदू धर्म मानने वालों के लिए बहुत पूजनीय है। इनसे जुड़ी कई बातें ऐसी हैं, जो इन ग्रंथों के बारे में जब देखने या सुनने को मिलती है तो कई प्रश्न दिमाग में आने लगते हैं। यदि आपके दिमाग में भी कई बार ऐसे ही प्रश्न उठे हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे रोचक प्रश्नों के उत्तर जो आपकी जिज्ञासा शांत करने के साथ ही आपके ज्ञान को भी बढ़ाएंगे। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रश्नों के उत्तर...

*प्रश्न 1- श्रीराम ने बाली पर पीछे से वार क्यों किया ?*
🌹
उत्तर: श्रीराम के द्वारा बाली के वध की कथा रामचरितमानस के किष्किंधा कांड में मिलती है। यह एक विवादित प्रश्न रहा है कि
मर्यादा के रक्षक श्रीराम ने बाली का वध पीछे से क्याें किया।

तुलसीदासजी नेे एक चौपाई- धर्म हेतु अवतरेहु गोसाईं। मारेहु मोहि ब्याध की नाईं।

के जरिए इस प्रश्न काेे उठाया हैै यानी बाली नेे मरते वक्त पूछा कि हे राम आपने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया, लेकिन मुझे शिकारी की तरह छुपकर क्याें मारा। इसका उत्तर अगली चाैपाई में रामजी देते हैं।

अनुज बधू भगिनी सुत नारी।सुनु सठ कन्या सम ए चारी।
इन्हहि कुदृष्टि बिलाकइ जोई। ताहि बंधें कुछ पाप न होई।

यानी रामजी बोले अरे मूर्ख सुन। छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और बेटी ये चारों समान हैं। इनको जो बुरी दृष्टि से देखता है उसे मारने में कोई पाप नहीं है। ध्यान रहे बाली ने सुग्रीव को न केवल राज्य से निकाला था, बल्कि उसकी पत्नी भी छीन ली थी। भगवान का क्रोध इसलिए था कि जो व्यक्ति स्त्री का सम्मान नहीं करता उसे सामने से मारने या छुपकर मारने में कोई अंतर नहीं है। मूल बात है उसे दंड मिले। आखिरकार भगवान ने बाली को दंड दिया।

*प्रश्न 2- सीता ने स्वयंवर के जरिए ही राम को क्यों चुना?*
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उत्तर: स्वयंवर दो शब्द का जोड़ है- स्वयं अौर वर। आशय है वधू स्वयं ही अपना वर चुने। प्राचीनकाल से भारत में यह प्रथा थी। जिसके अंर्तगत कन्या को यह अधिकार था कि वह अपने अनुकूल वर का चयन स्वयं करें। पार्वती द्वारा शिव का चयन, सीता का स्वयंवर और द्रोपदी का अर्जुन के साथ विवाह हमेशा इसी परंपरा के उदाहरण है।
राम और कृष्ण युग में इस प्रथा के साथ वर का शौर्य प्रदर्शन भी जुड़ गया था। राम को जनक के दरबार मे भगवान शंकर का धनुष उठाने पर सीता और अर्जुन को मछली की आंख बाण से भेदने पर ही द्राेपदी मिली।

सीता के स्वयंवर की कथा वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस के बालकांड सहित सभी रामकथाओं में मिलती है। वाल्मीकि रामायण में जनक द्वारा सीता के लिए वीर्य शुल्क का संबोधन मिलता है। जिसका अर्थ है जनक ने यह निश्चय किया था कि जो व्यक्ति अपने पराक्रम के प्रदर्शन रूपी शुल्क को देने में समर्थ होगा, वही सीता से विवाह कर सकेगा।

इस अर्थ में वीर्यशुल्का कन्या सीता के लिए स्वयंवर का आयोजन किया गया। एक तरह से यह प्रथा तात्कालीन समाज में स्त्री की सशक्तता का श्रेष्ठ उदाहरण है। जिसमे अपना जीवन साथी चुनने के लिए पिता का आग्रह या दुराग्रह न होकर कन्या को ही वर चयन का सामाजिक अधिकार प्राप्त था।

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*प्रश्न 3-भरत राजगद्दी पर क्यों नहीं बैठे?*
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उत्तर: दशरथ के चार पुत्रों में भरत दशरथ की प्रिय रानी कैकेयी से जन्मे थे। श्रीरामकथा में सारा विवाद इन्हीं को लेकर हुआ। दशरथ ने जब राम को राजा बनाने की तैयारी की तब कैकेयी भरत को राज्य देने के लिए अड़ गई। पहले दिए वचनों से बंधे होने के कारण दशरथ ने राम को वनवास दिया आैर भरत के लिए राज्य की सहमति दी। इसी के साथ दशरथ के प्राणों का अंत हो गया। राम व लक्ष्मण सीता के साथ वन चले गए। इस पूरे घटनाक्रम के समय भरत अपने छोटे भाई शत्रुघ्न के साथ ननिहाल में थे। लौटने पर जब उन्हें विवाद का कारण पता चला तो वे बहुत दुखी हुए। उन्होंने राम को वन से वापस अयोध्या लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिलने पर वे राम की खड़ाऊं ही ले आए और उसे राजगद्दी पर विराजित कर राजकाज चलाया। राम के वनवास की अवधि 14 वर्ष थी। उस दौरान भरत भी अयोध्या के पास नंदीग्राम में तपस्वी जीवन जीते रहे। भरत का चरित्र राज्य के बजाए भातृ प्रेम और त्याग का उदाहरण है। उन्होंने राजा बनाए जाने के बावजूद इसलिए राज्य नहीं लिया,क्योंकि वे परिवार में धन के लिए विवाद का कारण नहीं बनना चाहते थे। भरत का त्याग उन्हें यशस्वी बना गया।

*प्रश्न 4- मंथरा का श्रीराम से क्या बैर था?*
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उत्तर: मंथरा रामकथा की एक महत्वपूर्ण पात्र है, जो दशरथ की सबसे प्रिय और सुंदर रानी कैकयी की दासी थी और विवाह में पिता द्वारा कैकयी को दहेज में दी गई थी। मंथरा ने ही कैकयी को भड़काया था, जिसके कारण कैकयी ने राम के राज्याभिषेक में विघ्न डाला और मंथरा के ही बताए गए दो वचन दशरथ से मांग कर पूरे राज परिवार को संकट में डाल दिया। वाल्मीकि रामायण और श्रीरामचरित मानस सहित रामकथाओं के अन्य संस्करणों में मंथरा का चरित्र और उसकी भूमिका अक्सर एक सी दी गई है। गोस्वामी तुलसीदासजी ने अपनी रामचरितमानस के अयोध्याकांड में इसे पीछे देवताओं की भूमिका का भी उल्लेख किया है।

संदर्भ है कि जब दशरथ ने राम को राजा बनाने का निश्चय किया और अवध में तैयारियां शुरू हुई, देवता घबरा गए। उनका उद्देश्य था राम वन में जाए ताकि इस बहाने रावण सहित अन्य राक्षसों का वध हो सके। यही कारण था कि राम का अवतार हुआ था, लेकिन जब राज्यभिषेक की तैयारी शुरू हुई। तब राम को वन भेजने के उद्देश्य से देवताओं ने ज्ञान की देवी सरस्वती के जरिए कैकयी की दासी मंथरा की मति फेर दी। परिणामस्वरूप मंथरा के मन में मोह, लोभ और क्रोध के विकार जन्मे और उसने कैकयी को भड़का दिया। मंथरा का राम से बैर तो नहीं था, लेकिन वह तुलसीदासजी के शब्दों में अपनी एक गलती से हमेशा के लिए अपयश का पात्र बन गई।

*प्रश्न 5- श्रवण कुमार की कथा का क्या महत्व है?*
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उत्तर: श्रवण का अर्थ सुनना और एक नक्षत्र के नाम के रूप में ग्रहण किया गया है, लेकिन श्रीरामकथा में श्रवणकुमार एक महत्वपूर्ण पात्र है। जिसके बारे में वाल्मीकि रामायण अयोध्याकांड के 64 वें अध्याय में कथा मिलती है। श्रीराम के वनगमन पर दुखी दशरथ अपनी मृत्यु से पहले रानी कौशल्या को यह कथा बताते हैं। इसके अनुसार दशरथ शब्द भेदी बाण चलाते थे यानी शब्द व ध्वनि सुनकर बाण चलाने में समर्थ थे।

एक दिन हिंसक पशु के भ्रम में उन्होंने एक मुनि के जिनके माता-पिता वृद्ध और नेत्रहीन थे, पर बाण चला दिया।अपने एकलौते पुत्र का वध सुन मुनि दशरथ को पुत्र वियोग में प्राण त्यागने का श्राप दिया था। अपने अंतिम समय में दशरथ ने कौशल्या को बताया कि उनके प्राण भी पुत्र वियोग में जाएंगे, क्योंकि उनके हाथों मुनि कुमार के वध का पाप हो चुका है और वे मुनि के श्राप से ग्रस्त हैं। रामायण में मुनि कुमार ही मिलता है, श्रवण नाम नहीं, लेकिन अन्य पुराणों में यही कथा श्रवण के रूप में मिलती है। जिसके बारे में यह भी कहा जाता है कि वह कावड़ में बैठाकर अपने माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर ले गया था।

*प्रश्न 6- राम सेतु निर्माण में पत्थर कैसे तैर गए?*
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उत्तर: माता सीता की खोज के लिए जब प्रभु राम की सेना लंका की ओर चली, तो रास्ते में विशाल समुद्र बड़ी बाधा बनकर उपस्थित हुआ। सेना सहित समुद्र को पार करना लगभग असंभव था। तीन दिन की प्रतीक्षा के बाद जब कोई हल न निकला तो श्रीराम ने गुस्से से अपना धनुष-बाण उठाया और मानव रूप धरकर प्रकट हुए समुद्र ने उन्हें पुल निर्माण का सुझाव दिया। इसमें बढ़ी बाधा यह थी कि समुद्र की तेज लहरों पर पत्थर कैसे टिकेंगे। समुद्र ने ही इसका समाधान किया।

उसने प्रभु श्रीराम को बताया कि उनकी सेना में नल और नील नाम के दो वानर हैं, जिन्हें बाल्यकाल में एक ऋषि से आशीर्वाद मिला था कि उनसे स्पर्श किए पत्थर पानी में तैर जाएंगे। श्रीराम की आज्ञा से नल व नील ने सभी पत्थरों को अपने हाथों से स्पर्श कर वानरों को देते गए, क्योंकि नल और नील पत्थर तैराने संबंधित विशिष्ट वरदान से विभूषित थे। इसलिए सारे पत्थर तैर गए और पुल निर्माण आसान हो गया। यह प्रतीकात्मक है। दरअसल नल और नील पुल निर्माण के विशेषज्ञ इंजीनियर थे। समुद्र ने केवल सेना में उनकी उपस्थिति का परिचय भर कराया। बस फिर क्या था श्रीराम की कृपा से प्रसिद्ध राम सेतु बन गया।

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*प्रश्न 7- रावण के दस सिर क्यों थे?*
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उत्तर: रावण मुनि विश्रवा और कैकसी के चार बच्चो में सबसे बड़ा पुत्र था। वाल्मीकि रामायण के उतराखंड में विश्रवा की संतानों के जन्म की कथा में प्रसंग है कि रावण दस मस्तक, बड़ी दाढ़ी, तांबे जैसे होंठ, विशाल मुख और बीस भुजाओं के साथ जन्मा था। उसका शरीर का रंग कोयले के समान काला था।उसके पिता ने उसकी दस ग्रीवा देखी तो उसका नाम दशग्रीव रखा। दस गर्दन यानी दस सिर वाला।

यही कारण है कि रावण दशानन, दसकंधर आदि नामों से प्रसिद्ध हुआ, हालांकि यह अस्वाभाविक है कि किसी के एक साथ दस सिर हों। यह सिर्फ प्रतीक मात्र है। रावण के दस सिरों की भिन्न- भिन्न व्यंजनाएं मिलती है। जिनके अनुसार रावण के दस सिर अहंकार, मोह, क्रोध, माया आदि विकारों के प्रतीक हैं यानी रावण सभी विकारों से ग्रसित था और इसी कारण ज्ञान व श्री संपन्न होने के बावजूद मात्र सीताहरण का एक अपराध करने से मारा गया। स्पष्टत: रावण के दस सिर प्रतीकात्मक है न कि प्राकृतिक और स्वाभाविक।

*प्रश्न 8-लव-कुश और हनुमान के बीच युद्ध क्यों हुआ?*
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उत्तर: रावण वध के बाद सीता को लेकर अयोध्या लौटे, राम ने कुछ समय राज किया। इसके बाद लोक मर्यादा के रहते सीता का त्याग कर दिया। तब सीता वाल्मीकि के आश्रम में रहीं और वहीं दो जुड़वां पुत्रों लव व कुश को जन्म दिया। आश्रम में ही दोनों बालक बड़े हुए। इस बीच अयोध्या में सभी के आग्रह पर राम ने अश्वमेध यज्ञ किया। जिसमें यज्ञ का अश्व स्वतंत्र विचरण के लिए छोड़ा जाता है यदि कोई उस अश्व यानी घोड़े को पकड़े तो उसे युद्ध करना होता है। राम के यज्ञ का अश्व जब वाल्मीकि के आश्रम तक पहुंचा तो यज्ञ से अनभिज्ञ दोनों तपस्वी बालकों लव और कुश ने उसे पकड़ लिया।

यज्ञ के अश्व की रक्षा के लिए साथ गए भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और हनुमान सहित पूरी राम सेना से लव –कुश की लड़ाई हुई। इसी लड़ाई में हनुमान भी लव-कुश से लड़े, क्योंकि दोनों राम व सीता के पुत्र होने के साथ ही बहुत बलशाली और युद्ध में निपुण योद्धा भी थे, इसलिए कोई भी उनके सामने न टिक पाया। आखिर में जब राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तब सीता के आ जाने से पूरी कथा की धारा बदल गई। हनुमान और लव-कुश के युद्ध की यह कथा रामकथाओं में अलग-अलग रूपों में विस्तार से मिलती है।

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क्या भारत में "सनातन धर्म बोर्ड" भी बनना चाहिए?1) हां2) नहींअपना जवाब कमेंट कर जरूर दें।
30/11/2024

क्या भारत में "सनातन धर्म बोर्ड" भी बनना चाहिए?
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नई दिल्ली: बांग्लादेश के हिंदू मंदिर से मां जेशोरेश्वरी का मुकुट चोरी, पीएम मोदी ने गिफ्ट किया था*11 October 2024,**ब्रे...
11/10/2024

नई दिल्ली: बांग्लादेश के हिंदू मंदिर से मां जेशोरेश्वरी का मुकुट चोरी, पीएम मोदी ने गिफ्ट किया था
*11 October 2024,*

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*नई दिल्ली:* ढाका- बांग्लादेश में 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के बाद से स्थिति अराजक हो गई है. इस बीच सतखीरा के श्यामनगर स्थित जेशोरेश्वरी मंदिर से काली माता का मुकुट चोरी हो गया है. यह मुकुट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मार्च 2021 में अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान भेंट किया था. पीएम मोदी ने उस यात्रा का वीडियो भी साझा किया था, जो कोरोना महामारी के बाद उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा थी. चोरी की इस घटना से सभी हैरान हैं, क्योंकि जेशोरेश्वरी मंदिर लाखों श्रृद्धालुओं की आस्था का केंद्र है.

*चोरी की घटना कब हुई:*

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना गुरुवार को दोपहर 2:00 से 2:30 बजे के बीच हुई, जब मंदिर के पुजारी दिलीप मुखर्जी पूजा संपन्न कर घर चले गए थे. बाद में सफाई कर्मचारियों ने देखा कि काली माता के सिर से मुकुट गायब था.

*महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जेशोरेश्वरी मंदिर:*

जेशोरेश्वरी मंदिर हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है और यह बांग्लादेश के श्यामनगर में स्थित है. मंदिर के चांदी और सोने से बने मुकुट की सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक अहमियत है.

*पुलिस ने क्या कहा:*

मामले की जांच कर रहे श्यामनगर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर तैजुल इस्लाम ने बताया कि चोरी की घटना का खुलासा करने के लिए मंदिर के CCTV फुटेज की जांच की जा रही है. उन्होंने बताया कि मुकुट का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है और इस घटना से लोगों में चिंता बढ़ी है.

*मंदिर का इतिहास:*

बताया जाता है कि जेशोरेश्वरी काली मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के अंत में एक ब्राह्मण अनाड़ी ने किया था. इसके बाद, राजा प्रतापदित्य ने 16वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण कराया. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वह स्थान है जहां देवी सती के हाथ और पैरों के तलवे गिरे थे. यहां देवी काली को जेशोरेश्वरी के रूप में पूजा जाता है.

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4,85,56,75,90,000.00/- ₹ की संपत्ति रखने वाले राकेश झुनझुनवाला (बिगबुल/स्टॉक ट्रेडर) के निधन से पहले के अंतिम शब्द.....म...
10/10/2024

4,85,56,75,90,000.00/- ₹ की संपत्ति रखने वाले राकेश झुनझुनवाला (बिगबुल/स्टॉक ट्रेडर) के निधन से पहले के अंतिम शब्द.....

मैं व्यापार जगत में सफलता के शिखर पर पहुँच चुका हूँ। मेरा जीवन दूसरों की नज़र में एक उपलब्धि है। हालाँकि, काम के अलावा मेरे पास कोई खुशी नहीं थी। पैसे केवल एक सत्य हैं जिसका मैं उपयोग करता हूँ।

इस समय अस्पताल के बिस्तर पर लेटे हुए और अपनी पूरी जिंदगी को याद करते हुए, मुझे एहसास होता है कि मुझे जो पहचान और पैसे पर गर्व था, वह मृत्यु से पहले झूठा और बेकार हो गया है।

आप अपनी कार चलाने या पैसे कमाने के लिए किसी को किराए पर ले सकते हैं। लेकिन, आप किसी को पीड़ित होने और मरने के लिए किराए पर नहीं ले सकते।

खोई हुई भौतिक वस्तुएँ मिल सकती हैं। लेकिन एक चीज़ है, जो खो जाने पर कभी नहीं मिलती - और वह है "जीवन"।

हम जीवन के किसी भी चरण में हों, समय के साथ हमें उस दिन का सामना करना होगा, जब दिल बंद हो जाएगा।

अपने परिवार, जीवनसाथी और दोस्तों से प्यार करें...🙏 उनके साथ अच्छा व्यवहार करें, उनके साथ धोखा न करें, बेईमानी या विश्वासघात कभी न करें।

जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं और समझदार बनते हैं, हमें धीरे-धीरे एहसास होता है कि Rs 300 या Rs 3000 या Rs 2-4 लाख की कीमत की घड़ी पहनने से - सब कुछ एक ही समय को दर्शाता है।

हमारे पास 100 का पर्स हो या 500 का - अंदर सब कुछ समान होता है।

चाहे हम 5 लाख की कार चलाएँ या 50 लाख की कार चलाएँ। रास्ता और दूरी एक ही है और हम उसी मंजिल पर पहुँचते हैं।

हम जिस घर में रहते हैं, चाहे वह 300 वर्ग फुट का हो या 3000 वर्ग फुट का - अकेलापन हर जगह समान है।

आपको एहसास होगा कि आपकी सच्ची आंतरिक खुशी इस दुनिया की भौतिक वस्तुओं से नहीं मिलती।

आप फर्स्ट क्लास या इकोनॉमी क्लास में उड़ान भरें, अगर विमान नीचे गिरता है तो आप भी उसके साथ नीचे ही जाएंगे।

इसलिए.. मैं आशा करता हूँ कि आपको एहसास होगा, आपके पास दोस्त, भाई और बहनें हैं, जिनके साथ आप बातें करते हैं, हंसते हैं, गाते हैं, सुख-दुख की बातें करते हैं,... यही सच्ची खुशी है!!

जीवन की एक निर्विवाद सच्चाई:

अपने बच्चों को केवल अमीर बनने के लिए शिक्षित न करें। उन्हें खुश रहना सिखाएँ। जब वे बड़े होंगे तो उन्हें चीज़ों की लागत नहीं, मूल्य की जानकारी होगी।

जीवन क्या है❓

जीवन को बेहतर समझने के लिए तीन स्थान हैं:
- अस्पताल
- जेल
- श्मशान

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अस्पताल में आप समझेंगे कि स्वास्थ्य से अच्छा कुछ नहीं है।
जेल में आप देखेंगे कि आज़ादी कितनी अमूल्य है।
और श्मशान में आपको एहसास होगा कि जीवन कुछ भी नहीं है।

आज हम जिस ज़मीन पर चल रहे हैं, वह कल हमारी नहीं होगी।

चलो अब से विनम्र बनें और हमें जो मिला है उसके लिए अपने माता पिता का धन्यवाद करें।

क्या आप इस संदेश को किसी और के साथ साझा कर सकते हैं? और मैं अपने मां बाप, भाई, बहन, सभी रिश्तेदार, पड़ोसी मित्र परिवार, मेरा समाज, मेरा देश सभी से में प्यार करता हूं।

सबका मंगल हो।
सबका कल्याण हो।
सभी प्राणी सुखी हो।

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