Satpuli Pauri Uttarakhand

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नयारघाटी रामलीला सतपुली में आज के मुख्य आकर्षण... भारत - मिलाप (भारत की व्याकुलता)Ronny Rwt
10/10/2025

नयारघाटी रामलीला सतपुली में आज के मुख्य आकर्षण...

भारत - मिलाप (भारत की व्याकुलता)
Ronny Rwt

आखिर कब तक हम लोग लोग गुलदार का चारा बनेंगे। अब तो सब बर्दाश्त से हो गया गया है। ग्राम ढंगसोली में आज सुबह आँगन में काम ...
06/10/2025

आखिर कब तक हम लोग लोग गुलदार का चारा बनेंगे। अब तो सब बर्दाश्त से हो गया गया है। ग्राम ढंगसोली में आज सुबह आँगन में काम कर रहें नीरज पाँथरी पर गुलदार ने हमला कर दिया। हर दिन कोई ना कोई शिकार बन रहा है और शासन प्रशासन अपनी नीतियों को बदलने की बजाय मुआवजा बढ़ाकर पल्ला झाड़ रहा है। क्या गाँवो में बचें गिन्ने-चुनें लोग सरकारी नीतियों के कारण अब जंगली जानवरों का शिकार बनकर रह गए है?

27/09/2025
मशहूर ब्लागर और अपने कामेडी विडियो से सबके दिलों में राज करने वाली    को वैवाहिक जीवन की ढेरसारी बधाई एवं शुभकामनाएं 💐 💐...
25/09/2025

मशहूर ब्लागर और अपने कामेडी विडियो से सबके दिलों में राज करने वाली को वैवाहिक जीवन की ढेरसारी बधाई एवं शुभकामनाएं 💐 💐 🎉 🎂
आपका वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा हो और आपको भगवान हर खुशी दें। यही भोलेनाथजी से प्रार्थना है।
Happy Married life

दुखद –: मां की ममता । दोनों बच्चों को सीने से लिपटाकर मलबे में दफन हो गईं कांता।शुक्रवार को जब खोजबीन टीम ने मलबे में दव...
20/09/2025

दुखद –: मां की ममता । दोनों बच्चों को सीने से लिपटाकर मलबे में दफन हो गईं कांता।
शुक्रवार को जब खोजबीन टीम ने मलबे में दवे तीनों शवों को निकाला, तो शवों को देख कर सभी की आंखों में आ गए आंसू।

गोपेश्वरः चमोली के नंदानगर क्षेत्र में आई आपदा ने कई परिवारों को प्रभावित किया है, जिसमें कुंतरी गांव की कांता देवी देवी और उनके जुड़वा बच्चों की दुखद कहानी भी शामिल है। शुक्रवार को जब यहां खोजबीन टीम ने मलबे में दबे कांता देवी और उनके बच्चों के शवों को निकाला, तो वहां मौजूद सभी की आंखों में आंसू आ गए। मलबे में दफन कांता देवी ने अपने दोनों बच्चों को सीने से लगाकर रखा था।

कुंतरी गांव में बुधवार देर रात आई आपदा में कुंवर सिंह, उनकी पत्नी कांता देवी (38) और दी जुड़वा बच्चे 10 वर्षीय विकास व विशाल मलबे में दब गए थे। घटना के लगभग 16 घंटे बाद राहत कार्यों में जुटी टीमों ने कुंवर सिंह को ती जीवित निकाल लिया, लेकिन उनकी पत्नी और बच्चों का पता नहीं चला था। शुक्रवार को टीमों ने फिर से मलबा हटाना शुरू किया तो मकान के एक हिस्से में कांता देवी और उनके बच्चों के शव दबे हुए थे। तीनों एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। विकास और विशाल कक्षा चार में पढ़ते थे।एक साथ जली सात चिताएं, हर आंख नम। नंदानगर के कुंतरी लगा फाली, सरपाणी में आपदा में हुए मृतक सात लोगों का सामूहिक अंतिम संस्कार नंदानगर के चक्रप्रयाग घाट नंदाकिनी व चुफलाघाट के संगम तट पर किया गया। इस दौरान उपस्थित क्षेत्र के लोगों की आंखें नम हो गई। अंतिम संस्कार में पूरे क्षेत्र वासियों ने शिरकत कर मृतकों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान सात चिताएं एक साथ जलती देख वहां से गुजरने वालों की भी आंखें नम हो गई।
कुंवर सिंह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे और हाल ही में उन्होंने नया मकान बनवाया था, लेकिन आपदा ने उनकी खुशियों को छीन लिया।

श्रीनगर मेडिकल कालेज में भर्ती कुंवर सिंह ने स्थानीय लोगों से बातचीत में बताया कि सैलाब आने से पहले पत्नी और बच्चों को
सुरक्षित घर से बाहर भेज दिया था। इसके बाद भी उनकी जान नहीं बच सकी। स्थानीय निवासी दीपक रतूड़ी ने बताया कि कुंवर सिंह की स्थिति को देखते हुए उन्हें अभी पत्नी और एयरलिफ्ट कर दो घायलों को भेजा श्रीनगर मेडिकल कालेज।

कुंतरी गांव में 16 घंटे तक मलवे में फंसे रहने के बाद जीवित निकाले गए कुंवर सिंह

आवश्यक सूचना,20 सितम्बर को बिजली विभाग में मेंटेनेंस कार्य हेतु द्वारीखाल, यमकेश्वर, जहरीखाल ब्लॉक में बिजली आपूर्ति दिन...
19/09/2025

आवश्यक सूचना,
20 सितम्बर को बिजली विभाग में मेंटेनेंस कार्य हेतु द्वारीखाल, यमकेश्वर, जहरीखाल ब्लॉक में बिजली आपूर्ति दिन में रहेगी ठप

नयार घाटी सद्भावना हाफ मैराथन 2अक्टुबर 2025
18/09/2025

नयार घाटी सद्भावना हाफ मैराथन 2अक्टुबर 2025

सफलता की कहानी #यमकेश्वर_ब्लॉक के गंगा भोगपुर मल्ला गांव की सीमा देवी ने ग्रामोत्थान परियोजना के तहत अपने पुराने ऑटो को ...
17/09/2025

सफलता की कहानी
#यमकेश्वर_ब्लॉक के गंगा भोगपुर मल्ला गांव की सीमा देवी ने ग्रामोत्थान परियोजना के तहत अपने पुराने ऑटो को बदलकर शुरू किया “यम्मी हॉट स्पाइसी फूडवैन”

रोज़गार का नया रास्ता खोलते हुए वे प्रतिदिन 1000–1500 रुपये कमा रही हैं।
एक स्थानीय युवक को भी रोजगार देकर दो परिवारों की आजीविका सुनिश्चित की।
पौड़ी के CDO गिरीश गुणवंत ने मौके पर पहुंचकर की सराहना।

अब सीमा देवी का संघर्ष और सफलता पूरे जनपद की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
वही गाड़ी जो पहले सवारी ढोती थी, आज उनके सपनों को दौड़ा रही है!

#महिला_सशक्तिकरण #सफलता_की_कहानी #ग्रामोत्थान

🌺  माँ धारी देवी मंदिर उत्तराखंड  🌺हे माँ, अपनी कृपा दृष्टि हम सब पर बनाए रखना,हमारे जीवन से हर संकट और अंधकार को दूर कर...
17/09/2025

🌺 माँ धारी देवी मंदिर उत्तराखंड 🌺

हे माँ, अपनी कृपा दृष्टि हम सब पर बनाए रखना,
हमारे जीवन से हर संकट और अंधकार को दूर करना।

अब देहरादून में आपदा, 17 लोगों की मौत13 से ज्यादा लापता 11 नदियां उफनाईं, 13 पुल क्षतिग्रस्त, 62 सड़कें बंद, कई भवन ध्वस...
17/09/2025

अब देहरादून में आपदा, 17 लोगों की मौत
13 से ज्यादा लापता 11 नदियां उफनाईं, 13 पुल क्षतिग्रस्त, 62 सड़कें बंद, कई भवन ध्वस्त

**द्वी हजार आठ भादौ का मासा ,,सतपुली मोटर बोगीना खास।**------यह दो लाइन, उस प्रलयकारी बाढ़ के इतिहास में हमेशा के लिए दर...
14/09/2025

**द्वी हजार आठ भादौ का मासा ,,
सतपुली मोटर बोगीना खास।**
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यह दो लाइन, उस प्रलयकारी बाढ़ के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है। संबद्ध 2008 अर्थात 14 सितंबर 1951 का समय *खास* को सतपुली, जो कि पौड़ी गढ़वाल का एक छोटा सा कस्बा है, मे पूर्वी नयार नदी के उफानते पानी ने, 22 गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स लिमिटेड की बसें तथा उसमें मौजूद ३० चालक एवं परिचालकों के जीवन को लील कर दिया था। यह घटना 1951 की सबसे बड़ी दर्दनाक घटना थी। उस समय पहाड़ों में आने-जाने एवं सूचना के कोई साधन उपलब्ध नहीं थे। उस समय इस खबर को जगह जगह पहुंचाने के लिए भी काफी वक्त लग गया होगा। उस समय मोटर गाड़ियां कोटद्वार से पौड़ी तक जाती थी। सतपुली इस नयार नदी को पार करने के लिए एक पैदल मार्ग झूला पुल था, तथा गाड़ियों के लिए एक भ्यून्ता पुल था। गाड़ियां भ्यून्ता पुल को पार करके सामने नदी के बंजर स्थान या बगड़ मैं खड़ी होती थी। कोटद्वार से गाड़ियां चलकर पौड़ी 2 दिन में पहुंचती थी। एक रात्रि सतपुली में विश्राम होता था। पौड़ी उस समय अंग्रेजों की कमिश्नरी होती थी। इन गाड़ियों को पौड़ी से सरकारी आदेश के तहत इनके कागज एवं फिटनेस इत्यादि की जांच के लिए पौड़ी बुलाया गया था।
14 सितंबर 1951 को कुछ गाड़ियां कोटद्वार से चलकर सतपुली में विश्राम के लिए रुकी, उसके बाद रात्रि के समय कुछ चालक अपनी गाड़ी को देखने लगे सफाई करने लगे, और कुछ लोग आराम करने लगे। इन चालक परिचालक एवं अन्य लोगों को क्या पता था कि, कुछ ही समय बाद प्रकृति का प्रचंड प्रकोप इन सब को समाप्त कर देगा, और रात्रि को हुआ भी ऐसा ही, पूर्वी नयार नदी भयंकर शोर करती हुई, प्रचंड वेग से आगे बढ़ रही थी, पहले उसने झूला पुल को समाप्त किया, तथा आगे गाड़ियों को पुल को भी अपनी चपेट में ले लिया, और फिर सामने नदी के बगड़ में खड़ी सभी गाड़ियों को अपने आगोश में समा लिया। किसी को भी यह पता नहीं था कि इसका प्रचंड बैग हम सब को समाप्त कर देगा। पानी आते ही ड्राइवर कंडक्टर अपनी, अपनी बसों में पत्थर भरने लगे जिससे की गाड़ियों में भारी हो जाए और बहे ना। लेकिन नदी का प्रचंड वेग इतना था कि नदी के लिए बसें तिनके के समान थी। बचाव के कुछ भी साधन उपलब्ध नहीं थे क्योंकि बाढ़ भी अंधेरे में सुबह के टाइम पर आई और इसमें कुछ लोगों ने पेड़ पकड़े, कुछ लोग पेड़ में चढ़े लेकिन पेड़ ही सहित बह गए।

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