14/09/2025
**द्वी हजार आठ भादौ का मासा ,,
सतपुली मोटर बोगीना खास।**
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यह दो लाइन, उस प्रलयकारी बाढ़ के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है। संबद्ध 2008 अर्थात 14 सितंबर 1951 का समय *खास* को सतपुली, जो कि पौड़ी गढ़वाल का एक छोटा सा कस्बा है, मे पूर्वी नयार नदी के उफानते पानी ने, 22 गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स लिमिटेड की बसें तथा उसमें मौजूद ३० चालक एवं परिचालकों के जीवन को लील कर दिया था। यह घटना 1951 की सबसे बड़ी दर्दनाक घटना थी। उस समय पहाड़ों में आने-जाने एवं सूचना के कोई साधन उपलब्ध नहीं थे। उस समय इस खबर को जगह जगह पहुंचाने के लिए भी काफी वक्त लग गया होगा। उस समय मोटर गाड़ियां कोटद्वार से पौड़ी तक जाती थी। सतपुली इस नयार नदी को पार करने के लिए एक पैदल मार्ग झूला पुल था, तथा गाड़ियों के लिए एक भ्यून्ता पुल था। गाड़ियां भ्यून्ता पुल को पार करके सामने नदी के बंजर स्थान या बगड़ मैं खड़ी होती थी। कोटद्वार से गाड़ियां चलकर पौड़ी 2 दिन में पहुंचती थी। एक रात्रि सतपुली में विश्राम होता था। पौड़ी उस समय अंग्रेजों की कमिश्नरी होती थी। इन गाड़ियों को पौड़ी से सरकारी आदेश के तहत इनके कागज एवं फिटनेस इत्यादि की जांच के लिए पौड़ी बुलाया गया था।
14 सितंबर 1951 को कुछ गाड़ियां कोटद्वार से चलकर सतपुली में विश्राम के लिए रुकी, उसके बाद रात्रि के समय कुछ चालक अपनी गाड़ी को देखने लगे सफाई करने लगे, और कुछ लोग आराम करने लगे। इन चालक परिचालक एवं अन्य लोगों को क्या पता था कि, कुछ ही समय बाद प्रकृति का प्रचंड प्रकोप इन सब को समाप्त कर देगा, और रात्रि को हुआ भी ऐसा ही, पूर्वी नयार नदी भयंकर शोर करती हुई, प्रचंड वेग से आगे बढ़ रही थी, पहले उसने झूला पुल को समाप्त किया, तथा आगे गाड़ियों को पुल को भी अपनी चपेट में ले लिया, और फिर सामने नदी के बगड़ में खड़ी सभी गाड़ियों को अपने आगोश में समा लिया। किसी को भी यह पता नहीं था कि इसका प्रचंड बैग हम सब को समाप्त कर देगा। पानी आते ही ड्राइवर कंडक्टर अपनी, अपनी बसों में पत्थर भरने लगे जिससे की गाड़ियों में भारी हो जाए और बहे ना। लेकिन नदी का प्रचंड वेग इतना था कि नदी के लिए बसें तिनके के समान थी। बचाव के कुछ भी साधन उपलब्ध नहीं थे क्योंकि बाढ़ भी अंधेरे में सुबह के टाइम पर आई और इसमें कुछ लोगों ने पेड़ पकड़े, कुछ लोग पेड़ में चढ़े लेकिन पेड़ ही सहित बह गए।