28/09/2025
आज हम उस वीर सपूत को याद कर रहे हैं जिसने मात्र 23 वर्ष की उम्र में अपना जीवन देश की आज़ादी के नाम कर दिया.! भगतसिंह सिर्फ़ एक नाम नहीं, बल्कि वह विचार है, जो अन्याय, शोषण और गुलामी के खिलाफ खड़ा होता है.!
भगतसिंह ने कहा था – “क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है.!”
आज जब समाज में असमानता, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और नफरत की दीवारें खड़ी की जा रही हैं, तब हमें भगतसिंह के विचारों को याद करने और उन्हें जीवन में उतारने की सबसे अधिक आवश्यकता है.! क्योंकि उन्होंने धर्म और जाति की दीवारों को तोड़कर इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म माना.! उन्होंने युवाओं से कहा कि वे केवल सपने न देखें, बल्कि अपने विचारों और कर्मों से समाज में बदलाव लाएँ.! उन्होंने सत्ता से सवाल करना सिखाया, अंधभक्ति से दूर रहना सिखाया.! उन्होंने सिखाया कि आज़ादी का असली मतलब केवल विदेशी शासन से मुक्ति नहीं, बल्कि हर प्रकार के अन्याय और असमानता से मुक्ति है.!
आज हम देख रहे हैं कि देश में धर्म और जाति के आधार पर लोगों को बाँटने की कोशिश हो रही है, शिक्षा और रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं, दलित, आदिवासी, किसान और मज़दूर परेशान हैं.! ऐसे समय में भगतसिंह के विचार हमें राह दिखाते हैं कि सच्ची आज़ादी का अर्थ है — सबको समान अवसर, समान अधिकार और समान न्याय.!
आइए, शहीद-ए-आज़म भगतसिंह के जन्मदिवस पर भगत सिंह सेना के साथी और प्रदेशवासी संकल्प लें कि:
हम अंधविश्वास नहीं बल्कि तर्क और ज्ञान का मार्ग चुनेंगे.! हम धार्मिक नफरत नहीं बल्कि भाईचारे का संदेश फैलाएँगे.! हम केवल खुद के लिए नहीं, समाज और देश की बेहतरी के लिए काम करेंगे.!
अंत में मैं यही कहूँगा कि जहाँ भी अन्याय हो, वहाँ अपनी आवाज़ जरूर बुलंद करें क्योंकि भगत सिंह का जीवन हमें याद दिलाता है कि असली ताकत बंदूक या सत्ता में नहीं, बल्कि विचार और साहस में है..! आओ हम सब मिलकर उनके विचारों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ और नई पीढ़ी तक पहुँचाएँ.! यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी.!
इंकलाब ज़िंदाबाद.!✊
भगतसिंह अमर रहें.! ✊🏽