25/09/2025
चालाक नौकर और दयालु मालिक
एक समय की बात है, एक अमीर व्यापारी था जिसका नाम था रमेश। उसके पास बहुत संपत्ति थी और उसके यहां कई नौकर काम करते थे। रमेश स्वभाव से बहुत सीधा और दयालु था, लेकिन उसका एक नौकर, जिसका नाम किशन था, बहुत चालाक था। किशन अक्सर छोटे-मोटे बहाने बनाकर काम से जी चुराता था और अपने मालिक को धोखा देने की कोशिश करता था।
एक दिन, रमेश ने किशन को बाजार से कुछ महत्वपूर्ण सामान लाने के लिए भेजा। उसने किशन को एक थैली में ₹5000 दिए और कहा, "किशन, यह बहुत जरूरी सामान है। इसे सुरक्षित ले आना।"
किशन थैली लेकर चला गया। रास्ते में उसने सोचा, "मालिक तो बहुत सीधे हैं। क्यों न मैं कुछ पैसे बचा लूं और झूठ बोल दूं कि थैली में छेद था।"
उसने थैली से ₹500 निकाल लिए और बाकी पैसों से सामान खरीद लिया। घर वापस आकर, उसने रमेश को बताया, "मालिक, मुझे माफ कर दीजिए। आपकी थैली में एक छोटा सा छेद था और ₹500 कहीं गिर गए।"
रमेश ने उस पर विश्वास कर लिया और उसे कुछ नहीं कहा। यह देखकर किशन की हिम्मत और बढ़ गई।
अगले दिन, रमेश ने किशन को फिर से ₹10000 दिए और कहा, "इस बार ध्यान रखना। यह बहुत कीमती सामान है।"
किशन ने फिर वही चाल चली और ₹1000 निकाल लिए। उसने घर आकर फिर से वही कहानी सुनाई। रमेश ने इस बार भी उस पर दया दिखाई और उसे माफ कर दिया।
यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। किशन को लगा कि उसका मालिक मूर्ख है और उसे कभी पता नहीं चलेगा। लेकिन रमेश चुपचाप सब देख रहा था। उसने एक योजना बनाई।
एक दिन, रमेश ने किशन को अपने पास बुलाया और कहा, "किशन, मैंने तुम्हें एक बहुत जरूरी काम के लिए चुना है। तुम्हें मेरे व्यापार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा संभालना है। मैं तुम्हें एक बड़ा पद देना चाहता हूं।"
यह सुनकर किशन बहुत खुश हुआ। उसे लगा कि अब वह और ज्यादा पैसे बना पाएगा।
रमेश ने आगे कहा, "लेकिन इस पद के लिए तुम्हें मेरे साथ एक शपथ लेनी होगी।"
किशन ने पूछा, "कैसी शपथ, मालिक?"
रमेश ने कहा, " तुम्हें मेरे साथ खड़े होकर भगवान के सामने यह शपथ लेनी होगी कि तुम आज के बाद कभी झूठ नहीं बोलोगे और ईमानदारी से काम करोगे।"
किशन सोच में पड़ गया। अगर वह यह शपथ लेता है, तो उसे अपनी सारी चालाकी छोड़नी पड़ेगी, और अगर वह नहीं लेता, तो उसे यह बड़ा मौका गंवाना पड़ेगा। उसकी लालच ने उसे इस मौके को लेने के लिए मजबूर किया।
जब वे दोनों भगवान के सामने खड़े हुए, रमेश ने किशन से कहा, "किशन, आज तक तुमने जो कुछ भी मेरे साथ किया, वह सब मुझे पता है। मुझे यह भी पता है कि तुम हर बार पैसे चुराते थे। मैंने तुम्हें इसलिए माफ किया क्योंकि मैं तुम्हें एक मौका देना चाहता था कि तुम अपनी गलती सुधार सको। अब तुम यहां खड़े हो। अगर तुम सच में ईमानदार बनना चाहते हो, तो भगवान से अपनी गलतियों की माफी मांगो।"
यह सुनकर किशन की आंखों में आंसू आ गए। उसे अपने मालिक की दयालुता और अपनी मूर्खता का एहसास हुआ। उसने रमेश के पैरों में गिरकर माफी मांगी और कसम खाई कि वह आज के बाद कभी झूठ नहीं बोलेगा।
रमेश ने उसे माफ कर दिया और सच में उसे एक महत्वपूर्ण पद दिया। किशन ने उस दिन के बाद से कभी धोखा नहीं दिया और पूरी ईमानदारी से काम किया।
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी सबसे बड़ी नीति है। एक दयालु व्यक्ति अपनी दया से किसी भी व्यक्ति का हृदय परिवर्तन कर सकता है, भले ही वह कितना भी चालाक क्यों न हो।