Dheeraj Dass

Dheeraj Dass � मैं शिष्य हुं उस संत का जो खुद ही इस संसार मालिक है,,,।

 #श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि   #श्राद्ध  #पितृपक्ष
27/09/2024

#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि


#श्राद्ध #पितृपक्ष

गरीब, सब पदवी के मूल हैं, सकल सिद्ध हैं तीर।दास गरीब सतपुरुष भजो, अबिगत कला कबीर ।।✍️संत गरीबदास जी ने इस अमृतवाणी में क...
26/09/2024

गरीब, सब पदवी के मूल हैं, सकल सिद्ध हैं तीर।
दास गरीब सतपुरुष भजो, अबिगत कला कबीर ।।

✍️संत गरीबदास जी ने इस अमृतवाणी में कितनी गहरी बात कही है कि जो परमेश्वर सब पदवी के मूल हैं अर्थात् जिस परमेश्वर में सर्व ब्रम्हाण्ड के सर्व पद विद्यमान हैं, वो कवि की पदवी पृथ्वी पर प्राप्त करता है।

☝️उस परमपद का मालिक है जिसके बारे में गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है। बन्दी छोड़ की पदवी(जो परमेश्वर जन्म मरण के बन्धन से मुक्त करते हैं।)

परमेश्वर की पदवी जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है। (गीता अध्याय 15 श्लोक 17) इस कारण से पालनकर्ता, धारणकर्ता , वास्तव में पुरूषोत्तम है,, जो वास्तव में परमात्मा कहा जाता है।

सर्व का सिरजनहार की पदवी जिसके पास है जो सब पदवी का मूल है और जिसके पास सर्व सिद्धियां हैं। (काल लोक में तो केवल आठ सिद्धियां हैं, परंतु परमेश्वर कबीर जी के पास तो असंख्य सिद्धियां हैं।)

संत गरीबदास जी ने कहा है कि हे मानव! आप सतपुरूष (अविनाशी परमेश्वर) की भक्ति करो और उसी अविगत (सतपुरूष) की कला (सर्व कला सम्पन्न अवतार) कबीर जी हैं अर्थात् #कबीर_परमेश्वर (कविर्देव) की भक्ति करो।

#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि

#भक्तिबोध
#सनातन_धर्म
Satlok Ashram
Spiritual Leader Saint Rampal Ji

 #भक्तिबोध  कबीर, गंगा यमुना बद्री समेते , जगन्नाथ धाम हैं जेते ।भ्रमे फल प्राप्त होय न जेतो , गुरु सेवा में पावै फल तेत...
25/09/2024

#भक्तिबोध


कबीर, गंगा यमुना बद्री समेते , जगन्नाथ धाम हैं जेते ।
भ्रमे फल प्राप्त होय न जेतो , गुरु सेवा में पावै फल तेतो ।।

✍️गंगा तथा यमुना नदियों में स्नान करने जाना, बद्रीनाथ धाम तथा जगन्नाथ जैसे जितने भी धाम हैं, उन पर भ्रमण के लिए जाने से उतना फल प्राप्त नहीं हो सकता, जितना गुरु सेवा में प्राप्त हो जाता है।

कबीर, गुरु महातम को वार न पारा , वरणे शिव सनकादिक और अवतारा।
गुरुको पूर्ण ब्रह्मकर जाने , और भाव कबहूँ नहिं आने।।

✍️इसलिए गुरु के महातम अर्थात् महिमा का कोई वार-पार नहीं है, वह असीम है। यह ज्ञान सनक, सनन्दन, सनातन तथा संत कुमार (जो सनकादिक कहलाते हैं) भी कहते हैं कि गुरु की महिमा अपार है। गुरु जी को पूर्ण परमात्मा के समान जानना चाहिए। इसके अतिक्ति गुरु के प्रति अन्य भाव मन में नहीं आना चाहिए। गुरुजी को सामान्य मनुष्य न समझें।

29/06/2024

#पूर्ण_गुरु_से_होगा_मोक्ष



20/06/2024

#परमात्मा_का_पृथ्वी_पर_आगमन



 #परमेश्वर_कबीर जी ने कहा कि हे धर्मदास! भवसागर यानि काल लोक से निकलने के लिए भक्ति की शक्ति की आवश्यकता होती है।  #परमा...
15/11/2023

#परमेश्वर_कबीर जी ने कहा कि हे धर्मदास! भवसागर यानि काल लोक से निकलने के लिए भक्ति की शक्ति की आवश्यकता होती है। #परमात्मा प्राप्ति के लिए जीव में सोलह (16) लक्षण अनिवार्य हैं। इनको आत्मा के सोलह सिंगार (आभूषण) कहा जाता है।

1. ज्ञान
2. विवेक
3. सत्य
4. संतोष
5. प्रेम भाव
6. धीरज
7. निरधोषा (धोखा रहित)
8. दया
9. क्षमा
10. शील
11. निष्कर्मा
12. त्याग
13. बैराग
14. शांति निज धर्मा
15. भक्ति कर निज जीव उबारै
16. मित्र सम सबको चित धारै।

भावार्थ:- परमात्मा प्राप्ति के लिए भक्त में कुछ लक्षण विशेष होने चाहिऐं। ये 16 आभूषण अनिवार्य हैं।

1. तत्त्वज्ञान
2. विवेक
3. सत्य भाषण
4. परमात्मा के दिए में संतोष करे और उसको परमेश्वर की इच्छा जाने
5. प्रेम भाव से भक्ति करे तथा अन्य से भी मृदु भाषा में बात करे
6. धैर्य रखे, सतगुरू ने जो ज्ञान दिया है, उसकी सफलता के लिए हौंसला रखे फल की जल्दी न करे
7. किसी के साथ दगा (धोखा) नहीं करे
8. दया भाव रखे
9. भक्त तथा संत का आभूषण क्षमा भी है। शत्रु को भी क्षमा कर देना चाहिए।
10. शील स्वभाव होना चाहिए।
11. भक्ति को निष्काम भाव से करे, सांसारिक लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से नहीं करे
12. त्याग की भावना बहुत अनिवार्य है
13. बैराग्य होना चाहिए। संसार को असार तथा अपने जीवन को अस्थाई जानकर परमात्मा के प्रति विशेष लगाव होना मोक्ष में अति आवश्यक है
14. भक्त का विशेष गुण शांति होती है, यह भी अनिवार्य है
15. भक्ति करना यानि भक्ति करके अपने जीव का कल्याण कराऐं
16. प्रत्येक व्यक्ति के साथ मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए।

ये उपरोक्त गुण होने के पश्चात् सत्यलोक जाया जाएगा। इनके अतिरिक्त गुरू की सेवा, गुरू पद्यति में विश्वास रखे। परमात्मा की भक्ति और संत समागम करना अनिवार्य है।

अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखिए संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन सुप्रसिद्ध टी वी चैनल *साधना* पर प्रतिदिन शाम 7 : 30 से 8 : 30 बजे तक।








Satlok Ashram
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