Pankaj kumar

Pankaj kumar Inter, Powayan inter college Powayan
Graduation, Gandhi Faiz-E-Aam PG College, Shahjahanpur

500 BC, यानि लगभग 2500 साल पहले पुरातन ग्रीस में लोग "धोने या साफ" करने में पानी की जगह कंकड़ पत्थर का प्रयोग करते थे जै...
13/10/2024

500 BC, यानि लगभग 2500 साल पहले पुरातन ग्रीस में लोग "धोने या साफ" करने में पानी की जगह कंकड़ पत्थर का प्रयोग करते थे जैसे पेंटिंग में दर्शाया गया है.

संडास करने के बाद मलद्वार साफ करने के लिए प्राचीन दुनिया में अलग-अलग तरीके अपनाए जाते थे.

मिस्र और अरब के लोग रेत से साफ किया करते थे. पानी, नदी, तालाब और पोखर वाले इलाकों में लोग पानी से धोते थे. पहाड़ी इलाकों में लोग पत्थरों से पोछा करते थे.

4500 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता में घरों में फ़्लैश शौचालय होता था. और 2500 साल पहले ग्रीस, ट्रॉय और स्पार्टा के लोग पत्थरों से पोछा करते थे.

सिंधु घाटी सभ्यता मिस्र और मेसोपोटामिया सभ्यता से भी कई गुणा ज्यादा आगे और विकसित थी.

चित्र : 500 BC (जिसे Archaic period कहते हैं) का ये चित्र बोस्टन के आर्ट्स संग्रहालय से लिया गया है.

52,000 साल पहले मनुष्यों ने अफगानिस्तान की गुफाओं को अपना बसेरा बनाया.10,000 हज़ार वर्ष पहले इंसानों ने अफगानिस्तान में ...
28/08/2024

52,000 साल पहले मनुष्यों ने अफगानिस्तान की गुफाओं को अपना बसेरा बनाया.

10,000 हज़ार वर्ष पहले इंसानों ने अफगानिस्तान में कृषि विकास का पहले क्रम की शुरुआत की.

3000 हज़ार साल पहले अफ़ग़ानिस्तान में बौद्ध सभ्यता के दौरान शहरीकरण की शुरुआत हुई.

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गंधार और कम्बोज बौद्ध सभ्यता का सांस्कृतिक केंद्र थे. कम्बोज की राजधानी कपीसी थी जो पश्चिम में सबसे बड़ा बौद्ध दर्शन का केंद्र थी.

आज का बल्ख तब बुद्ध के समय बौद्ध विहारों, मठों, स्तूप, चैत्य और शिक्षा का केंद्र था. यह जानकारी चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने दी है.

सम्राट अशोक के शासनकाल में गांधार और कम्बोज मौर्य साम्राज्य के महाजनपदों का अभिन्न हिस्सा बन गए.

पूरा अफ़ग़ानिस्तान मौर्य साम्राज्य का अभिन्न अंग बन गया.

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इसके बाद कई साम्राज्यों का अफगानिस्तान पर शासनकाल आते जाते रहा. कभी कुषाण, कभी ईरानी पारसियों सासानी साम्राज्य का शासन रहा. हुन, स्क्य्थिंस और बैटरियों ने भी शासन किया.

अफगानिस्तान का बुरा दौर छठी शताब्दी शुरू हुआ जब यहां अरबों ने अपने शासन की स्थापना की. अरब अपने साथ इस्लाम लाए थे. अफगानिस्तान का इस्लामीकरण किया गया.

सारी दुनिया गुफाओं के दौर से बाहर निकल गयी लेकिन इस्लाम ने अफगानिस्तान को गुफाओं के दौर से बाहर निकलने नही दिया.

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पस्तुन जनजाति का संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान को बर्बाद कर दिया है. महिलाओं को गुलाम बनाए रखने का फरमान जारी किया है.

लेकिन दुनिया में शांति है. मुसलमान शांत हैं. उन्हें गुस्सा केवल फलस्तीन और इजराइल मुद्दे पर आता है. यहां दुश्मन यहूदी हैं, वहां तालिबानी अपने लगते हैं.

Photo : Talibani in Kabul Museum (1996)

बहन जी जब पहली बार बिजनौर लोकसभा से चुनावी मैदान में उतरी तो उन्हें हराने के लिए सबसे पहले आए मुलायम सिंह यादव और शरद या...
24/08/2024

बहन जी जब पहली बार बिजनौर लोकसभा से चुनावी मैदान में उतरी तो उन्हें हराने के लिए सबसे पहले आए मुलायम सिंह यादव और शरद यादव जिन्होंने 1977 में बिहार से सांसद रह चुके माननीय राम विलास पासवान (लोक जनशक्ति पार्टी)जी को समर्थन दिया। और कांग्रेस ने बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार को टिकट दिया। चूंकि बहन जी के लिए यह पहला चुनाव था उस वक्त मान्यवर कांशीराम साहेब की बहुजन समाज पार्टी अपने आस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही थी। बहन जी Cycle के पीछे बैठकर चुनावी जनसभाओं में पहुंचती और दलितों को एकजुट करके अपने धारदार भाषण से कांग्रेस की नीयत पर सवाल करते हुए बहुजनों से ही पूछ लेती की आज़ादी के बाद से कांग्रेस ने हमारे लिए क्या किया? दलित एकजुटता से दहाड़ते हुए कहते..कुछ नही, बहन जी कहती कॉन्ग्रेस की 22 राज्यों में सरकार है 95% दलित इन्हें वोट देता है अभी तक कितने राज्यों में दलित को मुख्यमंत्री बनाया गया..? फिर सारे दलित एक सुर में दहाड़ लगाते एक भी नही..! बहन जी के भाषण का यह असर हुआ कि बहुजनों से क्रांति आ गई। बहुजनों का मन बदलने लगा... जब परिणाम आए तो सभी को चौंका दिए। कांग्रेस की मीरा कुमार 1 लाख 28 हजार वोट मिले लोक जनशक्ति पार्टी के राम विलास पासवान जी को 1 लाख 22 हजार वोट मिले बहन जी 61 हजार 506 वोट मिले और वो तीसरे नम्बर पर रही। 1984 से 1985 के बीच जिस बहुजन समाज पार्टी को लोग जानते नही थे उस पार्टी से एक महिला वो भी बिना राजनीतिक विरासत के चुनाव लड़ती है और तीसरे नम्बर पर रहती है बड़ी बात थी। बहन जी फिर से चार साल बाद बिजनौर लोकसभा से ही चुनाव लड़ती हैं लेकिन इस बार बहुजन समाज को पता चल चुका था कि Congress हमारे लिए क्रांति नही ला सकती। बहुजनों ने जमकर बहुजन समाज पार्टी को वोट दिया और बहन जी 1 लाख 83 हजार 189 वोट पाकर 8 हजार 879 वोटों से यह चुनाव जीत जाती हैं और पहली बार सांसद बनकर संसद जाती हैं
फिर बहन जी ने कभी आराम नही किया और संघर्ष की सीढ़ी चढ़ती गई चढ़ती गई और पहली बार 3 जून 1995 को उत्तर प्रदेश की प्रथम दलित महिला मुख्यमंत्री बनती हैं।
सोचिए कितना संघर्ष किया है बहन जी ने तब जाकर आज हमारे समाज को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की ताकत आई।

BJP का कहना है MODI जी OBC हैं. ठीक है मान लेते हैं मोदी जी OBC हैं.अगर MODI जी OBC हैं तो 2018 से अब तक 63 पदों को लैटर...
19/08/2024

BJP का कहना है MODI जी OBC हैं. ठीक है मान लेते हैं मोदी जी OBC हैं.

अगर MODI जी OBC हैं तो 2018 से अब तक 63 पदों को लैटरल एंट्री के द्वारा भरा गया इनमें से किसी भी नियुक्ति में एक भी OBC SC ST की नियुक्ति नही की गयी.

सभी पदों पर सवर्णों को जॉइंट सेक्रेटरी और उप-सचिव या निर्देशक बनाया गया.

अब MODI सरकार दुबारा UPSC के द्वारा 45 पदों पर लैटरल एंट्री नियुक्ति करना चाहती है जिनमें 10 जॉइंट सेक्रेटरी और बाकी उप-सचिव निर्देशक पदों की नियुक्तियां हैं.

45 पदों की नियुक्ति में एक भी OBC SC ST नही होगा. सवाल है MODI जी OBC हैं तो वो OBC SC ST अफसरों को नियुक्त क्यों नही करते. प्रोमोशन देकर जॉइंट सेक्रेटरी क्यों नही बनाते ?

क्या MODI जी केवल कागज़ी OBC हैं ?

18/08/2024
18/08/2024

बंगाल के M फ़ैक्टर पर तो चर्चा हो गई, अब फ़ुर्सत मिल गई हो तो D फ़ैक्टर पर भी बात कर लीजिए✍️

देश में सबसे ज़्यादा दलित आबादी पंजाब में 32% है। उसके बाद दूसरे नंबर पर देश की सबसे बड़ी दलित आबादी पश्चिम बंगाल में 23% है।

दोनों ही राज्यों में दलित सत्ता के शीर्ष पर क्यों नहीं है? कौन देगा जवाब? पश्चिम बंगाल में दलित नेतृत्व की कोई पार्टी सक्रिय क्यों नहीं है?

क्या भद्रलोक को 23% दलित वोट नहीं मिलता? कहाँ जाता है बंगाल का 23% दलित वोटर?

पश्चिम बंगाल में 27% मुसलमान और 23% दलित हैं। दोनों मिलकर 50% हैं।

फिर क्यों बंगाल में सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व राजनैतिक तौर पर दलित पिछड़े हैं? क्यों सिर्फ़ उत्तर प्रदेश ही दलित समाज के लिए उर्वर भूमि रही है।

सपा – रेप पीड़िता का नार्को टेस्ट करवाओ, DNA टेस्ट करवाओ। सपा प्रमुख – लड़के हैं लड़को से गलती हो जाती है। कांग्रेस – रे...
16/08/2024

सपा – रेप पीड़िता का नार्को टेस्ट करवाओ, DNA टेस्ट करवाओ।
सपा प्रमुख – लड़के हैं लड़को से गलती हो जाती है।

कांग्रेस – रेप हो रहा है तो लेटो और मजे लो(रमेश कुमार)

भाजपा – लड़कियों के छोटे स्कर्ट रेप के कारण।

वहीं बहन जी ने रेप के आरोपियों को बसपा का टिकट देने से मना कर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल लाल किले से कहा था कि - "भारत युद्ध का नहीं. बुद्ध का देश है."कांग्रेस को ये बात सहन नही...
16/08/2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल लाल किले से कहा था कि - "भारत युद्ध का नहीं. बुद्ध का देश है."

कांग्रेस को ये बात सहन नहीं हुई. तो 24 घंटा बीतने से पहले कांग्रेस की ये प्रतिक्रिया आ गई. ये बात किसी सामान्य दिन में नहीं कही गई है. खास मौका चुना गया है.

लेकिन कांग्रेस ये न भूले भारत की निर्मिती में, नींव में ही बुद्ध हैं.

हमारे झंडे पर बुद्ध का धम्म चक्र है. भारत का शेरों वाला राजचिह्न बौद्ध परंपरा का अशोक स्तंभ. उसके नीचे भी धम्म चक्र है.

हर करेंसी नोट और सिक्के पर भी ये बौद्ध निशान है. राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में सारे कार्यक्रम बुद्ध की प्रतिमा के नीचे होते हैं. ये 1950 से ही चला आ रहा है.

संविधान सभा में ये बात कही गई है कि भारत की संसदीय प्रणाली का स्रोत बौद्ध संघाराम, और संगीति हैं, बहस, कोरम, कमेटी सिस्टम की परंपरा वहीं से ली गई है.

बौद्ध शासक अशोक महान भारत के पहले साम्राज्य निर्माता थे और भारत की सीमा लगभग वही हैं, जहां तक उनका साम्राज्य था. वह साम्राज्य शौर्य पर टिका था, पर जनता के लिए उसमें करुणा का भाव था.

भारत में जमीन पर जहां खोदिए, बुद्ध ही मिलेंगे. मुस्लिम शासकों के आने तक भारत के सबसे बड़ भूभाग पर बौद्ध शासन ही था. मूर्तियों को खंडित किया जाने लगा तो लोगों ने बुद्ध की मूर्तियों को तालाब में या जमीन के नीचे दबा दिया.

बुद्ध की विरासत को मिटा देंगे तो भारत का इतिहास एक खंडित कालखंडों को समुच्चय बन कर रह जाएगा. अतीत की निरंतरता खंडित हो जाएगी.

फिर तो अकबर ही महान रहेंगे. चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान से हमारा संबंध कैसे जुड़ेगा?

ऐसी हालत में भारत की कहानी मुस्लिम आक्रमण से शुरू होगी. मोहनजोदाड़ों का बौद्ध स्तूप फिर इतिहास का हिस्सा कैसे रहेगा? कनिष्क का क्या करेंगे? पाल वंश का क्या करेंगे? हर्ष यानी शिलादित्य के शासन का क्या करेंगे?

सांची, विदिशा, अजंता, नालंदा, विक्रमशिला, पाटलिपुत्र, बोधगया. सारनाथ, मगध, श्रावस्ती, गिरनार, अमरावती, दिल्ली में अशोक का शिलालेख, कुशीनगर सब छूट जाएंगे.

भारतीय राष्ट्र राज्य के लिए ये दुखद दिन होगा.
कांग्रेस को ये समझना चाहिए.

आज़ादी के बाद अब तक SC समाज से केवल एक जज केजी बालाकृष्णन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बन पाए.जस्टिस कर्णन वरिष्ठता को आध...
15/08/2024

आज़ादी के बाद अब तक SC समाज से केवल एक जज केजी बालाकृष्णन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बन पाए.

जस्टिस कर्णन वरिष्ठता को आधार सुप्रीम कोर्ट में जज बनना था लेकिन कोलेजियम जजों ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नही लिया कारण बाद में लाइन ऑफ सक्सेशन में वो आगे चलकर चीफ जस्टिस बनते.

जस्टिस कर्णन अपने दौर के ईमानदार सिटिंग जज थे. उन्होंने सवर्ण 'कोलेजियम' और सुप्रीम कोर्ट में चलने वाला भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था.

जस्टिस कर्णन सवर्ण जजों के आंखों की किरकिरी बन चुके थे. सवर्ण जज नही चाहते थे कोई पिछड़े वर्ग का जज सुप्रीम कोर्ट में जज बनकर आए. इसलिए जस्टिस कर्णन को प्रताड़ित किया जाने लगा.

जस्टिस कर्णन ने भ्रष्ट न्यायपालिका से लोहा लेने का निर्णय लिया. 20 जजों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए. बदला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस आरोप को अवमानना मानकर जस्टिस कर्णन पर कानूनी कार्यवाही की.

जस्टिस कर्णन ने पलटवार करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सातों जजों को कारावास की सजा सुना दी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को छह महीने की सज़ा सुनाई.

तब कोई जस्टिस कर्णन के साथ खड़ा नही हुआ. जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को सज़ा सुनाई, उसी शाम प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर ख़ुशी जाहिर की.

प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट में लिखा... "मुझे बेहद खुशी हो रही है कोर्ट के अवमानना के आरोप में जस्टिस कर्णन को सज़ा सुनाई गई. इस आदमी ने माननीय जजों पर लापरवाह होकर बेबुनियाद आरोप लगाए, और जजों के खिलाफ बेतुका ऑर्डर पास किया"

14/08/2024

उत्तरप्रदेश और पंजाब में SC आरक्षण में जाटव आरक्षण खा रहे हैं. यह आरोप हवा में सवर्णों ने लगाया.

इस आरोप का प्रमाण - शून्य

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बिहार में SC आरक्षण में पासी आरक्षण खा रहे है. यह भी हवाबाजी आरोप सवर्णों ने लगाया.

इस आरोप का सबूत - शून्य

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महाराष्ट्र में SC आरक्षण में महार अकेले खा रहे हैं. ये बेबुनियाद आरोप भी सवर्णों ने लगाया.

इस आरोप का प्रमाण - शून्य

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सवर्ण ऐसा बेबुनियाद आरोप बिना सबूत के क्यों लगाते हैं ?

क्या हाशिए पर पड़ी SC वर्ग की उन जातियों का उद्धार करना चाहते हैं. सामाजिक न्याय करना चाहते हैं. नही... नही.... ऐसा बिल्कुल भी नही है.

1) SC वर्ग के बीच विभाजन कर समाज की एकता को कमजोर करना चाहते हैं.
2) राजनीति रूप उन दलों और नेताओं को कमजोर करना चाहते जो SC-ST वोटों से जीतते हैं
3) हाशिए पर पड़ी जातियों को भड़काकर अपने पाले कर भगवाकरण करना चाहते हैं.
4) दलित चेतना को कमजोर करना चाहते हैं.
5) मनुवादी और ब्राह्मणवाद के खिलाफ लड़ाई को दिशाहीन करना चाहते हैं.

लेकिन SC-ST समाज सवर्ण जातियों संगठनों के मंसूबों को कामयाब होने नही देंगे.

हम एक हैं, और एक रहेंगे.

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव हैं.बहुजन समाज पार्टी की नेता बहन मायावती हैं.येही समस्या है सवर्णों को. सवर्णों को ...
14/08/2024

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव हैं.

बहुजन समाज पार्टी की नेता बहन मायावती हैं.

येही समस्या है सवर्णों को. सवर्णों को OBC SC ST नेता पसंद नही. वो नही चाहते OBC SC ST नेता देश का प्रतिनिधित्व करें.

उनकी छाती पर सांप लेट रहा है कैसे OBC-SC/ST वोटों के बदौलत समाजवादी पार्टी बड़े वर्ग का नेतृत्व कर रही है.

कैसे SC/ST-OBC वोटों के बदौलत बहुजन समाज पार्टी पूरे बहुजन समाज का नेतृत्व कर रही है.

लेकिन यह बात अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी उतना नही समझ पा रही है.

इस बात को, खतरे को बहन मायावती जी ने बखूबी समझा है. वो समझ चुकी है SC-ST आरक्षण में वर्गीकरण कर समाज को तोड़ने की साज़िश है ताकि BSP SP JMM और DMK को राजनीतिक रूप से कमजोर किया जा सके.

1975 में पंजाब में SC आरक्षण में पहली बार विभाजन कांग्रेस पार्टी की सरकार ने किया. पंजाब में SC आबादी 40% के आसपास है.का...
14/08/2024

1975 में पंजाब में SC आरक्षण में पहली बार विभाजन कांग्रेस पार्टी की सरकार ने किया. पंजाब में SC आबादी 40% के आसपास है.

कांग्रेस को डर सता रहा था कहीं इतनी बड़ी आबादी मिलकर अपनी सरकार ना बना लें. कोई नेता ना उभर आए जो 40% आबादी का नेता बन जाए.

कांग्रेस ने SC आरक्षण में वर्गीकरण किया. 50% आरक्षण मजहबी सिख और वाल्मीकि समाज को दिया. और बाकी 50% आरक्षण में सभी जातियों को रखा.

यह विभाजनकारी आरक्षण 30 सालों तक चलता रहा. इसके बावजूद वाल्मीकि समाज और मजहबी सिख शिक्षा और नौकरियों में आगे नही बढ़ पाए.

समस्या कहीं और है. SC कुछ जातियों को कमजोर जातियों का आरक्षण हपडने का आरोप बेबुनियाद है. जो समाज अंधविश्वासी होगा, जागरूक नही होगा, शिक्षा पर ध्यान नही देगा, व्यापार पर ध्यान नही देगा और अपने जातीय पेशे से चिपका रहेगा वो आगे कैसे बढेगा ?

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