06/06/2025
*📜 श्लोक (संस्कृत में):*
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥"
📖 *हिंदी अनुवाद:*
"तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है,
फल पर कभी नहीं।
इसलिए कर्म का फल पाने की इच्छा मत करो,
और न ही कर्म न करने में आसक्त हो।"
*🌟 भावार्थ (सरल शब्दों में):*
हमें अपना कार्य ईमानदारी से करना चाहिए, लेकिन फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। फल भगवान के हाथ में है। अगर हम केवल फल की चाह में काम करेंगे, तो कभी शांत नहीं रह पाएँगे।
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