23/06/2025
रेल में रिश्वत का खेल: पूरा व्यवस्था फेल
— ग्राउंड जीरो रिपोर्ट | शिवहर से विशेष रिपोर्ट
शिवहर, बिहार —
दशकों की प्रतीक्षा के बाद जब शिवहर जिले में रेलवे लाइन बिछाने का कार्य प्रारंभ हुआ, तो लगा जैसे वर्षों की मेहनत रंग लाई। युवाओं के आंदोलन और आरटीआई कार्यकर्ता मुकुंद प्रकाश मिश्र द्वारा पटना हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के बाद जब न्यायालय ने रेलवे परियोजना के पक्ष में निर्णय दिया, तब जिले के लोगों ने इसे एक बड़े विकास की शुरुआत के रूप में देखा।
भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू हुआ। आम जनता को भले ही बाज़ार मूल्य के अनुसार मुआवज़ा न मिला हो, फिर भी लोगों में सुकून था — अपने घर और ज़मीन गंवाकर भी विकास की आहट का स्वागत कर रहे थे। लेकिन जैसे ही परियोजना ज़मीन पर उतरी, भ्रष्टाचार ने दस्तक दे दी।
रिश्वत का खुला खेल
भूमि अधिग्रहण विभाग पर आरोप है कि रैयतों से मिलने वाली मुआवज़े की राशि में से दो प्रतिशत की रिश्वत मांगी जा रही थी। बिना रिश्वत के एक भी व्यक्ति को भुगतान नहीं किया जा रहा था। हालात इतने बिगड़ गए कि लोगों को सूद पर कर्ज़ लेकर रिश्वत देनी पड़ी।
पप्पू तिवारी की शिकायत बनी मिसाल
बभनटोली निवासी पप्पू तिवारी से 8 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई। हताश होकर उन्होंने निगरानी विभाग में शिकायत दर्ज कराई।
निगरानी टीम ने कार्यवाही करते हुए भूमि अधिग्रहण विभाग के लिपिक विजय श्रीवास्तव को रंगे हाथ रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया।
स्थानीय जनता का कहना है कि रिश्वत की ये रकम केवल लिपिक तक सीमित नहीं थी — इसके तार विभाग के उच्चाधिकारियों तक जुड़े हो सकते हैं ! लेकिन अब तक किसी वरिष्ठ अधिकारी पर कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं हुई।
नेताओं की चुप्पी, जनता की निराशा
चौंकाने वाली बात यह है कि जनप्रतिनिधि — सांसद, विधायक, यहां तक कि विपक्ष भी इस घोटाले पर चुप है।
जबकि स्थानीय लोग नाम न बताने की शर्त यही चुप्पी देख कर यह मानने लगे हैं कि शायद जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत भी इस भ्रष्टाचार में हो । यह वही प्रतिनिधि हैं जो चुनावों में भ्रष्टाचार के खिलाफ वादे करते नहीं थकते थे।
ग्राउंड जीरो से दर्दनाक गवाहियां
हमारे संवाददाता जब बभनटोली पहुंचे, तो भ्रष्टाचार की गवाही हर गली, हर घर से सुनाई दी।
महादेव राम, एक विकलांग व्यक्ति, ने बताया कि उनकी 5 डिसमिल जमीन के बदले ₹40,000 की रिश्वत मांगी गई।
गोविंद राम से ₹1.80 लाख, अमर नाथ सिंह से ₹2 लाख, और
मालती देवी, जिनका घर ही रेल लाइन में आ गया, से ₹1 लाख से अधिक की रिश्वत की मांग हुई।
यह सिर्फ बभनटोली की कहानी नहीं, बल्कि हर उस गांव की सच्चाई है जहां से रेलवे लाइन गुज़रनी है।
उम्मीद की एक किरण
निगरानी विभाग की कार्रवाई के बाद आम लोगों को कुछ उम्मीद जागी है। पप्पू तिवारी को जनता द्वारा सम्मानित किया जा रहा है, और लोग चाह रहे हैं कि असली गुनहगार सामने आएं।
रेल परियोजना की यह तस्वीर साफ़ करती है कि व्यवस्था के भीतर गहरी सड़ी हुई परतें हैं — जहां विकास के नाम पर गरीबों का हक़ छीना जा रहा है। सवाल अब ये है कि क्या यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी?
क्या सिर्फ एक लिपिक की गिरफ्तारी से पूरे सिस्टम को पाक-साफ माना जा सकता है?
शिवहर की जनता अब न्याय की आस लगाए बैठी है — एक ऐसी रेल का सपना जिसे रिश्वत की पटरी पर न दौड़ाया जाए।