
28/07/2025
बिहार की राजनीति में उम्र और डिग्री का चक्रव्यूह: एक उपमुख्यमंत्री 9वीं फेल, तो दूसरे 7वीं पास से अमेरिका से डॉक्टरेट!
रिपोर्ट: तिरहुत लाइव न्यूज नेटवर्क | शिवहर
बिहार की सियासत एक बार फिर सवालों के घेरे में है, जहां राज्य के दोनों उपमुख्यमंत्रियों की शैक्षणिक योग्यता और उम्र को लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया है। एक ओर जहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के 9वीं फेल होने की चर्चा वर्षों से होती रही है, वहीं अब दूसरी ओर एक और उपमुख्यमंत्री को लेकर भी सनसनीखेज जानकारी सामने आई है।
सूत्रों और चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद शपथ पत्रों के अनुसार, यह दावा किया जा रहा है कि 2010 में एक मौजूदा उपमुख्यमंत्री ने अपने हलफनामे में खुद को सातवीं कक्षा फेल बताया था और तब उनकी उम्र 28 वर्ष थी। लेकिन 2020 में उसी नेता की उम्र 51 वर्ष दर्शाई गई है, और उन्होंने खुद को डॉक्टरेट (Ph.D.) डिग्रीधारी बताया है – वो भी कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका से।
यह आंकड़े केवल सामान्य विसंगति नहीं माने जा सकते, क्योंकि—
2010 में उम्र 28 साल,
2020 में उम्र 51 साल (यानि 10 साल में 23 साल की वृद्धि),
और शैक्षणिक योग्यता में सातवीं फेल से डायरेक्ट Ph.D. तक की छलांग।
इतना ही नहीं, इससे पहले कोर्ट ने भी इनको मंत्री पद से हटा दिया था, क्योंकि इनके दस्तावेजों में उम्र संबंधी फर्जीवाड़ा पाया गया था।
शपथ पत्र में मौजूद जानकारी के अनुसार, इन नेताओं ने दो नाम और दो अलग-अलग उम्र का उपयोग किया है, जिससे स्पष्ट होता है कि मामला केवल टाइपिंग की गलती का नहीं है, बल्कि जानबूझकर गुमराह करने की साजिश हो सकती है।
इस मामले को लेकर विपक्ष और जागरूक जनता में रोष है। कई लोग सोशल मीडिया पर सवाल कर रहे हैं—
"10 साल में 23 साल उम्र कैसे बढ़ गई? कौन सा चूरन खाते हैं, देश को भी बताएं!"
"अगर प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल उठ सकता है, तो फिर उपमुख्यमंत्री की डिग्री और उम्र क्यों न जांची जाए?"
यह मामला अब चुनाव आयोग और न्यायालय की जांच के दायरे में आ सकता है, अगर कोई शिकायत दाखिल की जाती है।
जनता को यह जानने का अधिकार है कि जिनके हाथों में राज्य की कमान है, वे कितने योग्य, कितने सत्यनिष्ठ और कितने पारदर्शी हैं।