
15/05/2025
कर्ण पिशाचिनी – एक श्रापित कान की कहानी
(A Chilling Horror Tale in Hindi)
प्रस्तावना:
“वो मेरी बात सुनता है... पर जवाब नहीं देता।
मैं उसके कान में रहती हूँ... और अब वो बस मेरा है।”
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भाग 1: जंगल की वो रात
अर्जुन एक 22 वर्षीय युवक था, जो अपने गाँव "नरसापुर" में लकड़ियाँ काटने का काम करता था। उस रात वह देर तक जंगल में रुक गया क्योंकि कुल्हाड़ी कहीं गुम हो गई थी। चाँदनी में हल्की-हल्की धुंध थी और चारों ओर सन्नाटा पसरा था।
तभी...
कानों के पास किसी के फुसफुसाने की आवाज़ आई।
"अर्जुन... सुन रहे हो न..."
वह चौंका। कोई नहीं था आसपास। ठंडी हवा उसकी गर्दन से टकराई। वह वापस मुड़ने लगा, तभी फिर वही आवाज़, और इस बार और भी करीब:
"अब तुम मेरी बातों के बिना जी नहीं पाओगे..."
उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। तभी किसी ने उसके दाहिने कान में साँस ली।
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भाग 2: बदलाव
अगले दिन से अर्जुन बिल्कुल बदल गया था।
वह किसी की आँखों में आँखें नहीं डालता,
अचानक अजीब-सी बातें बड़बड़ाने लगता,
रात को सोते समय उसके कान से खून बहता,
और सबसे अजीब – वह हमेशा एक कान को ढक कर रखता।
गाँव में चर्चा फैल गई – "अर्जुन पर कर्ण पिशाचिनी का साया है!"
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भाग 3: तांत्रिक का आगमन
गाँव वालों ने दूर पहाड़ों से एक बूढ़े तांत्रिक को बुलाया। उसने अर्जुन को देखा और डर से काँप गया।
"ये सिर्फ कर्ण पिशाचिनी नहीं है… ये उस पिशाचिनी की आत्मा है जो ज़िंदा रहते कान काटा करती थी ताकि लोगों की बातें चुरा सके..."
पूजा शुरू हुई। जैसे ही मंत्रोच्चार हुए, अर्जुन ज़ोर से चीखने लगा।
"वो मेरे कान से बाहर मत निकालो! वो मुझसे प्यार करती है!"
तांत्रिक ने अपने शंख से एक तीव्र ध्वनि निकाली – अर्जुन की आँखें पलट गईं, और अचानक उसके कान से एक साया निकला – एक औरत जिसकी आँखें काली, बाल बिखरे और होंठ सीले हुए थे, जैसे उसने कई लोगों के राज बंद कर रखे हों।
उसने एक बार अर्जुन की तरफ देखा और बोली:
"तुम मेरी बात सुनते थे… इसलिए तुम्हें चुना था..."
और वो धुएँ में गायब हो गई।
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भाग 4: आज भी...
अर्जुन अब ठीक है, पर वह कभी किसी के बहुत पास नहीं जाता।
वह कहता है:
"अगर किसी दिन तुम्हारे कान में कोई फुसफुसाकर अपना नाम बताए... तो जवाब मत देना। वरना वो फिर लौट आएगी..."