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20/01/2022

Kufri Shimla "Himachal "

A beautiful morning!! 📸
02/02/2021

A beautiful morning!!

📸

AREAIL VIEW OF SHIMLA
10/01/2021

AREAIL VIEW OF SHIMLA

Shimla railway station.
10/01/2021

Shimla railway station.

Atal Tunnel, Rohtang after fresh snowfall.
10/01/2021

Atal Tunnel, Rohtang after fresh snowfall.

मेरा प्यारा हिमाचल
09/01/2021

मेरा प्यारा हिमाचल

24/05/2020

Hahahha 🤘🤘🤣 himachal Police Zindabad ♥️

20/05/2020
20/05/2020

jai dev chunjuwala mahadev

18/05/2020

केलोधार (करसोग) में लगी भीषण आग

मण्डी जनपद के आराध्य बड़ा देव श्री कमरुनाग जी और उनके गुर जी।मंडी, हिमाचल प्रदेश।🙏Like Share... 🙏
08/05/2020

मण्डी जनपद के आराध्य बड़ा देव श्री कमरुनाग जी और उनके गुर जी।
मंडी, हिमाचल प्रदेश।

🙏Like Share... 🙏

मंडी के धार्मिक तीर्थ स्थल पराशर में प्राचीन मंडी रियासत के कुल देवता के रूप में पूजे जाने वाले ऋ षि पराशर के मंदिर स्थल...
04/05/2020

मंडी के धार्मिक तीर्थ स्थल पराशर में प्राचीन मंडी रियासत के कुल देवता के रूप में पूजे जाने वाले ऋ षि पराशर के मंदिर स्थल में प्राकृतिक रूप से निर्मित झील में तैरते हुआ भूखंड इन दिनों गतिमान हो गया है। कभी कभी यह दिन में तीन-तीन बार पूरी झील में चक्कर लगाते हुए दृष्टिगोचर होता है।* ऋ षि पराशर के मुख्य पुजारी अमर सिंह का कहना है कि अकसर यह तैरता हुआ भूखंड झील में तैरता रहता है। पिछले कई वर्षों से यह भूखंड कम ही गतिमान होता हुआ दिखाई देता था। कभी कभी तो साल में एक दो बार ही चलायमान होता है। लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते लोगों का यहां आना-जाना बहुत ही कम न के बराबर हुआ है। इससे पहले आजकल त्यौहार के चलते यहां लोगों का हजारों की संख्या में आना जाना लगा रहता था। कोरोना महामारी के चलते यहां पर लॉकडाउन का पूर्णतः पालन किया जा रहा है। पुजारी ने बताया कि इस तरह से भूखंड का चलना दो तीन दशकों पहले होता था। जब-जब यह भूखंड सुचारू रूप से चलने लगता है तो यह शुभ संकेत होता है। कोरोना के वैश्विक महासंकट के परिदृश्य में स्थानीय लोग भी इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देख रहे हैं। जल्दी ही कोरोना से निजात मिल जाने की आस जगी है। भले ही वर्तमान वैज्ञानिक आधार इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता हो। लेकिन लोगों का मानना है कि पहले जब स्वास्थ सेवाएं बेहतर नहीं थीं तो देवी-देवताओं के आशीर्वाद से ही इस तरह की महामारियों की रोकथाम के उपाय इत्यादि किए जाते थे। जो कारगर साबित होते थे। जिनके प्रमाण प्रबुद्ध बृद्धजन समय समय पर चर्चा करके देते रहते हैं। ऐसे में जब पूरी दुनिया के पास कोरोना महामारी का कोई कारगर उपचार नहीं है तो ऋषि मुनियों पर भी लोगों की आस टिकी हुई है। लोग अपने-अपने आराध्य देवी-देवताओं से कोरोना से मुक्त होने की प्रार्थना कर रहे हैं।

lockdown के दौरान मनाली में अपनी मां से बालों में तेल डलवाती बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत
04/04/2020

lockdown के दौरान मनाली में अपनी मां से बालों में तेल डलवाती बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत

31/03/2020

🙏🕉🔱जय बड़ा देव कमरुनाग🔱🕉🙏
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देव श्री कमरुनाग देवता कमेटी ने कोरोना के बचाव के लिए राहत कोष में दीआ दस लाख का योगदान ।
यह कॅरोना से बचाव के लिए व उपचार में सहायक मदद के लिए देवता कमेटी की तरफ से सहयोग में आया पहला मामला है ।
देव कमरुनाग जी के प्रमुख धमियों द्वारा लिया गया यह फैसला देव संस्कृति में अन्य देथलों को भी इस तरह से देश वासियों की सेवा करने को प्रेरित करेगी।
इस फैसले का सर्वदेवत समिति के अध्यक्ष श्री शिव पाल शर्मा जी ने स्वागत किया है ।

थाची वैली ऑफ गॉड यह मानती है आध्यात्मिक शक्तियां ही इस विमारी को जड़ से समाप्त करने में कारगर सिध्द होंगी। और इस संकट की घड़ी में वैली ऑफ गॉड के लगभग सभी देवता के रैयतों से आने बाले कुछ दिनों में सम्भबत और दान राशि प्राप्त होने के आसार है । सिर्फ सरकार को चाहिए जागृति अभियान गांव के दूर दराज क्षेत्रों तक गति पकड़े।
और जरूरी सैनिटाइजर और मास्क भज मुहैया किए जाएं।

प्रशाशन से आग्रह किया जाता है इस तरह से प्राप्त राशि इन्ही देवस्थानों में कोरोना से बचाव के प्रयत्नों को और गति देने में प्रयोग करें।
धन्यवाद

हिमाचल में अगले आदेश तक नहीं ले पाएंगे निजी स्कूल फीस
29/03/2020

हिमाचल में अगले आदेश तक नहीं ले पाएंगे निजी स्कूल फीस

Kullu Valley .Photo Source - Pallavi Agrawal .
29/03/2020

Kullu Valley .

Photo Source - Pallavi Agrawal .

28/03/2020

हिमाचल प्रदेश पुलिस के हेड कांस्टेबल मनोज ठाकुर जी जो कि आजकल जिला मंडी में तैनात हैं इस विडियो की बजह सस्पेंड किए गए। जिन्होंने एक कविता के माध्यम से पाकिस्तान की बोली बंद कर दी थी_काश्मीर तो होगा, पर पाकिस्तान नहीं होगा। क्या आला अधिकारियों का यह निर्णय सही है ?

'रामायण' और 'महाभारत' देखें ! लॉकडाउन में अपने संस्कृति से जुड़ें!
28/03/2020

'रामायण' और 'महाभारत' देखें ! लॉकडाउन में अपने संस्कृति से जुड़ें!

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About Himachal Pradesh.

हिमाचल प्रदेश का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि मानव अस्तित्व का अपना इतिहास है। हिमाचल प्रदेश का इतिहास उस समय में ले जाता है जब सिन्धु घाटी सभ्यता विकसित हुई। इस बात की सत्यता के प्रमाण हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में हुई खुदाई में प्राप्त सामग्रियों से मिलते हैं। प्राचीनकाल में इस प्रदेश के आदि निवासी दास, दस्यु और निषाद के नाम से जाने जाते थे। उन्नीसवीं शताब्दी में रणजीत सिंह ने इस क्षेत्र के अनेक भागों को अपने राज्य में मिला लिया। जब अंग्रेज यहां आए, तो उन्होंने गोरखा लोगों को पराजित करके कुछ राजाओं की रियासतों को अपने साम्राज्य में मिला लिया।

हिमाचल प्रदेश राज्य “देव भूमि” पुकारा जाता है। इस धर्म में पूर्व ऐतिहासिक मानवों के अस्तित्व के गवाह हैं। साधारणतया यह विश्वास किया जाता है कि इस प्रदेश का बड़े निवासियों ने वास्तव में समय-समय से मध्य एशिया और भारतीय मैदानों पर निवास किया। हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करने वाली प्रथम प्रजाति मंगोल और आर्यों द्वारा अनुसरित प्रोटो-ऑस्ट्रेलियड थी। इस प्रदेश में रहने वाले दस्युओं और निषादों और उनके शक्तिपूर्ण राजा शाम्बरा जो 99 किले रखता था, के बारे में ऋग्वेद में उल्लेख है। इस इतिहास के पूर्वकाल से जनजातियों जैसे कोइलियों, हालियों, डोग्रीयों, दास, खासों, किन्नरों और किरतों ने इस पर निवास किया। इस क्षेत्र पर आर्य-प्रभाव ऋग्वेद समय के पहले से दिनाकिंत है। समय ने भी हिमाचल प्रदेश में छोटे जनपद की स्थापना और गणतंत्र को देखा। उन्होने मौर्यों के साथ एक अच्छा सम्बन्ध रखा ताकि वे एक लम्बे समय के लिये स्वतंत्र रह सकें। उत्तरीय गंगेतिक मैदानों में गुप्तों की उन्नति के साथ उन्होने अपनी स्वतंत्रता खो दी। गुप्तों के पतन के बाद, असंख्य छोटे राज्यों ने इस पहाड़ी राज्य पर शासन किया और इसके विभिन्न प्रदेश में अपनी शक्ति को स्थापित किया। कश्मीर का राजा शंकर वर्मा ने लगभग 883 ईसा में हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों पर अपना प्रभाव जमाया। यह प्रदेश ने 1009 ईसा में महमूद गजनी के आक्रमण का साक्षी था। मुगल शासकों ने इस भूमि की प्रशंसा के रूप में कला के असंख्य कार्यों को स्थापित किया। 1804 ईसा में महाराजा रणजीत सिंह, जिन्होने यहां राजपूत शक्ति को नष्ट कर दिया, के द्वारा आक्रमण तक, 1773 ईसा में संसार चंद के नेतृत्व के अधीन राजपूतों ने इस प्रदेश को अपनाया। लगभग पूर्व 19 वीं शताब्दी ईसा में, ब्रिटिश ने अपने प्रभाव का प्रयोग किया और 1815-16 के गुरखा युध्द के बाद शिमला के क्षेत्रों को मिला दिया। ब्रिटिश ने गर्मियों में अत्यधिक गर्मी और उत्तरी मैदानों की धूल से स्वयं को बचाने के लिये इस प्रदेश में कई पहाडी स्टेशनों को स्थापित किया। शिमला भारत की गर्मी की राजधानी हो गया और आज भी, कई पुराने घर और इमारतें अंग्रेजी शान की कहानी सुनाते हैं।