09/05/2025
world war 3?
इंडिया और पाकिस्तान के बीच में टेंशन फिलहाल उस पॉइंट पर पहुंच गई है जहां पर एक गलती हिस्ट्री चेंज कर सकती है। कोई एक मिसफायर दो देशों की एक इलाके की लड़ाई से बढ़कर फुल फ्लेजेड वॉर या फिर वर्ल्ड वॉर में तब्दील हो सकता है। क्या वर्ल्ड वॉर 3 की चिंगारियां हवा में तैरने लगी है? भारत और पाकिस्तान का हर कदम अब केवल दो देशों की किस्मत को नहीं तय करेगा बल्कि यह दुनिया की दशादिशा को भी तय कर सकता है। और जिस तरह ये बढ़ रहा है क्या वर्ल्ड वॉर हो जाएगा क्योंकि अगर वर्ल्ड वॉर हुई तो फिर पूरे विश्व को युद्ध खत्म कर देगा।
इतिहास गवाह है कि कई बार युद्ध एक छोटी सी गलती से शुरू हुए और फिर दुनिया बर्बाद । वियतनाम का युद्ध एक गोलीबारी से शुरू हुआ था। क्यूबा मिसाइल संकट अविश्वास से पनपा था। कोसोवो का नरसंहार असंवेदनशील सियासत से हुआ था। लेकिन भारत और पाकिस्तान जो पहलगाम से शुरू हुए थे। ऑपरेशन सिंदूर से आगे बढ़े। अब एक दूसरे के शहरों पर जब लगातार ड्रोन और मिसाइल से हमले कर रहे हैं और जो परमाणु शक्तियों से लैस है। क्या वो दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध में धकेल रहे हैं। देखिए अगर आप उन लोगों में से हैं जिन्हें यह युद्ध फैसिनेट कर रहा है तो आपको बता दें कि
युद्ध शुरू करना आसान है। रोकना नहीं। युद्ध का मजा सिर्फ उसे आता है जो दूर से देखता है। जो इसका हिस्सा बना है वो कभी युद्ध नहीं चाहता। ना वो सैनिक जो इसमें लड़ रहे हैं ना उन सैनिक के परिवार वाले ना वो जिन्होंने कभी इस युद्ध के दंश को सहा या करीब से देखा है। और भारत पाकिस्तान जो परमाणु शक्ति से लैस हैं अगर उनके बीच में फुल फ्लजेड वॉर भी हुई तो मानवता के पास दूसरा मौका नहीं बचेगा। यकीन मानिए भारत और पाकिस्तान के बीच फुल फ्लेजेड वॉर हुई और अगर यह वर्ल्ड वॉर थ्री में तब्दील हुई तो फिर क्या परिस्थिति होगी? आपको बता दें कि फिर मंजर
वो होगा जो सुनकर भी शायद आपको डरा दे। वर्ल्ड वॉर 1 और वर्ल्ड वॉर 2 से कहीं ज्यादा मौतें हुई। वर्ल्ड वॉर वन में 1 करोड़ 60 लाख लोगों की जान गई थी। अनगिनत बीमारियों में फंसे रहे। वर्ल्ड वॉर टू जब आया तो इसमें मौतों की संख्या और ज्यादा बढ़ गई। 8 करोड़ के आसपास मौतें हुई जिसमें हिरशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम भी शामिल था। हिरशिमा में 70 हजार लोग और नागासाकी में 400 लोग एक सेकंड में राख हो गए। लेकिन अगर इंडिया और पाकिस्तान फुल फ्लेजेड वॉर करते हैं। परमाणु वॉर करते हैं तो फिर कहानी बिल्कुल अलग होगी। अगर
यह दोनों देश अपने 50-50% हथियारों का भी इस्तेमाल करते हैं तो यह मान के चलिए 10 से 20 करोड़ लोग पहले घंटे में मर सकते हैं। उसकी वजह है चाहे दिल्ली हो या कराची इनकी आबादी घनी है। दिल्ली में 2.5 करोड़ से अधिक लोग हैं। कराची में 2 करोड़ से अधिक लोग हैं। आधुनिक हथियार इनके पास है जो 15 से लेकर 300 किलो टन की शक्ति रखते हैं। हिरशिमा में 15 किलो टन का इस्तेमाल किया गया था और अब 3300 किलो टन तक के हथियार हैं। आप सोचिए कितने गुना है। अब अगर हथियारों की ताकत बड़ी है तो तबाही का मंजर भी तो बड़ा होगा। अगर 100 किलो टन का
मान लीजिए बम कराची या फिर दिल्ली पर गिर जाता है तो यकीन मानिए 5 से 10 किलोमीटर तक सब कुछ मलबे में तब्दील हो जाएगा। 20 किलोमीटर तक लोग जलकर राख हो जाएंगे। 30 किलोमीटर तक इमारतें जो है वो पूरी तरह से ढह जाएंगी। लाखों मौतें मिनटों में हो जाएंगी। करोड़ों ऐसे हैं जिनको इलाज नहीं मिलेगा। रेडिएशन का असर अलग आएगा। कैंसर, अपंगता और आगे आने वाली पीढ़ियों में बीमारियां जो इंसान की नस्लों को बर्बाद करके रखती है। अब अगर आपको लगता है कि दोनों देश समझदार हैं, वो लड़ रहे हैं। वर्ल्ड वॉर जैसी सिचुएशन या परमाणु वॉर
जैसी सिचुएशन नहीं होगी तो आपको यह समझना पड़ेगा कि एक गलती वर्ल्ड वॉर शुरू कर सकती है। एक गलती कोई भी युद्ध जानबूझकर शुरू नहीं करता। हालात बनते चले जाते हैं। एक मिसफायर। आज भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की तपती रेत पर एक ऐसी गलती, एक मिसाइल का गलत निशाना, एक साइबर हमला, एक आतंकी साजिश या खुफ़िया जानकारी की चूक ना केवल दोनों देशों को बल्कि पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की भट्टी में ठोक सकती है। ये दोनों देश ऐसे हैं जो परमाणु हथियारों से लैस है। गलतफहमी को सुधारने का वक्त शायद चंद मिनट भी ना मिले। उदाहरण के
तौर पर एलओसी पर तनाव के दौरान एक मिसाइल अगर गलत निशाना साध लेती है तो दुनिया बदल सकती है। ऐसा पहले भी हुआ है। तकनीकी खराबी के चलते मिसाइलें इधरउधर गिरी है। उस वक्त बातचीत का दरवाजा खुला था। युद्ध नहीं चल रहा था। जैसे तैसे स्थिति संभाल ली गई। लेकिन आप कल्पना कीजिए कि दोनों देशों की तरफ से कोई एक मिसाइल किसी एक देश के रिहााइशी इलाके में गिर जाए। अगला देश क्या करेगा? वो पलटवार करेगा उससे बड़ा। उसके बाद अगला बड़ावा शायद इसी आवेश में कोई परमाणु शक्ति का इस्तेमाल कर ले। ये खतरनाक हो सकता है। अगर भारत की अग्नि पांच जो 5000 कि.मी.
यह दोनों देश अपने 50-50% हथियारों का भी इस्तेमाल करते हैं तो यह मान के चलिए 10 से 20 करोड़ लोग पहले घंटे में मर सकते हैं। उसकी वजह है चाहे दिल्ली हो या कराची इनकी आबादी घनी है। दिल्ली में 2.5 करोड़ से अधिक लोग हैं। कराची में 2 करोड़ से अधिक लोग हैं। आधुनिक हथियार इनके पास है जो 15 से लेकर 300 किलो टन की शक्ति रखते हैं। हिरशिमा में 15 किलो टन का इस्तेमाल किया गया था और अब 3300 किलो टन तक के हथियार हैं। आप सोचिए कितने गुना है। अब अगर हथियारों की ताकत बड़ी है तो तबाही का मंजर भी तो बड़ा होगा। अगर 100 किलो टन का
मान लीजिए बम कराची या फिर दिल्ली पर गिर जाता है तो यकीन मानिए 5 से 10 किलोमीटर तक सब कुछ मलबे में तब्दील हो जाएगा। 20 किलोमीटर तक लोग जलकर राख हो जाएंगे। 30 किलोमीटर तक इमारतें जो है वो पूरी तरह से ढह जाएंगी। लाखों मौतें मिनटों में हो जाएंगी। करोड़ों ऐसे हैं जिनको इलाज नहीं मिलेगा। रेडिएशन का असर अलग आएगा। कैंसर, अपंगता और आगे आने वाली पीढ़ियों में बीमारियां जो इंसान की नस्लों को बर्बाद करके रखती है। अब अगर आपको लगता है कि दोनों देश समझदार हैं, वो लड़ रहे हैं। वर्ल्ड वॉर जैसी सिचुएशन या परमाणु वॉर
जैसी सिचुएशन नहीं होगी तो आपको यह समझना पड़ेगा कि एक गलती वर्ल्ड वॉर शुरू कर सकती है। एक गलती कोई भी युद्ध जानबूझकर शुरू नहीं करता। हालात बनते चले जाते हैं। एक मिसफायर। आज भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की तपती रेत पर एक ऐसी गलती, एक मिसाइल का गलत निशाना, एक साइबर हमला, एक आतंकी साजिश या खुफ़िया जानकारी की चूक ना केवल दोनों देशों को बल्कि पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की भट्टी में ठोक सकती है। ये दोनों देश ऐसे हैं जो परमाणु हथियारों से लैस है। गलतफहमी को सुधारने का वक्त शायद चंद मिनट भी ना मिले। उदाहरण के
तौर पर एलओसी पर तनाव के दौरान एक मिसाइल अगर गलत निशाना साध लेती है तो दुनिया बदल सकती है। ऐसा पहले भी हुआ है। तकनीकी खराबी के चलते मिसाइलें इधरउधर गिरी है। उस वक्त बातचीत का दरवाजा खुला था। युद्ध नहीं चल रहा था। जैसे तैसे स्थिति संभाल ली गई। लेकिन आप कल्पना कीजिए कि दोनों देशों की तरफ से कोई एक मिसाइल किसी एक देश के रिहााइशी इलाके में गिर जाए। अगला देश क्या करेगा? वो पलटवार करेगा उससे बड़ा। उसके बाद अगला बड़ावा शायद इसी आवेश में कोई परमाणु शक्ति का इस्तेमाल कर ले। ये खतरनाक हो सकता है। अगर भारत की अग्नि पांच जो 5000 कि.मी.
रेंज या पाकिस्तान की शाहीन तीन जो 2700 कि.मी. रेंज गलती से इधर-उधर चली आती है तो दूसरा हमला करेगा। आज भारत नो फर्स्ट न्यूज़ पॉलिसी का इस्तेमाल करता है। लेकिन अगर गलतफहमी इस लेवल पर जाती है तो शायद जवाब खतरनाक होगा। मिसाइलें हवा में होंगी। दिल्ली, मुंबई, कराची, इस्लामाबाद जैसे शहर मिनटों में मलबे में तब्दील हो सकते हैं। मौजूदा दौर में अगर कहीं कोई आतंकवाद हो जाता है तो यह भी विश्व युद्ध की तरफ धकेल सकता है। 2008 में मुंबई हमलों ने भारत को हिलाया था। 2019 के पुलवामा हमले ने बालाकोट हवाई हमले को जख्म दिया था। पहलगाम में जो कुछ हुआ उसके
राख कर सकती है। यकीन मानिए दिल्ली से इस्लामाबाद कराची से लेकर मुंबई अगर यह मिसाइलें चलती है तो कोई नहीं बचेगा। सबसे डरावनी बात यह है कि ये दोनों देश इमोशनली ड्रिवन है। भावनाओं का ज्वार चरम पर है। दोनों देशों के बीच संकट के बीच संचार के चैनल बहुत कमजोर हैं। बहुत कमजोर हैं। और तनाव पर यह कितने कारगर होंगे इसकी कल्पना हम और आप कर सकते हैं। 2019 में बालाकोट हमले के बाद दोनों देशों के बीच संवाद लगभग टूट गया था। अगर कोई गलती से मिसाइल इधर-उधर गई तो गलतफहमी दूर करने के लिए शायद 10 मिनट भी ना मिले और परमाणु युद्ध
में 10 मिनट क्या होता है वो आप कल्पना भी नहीं कर सकते। ये ऐसा युद्ध होता है जिसमें 10 सेकंड मुझे अगर विश्व युद्ध होता है तो कौन किस तरफ जाएगा? क्या गठबंधन बन सकता है? भारत के पास अमेरिका का साथ होगा। नाटो का साथ होगा जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देश आ सकते हैं। इजराइल भारत का पक्का दोस्त है। जापान, ऑस्ट्रेलिया भी साथ आ सकते हैं। भारत की रणनीतिक स्थिति, आर्थिक ताकत मजबूत होगी। पाकिस्तान का साथ चाइना दे सकता है, उत्तर कोरिया दे सकता है। टर्की उसके साथ जाएगा। ईरान उसके साथ होंगे। कुछ इस्लामिक देश जो हैं वो भी
इसके साथ रहेंगे। कुछ देश ऐसे हैं जो दोनों साइड से रहेंगे। जैसे दक्षिण अफ्रीकी देश, अमेरिकी देश ये हो सकते हैं। रूस पाकिस्तान के साथ इस बीच में क्लोज हुआ है। लेकिन भारत के साथ उसके संबंध दशकों पुराने हैं। ऐसे में रूस भी भारत की तरफ रहेगा। अब सवाल ये है कि जिस विश्व युद्ध की हम बात कर रहे हैं। विश्व युद्ध वन और विश्व युद्ध दो ये शुरू कैसे हुए थे? इनकी शुरुआत को समझना जरूरी है अगर इनसे हम बचना चाहते हैं। खासतौर पर भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में समझना बहुत जरूरी है क्योंकि यहां पर एक छोटी सी गलती इसकी आशंका पैदा कर सकती है। फर्स्ट
यह दोनों देश अपने 50-50% हथियारों का भी इस्तेमाल करते हैं तो यह मान के चलिए 10 से 20 करोड़ लोग पहले घंटे में मर सकते हैं। उसकी वजह है चाहे दिल्ली हो या कराची इनकी आबादी घनी है। दिल्ली में 2ाई करोड़ से अधिक लोग हैं। कराची में 2 करोड़ से अधिक लोग हैं। आधुनिक हथियार इनके पास है जो 15 से लेकर 300 किलो टन की शक्ति रखते हैं। हिरशिमा में 15 किलो टन का इस्तेमाल किया गया था और अब 3300 किलो टन तक के हथियार हैं। आप सोचिए कितने गुना है। अब अगर हथियारों की ताकत बड़ी है तो तबाही का मंजर भी तो बड़ा होगा। अगर 100 किलो टन का
मान लीजिए बम कराची या फिर दिल्ली पर गिर जाता है तो यकीन मानिए 5 से 10 किलोमीटर तक सब कुछ मलबे में तब्दील हो जाएगा। 20 किलोमीटर तक लोग जलकर राख हो जाएंगे। 30 किलोमीटर तक इमारतें जो है वो पूरी तरह से ढह जाएंगी। लाखों मौतें मिनटों में हो जाएंगी। करोड़ों ऐसे हैं जिनको इलाज नहीं मिलेगा। रेडिएशन का असर अलग आएगा। कैंसर, अपंगता और आगे आने वाली पीढ़ियों में बीमारियां जो इंसान की नस्लों को बर्बाद करके रखती है। अब अगर आपको लगता है कि दोनों देश समझदार हैं, वो लड़ रहे हैं। वर्ल्ड वॉर जैसी सिचुएशन या परमाणु वॉर
जैसी सिचुएशन नहीं होगी तो आपको यह समझना पड़ेगा कि एक गलती वर्ल्ड वॉर शुरू कर सकती है। एक गलती कोई भी युद्ध जानबूझकर शुरू नहीं करता। हालात बनते चले जाते हैं। एक मिसफायर। आज भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की तपती रेत पर एक ऐसी गलती, एक मिसाइल का गलत निशाना, एक साइबर हमला, एक आतंकी साजिश या खुफ़िया जानकारी की चूक ना केवल दोनों देशों को बल्कि पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की भट्टी में ठोक सकती है। ये दोनों देश ऐसे हैं जो परमाणु हथियारों से लैस है। गलतफहमी को सुधारने का वक्त शायद चंद मिनट भी ना मिले। उदाहरण के
तौर पर एलओसी पर तनाव के दौरान एक मिसाइल अगर गलत निशाना साध लेती है तो दुनिया बदल सकती है। ऐसा पहले भी हुआ है। तकनीकी खराबी के चलते मिसाइलें इधरउधर गिरी है। उस वक्त बातचीत का दरवाजा खुला था। युद्ध नहीं चल रहा था। जैसे तैसे स्थिति संभाल ली गई। लेकिन आप कल्पना कीजिए कि दोनों देशों की तरफ से कोई एक मिसाइल किसी एक देश के रिहााइशी इलाके में गिर जाए। अगला देश क्या करेगा? वो पलटवार करेगा उससे बड़ा। उसके बाद अगला बड़ावा शायद इसी आवेश में कोई परमाणु शक्ति का इस्तेमाल कर ले। ये खतरनाक हो सकता है। अगर भारत की अग्नि पांच जो 5000 कि.मी.
रेंज या पाकिस्तान की शाहीन तीन जो 2700 कि.मी. रेंज गलती से इधर-उधर चली आती है तो दूसरा हमला करेगा। आज भारत नो फर्स्ट न्यूज़ पॉलिसी का इस्तेमाल करता है। लेकिन अगर गलतफहमी इस लेवल पर जाती है तो शायद जवाब खतरनाक होगा। मिसाइलें हवा में होंगी। दिल्ली, मुंबई, कराची, इस्लामाबाद जैसे शहर मिनटों में मलबे में तब्दील हो सकते हैं। मौजूदा दौर में अगर कहीं कोई आतंकवाद हो जाता है तो यह भी विश्व युद्ध की तरफ धकेल सकता है। 2008 में मुंबई हमलों ने भारत को हिलाया था। 2019 के पुलवामा हमले ने बालाकोट हवाई हमले को जख्म दिया था। पहलगाम में जो कुछ हुआ उसके
बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चला दिया। आप कल्पना कीजिए कि अगर कहीं कोई आतंकवादी हमला होता है तो उसका जवाब भारत सीधे-सीधे से पाकिस्तान की साजिश मानेगा। जवाबी कार्रवाई होगी। सच्चाई कुछ भी हो वो युद्ध के बीच में दब जाएगी और उसके बाद दुनिया विश्व युद्ध की आग में जा सकती है। भारत और पाकिस्तान के बीच संयुक्त रूप से सैकड़ों हथियार हैं। भारत के पास अनुमानित 180 हथियार हैं। परमाणु के पाकिस्तान के पास भी 170 के आसपास है। और दोनों की मिसाइलें चाहे भारत की अग्नि पाकिस्तानी गजनवी मिनटों में एक दूसरे के शहरों को
राख कर सकती है। यकीन मानिए दिल्ली से इस्लामाबाद कराची से लेकर मुंबई अगर यह मिसाइलें चलती है तो कोई नहीं बचेगा। सबसे डरावनी बात यह है कि ये दोनों देश इमोशनली ड्रिवन है। भावनाओं का ज्वार चरम पर है। दोनों देशों के बीच संकट के बीच संचार के चैनल बहुत कमजोर हैं। बहुत कमजोर हैं। और तनाव पर यह कितने कारगर होंगे इसकी कल्पना हम और आप कर सकते हैं। 2019 में बालाकोट हमले के बाद दोनों देशों के बीच संवाद लगभग टूट गया था। अगर कोई गलती से मिसाइल इधर-उधर गई तो गलतफहमी दूर करने के लिए शायद 10 मिनट भी ना मिले और परमाणु युद्ध
में 10 मिनट क्या होता है वो आप कल्पना भी नहीं कर सकते। ये ऐसा युद्ध होता है जिसमें 10 सेकंड मुझे अगर विश्व युद्ध होता है तो कौन किस तरफ जाएगा? क्या गठबंधन बन सकता है? भारत के पास अमेरिका का साथ होगा। नाटो का साथ होगा जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देश आ सकते हैं। इजराइल भारत का पक्का दोस्त है। जापान, ऑस्ट्रेलिया भी साथ आ सकते हैं। भारत की रणनीतिक स्थिति, आर्थिक ताकत मजबूत होगी। पाकिस्तान का साथ चाइना दे सकता है, उत्तर कोरिया दे सकता है। टर्की उसके साथ जाएगा। ईरान उसके साथ होंगे। कुछ इस्लामिक देश जो हैं वो भी
इसके साथ रहेंगे। कुछ देश ऐसे हैं जो दोनों साइड से रहेंगे। जैसे दक्षिण अफ्रीकी देश, अमेरिकी देश ये हो सकते हैं। रूस पाकिस्तान के साथ इस बीच में क्लोज हुआ है। लेकिन भारत के साथ उसके संबंध दशकों पुराने हैं। ऐसे में रूस भी भारत की तरफ रहेगा। अब सवाल ये है कि जिस विश्व युद्ध की हम बात कर रहे हैं। विश्व युद्ध वन और विश्व युद्ध दो ये शुरू कैसे हुए थे? इनकी शुरुआत को समझना जरूरी है अगर इनसे हम बचना चाहते हैं। खासतौर पर भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में समझना बहुत जरूरी है क्योंकि यहां पर एक छोटी सी गलती इसकी आशंका पैदा कर सकती है। फर्स्ट
वर्ल्ड वॉर और सेकंड वर्ल्ड वॉर इतिहास के सबसे विनाशकारी संघर्ष थी। दोनों की शुरुआत छोटी-छोटी चिनकारियों से हुई थी। जिसे फर्स्ट वर्ल्ड वॉर 1914 से 1918 तक गया था। ऑस्ट्रिया हंगरी के आर्क ड्यूक फ्रांस की हत्या ने यूरोप में तनाव भड़का दिया था और इसी के बाद इसे विश्व युद्ध की चिंगारी बदलते देखा गया नतीजा जैसा हमने बताया 1 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई। सेकंड वर्ल्ड वॉर हिटलर के विस्तारवादी नीतियां पोलैंड पर जर्मनी का हमला और उसके बाद ये विश्व युद्ध में तब्दील हुई सात से आठ करोड़ लोगों की मौत हो गई। हालांकि
भारतपाक एक दूसरे से लड़ रहे हैं लेकिन फिर भी इस युद्ध को रोकने के कई रास्ते हैं क्योंकि तबाही से पहले संयम और समझदारी काम आ सकती है। क्या-क्या उपाय हैं हम आपको बताते हैं। पहला उपाय तो कूटनीतिक दृष्टिकोण से संयुक्त राष्ट्र और तठस्थ देशों की मध्यस्था की जरूरत होगी। कूटनीतिक दृष्टिकोण दुनिया में किसी भी युद्ध को रोकने का सबसे पुराना और प्रभावी हथियार है। रूस और यूक्रेन लड़ रहे थे तब भारत ने भूमिका निभाई थी। भारत ने दोनों संवाद किया था। अब भारत और पाकिस्तान के बीच में जब कमजोर कम्युनिकेशन है तो दुनिया के और बड़े देश इस बीच में अपनी
भूमिका निभा सकते हैं। भूमिका संयुक्त राष्ट्र भी निभा सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने इससे पहले भी इंडिया और पाकिस्तान में युद्ध को रोका है। कई बार रोका है और इस बार भी वो अपनी अहम भूमिका कर सकता है। जैसे 1965 और 1971 में भारतपाक युद्धों के बाद यूएन ने मध्यस्था करवाई थी। 1965 में ताशकंद समझौता और 1971 में शिमला समझौता हुआ था। जिसकी बाद भारत और पाकिस्तान में शांति बनाने की कोशिश की गई। हालांकि इसमें भी चुनौतियां है क्योंकि यूएन में अमेरिका, चीन, रूस परमानेंट मेंबर है और वो अपना-अपना हित देखेंगे। चीन पाकिस्तान
का समर्थन करेगा, अमेरिका इंडिया की तरफ झुकेगा। ऐसे में क्या यूएन की तरफ से कोई निष्पक्ष सुझाव आ सकता है? यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है। वैश्विक दबाव हो सकता है। अमेरिका और चीन अपने प्रभाव से दोनों देशों को शांत कर सकते हैं। कंट्रोल कर सकते हैं। दोनों को बुलाकर मीटिंग करवा सकते हैं और एक सही जगह पर युद्ध रुकवा सकते हैं। पाकिस्तान पर आर्थिक प्रबंध से भी काम चल सकता है। पाकिस्तान वो देश है जो पैसों के मामले में बिल्कुल भिखारी बन चुका है। उसके पास पैसे नहीं है। ऐसे में अगर दुनिया उसे फंड करना बंद कर देती है
या ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है या आतंकवाद को लेकर उस पर एक्शन ले लिए जाते हैं। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में उसे डाल दिया जाता है वापस तो फिर पाकिस्तान शांत हो सकता है। जन आंदोलन भी काम कर सकते हैं। अगर दोनों देशों की जनता शांति के लिए सड़कों पर उतरी। हालांकि इसके चांसेस ना के बराबर हैं क्योंकि ना हिंदुस्तान और ना पाकिस्तान। ये दो ऐसे देश हैं जहां लोग देश के लिए जीने मरने को तैयार हैं। ऐसे में शायद ही कोई ऐसा होगा जो सामने आकर यह कहेगा कि युद्ध रुकना चाहिए। हालांकि कुछ लोगों ने लिखना पढ़ना ऐसा भी शुरू कर दिया है। वो सामने आ रहे
यह दोनों देश अपने 50-50% हथियारों का भी इस्तेमाल करते हैं तो यह मान के चलिए 10 से 20 करोड़ लोग पहले घंटे में मर सकते हैं। उसकी वजह है चाहे दिल्ली हो या कराची इनकी आबादी घनी है। दिल्ली में 2ाई करोड़ से अधिक लोग हैं। कराची में 2 करोड़ से अधिक लोग हैं। आधुनिक हथियार इनके पास है जो 15 से लेकर 300 किलो टन की शक्ति रखते हैं। हिरशिमा में 15 किलो टन का इस्तेमाल किया गया था और अब 3300 किलो टन तक के हथियार हैं। आप सोचिए कितने गुना है। अब अगर हथियारों की ताकत बड़ी है तो तबाही का मंजर भी तो बड़ा होगा। अगर 100 किलो टन का
मान लीजिए बम कराची या फिर दिल्ली पर गिर जाता है तो यकीन मानिए 5 से 10 किलोमीटर तक सब कुछ मलबे में तब्दील हो जाएगा। 20 किलोमीटर तक लोग जलकर राख हो जाएंगे। 30 किलोमीटर तक इमारतें जो है वो पूरी तरह से ढह जाएंगी। लाखों मौतें मिनटों में हो जाएंगी। करोड़ों ऐसे हैं जिनको इलाज नहीं मिलेगा। रेडिएशन का असर अलग आएगा। कैंसर, अपंगता और आगे आने वाली पीढ़ियों में बीमारियां जो इंसान की नस्लों को बर्बाद करके रखती है। अब अगर आपको लगता है कि दोनों देश समझदार हैं, वो लड़ रहे हैं। वर्ल्ड वॉर जैसी सिचुएशन या परमाणु वॉर
जैसी सिचुएशन नहीं होगी तो आपको यह समझना पड़ेगा कि एक गलती वर्ल्ड वॉर शुरू कर सकती है। एक गलती कोई भी युद्ध जानबूझकर शुरू नहीं करता। हालात बनते चले जाते हैं। एक मिसफायर। आज भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की तपती रेत पर एक ऐसी गलती, एक मिसाइल का गलत निशाना, एक साइबर हमला, एक आतंकी साजिश या खुफ़िया जानकारी की चूक ना केवल दोनों देशों को बल्कि पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की भट्टी में ठोक सकती है। ये दोनों देश ऐसे हैं जो परमाणु हथियारों से लैस है। गलतफहमी को सुधारने का वक्त शायद चंद मिनट भी ना मिले। उदाहरण के
तौर पर एलओसी पर तनाव के दौरान एक मिसाइल अगर गलत निशाना साध लेती है तो दुनिया बदल सकती है। ऐसा पहले भी हुआ है। तकनीकी खराबी के चलते मिसाइलें इधरउधर गिरी है। उस वक्त बातचीत का दरवाजा खुला था। युद्ध नहीं चल रहा था। जैसे तैसे स्थिति संभाल ली गई। लेकिन आप कल्पना कीजिए कि दोनों देशों की तरफ से कोई एक मिसाइल किसी एक देश के रिहााइशी इलाके में गिर जाए। अगला देश क्या करेगा? वो पलटवार करेगा उससे बड़ा। उसके बाद अगला बड़ावा शायद इसी आवेश में कोई परमाणु शक्ति का इस्तेमाल कर ले। ये खतरनाक हो सकता है। अगर भारत की अग्नि पांच जो 5000 कि.मी.
रेंज या पाकिस्तान की शाहीन तीन जो 2700 कि.मी. रेंज गलती से इधर-उधर चली आती है तो दूसरा हमला करेगा। आज भारत नो फर्स्ट न्यूज़ पॉलिसी का इस्तेमाल करता है। लेकिन अगर गलतफहमी इस लेवल पर जाती है तो शायद जवाब खतरनाक होगा। मिसाइलें हवा में होंगी। दिल्ली, मुंबई, कराची, इस्लामाबाद जैसे शहर मिनटों में मलबे में तब्दील हो सकते हैं। मौजूदा दौर में अगर कहीं कोई आतंकवाद हो जाता है तो यह भी विश्व युद्ध की तरफ धकेल सकता है। 2008 में मुंबई हमलों ने भारत को हिलाया था। 2019 के पुलवामा हमले ने बालाकोट हवाई हमले को जख्म दिया था। पहलगाम में जो कुछ हुआ उसके
बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चला दिया। आप कल्पना कीजिए कि अगर कहीं कोई आतंकवादी हमला होता है तो उसका जवाब भारत सीधे-सीधे से पाकिस्तान की साजिश मानेगा। जवाबी कार्रवाई होगी। सच्चाई कुछ भी हो वो युद्ध के बीच में दब जाएगी और उसके बाद दुनिया विश्व युद्ध की आग में जा सकती है। भारत और पाकिस्तान के बीच संयुक्त रूप से सैकड़ों हथियार हैं। भारत के पास अनुमानित 180 हथियार हैं। परमाणु के पाकिस्तान के पास भी 170 के आसपास है। और दोनों की मिसाइलें चाहे भारत की अग्नि पाकिस्तानी गजनवी मिनटों में एक दूसरे के शहरों को
राख कर सकती है। यकीन मानिए दिल्ली से इस्लामाबाद कराची से लेकर मुंबई अगर यह मिसाइलें चलती है तो कोई नहीं बचेगा। सबसे डरावनी बात यह है कि ये दोनों देश इमोशनली ड्रिवन है। भावनाओं का ज्वार चरम पर है। दोनों देशों के बीच संकट के बीच संचार के चैनल बहुत कमजोर हैं। बहुत कमजोर हैं। और तनाव पर यह कितने कारगर होंगे इसकी कल्पना हम और आप कर सकते हैं। 2019 में बालाकोट हमले के बाद दोनों देशों के बीच संवाद लगभग टूट गया था। अगर कोई गलती से मिसाइल इधर-उधर गई तो गलतफहमी दूर करने के लिए शायद 10 मिनट भी ना मिले और परमाणु युद्ध
में 10 मिनट क्या होता है वो आप कल्पना भी नहीं कर सकते। ये ऐसा युद्ध होता है जिसमें 10 सेकंड मुझे अगर विश्व युद्ध होता है तो कौन किस तरफ जाएगा? क्या गठबंधन बन सकता है? भारत के पास अमेरिका का साथ होगा। नाटो का साथ होगा जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देश आ सकते हैं। इजराइल भारत का पक्का दोस्त है। जापान, ऑस्ट्रेलिया भी साथ आ सकते हैं। भारत की रणनीतिक स्थिति, आर्थिक ताकत मजबूत होगी। पाकिस्तान का साथ चाइना दे सकता है, उत्तर कोरिया दे सकता है। टर्की उसके साथ जाएगा। ईरान उसके साथ होंगे। कुछ इस्लामिक देश जो हैं वो भी
इसके साथ रहेंगे। कुछ देश ऐसे हैं जो दोनों साइड से रहेंगे। जैसे दक्षिण अफ्रीकी देश, अमेरिकी देश ये हो सकते हैं। रूस पाकिस्तान के साथ इस बीच में क्लोज हुआ है। लेकिन भारत के साथ उसके संबंध दशकों पुराने हैं। ऐसे में रूस भी भारत की तरफ रहेगा। अब सवाल ये है कि जिस विश्व युद्ध की हम बात कर रहे हैं। विश्व युद्ध वन और विश्व युद्ध दो ये शुरू कैसे हुए थे? इनकी शुरुआत को समझना जरूरी है अगर इनसे हम बचना चाहते हैं। खासतौर पर भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में समझना बहुत जरूरी है क्योंकि यहां पर एक छोटी सी गलती इसकी आशंका पैदा कर सकती है। फर्स्ट
वर्ल्ड वॉर और सेकंड वर्ल्ड वॉर इतिहास के सबसे विनाशकारी संघर्ष थी। दोनों की शुरुआत छोटी-छोटी चिनकारियों से हुई थी। जिसे फर्स्ट वर्ल्ड वॉर 1914 से 1918 तक गया था। ऑस्ट्रिया हंगरी के आर्क ड्यूक फ्रांस की हत्या ने यूरोप में तनाव भड़का दिया था और इसी के बाद इसे विश्व युद्ध की चिंगारी बदलते देखा गया नतीजा जैसा हमने बताया 1 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई। सेकंड वर्ल्ड वॉर हिटलर के विस्तारवादी नीतियां पोलैंड पर जर्मनी का हमला और उसके बाद ये विश्व युद्ध में तब्दील हुई सात से आठ करोड़ लोगों की मौत हो गई। हालांकि
भारतपाक एक दूसरे से लड़ रहे हैं लेकिन फिर भी इस युद्ध को रोकने के कई रास्ते हैं क्योंकि तबाही से पहले संयम और समझदारी काम आ सकती है। क्या-क्या उपाय हैं हम आपको बताते हैं। पहला उपाय तो कूटनीतिक दृष्टिकोण से संयुक्त राष्ट्र और तठस्थ देशों की मध्यस्था की जरूरत होगी। कूटनीतिक दृष्टिकोण दुनिया में किसी भी युद्ध को रोकने का सबसे पुराना और प्रभावी हथियार है। रूस और यूक्रेन लड़ रहे थे तब भारत ने भूमिका निभाई थी। भारत ने दोनों संवाद किया था। अब भारत और पाकिस्तान के बीच में जब कमजोर कम्युनिकेशन है तो दुनिया के और बड़े देश इस बीच में अपनी
भूमिका निभा सकते हैं। भूमिका संयुक्त राष्ट्र भी निभा सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने इससे पहले भी इंडिया और पाकिस्तान में युद्ध को रोका है। कई बार रोका है और इस बार भी वो अपनी अहम भूमिका कर सकता है। जैसे 1965 और 1971 में भारतपाक युद्धों के बाद यूएन ने मध्यस्था करवाई थी। 1965 में ताशकंद समझौता और 1971 में शिमला समझौता हुआ था। जिसकी बाद भारत और पाकिस्तान में शांति बनाने की कोशिश की गई। हालांकि इसमें भी चुनौतियां है क्योंकि यूएन में अमेरिका, चीन, रूस परमानेंट मेंबर है और वो अपना-अपना हित देखेंगे। चीन पाकिस्तान
का समर्थन करेगा, अमेरिका इंडिया की तरफ झुकेगा। ऐसे में क्या यूएन की तरफ से कोई निष्पक्ष सुझाव आ सकता है? यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है। वैश्विक दबाव हो सकता है। अमेरिका और चीन अपने प्रभाव से दोनों देशों को शांत कर सकते हैं। कंट्रोल कर सकते हैं। दोनों को बुलाकर मीटिंग करवा सकते हैं और एक सही जगह पर युद्ध रुकवा सकते हैं। पाकिस्तान पर आर्थिक प्रबंध से भी काम चल सकता है। पाकिस्तान वो देश है जो पैसों के मामले में बिल्कुल भिखारी बन चुका है। उसके पास पैसे नहीं है। ऐसे में अगर दुनिया उसे फंड करना बंद कर देती है
या ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है या आतंकवाद को लेकर उस पर एक्शन ले लिए जाते हैं। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में उसे डाल दिया जाता है वापस तो फिर पाकिस्तान शांत हो सकता है। जन आंदोलन भी काम कर सकते हैं। अगर दोनों देशों की जनता शांति के लिए सड़कों पर उतरी। हालांकि इसके चांसेस ना के बराबर हैं क्योंकि ना हिंदुस्तान और ना पाकिस्तान। ये दो ऐसे देश हैं जहां लोग देश के लिए जीने मरने को तैयार हैं। ऐसे में शायद ही कोई ऐसा होगा जो सामने आकर यह कहेगा कि युद्ध रुकना चाहिए। हालांकि कुछ लोगों ने लिखना पढ़ना ऐसा भी शुरू कर दिया है। वो सामने आ रहे
हैं। जैसे भारत में अंबबाती रायडू ने ट्वीट किया कि आंख के बदले आंख दुनिया को अंधा कर सकती है। कई और लोगों ने भी लिखा कि युद्ध वो चाहते हैं जिन्होंने युद्ध देखा नहीं है। जिन्होंने युद्ध देखा है वो युद्ध से बचना चाहते हैं। अगर ऐसी आवाजें और बढ़ती है। अगर ऐसी आवाजें और ज्यादा आती हैं तो शायद दोनों देशों की तरफ से कोई विचार हो सकता है। हालांकि युद्ध और देशभक्ति के शोर के बीच में ऐसी आवाजों का शोर शायद कम हो जाए। लेकिन फिर भी उम्मीद छोड़ना गलत है और आप इसकी भी उम्मीद कर सकते हैं। सैन्य संयम भारत और पाकिस्तान
को उकसावे वाली कार्रवाई करने से बचना चाहिए। ये भी एक समाधान हो सकता है। भारत पाकिस्तान अगर युद्ध लड़ भी रहे हैं तो वो एक हिस्से को लेकर लड़े। रिहाइशी इलाकों से बचें। ताकत सेना के बीच में टेस्ट हो। मासूम लोगों पर इसका प्रयोग ना किया जाए। क्योंकि अगर यह प्रयोग हुआ तो यह विश्व युद्ध की चिंगारी को जला सकता है। लेकिन आखिर में जो सवाल सबसे मौजूद है वो यही कि क्या हम राख से पहले शांति को चुन सकते हैं? क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच वर्तमान तनाव ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहां से लौटना लगभग असंभव है। इतिहास ने हमें
यह दोनों देश अपने 50-50% हथियारों का भी इस्तेमाल करते हैं तो यह मान के चलिए 10 से 20 करोड़ लोग पहले घंटे में मर सकते हैं। उसकी वजह है चाहे दिल्ली हो या कराची इनकी आबादी घनी है। दिल्ली में 2ाई करोड़ से अधिक लोग हैं। कराची में 2 करोड़ से अधिक लोग हैं। आधुनिक हथियार इनके पास है जो 15 से लेकर 300 किलो टन की शक्ति रखते हैं। हिरशिमा में 15 किलो टन का इस्तेमाल किया गया था और अब 3300 किलो टन तक के हथियार हैं। आप सोचिए कितने गुना है। अब अगर हथियारों की ताकत बड़ी है तो तबाही का मंजर भी तो बड़ा होगा। अगर 100 किलो टन का
मान लीजिए बम कराची या फिर दिल्ली पर गिर जाता है तो यकीन मानिए 5 से 10 किलोमीटर तक सब कुछ मलबे में तब्दील हो जाएगा। 20 किलोमीटर तक लोग जलकर राख हो जाएंगे। 30 किलोमीटर तक इमारतें जो है वो पूरी तरह से ढह जाएंगी। लाखों मौतें मिनटों में हो जाएंगी। करोड़ों ऐसे हैं जिनको इलाज नहीं मिलेगा। रेडिएशन का असर अलग आएगा। कैंसर, अपंगता और आगे आने वाली पीढ़ियों में बीमारियां जो इंसान की नस्लों को बर्बाद करके रखती है। अब अगर आपको लगता है कि दोनों देश समझदार हैं, वो लड़ रहे हैं। वर्ल्ड वॉर जैसी सिचुएशन या परमाणु वॉर
जैसी सिचुएशन नहीं होगी तो आपको यह समझना पड़ेगा कि एक गलती वर्ल्ड वॉर शुरू कर सकती है। एक गलती कोई भी युद्ध जानबूझकर शुरू नहीं करता। हालात बनते चले जाते हैं। एक मिसफायर। आज भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की तपती रेत पर एक ऐसी गलती, एक मिसाइल का गलत निशाना, एक साइबर हमला, एक आतंकी साजिश या खुफ़िया जानकारी की चूक ना केवल दोनों देशों को बल्कि पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की भट्टी में ठोक सकती है। ये दोनों देश ऐसे हैं जो परमाणु हथियारों से लैस है। गलतफहमी को सुधारने का वक्त शायद चंद मिनट भी ना मिले। उदाहरण के
तौर पर एलओसी पर तनाव के दौरान एक मिसाइल अगर गलत निशाना साध लेती है तो दुनिया बदल सकती है। ऐसा पहले भी हुआ है। तकनीकी खराबी के चलते मिसाइलें इधरउधर गिरी है। उस वक्त बातचीत का दरवाजा खुला था। युद्ध नहीं चल रहा था। जैसे तैसे स्थिति संभाल ली गई। लेकिन आप कल्पना कीजिए कि दोनों देशों की तरफ से को