Gram Parivesh

Gram Parivesh Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Gram Parivesh, Newspaper, Shimla.

राजनय(diplomacy )की असह्य चुप्पी: जब नैतिकता हथियारों के नीचे दब जाए" रणनीति की राख में जलती मानवता: दोहरे मापदंडों की व...
25/06/2025

राजनय(diplomacy )की असह्य चुप्पी: जब नैतिकता हथियारों के नीचे दब जाए"

रणनीति की राख में जलती मानवता: दोहरे मापदंडों की वैश्विक विरासत"

कुछ दिन पूर्व 'द हिंदू' में प्रकाशित यूपीए चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी के लेख का रूपांतरण ग्राम परिवेश की टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यथासंभव मूल भाव और संदर्भ को बनाए रखने का प्रयास किया गया है, फिर भी यदि कहीं कोई त्रुटि रह गई हो तो हम अपने सम्मानित पाठकों तथा लेखिका से क्षमाप्रार्थी हैं

13 जून, 2025 को एकतरफा सैन्य आक्रामकता के खतरनाक परिणामों का दुनिया ने एक बार फिर साक्षात्कार किया, जब इज़राइल ने ईरान की संप्रभुता पर एक अत्यंत चिंताजनक और अवैध हमला कर डाला। यह आक्रमण न केवल अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मर्यादाओं का उल्लंघन है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए भी एक गंभीर खतरे की घंटी है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ईरानी ज़मीन पर किए गए इन बमबारी अभियानों और लक्षित हत्याओं की तीव्र भर्त्सना की है, जो हालात को और भी उग्र बनाकर टकराव की आग को भड़काने वाले कदम हैं।

इज़राइल की यह कार्रवाई—जैसे कि ग़ज़ा में चलाया गया उसका बर्बर और बेमेल सैन्य अभियान—मानवता और क्षेत्रीय संतुलन की पूरी तरह से उपेक्षा करती है। इस तरह के अग्रेशन (आक्रोशपूर्ण आक्रामकता) केवल अस्थिरता को गहराते हैं और संघर्ष की नई ज़मीन तैयार करते हैं।

यह घटना तब और अधिक पीड़ादायक बन जाती है जब हम देखते हैं कि यह हमला उस समय हुआ जब ईरान और अमेरिका के बीच की कूटनीतिक वार्ताओं में आशाजनक प्रगति हो रही थी। वर्ष 2025 में अब तक पांच दौर की वार्ताएं हो चुकी थीं और जून में छठे दौर की योजना थी। मार्च 2025 में अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबर्ड ने कांग्रेस के समक्ष स्पष्ट रूप से कहा था कि ईरान कोई परमाणु हथियार कार्यक्रम नहीं चला रहा है और सर्वोच्च नेता अली ख़ामेनई ने 2003 में उसे निलंबित करने के बाद अब तक उसके पुनः प्रारंभ की अनुमति नहीं दी है।

इज़राइल की वर्तमान सत्ता व्यवस्था—प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में—शांति प्रयासों को विफल करने और उग्रवाद को पोषित करने के अपने लंबे और दुर्भाग्यपूर्ण इतिहास के लिए जानी जाती है। उनकी सरकार द्वारा अवैध यहूदी बस्तियों के विस्तार, अतिराष्ट्रवादी गुटों से गठजोड़ और दो-राष्ट्र समाधान को बाधित करने जैसी नीतियों ने न केवल फ़िलिस्तीनी जनता की पीड़ा को बढ़ाया है, बल्कि पूरे क्षेत्र को निरंतर संघर्ष की ओर धकेला है।

इतिहास साक्षी है कि नेतन्याहू ने 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री यित्ज़ाक राबिन की हत्या के पीछे घृणा की जिस लपट को हवा दी थी, उसी ने इज़राइल-फ़िलिस्तीन के बीच चल रही सबसे आशावान शांति प्रक्रिया को खंडित कर दिया।

ऐसे इतिहास को देखते हुए यह कतई चौंकाने वाली बात नहीं कि नेतन्याहू संवाद की बजाय तनाव और उग्रता का मार्ग चुनते आ रहे हैं। परन्तु सबसे अधिक खेदजनक यह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प—जिन्होंने कभी अमेरिका के अंतहीन युद्धों और सैन्य-औद्योगिक गठजोड़ की आलोचना की थी—अब उसी विनाशकारी राह पर अग्रसर प्रतीत होते हैं।

उन्होंने स्वयं कई बार यह स्वीकार किया है कि किस प्रकार झूठे और मनगढ़ंत आरोपों—जैसे इराक के पास विनाशकारी हथियार होने का दावा—ने एक महंगा युद्ध छेड़ दिया, जिसने पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर दिया। इसलिए, 17 जून को उनका यह बयान अत्यंत निराशाजनक है जिसमें उन्होंने अपनी ही खुफिया प्रमुख की रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए दावा किया कि ईरान "परमाणु हथियार प्राप्त करने के बहुत करीब" है।

दुनिया को आज ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो तथ्यों पर आधारित हो, जो संवाद-प्रधान हो—न कि छल, भय और बल पर टिका हो।

दोहरे मापदंडों के लिए कोई स्थान नहीं

पश्चिम एशिया के तनावग्रस्त इतिहास को देखते हुए, परमाणु हथियारों से लैस ईरान को लेकर इज़राइल की सुरक्षा चिंताओं को पूरी तरह नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। किंतु, यह भी उतना ही अनिवार्य है कि हम किसी प्रकार के दोहरे मानकों के लिए कोई गुंजाइश न छोड़ें। इज़राइल स्वयं एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है, जिसका अपने पड़ोसी देशों के विरुद्ध सैन्य अग्रेशन (आक्रामकता) का लंबा और विद्रूप इतिहास रहा है।

इसके उलट, ईरान आज भी परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का हस्ताक्षरकर्ता बना हुआ है, और उसने वर्ष 2015 की संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के अंतर्गत प्रतिबंधों में राहत के बदले यूरेनियम संवर्द्धन पर कठोर सीमाएं स्वीकार की थीं। इस समझौते को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य देशों, जर्मनी और यूरोपीय संघ का समर्थन प्राप्त था, और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा इसकी पुष्टि भी की गई थी—जब तक कि अमेरिका ने 2018 में इसे एकतरफा ढंग से समाप्त नहीं कर दिया। इस निर्णय ने वर्षों की कूटनीतिक तपस्या को निष्फल कर दिया और क्षेत्र की पहले से ही नाजुक स्थिरता पर एक बार फिर घने बादल ला दिए।

भारत ने भी इस विघटन की कीमत चुकाई है। ईरान पर दोबारा लगाए गए प्रतिबंधों ने भारत की सामरिक और आर्थिक परियोजनाओं—जैसे अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा और चाबहार बंदरगाह के विकास—को बुरी तरह प्रभावित किया, जो मध्य एशिया से बेहतर संपर्क और अफगानिस्तान तक प्रत्यक्ष पहुंच का वायदा रखते थे।

ईरान के विरुद्ध इज़राइल की हालिया कार्रवाइयां एक ऐसे वातावरण में हुई हैं, जहां उसे शक्तिशाली पश्चिमी देशों के लगभग निरंकुश समर्थन ने दंडाभाव का दुस्साहस प्रदान किया है।" भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा किए गए निर्दय और निंदनीय हमलों की स्पष्ट भर्त्सना की थी, परंतु हम इज़राइल की विनाशकारी और बेमेल प्रतिक्रिया पर भी मौन नहीं रह सकते।

अब तक 55,000 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों की जान जा चुकी है। पूरे-के-पूरे परिवार, मोहल्ले, यहां तक कि अस्पताल तक नष्ट कर दिए गए हैं। ग़ज़ा भुखमरी के कगार पर खड़ा है और वहां की आम जनता अकथनीय मानवीय संकट झेल रही है।

भारत का चिंताजनक रुख

इस मानवीय त्रासदी के बीच, नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत की लंबे समय से चली आ रही शांति और न्याय पर आधारित दो-राष्ट्र समाधान की सैद्धांतिक प्रतिबद्धता को लगभग त्याग दिया है—एक ऐसा समाधान जो एक स्वतंत्र और संप्रभु फिलिस्तीन को इज़राइल के साथ सम्मान और सुरक्षा के साथ सह-अस्तित्व में देखने का सपना संजोता है।

ग़ज़ा में मचे भीषण विनाश पर और अब ईरान के विरुद्ध इस अकारण सैन्य उकसावे पर नई दिल्ली की चुप्पी भारत की नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से चिंताजनक विचलन (departure )का संकेत है। यह केवल स्वर का मौन नहीं, बल्कि मूल्यों का समर्पण भी है।

फिर भी देर नहीं हुई है। भारत को चाहिए कि वह स्पष्ट बोले, जिम्मेदारी से व्यवहार करे और उपलब्ध हर कूटनीतिक माध्यम का उपयोग कर पश्चिम एशिया में संवाद की बहाली और तनावों के शमन की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाए।

योग से जीवन में संतुलन और संगठन में ऊर्जा: टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने मनाया 11वां अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख 'मिनी रत्न' सार्...
22/06/2025

योग से जीवन में संतुलन और संगठन में ऊर्जा: टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने मनाया 11वां अंतर्राष्ट्रीय

प्रमुख 'मिनी रत्न' सार्वजनिक क्षेत्र की विद्युत उत्पादन कंपनी टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ऋषिकेश स्थित अपने कॉर्पोरेट कार्यालय में अत्यंत उत्साह और आध्यात्मिक उल्लास के साथ मनाया। यह आयोजन सिर्फ एक रस्म अदायगी नहीं बल्कि संगठन की समग्र कल्याण, मानसिक शांति और सकारात्मक कार्य-संस्कृति के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का जीवंत प्रतीक था।

इस अवसर पर कंपनी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने व्यस्त और तनावपूर्ण आधुनिक जीवनशैली में योग की बढ़ती प्रासंगिकता पर बल देते हुए कहा कि योग न केवल शारीरिक स्फूर्ति और मानसिक स्पष्टता का प्रभावी साधन है, बल्कि यह आंतरिक शक्ति, अनुशासन और लचीलापन प्रदान करने वाला प्राचीन भारतीय विज्ञान भी है। उन्होंने कर्मचारियों से आह्वान किया कि वे योग को अपने दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं, जिससे एक संतुलित, तनावमुक्त और ऊर्जावान जीवनशैली सुनिश्चित हो सके।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ टीएचडीसीआईएल के निदेशक (कार्मिक) द्वारा सामुदायिक केंद्र में दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। अपने प्रेरणादायक संबोधन में उन्होंने भारत के योग-संदेश को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित करने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आज योग सीमाओं से परे एक वैश्विक चेतना का रूप ले चुका है, जो शरीर, मन और आत्मा के सामंजस्य की सार्वभौमिक साधना बन गया है।

"एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग" केवल व्यक्तिगत साधना नहीं, बल्कि वैश्विक चेतना का आह्वान है। यह थीम मानव और प्रकृति के बीच टूटते संतुलन को जोड़ने का आध्यात्मिक सेतु बनाती है। योग के माध्यम से हम अपने तन, मन और आत्मा को ही नहीं, धरती के हर जीव और तत्व से जुड़ने की क्षमता पाते हैं। जब व्यक्ति भीतर से संतुलित होता है, तो वह बाहर की दुनिया में भी संतुलन और करुणा फैलाता है। यही योग की सार्थकता है—स्वास्थ्यवान मानव और स्वस्थ पृथ्वी का समन्वित अस्तित्व"।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रधानमंत्री का सीधा प्रसारित संबोधन रहा, जिसे सभी प्रतिभागियों ने गंभीरता और श्रद्धा के साथ सुना। यह प्रसारण योग के संदेश और उसके महत्व को और अधिक गहराई से आत्मसात करने का माध्यम बना।

योग दिवस पर भारत स्वाभिमान न्यास के प्रशिक्षकों द्वारा निर्देशित योग-सत्र में प्रतिभागियों ने विभिन्न योगासन, प्राणायाम और ध्यान तकनीकों का अभ्यास किया, जो लचीलापन, मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के उद्देश्य से संचालित थे। कार्यक्रम के अंत में टीएचडीसीआईएल परिवार के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत विशेष योग मुद्रा प्रदर्शन ने आयोजन को सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से समृद्ध कर दिया।

इस गरिमामय अवसर पर कार्यकारी निदेशक (तकनीकी), मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन एवं प्रशासन) सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारियों के परिजन उपस्थित रहे। साथ ही, टीएचडीसीआईएल की सभी परियोजनाओं एवं इकाई कार्यालयों में भी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पूरे जोश और समर्पण के साथ मनाया गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह संगठन केवल विद्युत उत्पादन तक सीमित नहीं, बल्कि ‘ऊर्जावान भारत’ के साथ ‘स्वस्थ भारत’ के निर्माण में भी सहभागी है।

विचारधारा से नहीं, दिल से कांग्रेसी – विनय कुमार की ताजपोशी की पटकथा तैयार।मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा/ग्राम परिवेश कांग्र...
17/06/2025

विचारधारा से नहीं, दिल से कांग्रेसी – विनय कुमार की ताजपोशी की पटकथा तैयार।
मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा/ग्राम परिवेश

कांग्रेस नेतृत्व ने हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक दिशा तय करने के लिए सात माह की लंबी प्रतीक्षा और गहन मंथन के बाद आखिरकार सिरमौर के विधायक और वर्तमान विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने का मन बना लिया है। यह निर्णय कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की रणनीतिक सोच और बदलते राजनीतिक समीकरणों का संकेतक है, जिसमें दलगत निष्ठा, संकट काल में पार्टी के साथ खड़े रहने और संगठनात्मक संतुलन को मुख्य आधार बनाया गया है।

हाल ही में दिल्ली बुलाए गए विनय कुमार से पार्टी नेतृत्व ने गहन चर्चा की, कहा जा रहा है,जिसमें विशेष रूप से "राज्यसभा चुनावों" में कांग्रेस के भीतर हुई टूट और उनकी भूमिका को लेकर स्पष्टीकरण लिया गया। विनय कुमार ने इस पर स्पष्ट कहा—

"मैं केवल विचारधारा से नहीं, दिल से भी कांग्रेसी हूं। संकट की हर घड़ी में पार्टी के साथ खड़ा रहा हूं—चाहे वह कार्यकारी अध्यक्षों का सामूहिक इस्तीफा हो या विधायकों का सामूहिक दलबदल।"

दिल्ली दरबार में मजबूत होती पकड़:

विनय कुमार की दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके राजनीतिक सलाहकार डॉ. सैयद नासिर हुसैन से लंबी वार्ताएं महज़ औपचारिक मुलाकातें नहीं रहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश थीं—कि संगठन उन्हें प्रदेश नेतृत्व के लिए तैयार कर चुका है। खुद विनय कुमार का बयान भी यह संकेत देता है कि वे दायित्व स्वीकारने को तैयार हैं:

"पार्टी मुझे जो जिम्मेदारी देगी, उसे पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता से निभाऊंगा। मुझे हमेशा होली लॉज का मार्गदर्शन और समर्थन मिला है।"

दलित नेतृत्व की ओर झुकाव और संतुलन की चुनौती:

हिमाचल कांग्रेस की प्रभारी रजनी पाटिल की शिमला यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए तीन दलित नेताओं के नाम सुझाए थे—विनोद सुल्तानपुरी, सुरेश कुमार, और विनय कुमार। सर्वसम्मति अंततः विनय कुमार के पक्ष में बन गई, जो इस बात का संकेत है कि कांग्रेस नेतृत्व सामाजिक न्याय के साथ-साथ राजनीतिक व्यावहारिकता को भी संतुलित करना चाहता है।

हालांकि, विनय कुमार के शिमला संसदीय क्षेत्र से होने के कारण क्षेत्रीय असंतुलन का सवाल फिर से उभर गया है। कांगड़ा और मंडी जैसे बड़े जिलों की उपेक्षा से संगठनात्मक असंतोष की संभावना जताई जा रही है। लेकिन फिलहाल हाईकमान ने इस असंतुलन को दरकिनार करते हुए समर्पण और संगठन निष्ठा को तरजीह दी है।

राजनीतिक संतुलन साधने की परीक्षा:

सूत्रों के अनुसार, विनय कुमार की ताजपोशी के साथ ही विधानसभा उपाध्यक्ष और दो मंत्रियों की नियुक्ति भी जल्द हो सकती है। मुख्यमंत्री सुक्खू के लिए-- यह क्षण तलवार की धार पर चलने जैसा है—जहां उन्हें क्षेत्रीय संतुलन, निष्ठा, अनुभव और महत्वाकांक्षाओं के समुच्चय से निर्णय लेना होगा।
शिमला संसदीय क्षेत्र से एक मंत्री को हटाकर दो नए चेहरे कैबिनेट में शामिल करने की योजना पर भी चर्चा है। डॉ. धनीराम शांडिल को संभावित रूप से मंत्री पद से हटाकर राज्यसभा भेजने की योजना के पीछे भी यह रणनीति है कि उनके स्थान पर उन्हीं के किसी भरोसेमंद को टिकट देकर जमीनी स्थिति को परखा जाए।

राजनीतिक संकेत और समीकरण:

इस पूरी कवायद में स्पष्ट है कि कांग्रेस नेतृत्व अब विचारधारात्मक निष्ठा, संकट में संगठन के साथ खड़े रहने वाले नेताओं और जमीनी मजबूती को प्राथमिकता देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। सुक्खू सरकार के लिए यह समय नेतृत्व कौशल की असल परीक्षा का है—जहां उन्हें संगठन, सत्ता और संतुलन—तीनों मोर्चों पर खुद को साबित करना होगा।

राजनीति के जानकारों की दृष्टि में, यह बदलाव कांग्रेस की प्रदेश इकाई में एक नई रेखा खींचने जा रहा है—जिसमें दिल्ली दरबार की दृष्टि और सुक्खू का दृष्टिकोण-होली लॉज की राजनीति- अब मिलकर भविष्य की पटकथा लिखते नजर आएंगे।

बड़ा भंगाल: विकास के नारों में गुम एक जमीनी सच्चाई"खुशी राम ठाकुर बड़ा भंगाल :जिला कांगड़ा की अति दुर्गम बड़ा भंगाल घाटी...
08/06/2025

बड़ा भंगाल: विकास के नारों में गुम एक जमीनी सच्चाई"

खुशी राम ठाकुर
बड़ा भंगाल :जिला कांगड़ा की अति दुर्गम बड़ा भंगाल घाटी आज़ादी के 78 वर्ष बाद भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाई है। यह विडंबना है कि जहाँ एक ओर सरकारें ‘श्रेष्ठ हिमाचल’ और ‘शिखर पर हिमाचल’ के नारे गढ़ती रही हैं, वहीं दूसरी ओर बड़ा भंगाल जैसी घाटियाँ उन खोखले दावों की परतें उघाड़ती रही हैं।

पंचायत स्तर पर बार-बार की गई मांगों के बावजूद अब तक सत्ता में रही कोई भी सरकार इस घाटी को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं दे सकी। पंचायत प्रधान मनसा राम भंगालिया के अनुसार, उनकी पंचायत में दो गांव आते हैं, जहाँ वर्तमान में 78 परिवार रहते हैं और कुल जनसंख्या लगभग 680 है।

वर्ष 2022 में हिम ऊर्जा कंपनी ने केवल सोलर लाइट लगाने तक ही अपनी जिम्मेदारी निभाई। स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर 25 वर्ष पूर्व स्थापित आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी पिछले 12 वर्षों से फार्मासिस्ट न होने के कारण बंद पड़ी है। यही नहीं, राजकीय उच्च पाठशाला में पिछले पांच वर्षों से शिक्षक तक नहीं हैं और विद्यालय पर ताला लटका हुआ है।

बड़ा भंगाल के लोग छह माह बर्फबारी के चलते बाहरी दुनिया से कटे रहते हैं और शेष समय अपनी दैनिक आवश्यकताएं कोसों दूर से पीठ या घोड़ों पर लादकर लाते हैं। सड़क न होने के कारण खाद्य सामग्री पहुंचाना भी दुश्वारियों से भरा रहता है।

सरकारों की संवेदनहीनता और उदासीन रवैये पर सवाल उठाते हुए प्रधान मनसा राम भंगालिया ने मांग की है कि इस घाटी को तत्काल जनजातीय क्षेत्र घोषित किया जाए, जिससे यहाँ के निवासियों को न्यूनतम विकास अधिकार भी मिल सकें।
“छोटा भंगाल घाटी में बस योग्य सड़कों पर भी नहीं पहुंची बस।
वहीं छोटा भंगाल घाटी के पोलिंग गांव की तस्वीर भी विकास के खोखले वादों का ही आईना है। वर्ष 2019 में लोहारड़ी से पोलिंग गांव तक दो किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर उस पर टायरिंग भी कर दी गई। कार और दोपहिया वाहन इस मार्ग पर चलने लगे, मगर पांच वर्षों में भी इस मार्ग पर एक भी बस नहीं चलाई गई।

पूर्व बीडीसी सदस्य श्याम लाल बताते हैं कि बस सुविधा हेतु सरकार और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल को कई बार पंचायत स्तर पर मौखिक और लिखित प्रस्ताव भेजे गए, पर समस्या जस की तस बनी हुई है। इतना ही नहीं, 28 फरवरी 2024 को हुई भारी बारिश में सड़क पर जगह–जगह भूस्खलन से पोलिंग गांव के 13 छोटे वाहनों को गंभीर क्षति हुई। डंगे ढह गए, सड़क पर भारी पत्थर और मलबा जमा हो गया। तीन महीने बाद भी लोक निर्माण विभाग ने इन अवरोधों को नहीं हटाया, जिससे गांववासियों में विभाग के प्रति भारी रोष व्याप्त है।

श्याम लाल और स्थानीय लोगों ने मांग की है कि पहले इस सड़क से मलबा हटाया जाए और तुरंत बस सेवा शुरू की जाए, ताकि डेढ़ सौ परिवारों वाला पोलिंग गांव भी सम्मानजनक जीवन की राह पर आगे बढ़ सके।

बड़ा भंगाल हो या छोटा भंगाल—ये घाटियां सरकारी नीतियों की असली परीक्षा हैं। अगर सरकारें वाकई ‘विकास’ को जमीन तक पहुँचाना चाहती हैं, तो इन क्षेत्रों में ‘वोट’ के बाद भी ‘वजूद’ बनाए रखने की गंभीर इच्छाशक्ति दिखानी होगी।

07/06/2025

शुल्क की सरकार और सुविधाओं का सूखा – जनता पर दोहरी मार: जयराम ठाकुर
मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा

शिमला से जारी एक सख्त बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह सरकार अब जनता की सरकार नहीं रही, बल्कि ‘शुल्क वसूली एजेंसी’ बन गई है। हर दिन कोई न कोई नया बोझ आम आदमी की जेब पर लादा जा रहा है, और बदले में मिल रही सुविधाएं धीरे-धीरे छीनी जा रही हैं। महीनों तक राशन डिपुओं में सरसों का तेल और रिफाइंड उपलब्ध नहीं कराया गया, और अब जब देने की बात आई तो सरकार ने उसे सीधे 33 से 40 प्रतिशत तक महंगा कर दिया। जो तेल पहले ₹97 में मिलता था, अब ₹134 में मिलेगा — यह गरीब जनता के साथ एक निष्ठुर मज़ाक नहीं तो और क्या है?

ठाकुर ने तीखे लहजे में सवाल किया, “क्या यही *सुख की सरकार* है, जहाँ आमजन के खानपान से जुड़ी मूलभूत चीज़ों को भी एक झटके में डेढ़ गुना महंगा कर दिया जाता है?” केवल तेल ही नहीं, दालों और अन्य आवश्यक खाद्य वस्तुओं की सूची भी घटाई जा रही है, और जो बचा है, उसकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं। सरकार की यह नीति न सिर्फ़ जनविरोधी है, बल्कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा भी है।

उन्होंने मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि वे ‘सुख की नहीं, *शुल्क की सरकार*’ के मुखिया बन चुके हैं। हास्यास्पद स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री बार-बार लगाए गए शुल्कों से मुकर जाते हैं। कल ही उन्होंने दावा किया कि अस्पतालों में पर्ची शुल्क उन्होंने नहीं लगाया, जबकि जनता लाइन में खड़े होकर ₹10 की पर्ची ले रही है। क्या सरकार खुद अपने आदेशों से अनजान है, या फिर जानबूझकर झूठ बोला जा रहा है? यही स्थिति चूड़धार यात्रा शुल्क को लेकर भी सामने आई, जब मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई टैक्स नहीं लगाया, जबकि बाद में विभाग का वही नोटिफिकेशन वापस लेना पड़ा। अगर शुल्क था ही नहीं तो नोटिफिकेशन वापसी किस बात की?

जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री का बार-बार झूठ बोलना और फिर अपने ही आदेशों से मुकर जाना लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विरुद्ध है। यह जनता के साथ विश्वासघात है, और सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि सत्ता सेवा के लिए होती है, शोषण के लिए नहीं।

इसके विपरीत, ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसके चौथे चरण में प्रदेश को विशेष प्राथमिकता दी गई है, जिसके अंतर्गत 1500 किलोमीटर से अधिक सड़कों को मंज़ूरी मिली है। सराज विधानसभा क्षेत्र के लिए भी 32 सड़कों की स्वीकृति केंद्र सरकार ने दी है, जो दुर्गम क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होंगी।

सरकारों में अंतर स्पष्ट है—एक ओर राहत और विकास की नीति है, दूसरी ओर राहत छीनने और बोझ लादने की प्रवृत्ति।

फॉरेंसिक तकनीक पर एचपीएनएलयू का वैश्विक मंथन समकालीन दृष्टिकोण और दिशा।मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा आधुनिक आपराधिक जांच में...
07/06/2025

फॉरेंसिक तकनीक पर एचपीएनएलयू का वैश्विक मंथन
समकालीन दृष्टिकोण और दिशा।
मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा

आधुनिक आपराधिक जांच में फॉरेंसिक विज्ञान की भूमिका निर्णायक होती जा रही है, जहां साक्ष्य की शुद्धता और वैज्ञानिक विश्लेषण न्याय प्रक्रिया की गुणवत्ता को निर्धारित करते हैं। तथापि, इस क्षेत्र में तकनीकी जटिलताएं, नैतिक सीमाएं और अंतरराष्ट्रीय मानकों की अनुपालना जैसे कई समकालीन मुद्दे भी उभर रहे हैं। इन्हीं विचारों के गंभीर मंथन और समाधान की दिशा में हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचपीएनएलयू), शिमला द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने एक सार्थक मंच प्रदान किया।

शिमला, 6 जून, 2025— हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचपीएनएलयू), शिमला के सेंटर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस (CCFS) ने कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रीती सक्सेना के सशक्त नेतृत्व में “आपराधिक जांच में फॉरेंसिक विज्ञान की भूमिका: समकालीन मुद्दे और चुनौतियां” विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन किया। कार्यक्रम में विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने वर्तमान आपराधिक जांच तंत्र में फॉरेंसिक तकनीकों के महत्व, सीमाओं और भविष्य की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय ने हिमाचल प्रदेश फॉरेंसिक सेवा निदेशालय के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करते हुए शैक्षणिक और तकनीकी सहयोग की दिशा में नया आयाम जोड़ा। सम्मेलन की शुरुआत माननीय कुलपति डॉ. सक्सेना के प्रेरणादायी स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने अंतःविषय संवाद, नवाचार और वैश्विक भागीदारी को विश्वविद्यालय की प्राथमिकता बताया।

सम्मेलन में अमेरिका, युगांडा और भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों और संस्थानों से जुड़े विद्वानों ने फॉरेंसिक विज्ञान के विविध पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए। न्यू हेवन विश्वविद्यालय, यूएसए की लिसा रागाजा ने मुख्य भाषण में अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण साझा किया, वहीं शिमला की निदेशक, फोरेंसिक सेवाएं, प्रो. (डॉ.) मीनाक्षी महाजन ने स्थानीय परिप्रेक्ष्य से व्यावहारिक पहलुओं को रेखांकित किया। प्रो. (डॉ.) पूर्वी पोखरियाल (एनएफएसयू) ने विज्ञान, कानून और न्याय प्रणाली के समन्वय पर केंद्रित संबोधन दिया।

दस विषयगत तकनीकी सत्रों में डिजिटल फॉरेंसिक, ब्रेन-मैपिंग, साइबर क्राइम, नार्को-एनालिसिस और आधुनिक अपराध अनुसंधान विधियों पर गहन चर्चा हुई। सम्मेलन में शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और छात्रों सहित 70 से अधिक प्रतिभागियों ने सक्रिय सहभागिता दर्ज की।

कुलपति डॉ. सक्सेना ने समापन सत्र के दौरान संस्थागत सहयोग और अनुसंधान नवाचार पर बल दिया। हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता अनूप कुमार रतन ने फॉरेंसिक साक्ष्य की न्यायिक स्वीकार्यता और उसके कानूनी महत्व को स्पष्ट किया। एनएफएसयू युगांडा के प्रो. अरुण शर्मा ने वैश्विक फॉरेंसिक नवाचारों पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि, डीबीआरएएनएलयू सोनीपत के कुलपति प्रो. (डॉ.) देविंदर सिंह ने फॉरेंसिक विज्ञान को न्यायसंगत समाज के लिए आवश्यक औजार बताया और संस्थागत पारदर्शिता को इसकी रीढ़ कहा।

कार्यक्रम की रिपोर्ट सीसीएफएस निदेशक डॉ. रुचि सपहिया ने प्रस्तुत की, जबकि आयोजन का समन्वय डॉ. नवदित्य तंवर ने संभाला। धन्यवाद ज्ञापन छात्र संयोजक सुश्री अनुष्का कश्यप ने प्रस्तुत किया, जिसमें सभी प्रतिभागियों के योगदान की सराहना की गई।

सम्मेलन के दौरान सीसीएफएस की पहली अकादमिक पत्रिका की घोषणा एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही, जो एचपीएनएलयू की अनुसंधान प्रतिबद्धता और शैक्षणिक उत्कृष्टता का सशक्त प्रतीक बनी। यह सम्मेलन विश्वविद्यालय की वैश्विक सोच, अंतःविषय उन्नयन और न्यायिक प्रक्रियाओं में विज्ञान के महत्व को केंद्र में लाकर एक ऐतिहासिक शैक्षणिक पड़ाव के रूप में अंकित हो गया।

युवा प्रतिभा की कला से ‘हरियाली’ हुई गेयटी : गरिमा लोहुमी की एकल प्रदर्शनी ‘Harmony in Hues’ का अनावरण।मोहिंद्र प्रताप स...
06/06/2025

युवा प्रतिभा की कला से ‘हरियाली’ हुई गेयटी : गरिमा लोहुमी की एकल प्रदर्शनी ‘Harmony in Hues’ का अनावरण।
मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा

शिमला, 7 जून 2025 —
शहर की सांस्कृतिक हृदय स्थली गेयटी थियेटर में आज से युवा कलाकार गरिमा लोहुमी की दूसरी एकल चित्रकला प्रदर्शनी "Harmony in Hues"का शुभारंभ हुआ। 11 जून तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में गरिमा की कल्पनाशीलता, प्रकृति से गहरा जुड़ाव और रंगों के माध्यम से आत्मा से संवाद करने की दुर्लभ क्षमता देखने को मिलती है।

प्रदर्शनी में प्रदर्शित चित्र हिमालयी सौंदर्य, रहस्यमयी वनों, कोहरे में डूबे परिदृश्यों और जीवन के शांत क्षणों को जीवंत करते हैं। उनकी कूची से निकले रंग न केवल दर्शकों को दृश्य सौंदर्य की अनुभूति कराते हैं, बल्कि भीतर तक प्रेरणा की लहरें भी जगाते हैं।

गरिमा लोहुमी न केवल एक कलाकार हैं, बल्कि हिमालयी आत्मा की संवेदनशील अभिव्यक्ताकार भी हैं। उनके चित्रों में सिर्फ दृश्य नहीं, अनुभव झलकते हैं — एकांत, शांति, और प्रकृति के प्रति गहन सम्मान।

यह प्रदर्शनी केवल चित्रों का संग्रह नहीं, बल्कि एक अनुभव है — एक संवाद है आत्मा, प्रकृति और रंगों के बीच।
कोहरे में लिपटी हिमालयी घाटी**

(दाएं किनारे पर गरिमा के साथ प्रदर्शित कैनवस)

इस चित्रकला में गरिमा ने हिमालयी परिदृश्य को कोहरे की चादर में ढकते हुए अत्यंत सजीव रूप में उकेरा है। गहरी हरियाली से ढंके पहाड़, उन पर छाई धुंध और आसमान की नीलिमा, दर्शक को प्रकृति के एकांत और रहस्यपूर्ण सौंदर्य से रूबरू कराते हैं। यह कैनवस केवल दृश्य नहीं, एक अनुभूति है — जैसे कोई शांत सुबह पर्वतीय रास्तों पर उतर रही हो।

इस चित्र में परत दर परत उभरते रंगों की बनावट, उनकी परस्पर लयबद्धता और कोमल स्ट्रोक्स गरिमा की तकनीकी परिपक्वता और प्रकृति के प्रति उनके आत्मिक जुड़ाव को दर्शाते हैं। यह चित्र आंतरिक शांति और ध्यान की स्थिति को जन्म देता है — "आराम करते हुए पहाड़" जैसा अहसास।

(ऊपरी दाहिने कोने पर धूप से आलोकित जंगल)

इस कैनवस में गरिमा ने जंगल की उस दुर्लभ घड़ी को चित्रित किया है जब सूर्य की किरणें पेड़ों के झरोखों से छनकर नीचे गिरती हैं और पूरे वन को एक अलौकिक प्रकाश से भर देती हैं। गहन हरियाली के बीच सुनहरी रेखाओं में प्रकृति का चमत्कार झलकता है। यह चित्र सिर्फ एक जंगल नहीं, बल्कि *प्रकाश और अंधकार के बीच संतुलन* का प्रतीक बनता है।

गरिमा ने पेंट ब्रश से जो ‘लाइट बीम्स’ बनाए हैं, वे न केवल तकनीकी दृष्टि से सशक्त हैं, बल्कि गहराई और रहस्य की अनुभूति भी कराते हैं। इस चित्र में दर्शक केवल पेड़ों को नहीं देखता, बल्कि प्रकाश के साथ संवाद करता है — जैसे किसी ध्यान अवस्था में प्रवेश कर रहा हो।

इन दोनों चित्रों में गरिमा लोहुमी की कला केवल दृश्यांकन नहीं, बल्कि भावों और चेतना की भाषा बन जाती है। उनके ब्रश में हिमालय की आत्मा बोलती है — कभी मौन, कभी उजास से भरी।

ऐसी प्रतिभा को देखकर निश्चय ही कहा जा सकता है — गरिमा एक उभरती नहीं, बल्कि परिपक्व होती कलाकार हैं, जिनकी कला समय के साथ और भी अधिक आत्मस्पर्शी होती जाएगी।
आपसे आग्रह है कि 7 से 11 जून, प्रातः 11 बजे से सायं 8 बजे तक, गेयटी थियेटर मॉल रोड शिमला पहुंचकर इस युवा और प्रतिभावान कलाकार को प्रोत्साहित करें।

अधिक जानकारी के लिए:
Instagram –

कला के प्रेमियों के लिए यह अवसर नहीं, उत्सव है — आइए और साक्षी बनिए।

झाकड़ी में विश्व पर्यावरण दिवस पर हरित संकल्प की मिसाल, संस्थान और लेडीज़ क्लब ने संयुक्त रूप से दिया प्रकृति संरक्षण का...
06/06/2025

झाकड़ी में विश्व पर्यावरण दिवस पर हरित संकल्प की मिसाल, संस्थान और लेडीज़ क्लब ने संयुक्त रूप से दिया प्रकृति संरक्षण का संदेश

5 जून, 2025—विश्व पर्यावरण दिवस पर नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन में संस्थान के पर्यावरण विभाग तथा लेडीज़ क्लब, झाकड़ी द्वारा प्रकृति संरक्षण के प्रति गहरी जागरूकता और जिम्मेदारी का अनुकरणीय प्रदर्शन किया गया। एक ओर जहां परियोजना प्रमुख के नेतृत्व में कर्मचारियों, प्रशिक्षुओं व उनके परिवारों को पर्यावरणीय कर्तव्यों के प्रति प्रेरित किया गया, वहीं दूसरी ओर संस्थान की महिला सदस्यों ने वृक्षारोपण कर यह सिद्ध किया कि भावी पीढ़ियों को स्वच्छ, सुरक्षित और हरित भविष्य सौंपना केवल नैतिक दायित्व नहीं, बल्कि सच्ची सेवा है। पर्यावरण संरक्षण की यह सामूहिक चेतना न केवल आज की आवश्यकता है, बल्कि कल की बुनियाद भी ।

नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर संस्थान और लेडीज़ क्लब ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सामूहिक जागरूकता और उत्तरदायित्व का प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत किया। परियोजना के पर्यावरण विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में जहां कर्मियों, प्रशिक्षुओं और उनके परिवारों ने सहभागिता निभाई, वहीं संस्थान की महिला सदस्यों ने वृक्षारोपण कर भावी पीढ़ियों के लिए हरित भविष्य का संदेश दिया।

मुख्य अतिथि परियोजना प्रमुख आशुतोष बहुगुणा ने सभी को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई और इस वर्ष की थीम “प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति” पर विचार रखते हुए दैनिक जीवन में प्लास्टिक उपयोग को न्यूनतम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एकजुट प्रयास ही पृथ्वी को सुरक्षित बना सकते हैं।

कार्यक्रम में निबंध लेखन, पोस्टर मेकिंग, “बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट” मॉडल निर्माण व नारा लेखन जैसी प्रतियोगिताओं के माध्यम से प्रतिभागियों ने अपनी पर्यावरणीय चेतना को रचनात्मक स्वरूप दिया। विजेताओं को पुरस्कृत कर प्रोत्साहित किया गया और भविष्य में भी ऐसी गतिविधियों में सहभागिता की प्रेरणा दी गई।

इसी क्रम में लेडीज़ क्लब की अध्यक्षा रीना ठाकुर के नेतृत्व में महिला सदस्यों ने दर्जनों पौधों का रोपण कर हरियाली का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “प्रकृति मां का आभार जताने का सबसे सुंदर तरीका यही है कि हम उसकी रक्षा करें। वृक्षारोपण से न केवल पर्यावरण को जीवन मिलता है, बल्कि हमारी संतानों को स्वच्छ वायु और हरियाली की सौगात भी।”

इस आयोजन में क्लब की समस्त कार्यकारिणी सक्रिय रूप से उपस्थित रही और संस्थान के उप-महाप्रबंधक श्री अजय कुमार द्वारा परियोजना प्रमुख को प्रतीक स्वरूप पौधा भेंट किया गया, जो इस पूरे आयोजन की भावनात्मक और नैतिक गहराई को दर्शाता है।

संस्थान और क्लब द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत यह पहल एक सशक्त संदेश है कि जब संगठनात्मक प्रतिबद्धता और सामाजिक चेतना एक साथ मिलती है, तो हरियाली केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि भविष्य का वचन बन जाती है।

05/06/2025

विमल नेगी केस: हाईकोर्ट ने जमानत याचिका में CBI को बनाया पक्ष, 16 जून को अहम सुनवाई।

विमल नेगी मौत मामले में अब जाँच की दिशा और गहराई दोनों तेज़ हो गई हैं। पूर्व में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों में आरोपी बनाए गए आईएएस अधिकारी हरिकेश मीना को अंतरिम संरक्षण देते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अब उनके खिलाफ दायर जमानत याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को आधिकारिक रूप से पक्षकार बनाए जाने की अनुमति दे दी है। अदालत ने इस मामले को 16 जून, 2025 के लिए अगली सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया है, जहाँ सीबीआई अपने रुख के साथ पेश होगी।

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के मुख्य अभियंता विमल नेगी 10 मार्च को निगम मुख्यालय, न्यू शिमला से रहस्यमयी तरीके से लापता हो गए थे। आठ दिन बाद, उनका शव 18 मार्च को बिलासपुर स्थित भाखड़ा डैम (गोबिंद सागर झील) से संदिग्ध परिस्थितियों में बरामद हुआ। उनके परिजनों ने इसे आत्महत्या नहीं बल्कि संगठित उत्पीड़न का नतीजा बताया था, और इसमें हरिकेश मीना सहित निगम के शीर्ष अधिकारियों – निदेशक (विद्युत) देश राज – को जिम्मेदार ठहराया था।

मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय पहले ही इसकी जांच सीबीआई को सौंप चुका है, जो अब पूरे मामले की तह तक जाकर जांच कर रही है। इसी क्रम में, अदालत ने मीना को दी गई अंतरिम राहत को बरकरार रखते हुए सीबीआई को जमानत याचिका पर आधिकारिक रूप से सुना जाएगा। यह प्रक्रिया अब 16 जून की सुनवाई में निर्णायक मोड़ ले सकती है, जहाँ CBI मीना को मिली राहत पर आपत्ति दर्ज करा सकती है।

इससे इतर, सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही देश राज को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है, जिसकी अगली सुनवाई 22 जुलाई को होनी है। यह संभावना जताई जा रही है कि सीबीआई जल्द ही उस राहत को भी चुनौती दे सकती है।

अब जबकि CBI को जमानत सुनवाई में अधिकारिक पक्ष बना दिया गया है, 16 जून की सुनवाई केवल प्रक्रिया नहीं, बल्कि न्यायिक मंशा और जांच के रुख को स्पष्ट करने वाला निर्णायक क्षण साबित हो सकता है।

05/06/2025

उपमुख्यमंत्री के जनकल्याण का दावे झूठ व ठूस ! बरोट–छोटा भंगाल की शिमला बस सेवा बंद।

जनकल्याण की बात करने वाली सरकार यदि दुर्गम क्षेत्रों से बुनियादी सुविधाएं छीनती है, तो यह विरोधाभास नहीं, विश्वासघात है। बरोट–छोटा भंगाल की शिमला बस सेवा बंद कर लोगों को असुविधा और अपमान दोनों झेलने पड़े हैं।

खूशी राम ठाकुर/एम पी एस राणा
बरोट जब उपमुख्यमंत्री एवं परिवहन विभाग के प्रभारी श्री मुकेश अग्निहोत्री स्वयं विधानसभा और जनसभाओं में यह कहते हैं कि हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) लाभ कमाने वाली संस्था नहीं, बल्कि जनकल्याण और जनता की सुविधा को प्राथमिकता देने वाला संगठन है—तो फिर चौहार घाटी की बरोट पंचायत और कांगड़ा की छोटा भंगाल घाटी की वर्षों पुरानी और सुचारू रूप से चल रही शिमला बस सेवा को अचानक बंद करना कहां तक न्यायसंगत है?

लगभग नौ वर्ष पूर्व शुरू की गई इस बस सेवा ने इन दुर्गम और सीमांत क्षेत्रों को राजधानी से जोड़कर एक बड़ी राहत दी थी। लेकिन कुछ माह पूर्व बिना किसी वैकल्पिक प्रबंध या स्पष्ट कारण के इसे बंद कर देना जनता के अधिकारों पर सीधा प्रहार है। इससे न केवल चौहार की तेरह और छोटा भंगाल की सात पंचायतों के लोगों की आवाजाही ठप पड़ी है, बल्कि विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बीमार व्यक्तियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

आज स्थिति यह है कि इन घाटियों के लोग 30 से 50 किलोमीटर दूर घटासनी जाकर बस पकड़ते हैं, जहां पहले से ही भीड़भाड़ भरी बसें उन्हें जगह देने में असमर्थ होती हैं। यह केवल असुविधा नहीं, अपमान भी है – उन लोगों के लिए जो राज्य की सीमाओं पर जीवन जीते हैं और जिन्हें सबसे अधिक सरकारी सहूलियतों की आवश्यकता होती है।

इन क्षेत्रों के पंचायत प्रतिनिधियों—डॉ. रमेश ठाकुर, रमेश कुमार, रक्षा देवी, सुरिंद्र कुमार, रेखा देवी, दुर्गेश कुमारी, भागमल, चन्द्रमणी देवी, गुड्डी देवी व शालू देवी—ने स्पष्ट शब्दों में सरकार से मांग की है कि बरोट-शिमला बस सेवा को तुरंत बहाल किया जाए।

जनकल्याण का वास्ता देने वाली सरकार अगर वाकई अपने कथनों में सच्ची है तो उसे इन दुर्गम घाटियों की इस बुनियादी मांग को दरकिनार नहीं करना चाहिए। यह केवल बस सेवा नहीं, बल्कि जनता के भरोसे का सवाल है।

अतः समय की मांग है – जनभावनाओं और दुर्गम क्षेत्रों की वास्तविकता को समझते हुए बरोट–शिमला बस सेवा को शीघ्र पुनः आरंभ किया जाए।**

विगम-2025: विदाई के भावों में सजी सीनियर्स की सफलता और भविष्य की कामनाएं।मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा स्नातक की दहलीज़ लांघ...
04/06/2025

विगम-2025: विदाई के भावों में सजी सीनियर्स की सफलता और भविष्य की कामनाएं।
मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा

स्नातक की दहलीज़ लांघकर जब कोई विद्यार्थी जीवन के नए अध्याय में प्रवेश करता है, तो वह क्षण गर्व और गहराई से भरे विदाई के भावों से सराबोर होता है। "हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, शिमला" के सीनियर विद्यार्थियों ने जब अपने डिग्री की सफलता के साथ “विगम-2025” की विदाई को आत्मसात किया, तो उनके चेहरे पर उपलब्धियों की चमक थी, पर आंखों में अपने संस्थान और जूनियर्स से बिछड़ने का स्नेहिल मलाल भी झलकता था। जूनियर छात्रों ने जहां उनके मार्गदर्शन को मिस करने की भावना के साथ उन्हें भावभीनी विदाई दी, वहीं पूरे विश्वविद्यालय समुदाय ने उन्हें भविष्य की न्यायपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण और मूल्यनिष्ठ यात्रा के लिए दिल से शुभकामनाएं दीं। यह क्षण केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक पीढ़ी के अनुभवों, सपनों और रिश्तों का मधुर समागम हो रहा था, जो आने वाले समय की प्रेरणा बन जाएगा।

हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचपीएनएलयू), शिमला ने प्रो. (डॉ.) प्रीती सक्सेना, माननीय कुलपति के नेतृत्व में बी.ए. एल.एल.बी. और बी.बी.ए. एल.एल.बी. कार्यक्रमों के निवर्तमान अंतिम वर्ष के छात्रों के सम्मान में “विगम-2025” नामक एक भव्य विदाई समारोह आयोजित किया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें भावनात्मक विदाई, प्राप्त अनुभव ,सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और शैक्षणिक गौरव का मिश्रण दिखाई दिया।

चौथे वर्ष के छात्रों द्वारा उत्साह और सावधानीपूर्वक समन्वय के साथ आयोजित, “विगम-2025” स्नातक वर्ग की यात्रा, विकास और उपलब्धियों का एक जीवंत उत्सव था। एकीकृत पांच वर्षीय विधि कार्यक्रमों के 100 से अधिक छात्र इस शैक्षणिक वर्ष में स्नातक होने वाले हैं, जो उनके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। समारोह की शुरुआत प्रो. (डॉ.) प्रीती सक्सेना के उद्घाटन भाषण से हुई, जिन्होंने स्नातक करने वाले छात्रों की उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया। अपने संबोधन में, उन्होंने HPNLU में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान छात्रों द्वारा प्रदर्शित उल्लेखनीय लचीलापन, शैक्षणिक प्रतिबद्धता और सामाजिक जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को अपने कानूनी करियर के अगले चरण में प्रवेश करते समय न्याय, ईमानदारी और सेवा के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम में संगीत, नृत्य और नाटकीय प्रस्तुतियों सहित कई सांस्कृतिक प्रदर्शन हुए, जो छात्र समूह की सौहार्द और रचनात्मकता को दर्शाते हैं। कई संकाय सदस्यों ने स्नातक करने वाले छात्रों के लिए अपने विचार और शुभकामनाएं साझा कीं, विश्वविद्यालय की शैक्षणिक और पाठ्येतर जीवंतता में उनके योगदान की प्रशंसा की। प्रशंसा के प्रतीक वितरित किए गए, और आयोजन टीम और सहायक कर्मचारियों के प्रयासों को स्वीकार करते हुए औपचारिक धन्यवाद दिया गया।
"विगम-2025" का समापन गर्मजोशी और पुरानी यादों के साथ हुआ। जैसे-जैसे छात्र कानूनी पेशे में कदम रखते हैं या आगे की शैक्षणिक गतिविधियों में आगे बढ़ते हैं, एचपीएनएलयू, शिमला अपने पूर्व छात्रों पर गर्व करता है और कानूनी बिरादरी और बड़े पैमाने पर समाज में उनके भविष्य के योगदान पर भरोसा करता है। विश्वविद्यालय समुदाय 2025 की कक्षा को एक सफल, सार्थक और प्रभावशाली यात्रा के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ देता है।

Address

Shimla

Opening Hours

Monday 10am - 6pm
Tuesday 10am - 6pm
Wednesday 10am - 6pm
Thursday 10am - 6pm
Friday 10am - 6pm
Saturday 10am - 6pm

Telephone

+919418020542

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Gram Parivesh posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Gram Parivesh:

Share

Category