Journalist Satyadev Bhardwaj

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29/07/2025
हिम की गोद में छिड़ा संग्राम: विकास बनाम विनाश, एक गहन चिंतन!सत्यदेव भारद्वाज, शिमला। हिमालय की धवल चोटियों पर जब पहली कि...
24/07/2025

हिम की गोद में छिड़ा संग्राम:

विकास बनाम विनाश, एक गहन चिंतन!

सत्यदेव भारद्वाज, शिमला।

हिमालय की धवल चोटियों पर जब पहली किरण फूटती है, तो हिमाचल की देवभूमि एक स्वर्णिम आभा से आलोकित हो उठती है। यहाँ की हवा में देवदार की सुगंध, नदियों के कलकल में जीवन का संगीत और सेब के बागानों में समृद्धि का स्वप्न पलता है। किंतु, इस नैसर्गिक सौंदर्य और शांत परिवेश के भीतर आज एक मौन संग्राम छिड़ गया है, एक ऐसा द्वंद्व जहाँ प्रकृति की हरीतिमा और मनुष्य की अदम्य लालसा आमने-सामने खड़ी हैं। यह केवल वृक्षों का कटना नहीं, अपितु उन वर्षों के स्वप्नों का विखंडन है, उन आशाओं का बिखरना है जो भूमि के हर कण में रोपी गई थीं। ये वे सेब के बागान हैं, जिनकी जड़ें सरकारी वन भूमि में गहरी धँसी थीं, जिन्हें उन हाथों ने लगाया था, जिन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का निर्ममता से दोहन किया। अब, जब न्याय के कठोर हाथों ने हस्तक्षेप किया है, तो वे ही 'सेब माफिया' जो कभी इस अतिक्रमण के सूत्रधार थे, अपनी करनी से बचने के लिए कानून की शरण में भाग रहे है, कभी उच्च न्यायालय तो कभी सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं। यह स्थिति केवल हिमाचल प्रदेश की व्यथा नहीं, बल्कि उस हर क्षेत्र की कहानी कहती है जहाँ त्वरित लाभ और अनियंत्रित विकास के नाम पर प्राकृतिक संतुलन को ताक पर रख दिया जाता है। यह पल हमें गहन आत्म-चिंतन के लिए विवश करता है, जहाँ हमें यह तय करना है कि क्या हम प्रकृति के संरक्षक बनेंगे या उसके विनाश के मूक दर्शक।
अतिक्रमण की गाथा और वन विभाग की चुप्पी!
वन भूमि पर सेब के बागान विकसित करने का यह खेल रातोंरात नहीं हुआ। यह वर्षों से चल रहा एक संगठित अतिक्रमण था, जिसने धीरे-धीरे हरे-भरे वनों को सेब के एकाधिकार वाले बागानों में बदल दिया।
* जवाबदेही का प्रश्न: सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब इन पेड़ों को लगाया जा रहा था, जब छोटे-छोटे पौधे विशाल वृक्षों में बदल रहे थे, तब वन विभाग कहाँ था? उनकी आँखों के सामने वन संपदा का यह विराट विनाश कैसे होता रहा? यह स्पष्ट रूप से विभाग की निष्क्रियता और उदासीनता को दर्शाता है।
* नियमों की अवहेलना: वन भूमि पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण गैर-कानूनी है, और इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है। इसके बावजूद, यह बढ़ता रहा, जिससे यह प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं नियमों की अनदेखी की गई या उन्हें जानबूझकर शिथिल रखा गया।
न्यायिक हस्तक्षेप और उसके निहितार्थ!
जब प्रशासनिक स्तर पर लगाम नहीं लग पाई, तो न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना पड़ा। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इन अतिक्रमणकारी बागानों पर कुल्हाड़ी चली।
* कानून का डंडा: न्यायालय का यह आदेश कानून के शासन को स्थापित करने का एक प्रयास है। यह संदेश देता है कि सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
* मानवीय पहलू बनाम पर्यावरणीय न्याय: यद्यपि पेड़ों के कटने से एक भावनात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है और इससे प्रभावित लोगों की आजीविका पर असर पड़ता है, हमें यह भी समझना होगा कि अवैध रूप से की गई कार्रवाई को वैध नहीं ठहराया जा सकता। वास्तविक पर्यावरणीय न्याय तभी संभव है जब कानूनों का पालन हो और वन संपदा का संरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
* सुप्रीम कोर्ट की शरण: अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँच गया है, जहाँ सरकार ने भी एलपीए (लेटर्स पेटेंट अपील) दायर की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि देश की शीर्ष अदालत इस जटिल मुद्दे पर क्या दृष्टिकोण अपनाती है, क्या वह कानून की कठोरता को प्राथमिकता देगी या मानवीय संवेदनाओं को भी स्थान देगी।
सेब बागानों का भविष्य और स्थायी समाधान की आवश्यकता!
इस पूरी घटना ने हिमाचल के बागवानी और वन क्षेत्र के भविष्य पर गहन चिंतन की आवश्यकता को उजागर किया है।
* वैज्ञानिक दृष्टिकोण: पेड़ों को काटना, भले ही वे अवैध हों, एक अंतिम उपाय होना चाहिए। क्या इन बागानों को वन विभाग के अधीन नहीं लिया जा सकता था? उनसे होने वाली आय का उपयोग पर्यावरण संरक्षण और पुनर्वनीकरण में किया जा सकता था।
* समुदाय आधारित प्रबंधन: यदि सरकार स्वयं इन विशाल बागानों का प्रबंधन नहीं कर सकती, तो क्या उन्हें सामुदायिक आधार पर पंचायतों को नहीं सौंपा जा सकता था? इससे आय भी उत्पन्न होती और स्थानीय समुदाय वन संरक्षण में भागीदार बनते।
* अधिकार और जिम्मेदारी: वन अधिकार अधिनियम 2006 जैसे कानून, लोगों को उनके अधिकारों के साथ-साथ वन संपदा की रक्षा की जिम्मेदारी भी देते हैं। इस घटना से सीखना होगा कि भविष्य में ऐसे अतिक्रमणों को रोका जाए और प्रारंभिक चरण में ही कार्रवाई की जाए।
यह समय है जब हम प्रकृति के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करें और यह समझें कि केवल तात्कालिक लाभ के लिए वन संपदा का विनाश अंततः हमारे अपने अस्तित्व के लिए खतरा है। क्या हम इस संकट को एक अवसर में बदल सकते हैं, जहाँ कानून का सम्मान करते हुए, पर्यावरण की रक्षा करते हुए, और समुदाय को सशक्त बनाते हुए एक स्थायी भविष्य का निर्माण किया जा सके?
प्रस्तुति एवं विशेष रिपोर्टः सत्यदेव भारद्वाज, सीनियर जर्नलिस्ट, शिमला, हिमाचल प्रदेश।

बिग ब्रेकिंग न्यूज़ः हिमाचल में प्रलयंकारी मानसून: प्रकृति का रौद्र रूप, जनजीवन अस्त-व्यस्त!आकाशीय विपदा का कहर: नवविवाहि...
21/07/2025

बिग ब्रेकिंग न्यूज़ः
हिमाचल में प्रलयंकारी मानसून: प्रकृति का रौद्र रूप, जनजीवन अस्त-व्यस्त!
आकाशीय विपदा का कहर: नवविवाहित जोड़े का त्रासदीपूर्ण अंत
मार्ग अवरुद्ध, जीवन बाधित, थम सी गई है पहाड़ी ज़िंदगी की रफ्तार,

सत्यदेव भारद्वाज, शिमला।

हिमालय की गोद में बसा हिमाचल प्रदेश, अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए विश्व विख्यात है, मगर आज प्रकृति के रौद्र रूप का साक्षी बन रहा है। आसमान से बरसती अनवरत जलधारा ने धरा को विदीर्ण कर दिया है, और शांतिपूर्ण घाटियों में प्रलय का शोर गूंज रहा है। हर ओर भूस्खलन का तांडव है, नदियाँ और नाले विकराल रूप धारण कर चुके हैं, और जीवन की रफ्तार थम सी गई है। इस आकाशीय विपदा ने न केवल अनमोल जिंदगियों को लील लिया है, बल्कि सपनों और आश्रयों को भी मिट्टी में मिला दिया है। विशेष रूप से चंबा में एक नवविवाहित जोड़े का असमय अंत, इस त्रासदी की सबसे मार्मिक कथा कह रहा है। सड़कें बिखर गई हैं, बिजली के दीपक बुझ गए हैं, और जल के स्रोत सूखने लगे हैं, जबकि मौसम विभाग अभी भी और अधिक वर्षा का संकेत दे रहा है, मानो प्रकृति अपने चरम पर आ गई हो।
* चंबा का करुण क्रंदन: बादलों के फटने से चंबा की चड़ी पंचायत में एक मकान धराशायी, नवविवाहित जोड़े, पल्लवी और सन्नी, को प्रकृति के प्रकोप ने बेरहमी से लील लिया।
* सड़कों का सन्नाटा: हिमाचल प्रदेश में 470 सड़कें, जिनमें दो राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल हैं, अवरुद्ध हो गईं; मंडी जिले में सर्वाधिक 310 सड़कें बंद।
* अंधेरे में डूबे गांव: 1199 बिजली ट्रांसफार्मर ठप, जिससे अनगिनत घरों में बिजली गुल; 676 जल आपूर्ति योजनाएं भी प्रभावित।
* ज्ञान के द्वार बंद: चंबा के चुराह और मंडी के थुनाग सहित शिमला के कुमारसैन, रोहड़ू, जुब्बल, चौपाल, जलोग, सुन्नी और ठियोग में स्कूल बंद कर दिए गए, बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि।
* कुल्लू की चीख: सांगला घाटी में बाढ़ से चार नाले और एक खड्ड उफान पर, कई बीघा ज़मीन बही, सेब के बागान और नकदी फसलें तबाह।
* मॉनसून का तांडव: 27 जुलाई तक भारी बारिश का अनुमान, शिमला, सिरमौर, चंबा, कांगड़ा और मंडी के लिए 'रेड अलर्ट' जारी।
* राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा: मंडी-कुल्लू राष्ट्रीय राजमार्ग 10 घंटे से बंद, पहाड़ी से लगातार गिरते पत्थरों और मलबे ने आवाजाही को रोका।
* क्षति का भयावह लेखा-जोखा: 20 जून से 20 जुलाई तक 125 लोगों की जान गई, 215 घायल, 34 लापता; 1385 कच्चे-पक्के घर और 952 गोशालाएं क्षतिग्रस्त, ₹1,23,574.90 लाख का अनुमानित नुकसान।
* मुख्यमंत्री का आह्वान: सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रशासन को सतर्क रहने और लोगों से नदियों-नालों से दूर रहने की अपील की।
* रेलवे पुल पर संकट: हिमाचल-पंजाब सीमा पर चक्की दरिया के उफान से रेलवे ब्रिज के नीचे की सड़क बही, जिससे हजारों लोगों का संपर्क कटा। प्रस्तुति एवं विशेष रिपोर्टः सत्यदेव भारद्वाज, सीनियर जर्नलिस्ट, शिमला।

अनंत ज्ञान दैनिक समाचार पत्र के अहम पड़ाव में आज प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से सौहार्दपूर्ण मुलाका...
17/07/2025

अनंत ज्ञान दैनिक समाचार पत्र के अहम पड़ाव में आज प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से सौहार्दपूर्ण मुलाकात के दौरान लिए कुछ चित्र।

17/07/2025

सीएम सुक्खू ने जन आवाज को मंच देने पर अनंत ज्ञान की पीठ थपथपाई

हिमाचल के तेजी से उभरते दैनिक अनंत ज्ञान समाचार पत्र ने वीरवार को शिमला स्थित सीएमओ ऑफिस में प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से सौहार्दपूर्ण भेंट की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता लोकतंत्र का आधार है और सरकार ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित करती है जो जनता की आवाज को उठाते हैं और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने जन आवाज को मंच देने पर अनंत ज्ञान के प्रयासों की सराहना करते हुए पीठ थपथपाई। समाचार पत्र ने भी मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया कि वे जन सरोकारों को निर्भीकता से उठाते रहेंगे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अनंत ज्ञान को भविष्य की परियोजनाओं और उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

16/07/2025

हिमाचल के तकनीकी शिक्षा एवम व्यावसायिक और औद्योगिक शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने तकनीकी क्षेत्र से संबंधित उसके उन्नत और आवश्यक कदमों के साथ-साथ उसके व्यावसायिक पहलुओं को आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए अनंत ज्ञान दैनिक समाचार पत्र को अपना समर्थन देने का वादा किया।
Rajesh Dharmani

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