27/05/2024
मेरी कलम से (काकू राम)
इस ब्लॉग में मैने ऑनलाइन या फोन पर गेम खेलने के प्रभाव की बात की है।
ऑनलाइन गेमिंग/फोन गेमिंग से बिगड़ता और बर्बाद होता युवा।।
पारंपरिक खेल गोली डंडा, छिपा छिपी, गुटलियां खेलना, पिट्ठू खेलना, कंचे खेलना, क्रिकेट खेलना, कब्बड़ी खेलना, खो खो खेलना शामिल है। ये खेल युवाओं में सामाजिक एकता, समरसता, सहिष्णुता, सहयोग की भावना, सामूहिकता की भावना उत्पन करती है ।
लेकिन वर्तमान में इन खेलों को श्रीधांजली देने का काम किया जा रहा है। ये खेल अब धीरे धीरे खतम होते जा रहे है।
अब कुछ इस तकनीकी युग में नए खेलों का जन्म हुआ जिनका स्वागत हैप्पी बर्थडे मनाने से भी ज्यादा किया गया।। आजकल डिजिटल का युग है और इन पारंपरिक खेलों को भी अब डिजिटलाइज्ड किया गया है । अब इन खेलों का स्थान लुड्डो, पपजी, फ्री फायर और ना जाने कितने ही प्रकार के ये ऑनलाइन गेमिंग वेरिएट्स आ गए है। जो आजकल के बच्चो, युवाओं को शारीरिक,मानसिक, और भावनात्मक हर तरह से नुकसान पहुंचा रहे है।
गांव देहात से लेकर छोटे बड़े शहरों तक आजकल ऑनलाइन गेमिंग महामारी की तरह फैल गया है। कोरोना ने ऑनलाइन गेमिंग में आग में घी डालने का काम किया। कोरिना महामारी के समय लोग घर पर ही रहे और बच्चो की पढ़ाई लिखाई सब अब फोन से ही होने लगी वही से ही ऑनलाइन गेमिंग महामारी की तरह फैल गया। अब बच्चे भी फोन के आदी हो गए।
जो युवा ग्राउंड में खेलने जाते थे अब वो भी घर पर ही फोन से ही खेलने लगे।।
पहले युवाओं के खेल मैदानों में हुआ करते थे और उसमे बहुत सारे खिलाड़ियों की जरूरत होती थी।।और बच्चे खेलने के लिए एक दूसरे से मिलते थे, एक दूसरे को सहयोग करते थे। कितनी ही आपकी लड़ाई होने के बाबजूद भी बच्चे और युवा मनमुटाव को जल्दी भूल जाते थे क्योंकि उनको सभी खिलाड़ियों की जरूरत पड़ती थी।
किसी के पास अच्छी गंद होती थी तो किसी के पास अच्छा बेट, किसी के पास अच्छा आंगन या ग्राउंड होता था तो किसी के पास अच्छा खिलाड़ी होने का ठप्पा, जिससे कि बाकी युवा प्रेरणा लेते थे।।
लेकिन आजकल ऐसी ऑनलाइन गेम्स आ गई है जिसने ये सब को किनारे कर दिया है
आजकल लोग ऑनलाइन गेमिंग को टाइम पास का अच्छा साधन मानते है।।
हो सकता है शुरू शुरू में टाइम पास के लिये इसकी शुरुआत की गई हो लेकिन धीरे धीरे इसकी लत लग जाती है और फिर लोग इस पर पैसा लगाना भी शुरू करते है। जोकि आर्थिक तौर पर बहुत बड़ी हानि पहुंचाता हैं
आजकल गांव देहात से लेकर शहरों तक बच्चो और युवाओं में ऑनलाइन गैनिंग की बूरी लत लगी है। इसमें काफी गेम्स आती है जैसे फ्री फायर, पपजी, लूडो और भी कई गेम है जिनके हमने नाम भी नी सुने।
हालांकि ड्रीम इलेवन भी एक बहुत बड़ी लत है लेकिन इस ब्लॉग में उसके बारे में बात नही करेंगे।। उसके लिए अलग से ब्लॉग होगा।।
इन खेलों का खामियाजा ये हुआ कि बच्चो में अलेकेपन का भाव, अलगाव की भावना उत्पन हो गए है जिसे लोग नाम इंट्रोवर्ट देते है ।। वैसे वो अलगाव भी हो सकता है
ऑनलाइन गेमिंग की वजह से बच्चे आजकल मेंटल डिसऑर्डर के शिकार हो रहे है उनमें स्ट्रेस, और डिप्रेशन जैसे समस्या उत्पन हो गई है। उनके व्यवहार में काफी बदलाव हो जाता है जैसे गुस्सा, जल्दी नाराज होना, अलगाव, चिड़चिड़ापन, ईर्षा आदि ।।। आजकल युवाओं में बड़ते सुसाइड के मामले, धोखाधड़ी, आदि प्रवृत्तियां आम हो गए है।
क्या करें:-
बच्चो को बहुत कम फोन दें।।
अगर फोन दें तो इस बाद का ध्यान रखें कि बचा उसमे क्या कर रहा है। एक्टिविटीज जरूर नोट करें।।
बचे के पास अपना एटीएम पासवर्ड और किसी भी कार्ड की जानकारी ध्यान पूर्वक और अतिअवशक हो तो ही दे।
बच्चे को परंपरागत खेलों के लिए प्रेरित करे ।जिससे उसका शारीरिक व्यायाम भी होगा और मानसिक तनाव भी कम होगा साथ ही सामाजिक जुड़ाव का मूल्य भी बच्चे मे जिंदा रहेगा।
ध्यान दें कि अगर बच्चे मे अलगाव, चिड़चिड़ापन, व्यवहार में suddly कोई चेंज, कोई खास वजह ना होने पर स्ट्रेस और डिप्रेस्ड आदि हो तो चितित्सक काउसलिंग करवाएं क्योंकि हो सकता है बच्चा ऑनलाइन गेम का आदी हो गया हों।
काकू राम
I think I can