12/10/2025
श्री सुंदर नारायणगुरुकुलम् गांव अट्या में संस्कृत भारती हिमाचल प्रदेश द्वारा 12.10.2025 को दो दिवसीय राज्यस्तरीय श्लाका स्पर्धा परीक्षा का समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया! संपूर्ण हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग जिलों के 10 महाविद्यालयों सेआए हुए बच्चों ने इस स्पर्धा मेंभाग लिया इस कार्यक्रम में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीयसंस्कृत विश्वविद्यालयके पूर्व कुलसचिवऔर वर्तमान संकाय अध्यक्ष प्रोफ़ेसर श्री प्रेम कुमार शर्मा महाभाग इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे , साथ ही श्री गोपाल गोधाम गौशाला के अध्यक्षऔर पौरोहित्य कर्मकांड के प्रतिष्ठित विद्वान एवं समाजसेवी श्री रमेश शर्मा शास्त्री जी कार्यक्रम में अध्यक्ष पद पर रहे साथ ही संस्कृतभारती हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष श्री राजेश शर्मा जी भी इस कार्यक्रम में मंचासीन रहे पूरे हिमाचलप्रदेश से अनेक संस्थानों से आये हुए छात्रों ने शास्त्र परंपरा में भाग ग्रहण करके क्षेत्र और संस्कृत भाषा के साथ साथ शास्त्र परम्परा का गौरव बढ़ाया है इस कार्यक्रम में आए हुए प्रतिभागियों की संख्या 60, निर्णायकों और मार्गदर्शकों की संख्या 24, समिति सदस्यों की संख्या 10 प्रबंधक विस्तारकों संख्या 6 रही कार्यक्रम में आए हुए लोगों की संख्या 100 के आसपास रही इस श्लाका स्पर्धा में कुल 9 विषयों को लेकर एक बडी ही कठिन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम स्थान पर रहने वाले छात्र को 7100 रुपए की धनराशि से और द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र को 5100 वहीं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र को 3100 रुपए की पुरस्कार धन राशि प्रदान की गई , 9 अलग-अलग विषयों में इसी प्रकार से प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान पर अव्वल रहे छात्रों ने योग्यतानुसार पुरस्कार प्राप्त किए, इस कार्यक्रम के अध्यक्ष महोदय श्री रमेश शास्त्री जी ने कहा कि, सुंदर नारायण गुरुकुलम् के संस्थापक प्रसिद्ध कथा वक्ता श्री शिव कुमार शास्त्री जी ने इस क्षेत्र में संस्कृत और शास्त्र की गंगा बहाकर इस क्षेत्र को और भी पुण्यान्वित किया है आचार्य शिवकुमार जी के अनेक प्रयासों ने समाज के बहुत बड़े वर्ग को सनातन संस्कृति के साथ जोड़ा है और बड़े-बड़े विद्वानों का सपना साकार किया है,और भविष्य में आगे भी सुंदर नारायण गुरुकुलम् के माध्यम से इसी प्रकार से शास्त्र संस्कृत और संस्कृति के रक्षण के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा इस कार्यक्रम को और भी व्यवस्थित बनाने के लिए ग्रामवासियों ने अनेक सेवाओं के माध्यम से इस पुनीत कार्यक्रम को सफल बनाया, इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध किया है कि जो संस्कृत भाषा सनातन और संस्कृति का आधार है वह अब पिछड़ी भाषा नहीं है इस कार्यक्रम के माध्यम से सनातन संस्कृति और शास्त्र परंपरा को जीवित रखने के लिए समाज में अनेकों संदेश जाते हैं जो समस्त भारतीयों के लिए गर्व का विषय बनते हैं, ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की जितनी सराहना की जाए उतनी ही कम है जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् !