19/02/2025
करैरा में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एसडीएम अजय शर्मा, आंदोलनकारियों ने खोला बड़ा मोर्चा
करैरा तहसील को ‘प्राइवेट लिमिटेड’ बनाकर चला रहे एसडीएम, फाइलों की तय रेट लिस्ट और मनमानी पोस्टिंग पर उठे सवाल
करैरा :- करैरा तहसील में एसडीएम अजय शर्मा के खिलाफ गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को ज्ञापन सौंपकर आंदोलन समाप्त कर दिया गया, लेकिन इससे पहले आंदोलनकारियों ने एसडीएम पर खुलकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उनका कहना है कि पूरे एसडीएम कार्यालय को एक बाबू चला रहा है, और हर सरकारी फाइल के लिए अलग-अलग रेट लिस्ट बनाई गई है। यही नहीं, एसडीएम द्वारा अपने चहेते पटवारियों को दो से तीन हल्कों का चार्ज दिया गया है, जिससे करैरा में राजस्व व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।
एसडीएम के भ्रष्टाचार पर खुला आरोप, फाइलों की बनी रेट लिस्ट
आंदोलनकारियों का कहना है कि करैरा तहसील को एसडीएम अजय शर्मा ने ‘प्राइवेट लिमिटेड तहसील’ बना दिया है, जहां सिर्फ उन्हीं के पसंदीदा अधिकारी और कर्मचारी काम कर रहे हैं। कई पटवारी तीन-तीन साल से जमे हुए हैं, जबकि बाकी पटवारियों पर ज्यादा जिम्मेदारी डाल दी गई है। करैरा में आज तक किसी भी एसडीएम का इतना विरोध नहीं हुआ जितना एसडीएम अजय शर्मा का हो रहा है।
आरोप यह भी है कि करैरा एसडीएम सिर्फ उन्हीं के फोन उठाते हैं जो उनके करीबी हैं या जिनके गुलाम वे खुद हैं। आम जनता और गरीब किसान उनके ऑफिस में चक्कर लगाते रह जाते हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती। तहसील में बिना पैसे कोई काम नहीं हो रहा, और एसडीएम की मर्जी के बिना कोई भी सरकारी फाइल आगे नहीं बढ़ रही।
जनसुनवाई में भी नदारद रहे एसडीएम, बीमारी का दिया गया बहाना
आंदोलनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि आज मंगलवार को जनसुनवाई के दिन भी एसडीएम अजय शर्मा कार्यालय नहीं पहुंचे। सोमवार को भी वे कार्यालय से नदारद रहे। जब इस बारे में तहसीलदार कल्पना शर्मा से सवाल किया गया, तो उन्होंने सफाई दी कि एसडीएम साहब की ‘शुगर बढ़ गई है’, इसलिए वे कार्यालय नहीं आए। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इस दावे को झूठा बताते हुए कहा कि रविवार को एसडीएम छुट्टी के दिन अधिवक्ताओं को मनाने के लिए तहसील कार्यालय पहुंचे थे, लेकिन अब जनसुनवाई से बच रहे हैं।
क्या कलेक्टर शिवपुरी लेंगे संज्ञान? प्रशासन पर उठे सवाल
आंदोलनकारियों ने सवाल उठाया कि आखिरकार करैरा में ऐसा कौन सा खेल चल रहा है कि एसडीएम पर इतने गंभीर आरोप लग रहे हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही? जब करैरा की जनता, अधिवक्ता, राजनीतिक संगठन और सामाजिक संगठन सभी एसडीएम के खिलाफ लामबंद हैं, तो कलेक्टर शिवपुरी रविंद्र चौधरी को इस पूरे मामले का संज्ञान लेना चाहिए।
आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि 7 दिन के भीतर एसडीएम को करैरा से नहीं हटाया गया, तो इससे भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले पर क्या कदम उठाता है, या फिर करैरा की जनता को अपने हक के लिए फिर से सड़कों पर उतरना पड़ेगा।