05/09/2024
#शिक्षक_दिवस_पर_विशेष
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।
गुरू और गोबिंद (भगवान) एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए – गुरू को अथवा गोबिन्द को? ऐसी स्थिति में गुरू के श्रीचरणों में शीश झुकाना उत्तम है जिनके कृपा रूपी प्रसाद से गोविन्द का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
यह लाइन बहुत कुछ कहती हैं। इन लाइनों में साफ़ बताया गया है और सब लोग इन लाइनों के आधार पर यह मान भी रहे हैं कि भगवान से ऊपर गुरु है। ऐसे में एक सवाल यह खड़ा होता है कि जब भगवान से ऊपर गुरु है तो आप भगवान को क्यों तवज्जो देते हैं और जब भगवान सर्वशक्तिमान है सब कुछ है पूजनीय है तो फिर गुरु का क्या महत्व है? ऐसी विरोधाभासी बातें वही लिख और कर सकते हैं जिनको बौद्धिक तौर पर अपनी भाषा में "अदगेल्ला" कहा जाता है।
वैसे गुरु होने पर ही व्यक्ति असमंजस/गुमराह की स्थिति में होता है। बाकी अपने-अपने हिसाब से देख लो क्योंकि कबीर जी तो कोई जुलाहा था ही नहीं बल्कि कुछ विदेशियों के पेन नाम रहे है ये कबीर रहीम आदि
क्योंकि नीचे दो जो दोहा है कबीर का वह यह खुद भी खुद बता रहा है कि वह क्या थे?
साबुन बिचारा क्या करे, गाँठे राखे मोय ।
जल सो अरसां नहिं, क्यों कर ऊजल होय ॥
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
इन दोनों दोहों के आधार पर आप सवाल कीजिए कि
पहला, कपड़े धोना और वह भी साबुन से धोना एक परिष्कृत शहरी व्यवस्था क़े बाद का सच है।इंडीयन शहरों में भी साबुन से कपड़े धोना 1920-25 तक लक्ज़री आइटम था ठीक वैसा ही जैसा कि 2000 से पहले घर में AC का होना। पर कबीर साहब को साबुन सहज़ उपलब्ध था, ऐसे में क्या कबीर किसी स्कोट्टिश फ़्रीमेसन का पेननाम नहीं था?
दूसरा, वैसे कबीर के निंदक”नियरे” राखिए में “नियरे” कौनसी भाषा या बोली का शब्द है? कबीर भी अंग्रेज़ी जानते थे का?
चलते –चलते ये भी पढ़ लो ....
मुगल-मुग़ल सिलेबस हटाने के बाद बाबर, हुमायूँ तीनों अलग-अलग रुट पर रवाना हो गये। बाबर का 1530 में स्वर्गवास हुआ, जबकि अकबर का जन्म 1542 में तो तीनों एक साथ कैसे?
पेंटिग है तो किसने बनाई ? वैसे तस्वीरों का भी इतिहास होता है जैसे कागज़ बनाने वाली कम्पनी का नाम, स्याही, रंग, कहां पर व कब बनाई तथा बनाने वाले के मय तारीख हस्ताक्षर होते हैं।
समझ लो फ़र्जी इतिहास व फ़र्जी धार्मिक मायथोलोजी... सौदागर अकबर मित्रों में शामिल हो गये, कलाल हुमायूं दारु के नशे में लुढक गया, जबकि बाबर ब्रिटिश हुकूमत के डिपार्टमेंट में शामिल हो गये थे महाशाह जहांगीर" ब्रिटिश हुकूमत का फाइनेंसर बन गया जबकि शाहजहाँ ने ब्रिटिश हुकूमत की छत्रछाया में रहना कबूल कर लिया... महाराणा औरंगजेब' ब्रिटिश हुकूमत में एक princely state में एजेंट बन गये थे, पर आलमपनाह बहादुर शाह जफर ने देहली से सन्यास लेकर रंगून के एक गुफा में आश्रम-कुटिया-डेरे में रम गये थे
नोट: लोग वही पढ़ते हैं जो पढ़ाया जाता है खैर आप 360 डिग्री पर नहीं सोचोगे ये काम ही एक गुरु का होता है बाकी आप भी कुछ समझो .....सोचो और देखो