13/05/2025
कितनी मोहब्बत है - 1
भोपाल के मालवीय नगर में घर के बाहर भीड़ लगी हुई थी ! सावित्री देवी का आज सुबह सुबह ही निधन हो चुका था परिवार के नाम पर उनकी एकमात्र बेटी "मीरा राजपूत" थी ! सावित्री पिछले कई सालो से गंभीर बीमारी से जुंझ रही थी और आज उन्होंने अपनी आंखरी सांसे लेते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया ! मीरा की उम्र 21 वर्ष थी वह कॉलेज के अंतिम वर्ष में थी ! सावित्री का निर्जीव शरीर उसकी आंखों के सामने सफ़ेद चददर से ढका हुआ पड़ा था ! मीरा की आँखो से आंसू बहते जा रहे थे ! पास बैठी औरते उसे सांत्वना दे रही थी लेकिन माँ को खो देने का दुःख सिर्फ मीरा ही जान सकती थी ! अपना कहने के लिए एक वो ही तो थी इस दुनिया में ! सावित्री ने मीरा को उसकी पढाई के लिए इंदौर भेज दिया था जिसकी खास वजह सिर्फ सावित्री ही जानती थी ! इंदौर में मीरा नेशनल कॉलेज में पढ़ती थी और उसी कॉलेज के एक हॉस्टल में रहती थी ! मीरा बहुत ही कम बोलने वाली लड़की है वह अपना अधिकतर समय किताबो में ही बिताया करती थी ! कॉलेज में उसकी एक मात्र दोस्त थी "निधि व्यास" जो की इंदौर में रहती थी अपने परिवार के साथ ! निधि और मीरा दोनों बहुत अच्छी दोस्त थी कॉलेज के दो साल दोनों ने साथ साथ ही पुरे किये थे लेकिन निधि मीरा को अब बहुत कम जान पायी थी वजह थी मीरा का अंतर्मुखी होना या शायद हालातो ने उसे उम्र से पहले ही परिपक्व बना दिया ! मीरा इस बार बिना निधि को बताये भोपाल आ गयी थी !
सावित्री के अंतिम संस्कार की तैयारी हो चुकी थी जब उनके पार्थिव शरीर को ले जाया जाने लगा तो मीरा जोर जोर से रो पड़ी ! औरतो ने उसे सम्हाला लेकिन कोई उसे रोक नहीं पाया वह दौड़कर बाहर आयी और कहने लगी ,"हम भी साथ जायेंगे !!"
"बिटिया औरत शमशान में नहीं जाती है !",वहा खड़े एक बुजुर्ग ने कहा !
"हमे कुछ नहीं सुनना हम भी साथ जायेंगे !',मीरा ने कहा
"चलने दीजिये काका , मुखाग्नि के लिए किसी अपने का होना भी जरुरी है ! और आजकल क्या लड़का क्या लड़की , चलने दीजिये !",पास खड़े विश्वनाथ ने बुजुर्ग आदमी से कहा !
सभी वहा से सावित्री का पार्थिव शरीर लेकर निकले , आँखों में आंसू भरे हाथ में अग्नि का पात्र पकडे मीरा चले जा रही थी ! उसके बेजान पेरो में जैसे हिम्मत ही नहीं थी