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लस्सी में नशा डालकर पति को सुलाया... फिर प्रेमी संग भाग गई नई नवेली दुल्हन ?
27/06/2025

लस्सी में नशा डालकर पति को सुलाया... फिर प्रेमी संग भाग गई नई नवेली दुल्हन ?

मध्य प्रदेश की एक गरीब किसान की बेटी ने हर दिन 24 किमी साइकिल चलाकर स्कूल जाती थी और 10वीं में 98.75% अंक हासिल किए। यह ...
27/06/2025

मध्य प्रदेश की एक गरीब किसान की बेटी ने हर दिन 24 किमी साइकिल चलाकर स्कूल जाती थी और 10वीं में 98.75% अंक हासिल किए। यह मेहनत, लगन और संकल्प की मिसाल है। दुर्भाग्यवश उसकी गरीबी के कारण किसी ने उसे बधाई नहीं दी। वह सराहना की हकदार है।

IIT कानपुर के ईशान चट्टोपाध्याय को 30 साल पुरानी कंप्यूटर साइंस समस्या का हल निकालने पर गोल्डन अवॉर्ड, लेकिन बधाई नहीं म...
27/06/2025

IIT कानपुर के ईशान चट्टोपाध्याय को 30 साल पुरानी कंप्यूटर साइंस समस्या का हल निकालने पर गोल्डन अवॉर्ड, लेकिन बधाई नहीं मिली

भारतीय शिक्षा और शोध के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि का संकेत मिला है। IIT कानपुर के प्रतिभाशाली वैज्ञानिक और इंजीनियर ईशान चट्टोपाध्याय को 30 वर्षों से अनसुलझी पड़ी कंप्यूटर साइंस की एक जटिल समस्या का हल खोजने के लिए गोल्डन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। यह सफलता न केवल उनके व्यक्तिगत करियर का मील का पत्थर है, बल्कि पूरी भारतीय कंप्यूटिंग और शिक्षा जगत के लिए गर्व का विषय है।

30 वर्षों की खोज का फल
कंप्यूटर साइंस में कई महत्वपूर्ण समस्याएं ऐसी हैं जो दशकों से वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बनी हुई हैं। ऐसे में जब कोई भारतीय शोधकर्ता इन जटिलताओं का समाधान निकालता है, तो यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि देश की शोध क्षमता और वैज्ञानिकता का प्रदर्शन होता है। ईशान चट्टोपाध्याय ने जिस समस्या का समाधान किया है, वह लगभग तीन दशक पुरानी है और इस क्षेत्र के बड़े वैज्ञानिकों के लिए भी पहेली बनी हुई थी।

उनकी मेहनत, समर्पण और गहरी समझ ने इस कठिन समस्या को हल किया, जो कंप्यूटर साइंस की प्रगति में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। उनकी खोज से संबंधित तकनीकें और सिद्धांत भविष्य में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, डेटा प्रोसेसिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद कर सकते हैं।

भारतीय शिक्षा के लिए मील का पत्थर
ईशान की इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय शोधकर्ता विश्वस्तरीय समस्याओं का समाधान निकालने में सक्षम हैं। IIT कानपुर जैसे संस्थान ने लगातार उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा दिया है, जिससे देश में वैज्ञानिक खोजों का स्तर ऊँचा हुआ है। यह अवॉर्ड भारतीय शिक्षा प्रणाली की मजबूती और उसमें निरंतर सुधार का भी प्रतीक है।

इस उपलब्धि से प्रेरणा लेकर आने वाली पीढ़ी के छात्र-छात्राओं को यह समझने का मौका मिलेगा कि धैर्य, लगन और सही दिशा में प्रयास से किसी भी जटिल समस्या को हल किया जा सकता है।

सोशल मीडिया पर उपेक्षा
पर अफसोस की बात यह है कि इस बड़ी उपलब्धि को सोशल मीडिया पर अपेक्षित मान्यता और बधाई नहीं मिल पाई। आज के दौर में जहां कई बार छपरी हरकतें और फालतू कंटेंट को ज्यादा पसंद किया जाता है, वहीं असली और महत्वपूर्ण उपलब्धियों को वह सम्मान नहीं मिल पाता जिसकी वे हकदार होती हैं। ईशान चट्टोपाध्याय की इस खोज और पुरस्कार को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत कम चर्चा हुई, जिससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या समाज में वास्तविक प्रतिभा और मेहनत की कद्र हो रही है या नहीं।

हमें क्या करना चाहिए?
यह समय है कि हम अपने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को उचित सम्मान दें, उनकी उपलब्धियों को सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर साझा करें और आने वाली पीढ़ी को प्रोत्साहित करें। असली हीरो वे हैं जो समाज के लिए ज्ञान और विकास का मार्ग खोलते हैं, न कि वे जो केवल लाइक और फॉलोअर्स की दौड़ में लगे रहते हैं।

"🫡नवाबी नगरी लखनऊ से अंतरिक्ष तक का सफर! 🚀🇮🇳"शुभांशु शुक्ला, लखनऊ के लाल, आज "स्पेस एक्स फाल्कन 9" रॉकेट से अंतरिक्ष के ...
27/06/2025

"🫡नवाबी नगरी लखनऊ से अंतरिक्ष तक का सफर! 🚀🇮🇳"
शुभांशु शुक्ला, लखनऊ के लाल, आज "स्पेस एक्स फाल्कन 9" रॉकेट से अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गए हैं।
25 जून का ये दिन भारत के लिए गर्व का दिन बन गया है। जब लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान उनकी मां ने अपने बेटे को अंतरिक्ष में जाते देखा, तो भावनाएं आंखों से आंसू बनकर छलक पड़ीं।
यह सिर्फ एक उड़ान नहीं, एक इतिहास है!
देश को तुम पर नाज़ है शुभांशु!🙏

1906 से 1947 तक काला पानी जेल में करीब 80,000 क्रांतिकारी कैद किए गए। हज़ारों भूख, यातना और बीमारी से मरे, और सैकड़ों शव...
27/06/2025

1906 से 1947 तक काला पानी जेल में करीब 80,000 क्रांतिकारी कैद किए गए। हज़ारों भूख, यातना और बीमारी से मरे, और सैकड़ों शव समुद्र में फेंक दिए गए। ये जेल पत्थरों से नहीं, चीखों से बनी थी, जहां लौटना नहीं, मर जाना तय था।

गुजरात के अहमदाबाद में 9 दिन पहले (12 जून 2025) हुए एयर इंडिया के भयावह विमान हा"दसे ने देश को स्तब्ध कर दिया। बोइंग 787...
27/06/2025

गुजरात के अहमदाबाद में 9 दिन पहले (12 जून 2025) हुए एयर इंडिया के भयावह विमान हा"दसे ने देश को स्तब्ध कर दिया। बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, जो अहमदाबाद से लंदन के गैटविक जा रहा था, उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 280 लोगों की जा"न चली गई।
अब नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सख्त कार्रवाई करते हुए एयर इंडिया के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को चालक दल की शेड्यूलिंग और रोस्टरिंग में लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया। इनमें से एक नाम है पायल अरोड़ा, जो एयर इंडिया में क्रू शेड्यूलिंग-प्लानिंग विभाग में कार्यरत थीं। डीजीसीए के आदेश के बाद पायल ने लिंक्डइन पर 'ओपन टू वर्क' स्टेटस अपडेट किया, जो दर्शाता है कि वह अब नई नौकरी की तलाश में हैं। आखिर कौन हैं पायल अरोड़ा, और क्यों उन पर गिरी इस हादसे की गाज? आइए, जानते हैं पूरी कहानी...

डीजीसीए की सख्ती: तीन अधिकारियों पर कार्रवाई

चूरा सिंह (डिवीजनल वाइस प्रेसिडेंट)
पिंकी मित्तल (चीफ मैनेजर, क्रू शेड्यूलिंग)
पायल अरोड़ा (क्रू शेड्यूलिंग-प्लानिंग)
डीजीसीए ने एयर इंडिया को इन तीनों को तत्काल रोस्टरिंग से जुड़ी जिम्मेदारियों से हटाने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया। साथ ही, इन अधिकारियों को गैर-परिचालन भूमिकाओं में स्थानांतरित करने और कार्रवाई की रिपोर्ट 10 दिनों में जमा करने को कहा गया।

Who is Payal Arora: कौन हैं पायल अरोड़ा?

पायल अरोड़ा एयर इंडिया में वरिष्ठ सहयोगी (प्रशिक्षण अनुपालन और ऑडिट) के पद पर कार्यरत थीं। वह गुरुग्राम, हरियाणा से ऑपरेट करती थीं और विमानन उद्योग में सात साल से अधिक का अनुभव रखती हैं। पायल ने क्रू शेड्यूलिंग, प्रशिक्षण अनुपालन, और लाइसेंसिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम किया है।
एक नजर पायल की प्रोफेशनल जर्नी पर...
एयर इंडिया लिमिटेड (नवंबर 2024 - वर्तमान): वरिष्ठ सहयोगी, प्रशिक्षण अनुपालन और ऑडिट, गुरुग्राम।

1- डीजीसीए-अनुपालक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का नेतृत्व किया, जिससे संगठन की प्रक्रियाएं सुव्यवस्थित हुईं।

2- बड़े पैमाने पर ऑडिट किए, जिनसे अनुपालन में खामियां सामने आईं और समाधान किए गए। इससे प्रशिक्षण पूर्णता दर में 30% की वृद्धि और अनुपालन-संबंधी घटनाओं में 25% की कमी आई।

3- नियामक अपडेट्स के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया, जिससे प्रशिक्षण सामग्री को हमेशा अपडेट रखा गया।

विस्तारा - टाटा एसआईए एयरलाइंस लिमिटेड (मई 2018 - नवंबर 2024):

1- वरिष्ठ सहयोगी, प्रशिक्षण और लाइसेंसिंग - कॉकपिट क्रू (जुलाई 2023 - नवंबर 2024): कॉकपिट क्रू के प्रशिक्षण और लाइसेंसिंग का नेतृत्व किया। ईजीसीए लाइसेंस नवीनीकरण प्रक्रिया को सुधारा और 200+ कॉकपिट क्रू सदस्यों को डीजीसीए-अनुमोदित प्रशिक्षण दिया।

2- अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट अटेंडेंट (मई 2018 - जुलाई 2023): 80+ अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में नेतृत्व और संकट प्रबंधन का प्रदर्शन किया। चिकित्सा आपात स्थिति और सुरक्षा खतरों को कुशलता से संभाला। 500+ प्री-फ्लाइट सुरक्षा ब्रीफिंग्स का नेतृत्व किया, जिसमें कोई घटना दर्ज नहीं हुई।

पायल ने अपने करियर में संगठनात्मक नेतृत्व, जोखिम प्रबंधन, और संकट प्रबंधन जैसे कौशलों में महारत हासिल की है। वह मजबूत संचारक हैं और जटिल जानकारी को सरलता से प्रस्तुत करने में सक्षम हैं।

Payal Arora पर क्यों गिरी DGCA की गाज?

अनधिकृत क्रू पेयरिंग: Payal Arora पर आरोप है कि उन्होंने ऐसे चालक दल की जोड़ियाँ बनाई जो नियमों के अनुरूप नहीं थीं। कुछ मामलों में क्रू मेंबर न तो अधिकृत थे और न ही प्रशिक्षित, फिर भी उन्हें उड़ानों के लिए तैनात किया गया।
लाइसेंसिंग और रेस्ट नियमों का उल्लंघन: DGCA की जांच में सामने आया कि कई पायलटों और कैबिन क्रू को नियमानुसार पर्याप्त आराम दिए बिना लगातार फ्लाइट्स में भेजा गया। इससे फ्लाइट सेफ्टी पर गंभीर सवाल खड़े हुए।
प्रणालीगत खामियां: DGCA ने इसे महज़ एक इक्का-दुक्का गलती नहीं, बल्कि एक 'सिस्टमिक फेल्योर' करार दिया है। यानी कि यह समस्या एक या दो चूक नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की कमज़ोरी है-जिसमें Payal Arora भी शामिल पाई गईं।
DGCA ने क्या सजा दी?

Payal Arora को फिलहाल किसी भी ऑपरेशनल या सुरक्षा से जुड़े काम से हटा दिया गया है। उन्हें एक ग़ैर-परिचालन पद (non-operational role) में रखा गया है और एयर इंडिया को निर्देश दिया गया है कि उनके खिलाफ आंतरिक अनुशासनात्मक जांच की जाए।
कितनी पढ़ी-लिखीं पायल?
पायल अरोड़ा की एजुकेशनल बैकग्राउंड उनकी प्रोफेशनल उपलब्धियों को और मजबूती देती है:-

सिम्बायोसिस सेंटर फॉर डिस्टेंस लर्निंग (2019-2021): मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए)।
मोतीलाल नेहरू कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी (2015-2018): बैचलर ऑफ कॉमर्स (बी.कॉम)।
मीट पब्लिक स्कूल (2014-2015): AISSCE (CBSE) - कक्षा XII, 93.6% अंकों के साथ उत्तीर्ण।
उनकी शिक्षा और अनुभव ने उन्हें विमानन उद्योग में एक सक्षम पेशेवर बनाया, लेकिन अहमदाबाद हा"दसे के बाद डीजीसीए ने उनकी शेड्यूलिंग प्रक्रियाओं में लापरवाही को गंभीरता से लिया।

नई नौकरी की तलाश में पायल

डीजीसीए की कार्रवाई के बाद पायल अरोड़ा ने लिंक्डइन पर 'Open to Work' स्टेटस अपडेट किया, जो यह दर्शाता है कि वह अब नई नौकरी की तलाश में हैं। विमानन उद्योग में उनके अनुभव और कौशल को देखते हुए, उनके लिए नई अवसर ढूंढना मुश्किल नहीं होना चाहिए। हालांकि, इस हादसे ने उनकी प्रोफेशनल छवि पर सवाल उठाए हैं।

दुनिया का इकलौता इंसान जिसकी दौलत ने तोड़ दिया सारे रिकॉर्ड! 60,000 नौकर, 100 सोने के ऊंट और वो यात्रा जिसने बदल दिया इत...
26/06/2025

दुनिया का इकलौता इंसान जिसकी दौलत ने तोड़ दिया सारे रिकॉर्ड! 60,000 नौकर, 100 सोने के ऊंट और वो यात्रा जिसने बदल दिया इतिहास!सबसे अमीर व्यक्ति अमेज़न के संस्थापक जेफ बेजोस के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन इतिहास के पन्नों में एक शख्स ऐसा भी है जिसकी संपत्ति आज के सबसे अमीर लोगों से भी ज्यादा है।इस शख्स के मुकाबले में एलन मस्क और मुकेश अंबानी जैसे अरबपति भी कुछ भी नहीं हैं। हम बात कर रहे हैं 14वीं सदी के अफ्रीकी सम्राट मनसा मूसा की, जो शायद इस धरती पर अब तक के सबसे अमीर व्यक्ति हैं और आज तक उनके जितना अमीर इस धरती पर कोई नहीं हुआ।

400 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति

मनसा मूसा का जन्म 1280 में हुआ था। वह 1312 ई. में पश्चिम अफ्रीका के विशाल माली साम्राज्य के सिंहासन पर बैठे। अगर आज के हिसाब से मूसा की संपत्ति का आंकलन किया जाए तो इसकी कीमत 400 अरब डॉलर है। यह नेटवर्थ आधुनिक समय के सबसे अमीर व्‍यक्ति जेफ बेजोस से दोगुनी है। यहाँ तक कि आज के अमीर लोग भी दौलत के मामले में मूसा से कमतर नजर आते हैं। मूसा की संपत्ति उसके राज्य के प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों से उत्पन्न हुई थी। माली में बंबुक, वंगारा, ब्यूर, गलाम और तगाजा की खदानों से सोने का खनन किया जाता था। मूसा ने आइवरी कोस्ट, सेनेगल, माली और बुर्किना फासो सहित कई समकालीन अफ्रीकी देशों पर शासन किया। मूसा की शाही राजधानी टिम्बकटू थी।

करुणा और दयालुता के लिए थे प्रसिद्ध

मनसा मूसा अपनी करुणा और दयालुता के लिए जाने जाते थे। ऐसा कहा जाता है कि उनके पास मांगने आने वालों को वह सोने से लाद देते थे। लंदन में स्कूल ऑफ अफ्रीकन एंड ओरिएंटल स्टडीज की लुसी ड्यूरन इसे मूसा की उदारता के रूप में उजागर करती हैं। वहीं उनके द्वारा लिए गए फैसलों की पूरे इतिहास में सराहना की जाती है। इस सम्राट के पास प्राकृतिक संसाधनों के साथ बड़ी भूमि थी, जिससे उसके भाग्य में काफी वृद्धि हुई।

एक यात्रा ने बना दिया इतिहास में नाम

मनसा मूसा ने 1324 में हज यात्रा के लिए मक्का गए थे। इसी यात्रा की वजह से उनका नाम आज भी इतिहास में सबसे अमीर आदमी के रूप में दर्ज है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, हज के लिए जाने वाला उनका कारवां सहारा रेगिस्तान को पार करने वाला अब तक का सबसे बड़ा कारवां था। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मनसा मूसा अपने काफिले में सोने से लदे 100 ऊंट, 12000 नौकर और 60 हजार गुलामों के साथ मक्का, सऊदी अरब की यात्रा पर निकले थे। इतिहासकारों का अनुमान है कि इस यात्रा के दौरान मूसा 18 टन सोना ले गए थे। आपको जानकार हैरानी होगी कि वर्तमान में इसकी कीमत करीब एक अरब डॉलर के आस-पास है।

आजकल की औरतों को सिर्फ यह पसंद है सारा दिन मोबाइल चलाना, घण्टो फोन पर बातें करना इंस्टाग्राम पर रील बनाना  और पति जब घर ...
26/06/2025

आजकल की औरतों को सिर्फ यह पसंद है सारा दिन मोबाइल चलाना, घण्टो फोन पर बातें करना इंस्टाग्राम पर रील बनाना और पति जब घर पर आए तो उसके मां-बाप और रिश्तेदारों की चुगली करना...!

पढ़ने वाले युवकों का फर्जी तौर पर मुकदमों में नाम दर्ज करा देना कोई उन 24 युवाओं से पूछे, जिनकी हाल ही में पुलिस में भ"र...
26/06/2025

पढ़ने वाले युवकों का फर्जी तौर पर मुकदमों में नाम दर्ज करा देना कोई उन 24 युवाओं से पूछे, जिनकी हाल ही में पुलिस में भ"र्ती हुई है और वे एफआइआर में गलत नामजदगी से है"रान-परेशान हो गए थे।
इनमें कई तो ऐसे भी हैं, जिन्हें काफी दिन तक पता ही नहीं था कि वे भी पुलिस द्वारा नामजद हैं।

बुधवार को ये युवा डीएम रविंद्र कुमार के पास पहुंचे। इनकी व्यथा सुनकर डीएम ने तत्काल सक्रियता दिखाई। ऐसा इसलिए कि बुधवार तक ही इन युवाओं के पास समय था। डीएम ने सरकारी अधिवक्ता को बुलाया और फिर पुलिस के उच्चाधिकारियों से वार्ता की।

बुधवार दोपहर कलेक्ट्रेट स्थित अपने कार्यालय में डीएम जनता दर्शन कार्यक्रम में शिकायतें सुन रहे थे। इसी दौरान चेहरा लटकाए हुए ये युवा पहुंचे। बिना किसी की सिफारिश के पहुंचे इन युवाओं ने डीएम से अपनी व्यथा सुनाई।

बारी-बारी से इन युवाओं ने किस तरह से उनके खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए थे, उसका साक्ष्य दिया। इन युवाओं ने बेहद भावुक होकर कहा कि बुधवार शाम तक ही उनके पास समय है, वरना उनकी पुलिस की नौकरी चली जाएगी।

डीएम के निर्देश पर कलेक्ट्रेट पांच स्टाफ को लगाया गया। सभी युवकों की फाइल निकलवाई गई। शासकीय अधिवक्ता से मशविरा लेकर पुलिस अधिकारियों से वार्ता हुई। सभी 24 युवकों के मुकदमों में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट लगी थी।

गहन छानबीन के बाद डीएम ने सभी के मुकदमों को हमेशा के लिए खत्म कराने के आदेश दे दिए। यही नहीं सभी फाइलें तत्काल पुलिस लाइन भेजी गई, जिससे बुधवार की शाम तक अंतिम समय तक इन सभी युवाओं को पुलिस की ट्रेनिंग के लिए रवाना किया जा सका।

शहर में थे संजय व जितेंद्र और गांव की मा"रपीट में हो गए नामजद

बहरिया के सराय अजीम गांव निवासी संजय कुमार वर्ष 2019 में शहर में किराए का कमरा लेकर पढ़ाई कर रहे थे। उसी दौरान उनके गांव में परिवार के लोगों से कुछ लोगों का विवाद हुआ, जिसमें संजय को भी नामजद कर दिया गया था।

इसी तरह हंडिया के हेमापुर गांव निवासी जितेंद्र कुमार यादव भी वर्ष 2020 में शहर में रहकर पढ़ाई कर रहे थे और गांव में मा"रपीट की घटना में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। करछना के हल्दी कला गांव निवासी सहीर, कोरांव के गिरौंठा के संचित, फूलपुर के प्रतापपुर निवासी सूरज कुमार भारतीय समेत अन्य का भी मुकदमों में फर्जी नामजदगी हो गई थी। जांच के बाद ये सब आरोप मुक्त हो गए।

बरेली के इज्जतनगर में शनिवार (21 जून 2025) को कोचिंग से लौट रही नाबालिग छात्रा से छेड़खानी करने वाले मुसब्बिर को पुलिस न...
26/06/2025

बरेली के इज्जतनगर में शनिवार (21 जून 2025) को कोचिंग से लौट रही नाबालिग छात्रा से छेड़खानी करने वाले मुसब्बिर को पुलिस ने मुठभेड़ में गिरफ्तार किया। यह घटना गाँधीपुरम फेस टू की गद्दे वाली गली में हुई, जब बाइक सवार मुसब्बिर ने छात्रा पर अश्लील टिप्पणी की और छेड़छाड़ करते हुए उसकी छाती दबाकर भाग गया। ये पूरी वारदात सीसीटीवी में कैद हो गई।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, छात्रा ने घर पहुँचकर परिजनों को बताया, जिन्होंने इज्जतनगर थाने में शिकायत दर्ज की। एसएसपी अनुराग आर्य के आदेश पर पुलिस और एसओजी की तीन टीमों ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने 36 घंटे के भीतर मठ कमल नयनपुर के रहने वाले दूधिया मुसब्बिर की पहचान आरोपित के तौर पर हुई।

रविवार (22 जून 2025) को पुलिस ने उसे कर्मचारिनगर के पास घेर लिया। मुसब्बिर ने पुलिस पर फायरिंग की, जिसके जवाब में पुलिस ने उसके पैर में गोली मारकर उसे दबोच लिया।
उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। यह कार्रवाई महिलाओं की सुरक्षा के लिए यूपी पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया का उदाहरण है।

सिंधु जल संधि अब कभी बहाल नहीं होगी क्या आप ख़ुश है
26/06/2025

सिंधु जल संधि अब कभी बहाल नहीं होगी
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