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दादरा एवं नगर हवेली और दमन-दीव भाजपा शासन में अपराधियों का अड्डा बनता जा रहा है: प्रभु टोकिया (कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष)स...
20/06/2025

दादरा एवं नगर हवेली और दमन-दीव भाजपा शासन में अपराधियों का अड्डा बनता जा रहा है: प्रभु टोकिया (कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष)
स्वदेशी कलम, सिलवासा। दादरा नगर हवेली कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रभु टोकिया ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि दादरा एवं नगर हवेली और दमन-दीव में भारतीय जनता पार्टी के संरक्षण में अवैध और आपराधिक गतिविधियों को खुला समर्थन मिल रहा है। प्रदेश में जब-जब कोई गंभीर अपराधिक मामला सामने आता है, तो उसमें भाजपा नेताओं और असामाजिक तत्वों के बीच सीधा या परोक्ष संबंध सामने आता है।
स्क्रैप माफिया, हफ्ता वसूली और अवैध कारोबार — ये सब ऐसे लोग चला रहे हैं जिन्हें भाजपा के बड़े नेता संरक्षण देते हैं। औद्योगिक इकाइयों में स्क्रैप से जुड़े मामलों में भाजपा नेताओं द्वारा हफ्ता वसूली करवाई जा रही है।
कुणाल प्रसाद हत्याकांड इसका ताजा उदाहरण है। इस घटना में जिन असामाजिक तत्वों के नाम सामने आए हैं, वे भाजपा की नगर पालिका प्रमुख रजनी शेट्टी के नजदीकी माने जाते हैं। यही नहीं, कुछ समय पहले इन्हें भाजपा में शामिल कर खेस पहनाकर सम्मानित भी किया गया था। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपेश टांडेल और प्रभारी दुष्यंत पटेल ने स्वयं प्रेस नोट जारी कर इनकी पार्टी में एंट्री की पुष्टि की थी। अब जब इनका नाम हत्या में सामने आया, तो पार्टी ने उन्हें दिखावटी रूप से निष्कासित कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है।
प्रशासक प्रफुल पटेल मंच से दावे तो बहुत करते हैं- कि प्रदेश से गुंडागर्दी, अवैध धंधे और असामाजिक गतिविधियाँ समाप्त हो चुकी हैं — लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। भाजपा के पिछले 11 वर्षों के तथाकथित "सुशासन" की हकीकत इस एक मामले ने ही खोलकर रख दी है।
प्रदेश में अपराध बढ़ने का एक मुख्य कारण भाजपा के सांसद, जिला प्रमुख, नगर पालिका प्रमुख और पंचायत प्रतिनिधियों की निष्क्रियता है। जब कोई अवैध कार्य सामने आता है — जैसे अवैध शराब, अवैध खनन, जमीन कब्जा, हथियार रखना, धमकी देना, या हत्या की साजिश — उसमें भाजपा नेताओं से किसी न किसी रूप में कनेक्शन सामने आते हैं।
पिछले 10–11 वर्षों में अपराधियों के हौसले इसलिए भी बुलंद हुए हैं, क्योंकि प्रदेश में आने वाले दिल्ली-गुजरात के बड़े अधिकारियों का यहां के अपराधियों से सामाजिक या जिला स्तर का जुड़ाव रहता है, जिससे जांचें कमजोर होती हैं और अपराधियों को संरक्षण मिलता है।
भाजपा शासन में कानून-व्यवस्था चरमराई हुई है। न भ्रष्टाचार पर काबू है, न अधिकारियों की मनमानी पर, और न ही असामाजिक तत्वों पर लगाम है। प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है, लेकिन उससे कहीं ज़्यादा ज़िम्मेदार भाजपा के जनप्रतिनिधि हैं जो भ्रष्टाचार और अपराध की जड़ में शामिल हैं।
हमारा प्रदेश गंभीर संकट से गुजर रहा है। प्रशासन और भाजपा के कुछ बड़े नेता भ्रष्टाचार में इतने लिप्त हो गए हैं कि जनता की सुरक्षा ही भूल गए हैं।
मैं प्रदेशवासियों से अपील करता हूँ कि अब समय आ गया है कि जनता अपनी सुरक्षा और अधिकारों की लड़ाई के लिए एकजुट हो। अगर हम अब भी नहीं जागे, तो दादरा एवं नगर हवेली भी उन राज्यों की तरह बन जाएगा जहां रोज़ हत्या, लूट, अपहरण जैसी घटनाएं आम हो चुकी हैं।
हमने बार-बार प्रशासन से आग्रह किया है कि पिछले 15–20 वर्षों में बाहर से जो लोग यहाँ आकर बसे हैं या नौकरी/व्यवसाय कर रहे हैं, उनका पुलिस वेरिफिकेशन और एनओसी अनिवार्य किया जाए।
कुणाल प्रसाद की जिस तरह खुलेआम अगवा करके हत्या की गई, वह प्रदेश के लिए बहुत बड़ी चेतावनी है। यह आने वाले समय में बढ़ते खतरे की घंटी है।
कांग्रेस पार्टी इस लड़ाई में जनता के साथ है। जनता जागे, संगठित हो, और अपराधियों तथा भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज़ उठाए।

कुणाल हत्याकांड पर भाजपा का कड़ा फैसलातीनों आरोपी पार्टी से निष्कासितस्वदेशी कलम, सिलवासा। दादरा नगर हवेली के सिलवासा शह...
20/06/2025

कुणाल हत्याकांड पर भाजपा का कड़ा फैसला
तीनों आरोपी पार्टी से निष्कासित
स्वदेशी कलम, सिलवासा। दादरा नगर हवेली के सिलवासा शहर में 17 जून को हुई कुणाल प्रसाद की नृशंस हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। इस संवेदनशील मामले में नामजद तीनों आरोपियों – करण सिंह, हितेश मोरे और अश्विन गर्डे – को लेकर भारतीय जनता पार्टी दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव प्रदेश ने बड़ा कदम उठाते हुए इन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है।
भाजपा प्रदेश इकाई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में इस जघन्य हत्या की कड़े शब्दों में निंदा की गई है और यह स्पष्ट किया गया है कि उपरोक्त आरोपी भाजपा के किसी भी पद पर नहीं हैं और न ही पार्टी की किसी इकाई में चुने गए प्रतिनिधि हैं। पार्टी ने यह भी कहा है कि वह अपराध और अपराधियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई के पक्ष में है और इसमें कोई ढील नहीं दी जाएगी।
भाजपा ने प्रशासन से मांग की है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिए ठोस और निर्णायक कदम उठाए जाएं, और पुलिस प्रशासन को यह भी आग्रह किया है कि गंभीर आपराधिक प्रवृत्तियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। भाजपा के इस निर्णय से साफ हो गया है कि पार्टी में असामाजिक तत्वों के लिए कोई जगह नहीं है। यह कदम पार्टी की नीतियों और उसकी नैतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें कानून का सम्मान सर्वोपरि है और अपराध के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति स्पष्ट रूप से अपनाई गई है।

डीआईजीपी अमित शर्मा के नेतृत्व में अपराधियों की कमर तोड़ती दानह पुलिससीसीटीवी फुटेज, तकनीकी सर्विलांस और लोकल इनपुट से ट...
20/06/2025

डीआईजीपी अमित शर्मा के नेतृत्व में अपराधियों की कमर तोड़ती दानह पुलिस
सीसीटीवी फुटेज, तकनीकी सर्विलांस और लोकल इनपुट से ट्रेस कर अपराधियों को घेरा
नासिक तक भागे आरोपी भी नहीं बच पाए, दानह पुलिस ने किया सरेंडर को मजबूर
प्रशान्त राय, स्वदेशी कलम, सिलवासा। दादरा नगर हवेली एवं दमण-दीव के सिलवासा में मोबाइल दुकानदार जानकीनाथ उर्फ कुणाल सूरज प्रसाद की हत्या के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इस हत्याकांड में प्रयुक्त मारुति अर्टिगा कार (DN-09-L-2578) और 5 मोबाइल फोन भी पुलिस ने जब्त किए हैं।
17 जून 2025 की शाम लगभग 6:45 बजे सिलवासा पुलिस स्टेशन को सूचना मिली कि आमली फुवारा स्थित S.K. मोबाइल शॉप से दुकान संचालक जानकीनाथ उर्फ कुणाल को कुछ अज्ञात व्यक्ति जबरन अगवा कर ले गए हैं। सूचना मिलते ही पुलिस सक्रिय हुई और तलाश के दौरान गलोंडा के बाराटपाड़ा स्थित पार्थ ढाबा के पीछे एक खुली जगह पर घायल अवस्था में कुणाल का रक्तरंजित शव मिला। उन्हें तत्काल वीबीसीएच हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 18 जून को मृतक के परिजनों की शिकायत के आधार पर सिलवासा पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धाराओं 140(1), 103(1), 238, 3(5), 61(2) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। शव का पोस्टमॉर्टम करवाया गया और मामले की गहन जांच शुरू की गई।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपी एक कार में मृतक को अगवा करने आए थे। प्रारंभिक तकनीकी जांच और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने सबसे पहले बाइक सवार उमेश अमृतलाल सोनी को गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही और पूछताछ के आधार पर पता चला कि बाकी आरोपी गुजरात और महाराष्ट्र के पड़ोसी जिलों में फरार हो गए हैं।
पुलिस दबाव से घबराकर 6 अन्य आरोपी संतोष अजय जाधव, आनंद सेशनाथ सेठ, मितेश अमरत हलपाटी, कौशल अरविंदभाई आचार्य, मोंटू कुमार सुचित पासवान और प्रेम सरद रामपुरकर ने नासिक पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। उन्हें सिलवासा लाकर जब सघन पूछताछ की गई तो उन्होंने जुर्म कबूल कर लिया और सभी को गिरफ्तार कर माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, दादरा एवं नगर हवेली की अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें 27 जून 2025 तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।
प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि मृतक और आरोपियों के बीच पुरानी रंजिश और कार्य संबंधित विवाद चल रहा था। आरोपी A2 (संतोष जाधव) को इस अपराध का मुख्य साजिशकर्ता और हमलावर माना जा रहा है।
पुलिस की ओर से बताया गया है कि मामले की गहराई से जांच जारी है और यदि किसी संगठित आपराधिक गिरोह की संलिप्तता पाई जाती है तो उसके खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
गिरफ्तार आरोपियो के नाम
1) उमेश अमृतलाल सोनी (A1) – निवासी पिपरिया, गुजरात (मूल: सासाराम, बिहार), 2) संतोष अजय जाधव (A2) – निवासी समरवर्णी, सिलवासा (मूल: पालघर, महाराष्ट्र) 3) आनंद सेशनाथ सेठ (A3) – निवासी व्रजधाम, सिलवासा (मूल: रोहतास, बिहार) 4) मितेश अमरत हलपाटी (A4) – निवासी अक्षर ग्रीन, भुर्कुड फलिया, सिलवासा 5) कौशल अरविंदभाई आचार्य (A5) – निवासी प्रमुख विहार, सिलवासा (मूल: पाटण, गुजरात) 6) मोंटू कुमार सुचित पासवान (A6) – निवासी लीला अपार्टमेंट, सिलवासा (मूल: भागवा, बिहार) 7) प्रेम सरद रामपुरकर (A7) – निवासी विराज अपार्टमेंट, सिलवासा (मूल: कोल्हापुर, महाराष्ट्र)।
प्रशासक के नेतृत्व में पुलिस सक्रिय
प्रशासक प्रफुल पटेल के नेतृत्व और डीआईजी अमित शर्मा की निगरानी में पुलिस लगातार सक्रिय है। इस घटना के बाद प्रदेश में कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह का दुस्साहस न कर सके। प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है, और हर क़दम पर कानून का पालन सख्ती से कराया जाएगा।

आज जब आम नागरिक खुद को असुरक्षित महसूस करता है, तो वो पुलिस प्रशासन का नाम नहीं लेता — वो सीधे प्रशासक की ओर टकटकी लगाए ...
20/06/2025

आज जब आम नागरिक खुद को असुरक्षित महसूस करता है, तो वो पुलिस प्रशासन का नाम नहीं लेता — वो सीधे प्रशासक की ओर टकटकी लगाए आशा की नजर से देखता है। और यही सबसे गंभीर बात है।
हालांकि होना ऐसा चाहिए की नागरिको का पहला भरोसा स्थानीय पुलिस पर बना रहे। पर मौजूदा हालातों को देख कर लगता है कि तमाम कोशिसो के बावजूद पुलिस जनता पर विश्वास बनाने मे नाकाम साबित हुई है। इसका प्रमुख कारण थानो मे नागरिकों के साथ पुलिस का बर्ताव। आम नागरिको को आज भी थानेदार के केबिन मे जाने मे असहजता होती है, उन्हें भय लगता है वहीँ रसूखदार, यहाँ तक कि क्रिमिनल प्रवित्ती के लोग बेधड़क थानेदार के केबिन मे घुस जाते हैं और लम्बे समय तक चाय पानी होते रहता है, लोगो मे यह चर्चा आम है। लगभग लगभग सभी थानो का यही हाल बताया जा रहा है। उसमे लगे सीसीटीवी कैमरे इसकी गवाही देंगे।
आज जो प्रदेश मे खुलेआम अपहरण और करने का साहस अपराधियों को मिला है वह कहीं और से नहीं पुलिस की लापरवाही से मिला है।

प्रशासक श्री की साफ नीयत पर किसी को कोई संदेह नहीं है, लेकिन पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह है।

प्रदेश के माननीय प्रशासक प्रफुल पटेल जी भरे मंच से स्पष्ट और सख्त शब्दों में ऐलान करते हैं कि प्रदेश से गुंडागर्दी और हफ्ताखोरी समाप्त हो चुकी है। शांति और सुरक्षा ही शासन की पहली प्राथमिकता है।"

इस नीयत में कोई खोट नहीं है। उनके नेतृत्व में प्रदेश ने कई मामलों में सकारात्मक दिशा पकड़ी है। आज प्रदेश मे जो शांति और भाईचारा बना हुआ है, यह प्रशासक श्री की ही दें है। लेकिन पुलिस प्रशासन की ढुलमुल कार्यशैली ने इस भरोसे पर बट्टा लगाने का काम किया है।

अपराधियों के साथ 'मधुर संबंध', 'चाय-पानी की मेज़बानी' और 'कानून के नाम पर ढील' इन सब ने छोटे-मोटे टपोरीयों के हौसले इतने बढ़ा दिए कि आज वे दिनदहाड़े अपहरण और हत्या जैसे जघन्य अपराध करने की हिम्मत कर बैठे।

एक बार फिर लोगो का विश्वास डगमगा रहा है, आम जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। पुलिस से ज्यादा डर, पुलिस पर कम भरोसा — यह स्थिति किसी भी लोकतांत्रिक तंत्र के लिए शर्मनाक है।

आज सवाल पुलिस पर नहीं, सीधे प्रशासक श्री के संकल्प और छवि पर उठने लगे हैं। लोग पूछते हैं — "जब प्रशासक श्री इतना कड़ा और स्पष्ट है, तो फिर उनकी पुलिस इतनी नरम और लापरवाह क्यों?"

यह वक्त है कि पुलिस खुद को जवाबदेह बनाए, और साफ करे कि वह किसी अपराधी की ढाल नहीं, जनता की रक्षा का प्रहरी है। प्रशासक श्री की ईमानदार कोशिशों को नाकाम करने वाली लापरवाहियां बर्दाश्त योग्य कत्तई नहीं हैं।
कुणाल मर्डर केस मे पुलिस क्या उदाहरण प्रस्तुत करती है यह अहम होगा...

दादरा नगर हवेली मे खाकी को खुली चुनौती देने वालो का रोड शो निकालने की जरुरत ताकि आपराधिक मानसिकता वाले दुबारा अपराध करने...
19/06/2025

दादरा नगर हवेली मे खाकी को खुली चुनौती देने वालो का रोड शो निकालने की जरुरत ताकि आपराधिक मानसिकता वाले दुबारा अपराध करने का साहस ना जुटा पाए...

19/06/2025

गुजरात पुलिस की तर्ज पर आरोपियों का रोड शो निकाले दादरा नगर हवेली पुलिस – जनता की मांग तेज

स्वदेशी कलम, सिलवासा। प्रदेश में बढ़ते अपराध और असामाजिक तत्वों की खुलेआम गतिविधियों को देखते हुए अब जनता ने सख्त रुख अपनाया है। लोगों की मांग है कि दादरा नगर हवेली पुलिस, गुजरात पुलिस की तर्ज पर आरोपियों का रोड शो निकाले ताकि उनके अंदर बैठी 'भाईगिरी' और दादागिरी का नशा उतर सके।

गुजरात में देखा गया है कि गंभीर अपराधों में लिप्त आरोपियों को पुलिस सरेआम विशेष सेवा देकर हथकड़ी लगाकर सड़क पर घुमाती है। इससे ना सिर्फ लंगड़ाते-भचकते चलते आरोपियो की मानसिकता पर असर पड़ता है, बल्कि आम जनता को भी न्याय व्यवस्था पर भरोसा बढ़ता है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर दादरा नगर हवेली पुलिस भी इसी तर्ज पर एक्शन ले, तो अपराधियों के मन में डर बैठेगा और अपराध पर लगाम लगेगी। इससे जनता बेखौफ होकर जी सकेगी।

क्या हत्या, अपहरण के आरोपी *करण सिंह और हितेश मोरे* जैसे लोगों की जरूरत है भाजपा को?सिलवासा में हुए कुणाल प्रसाद अपहरण औ...
19/06/2025

क्या हत्या, अपहरण के आरोपी *करण सिंह और हितेश मोरे* जैसे लोगों की जरूरत है भाजपा को?

सिलवासा में हुए कुणाल प्रसाद अपहरण और हत्या कांड में नामजद आरोपी करण सिंह और हितेश मोरे को करीब 5 महीने पहले ही भाजपा में शामिल किया गया था। जबकि इनका आपराधिक रिकॉर्ड पहले से ही संदिग्ध रहा है?
लोग सवाल कर रहे हैं — ऐसे तत्वों को पार्टी में क्यों जगह दी जाती है? क्या यह संगठन की मजबूती है या गिरावट की शुरुआत?

सूत्रों के अनुसार, भाजपा में शामिल होने से पहले ये लोग कई पार्टियां बदल चुके थे। चर्चा है कि इन्होंने अपने भंगार व्यवसाय को संरक्षण देने और स्थानीय दबदबा कायम रखने के लिए भाजपा का सहारा लिया।

समाज का सवाल बिल्कुल सीधा है:
क्या हत्या और अपहरण जैसे संगीन मामलों में लिप्त, असामाजिक तत्वों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा?
या फिर सत्ता की राजनीति में नैतिकता का कोई स्थान नहीं बचा?
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से इस पर स्पष्ट और कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा है।
क्योंकि पार्टी का चेहरा उसके कार्यकर्ता ही होते हैं।

18/06/2025
17/06/2025

सिलवासा हत्याकांड : बड़ा खुलासा

स्वदेशी कलम, सिलवासा।
कुणाल हत्याकांड में अब एक चौंकाने वाला पहलू सामने आ रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस जघन्य वारदात में जिन लड़कों ने अपहरण की भूमिका निभाई, उन्हें वापी निवासी मौसीन मचमच (मो. 9574961886) ने कथित तौर पर अश्विन वामन राव गर्डे के कहने पर भेजा था।

हालांकि हम इस जानकारी की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करते, लेकिन यह बेहद गंभीर आरोप है, जिसकी गहन जांच होना आवश्यक है। पुलिस को चाहिए कि वह इस हत्याकांड से जुड़े हर लिंक को बारीकी से खंगाले, ताकि असली गुनहगार बच न सकें।

सूत्रों का दावा है कि इस वारदात में शामिल अधिकांश आरोपी कम उम्र के और नशे के लती (गंजेड़ी) थे, जिन्हें मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया गया।
एक गोपनीय सूत्र ने नाम न उजागर करने की शर्त पर यह जानकारी साझा की है।

अब देखने वाली बात यह है कि पुलिस इन नए खुलासों को कितनी गंभीरता से लेती है और जांच को कहां तक पहुंचाती है। जनता को इंसाफ चाहिए, और दोषियों को कठोर सज़ा!

17/06/2025

यह क्या तमाशा चल रहा है?
बिना हेलमेट बाइक सवार दिखे, तो पुलिस उन्हें दौड़ाकर पकड़ लेती है — जैसे मानो सबसे बड़ा अपराध कर दिया हो। चालान, फाइन, फोटो — सब कुछ चुटकियों में होता है। लेकिन जब दिनदहाड़े रिक्शा में युवक का अपहरण होता है, जब एक इंसान को बीच चौराहे से उठा लिया जाता है, तो हमारी पुलिस कहां होती है? जबकि सिलवासा के हर चाक चौराहे पर पुलिस भारी दल बल मे तैनात है।

क्यों नहीं रोकी गई वह रिक्शा? क्यों नहीं पकड़ी वह गाड़ी? क्या हमारी सुरक्षा सिर्फ ट्रैफिक नियमों तक सीमित है?

अगर हेलमेट न पहनने वाला नहीं बच सकता, तो किडनैपर कैसे बच जाते हैं? बीच चौराहे पर उठाकर ले जाना इतना आसान कैसे हो गया?CCTV, PCR, ड्यूटी पर तैनात पुलिस – क्या सब सो रहे थे?

यह केवल एक युवक का अपहरण नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था का अपमान है। यह घटना हम सबके लिए खतरे की घंटी है।

*जघन्य हत्या मामले में हाईटेक फॉरेंसिक वैन पर टिकी उम्मीदें, पुलिस की ढिलाई से उठे सवाल**इस हत्याकांड के साथ-साथ संबंधित...
17/06/2025

*जघन्य हत्या मामले में हाईटेक फॉरेंसिक वैन पर टिकी उम्मीदें, पुलिस की ढिलाई से उठे सवाल*

*इस हत्याकांड के साथ-साथ संबंधित पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी उच्चस्तरीय जांच कर उन्हें जवाबदेह बनाया जाए*

स्वदेशी कलम, सिलवासा।
प्रदेश में हुई ताज़ा जघन्य हत्या की घटना ने प्रशासन और पुलिस व्यवस्था को कटघरे में ला खड़ा किया है। जहां एक ओर जांच एजेंसियां वैज्ञानिक तरीकों से आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर मृतक द्वारा पूर्व में की गई शिकायतों पर कार्रवाई न होने से पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

इस केस की जांच में फॉरेंसिक वैन और उसकी टीम की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है। उल्लेखनीय है कि माननीय प्रशासक श्री प्रफुल पटेल ने कुछ माह पूर्व प्रदेश में नई फॉरेंसिक वैन का निरीक्षण किया था। उन्होंने वैन में मौजूद अत्याधुनिक उपकरणों जैसे डीएनए सैंपलिंग किट, फिंगरप्रिंट एनालाइज़र, ब्लड सैंपल कलेक्शन यूनिट और डिजिटल साक्ष्य विश्लेषण प्रणाली की सराहना की थी।

अब यही फॉरेंसिक वैन इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में निर्णायक भूमिका निभा रही है। घटनास्थल से मिले खून के धब्बे, हथियार पर मिले उंगलियों के निशान, मोबाइल डेटा व अन्य डिजिटल सुरागों को वैज्ञानिक विधि से खंगाला जा रहा है।

जनता को उम्मीद है कि अत्याधुनिक उपकरणों से लैस यह फॉरेंसिक टीम जल्द ही आरोपियों की शिनाख्त कर उन्हें गिरफ्तार कराने में मदद करेगी। परंतु इस केस की विश्वसनीयता केवल तकनीक पर नहीं, बल्कि पुलिस की ईमानदारी और तत्परता पर भी निर्भर करती है।

सूत्रों के अनुसार, मृतक ने पूर्व में कई बार पुलिस से अपनी जान को खतरा होने की शिकायत की थी। बार-बार चेतावनी देने के बावजूद यदि समय रहते पुलिस संज्ञान में लेती, तो शायद आज उसकी जान बचाई जा सकती थी। आरोप है कि अश्विन गर्डे, करन सिंह गिरोह से जुड़े लोगों पर बार-बार मारपीट की घटनाओं के बावजूद केवल मामूली धारा 151 लगाकर छोड़ दिया जाता था।

अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर पुलिस इन आरोपियों पर इतनी मेहरबान क्यों थी? क्या किसी दबाव या सांठगांठ के चलते गंभीर आरोपों को नजरअंदाज किया गया?

*जनता मांग कर रही है कि इस हत्याकांड के साथ-साथ संबंधित पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी उच्चस्तरीय जांच कर उन्हें जवाबदेह बनाया जाए। ताकि भविष्य में किसी बेगुनाह की जान सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही की वजह से न जाए।*

यह केस न सिर्फ एक हत्या की जांच है, बल्कि प्रणालीगत सुधार और पुलिस जवाबदेही की भी एक कड़ी परीक्षा है।

कुणाल हत्याकांड : SK मोबाइल से अपहरण कर उठा ले गए, गलोंडा में खून से लथपथ मिला शवपरिजनों का रो रो कर बुरा हाल : पोस्टमार...
17/06/2025

कुणाल हत्याकांड : SK मोबाइल से अपहरण कर उठा ले गए, गलोंडा में खून से लथपथ मिला शव

परिजनों का रो रो कर बुरा हाल : पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया शव, पूरे शहर में आक्रोश

ड्यून टेप कम्पनी में भंगार घोटाले का खुलासा करने वाले की जान गई? पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

परिजनों ने पुलिस पर भी लगाए गंभीर आरोप, शिकायत लेने मे की देरी, मा बाप का एकलौता लड़का था, 6 माह पूर्व ही हुई थी शादी

स्वदेशी कलम, सिलवासा: अथाल स्थित एक ड्यून टेप कम्पनी में भंगार चोरी की शिकायत करने वाले युवक कुणाल की रहस्यमयी परिस्थितियों में हत्या कर दी गई। मृतक कुणाल उर्फ जानकी नाथ प्रसाद लंबे समय से उक्त कम्पनी में हो रही भंगार चोरी का भंडाफोड़ करने की कोशिश कर रहा था, जिसके चलते उसे लगातार धमकियाँ मिल रही थीं।

परिजनों और सूत्रों के अनुसार, कुणाल के पास कम्पनी के भीतर स्टाफ की मिलीभगत से हो रही चोरी के पुख्ता प्रमाण थे, जिन्हें वह कुछ माह पूर्व मुंबई हेड ऑफिस तक लेकर भी गया था। इसी कारण कम्पनी से जुड़े कुछ प्रभावशाली लोग उसके खिलाफ हो गए थे और लम्बे समय से विवाद चल रहा था, ऐसा आरोप मृतक के परिजन लगा रहे हैं।

पुलिस स्टेशन में मिली थी जान से मारने की धमकी

प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ दिन पूर्व सिलवासा पुलिस स्टेशन में परवेज शेख, विजय चौहान और मृतक कुणाल को हाजरी के लिए बुलाया गया था। वहीं पर अश्विन गर्डे, करण सिंह, प्रकाश महले, मिशाल देसाई, ओमप्रकाश सिंह उर्फ बंटी ठाकोर और अश्विन गर्डे के एक गनमैन ने थाने के अंदर ही इन लोगों को जान से मारने की धमकी दी और गाली-गलौच की। इस घटना के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

दुकान से उठाकर ले गए बदमाश

गंभीर बात यह है कि हत्या से कुछ समय पहले, शाम करीब 5 से 6 बजे के बीच, आमली स्थित SK मोबाइल नामक दुकान से कुणाल को करीब 20 से 25 लोग दो रिक्शा और एक फोर व्हीलर में भरकर जबरन उठाकर ले गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों की भीड़ जमा होने से पहले ही कुणाल को गाड़ी में डालकर रवाना कर दिया गया।

कुणाल की पत्नी और उसके सहयोगी तुरंत सिलवासा पुलिस स्टेशन पहुंचे लेकिन परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने तत्काल शिकायत दर्ज करने में टालमटोल की।

खून से लथपथ मिला शव

कुछ समय बाद खबर आई कि गलोंडा क्षेत्र के शिवम ढाबा के पास नहर के किनारे खेत में कुणाल का शव खून से लथपथ हालत में मिला। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर एम्बुलेंस से सिलवासा सिविल अस्पताल भिजवाया, जहां पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

परिजन और साथी सहमे, पुलिस पर गंभीर आरोप

हत्या की इस जघन्य वारदात के बाद मृतक की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं, विजय चौहान और परवेज शेख ने भी अपनी जान को खतरा बताया है। उन्होंने आशंका जताई कि कुणाल की तरह उनकी भी हत्या कर दी जा सकती है।

इस पूरे मामले ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि समय रहते पुलिस चेत जाती और धमकी की शिकायत पर सख्त कार्रवाई होती, तो शायद कुणाल की जान बचाई जा सकती थी।

अब देखना यह है कि इस मामले के जिम्मेदार आरोपियों को पुलिस कब तक सलाखों के पीछे पहुँचती है?

बता दें की इस हत्या के पीछे अश्विन गर्डे, करन सिंह गिरोह का नाम बताया जा रहा है, जाँच के बाद हकीकत साफ होगा की इसके पीछे कौन कौन लोग शामिल थे, क्योंकि कुणाल उर्फ़ जानकीनाथ प्रसाद को बहुत समय से परेशान क़र रहे थे, और जान से मारने की धमकी दे रहे थे...

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