31/07/2025
🇮🇳 "शहीद उधम सिंह को सलाम" 🕊️
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जलियांवाले बाग की थी वो शाम,
जब बहा लहू, रो पड़ी थी धरा तमाम।
निहत्थों पे गोलियाँ बरसाईं थीं,
इंसानियत को भी शर्म आई थी।
देखा उधम ने जब वो मात का मंजर,
मन में जली प्रतिशोध की ज्वाला प्रखर।
कसम खाई उस मासूम लहू की,
मिटा दूँगा मैं जड़ उस दानव रूप की।
सालों तक रहा वो शांत, संयमी,
पर दिल में पलती रही आग अग्नि।
ब्रिटेन की धरती पर गया वो वीर,
लिए हाथ में न्याय का एक तीर।
कैक्सटन हॉल में चली जब गोली,
गूंज उठी जैसे भारत की बोली।
ओ'ड्वायर का अंत था न्याय का दिन,
झुकी ब्रिटिश सत्ता, कांप उठा हर किन।
फाँसी मिली, मगर झुका नहीं मस्तक,
"देश है प्रथम" – यही रहा उसका व्रत।
उधम अमर है, अमर रहेगी कहानी,
हर दिल में बसती उसकी कुर्बानी।
आज भी जब देश पुकारे प्यार से,
याद आता है उधम सिंह गर्व से।
नमन है तुझे, हे वीर महान,
तेरी शहादत को सौ-सौ प्रणाम।
सादर अभिवादन सैल्यूट,,, नमन!!!
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